होली सो होली

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Dedicated to: Women Association of IIT-Kanpur

Dedication Summary: For good work,this Women association of IIT-Kanpur is doing ,for women.

Holi so Ho Li

Written By: sukarma Thareja | Submitted on: Mar 24,2013

होली सो होली

होली तो प्रतीक है,

त्रिकोणीय प्रहलाद-हिरणाकश्यप, होलिका

दन्त कथा की

होली तो प्रतीक है

समाज में बुराई पर अच्छाई की विजय की,

गली-गली कूचे-कूचे,

जलती है, ढेर सारी होली,

उसके बाद आती है, रंग खेलने वाली होली,

वह तो प्रतीक है, स्नेह एवं सच्चाई की,

होली के रंग है, खुशियों के ढंग हैं,

पर आजकल वह होली,

तो फीकी होली सी लगती है,

इसीलिए कहती हूँ होली सो होली,

भारी विडम्बना है,

बलात्कार की चीख पुकार है,

बलात्कार के बाद,

जलते नहीं पुरुष,

जलती है लड़कियाँ ,

इसीलिए दब गयी है, कहीं,

हमारी गुजिया मिष्ठान वाली होली,

क्या नैतिक मूल्यों से विहीन हो गया है समाज,?

बढ़ती अमानवीय घटनाए कम करने का,

कौन करेगा प्रयास ?

क्या तिल-तिल घुटती लड़कियों को सहारा देना,

फर्ज़ नहीं हमारा ?

क्यों दशहत में रह रही है, कुछ लड़कियाँ

आओ प्रयास करें,

होली के शुभ अवसर पर,

इन आलौकिक लड़कियों की जिन्दगी में,

बेशुमार पिचक्कारियों से,

सौहार्द के प्रतीकात्मक

सुन्दर रंग, तुरन्त भर दें

इनको सुन्दर सुरक्षित माहौल दें,

साथ खड़े हो, इनके सुख, दुख में,

तभी तो अमानवता से शोषित लड़कियों का

दुख कुछ कम होगा

मानवीय गुलाल अबीर के बिखरते,

इन्द्र धनुषीय रंगों से,

प्रत्येक लड़की के मन का बोझ,

विजय उल्लास एवं सुकून में परिवर्तित होगा ।।2

तभी तो होली का सच्चा रंग होगा ।।2

डा0 सुकर्मा थरेजा

क्राइस्ट चर्च कालेज

कानपुर