हजूम ने रुख़ बदला और सर गंगाराम के बुत पर पिल पड़ा। लाठियाँ बरसायी गयीं। ईंटें और पत्थर फेंके गये। एक ने मुँह पर तारकोल मल दिया। दूसरे ने बहुत-से पुराने जूते जमा किये और उनका हार बनाकर बुत के गले में डालने के लिए आगे बढ़ा, मगर पुलिस आ गयी और गोलियाँ चलना शुरू हुईं। जूतों का हार पहनाने वाला ज़ख़्मी हो गया। चुनांचे मरहम-पट्टी के लिए उसे सर गंगाराम अस्पताल भेज दिया गया।