आज का विद्यार्थी,
गणतन्त्र दिवस को,
महज़ एक छुट्टी मानता है,
यह छुट्टी नहीं है भाई,
यह तो समय है, चिन्तन मनन का
मेल है, दो शब्दों का गणतन्त्र मेरा,
एक तरफ सुलझे गुणकारी गण है मेरे,
दूसरी ओर साफ सुथरा तन्त्र है मेरा,
राजनैतिक दल कोई भी आये,
नकारात्मक शक्तियाँ जितना सिर उठाये,
कसम है भारत माता की हम सभी को,
देश का गण सर्वोच्च गणतन्त्र बनाकर रहेगा
नज़दीकियाँ होगी, मेरे गण एवं तंत्र में
मिलन हो जैसे आत्मा का शरीर में,
सुचारू ढंग से कार्य करेगा जनता का तंत्र
प्रत्येक भारतीय को मिलेगी सुविधा इस तंत्र में,
ऐसा अनूठा तंत्र मेरे देश का गणतंत्र होगा
दुनिया का एक बड़ा लोकतंत्र है, देश मेरा;
देश का बच्चा एवं वृद्ध,
देश की महिला एवं वीरांगना,
देश का बुध्दिजीवी एवं युवा,
देश के विद्यार्थी एवं कलाकार
भागीदार इस तंत्र के गणतंत्र में
तब क्यों न होगा सर्वोच्च गणतंत्र मेरा,
माना फिरकापरस्ती, जातिए झगड़े,
भ्रष्टाचार, आर्थिक स्कैम,
कभी देश में सिर उठाते है,
पर यह टूट-फूट,
देश वासियों की निष्ठा के आगे,
जैसे चूहा हो बिल्ली के आगे ।
भारत माँ का स्नेहिल आर्शीवाद,
सभी भारतीयों को मिला है,
तो क्या कारण है ?
की हम अपने देश के वफादार,
बनने में असमर्थ है ।
किसी प्रान्त के वासी हो,
कोई भी भाषा-भाषी हो,
सर्वप्रथम इस दुनिया के
सर्वोच्च गनतंत्र के, भारत वासी हैं ।
माँ कोई रहा है,
ना कोई रहेगा,
पर यह भी पक्की बात है, मित्रों !
मेरा महान भारत देश,
सर्वोच्च गणतंत्र बनकर रहेगा ।
सर्वोच्च गणतंत्र बनकर रहेगा ।
डा० सुकर्मा थरेजा
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर - 208001