Post date: Dec 13, 2019 2:3:8 AM
चोंच में दबाए एक तिनका
गौरय्या
मेरी खिड़की के खुले हुए
पल्ले पर
बैठ गई
और देखने लगी
मुझे और
कमरे को ।
मैंने उल्लास से कहा
तू आ
घोंसला बना
जहाँ पसन्द हो
शरद के सुहावने दिनों से
हम साथी हों ।