संस्कार
दिन के बाद रात,
सुख के बाद दुख,
जन्म के बाद मरण,
ख़ुशी के बाद,
निराशा एवं अवसाद,
प्रकृति के नियम है |
निराशा एवं अवसाद होते हैं,
कठिन समय ज़िन्दगी के,
रामायण में श्री राम ने बालि को मारकर,
सुग्रीव को अवसाद से उबारा था,
महाभारत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को,
गीता का उपदेश देकर,
अवसाद से निकाला था |
आज इस विज्ञान की अंधी दौड़ में,
भौतिकवाद का बोल बाला है |
आज आपका अज़ीज़, आपका सहयोगी,
आपका बच्चा, आपका विद्यार्थी
निराशा व अवशाद के निशाने पर है |
कहाँ है, आज का श्री राम,
कहाँ है, आज का श्री कृष्ण,
आज के श्री राम, आज के श्री कृष्ण,
और कोई नहीं, आपके माता-पिता हैं |
जो देगें, सुदृढ़ सौम्य संस्कार,
जो देगें दूरदर्शी नैतिक मूल्यों का पाठ,
अच्छे नैतिक संस्कारों, नैतिक मूल्यों से,
समाज ठोस आशावादी बनता है |
यदि राष्ट्र को सच्चे अर्थों में चाहते हो,
निराशा व अवसाद से मुक्ति दिलाना,
तो छेड़ो आशावादी, नैतिक मूल्यों का,
सुर भरा तराना,
तो गाओ गीत सुन्दर नैतिक विचारों के,
जलाओ दीपक सुन्दर संस्कारों के ||२
डा0 सुकर्मा थरेजा
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर