आज समाज में ,
भौतिक समृध्दि चरम पर है ,
चारित्रिक पतन भी चरम पर है ,
आधुनिकीकरण की उलझन में ,
सफलताओं की नई परिभाषाओं में ,
सच्ची सुख शान्ति के चक्रव्यूह में ,
सफल जीवन, जीवन में सफलता के अन्तर में ;
स्वयम की इच्छाओं के रेगिस्तान में,
मृग मरीचिका के समान भ्रमित है मानव तू ,
इच्छित भौतिक फल पाना ,
है क्षण भंगुर सफलता ,
महत्व भौतिक आध्यात्मिक मूल्यों के समझना ,
है सच्ची सफलता l
यह माना खूब तूने सीखा है ,
सागर की गहराई में मोती खोजना ,
पर कहाँ तूने सीखा है ?
मन की गहराई में सुख शान्ति खोजना
फूटी तकदीर, विकट परिस्थितयाँ ,
जीवन नहीं, कभी सफल हो सकता!
यह सोचो ना तुम सदा कभी l
सफल होना अधिकार है तेरा,
ध्यये निश्चित कर मानस पटल पर,
हिम्मत कर बढ़ जा आगे,
ललकार सफलता को,
सफलता खींचेगीं तुझको आगेll2
डाo सुकर्मा थरेजा
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर