पर्यावरण
दुनिया की पुकार है ,
धरती की पुकार है ,
देश की पुकार हैं ,
पर्यावरण संरक्षण ,
आज की मांग ही नहीं
आज का सुविचार है || २
जीव जगत के मित्र हमारे ,
पेड़ , ध्वनि, मिट्टी जल सारे,
इन सभी को साथ रहने दो || २
हरियाली की महिमा पहचानों ,
सभी वृक्षों -पौधों को जीवित रहने दो ,
वृक्षों को कभी ना काटो ,
उनमें आलौकिक सांस रहने दो || २
लिबास है वृक्ष धरती के ,
इन अनूठे वस्त्रो को, कंचन जेसा साफ रहने दो ||२
वृक्ष केवल, वृक्ष नहीं है, दोस्तों ,
इनसे जुड़ीं हैं ,प्राणियों की असंख्य ,
विलक्षण यादें एवम संवेदनाए ,
सभी यादों संवेदनाओं का ,
इतिहास रहने दो ||२
वृक्ष ही नहीं , पानी भी है ,
ईश्वर का वरदान ,
इसका जीवन में अमूल्य योगदान ,
सिकुड़ रहे, संसाधन हमारे ,
इन सभी पर देना होगा ध्यान ||२
माना कि कहीं है, पेड़ बहुत ,
और कहीं स्वच्छ जल भरपूर ,
पर कहीं पेय जल पर्याप्त नहीं ,
तरसती मानवता इस दौलत को ||२
तो क्यों ना हम भरपूर प्रयास करें ,
इस बहुमूल्य दौलत के ,
संरक्षण का भरपूर अभ्यास करें ||२
आओं साइकिल चलांए ,
ना कि पैट्रोल जलांए ,
एक पौधा आंगन में अवश्य लगांए ,
बर्तन धोये या धोये कार ,
सीमित पानी से हम हाथ दो चार करें ||२
मशीनी सुख का त्याग करें ,
इस शरीर से भी कुछ पुरुषार्थ करें ,
मानवता के सुख में वास करें ||२
तभी तो संतुलित होगा , पर्यावरण दोस्तों,
होगा कुछ कम दुःख लोगों का ,
भावी पीढ़ियों का मार्ग सुगम होगा ,
और फिर देखो , मिगों ,
मानवता - पर्यावरण का संतुलन एवं समन्वय
अपने आप में , मिसाल होगा ||२
डाo सुकर्मा थरेजा
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर