मेरे आंगन के अंबर का,
माँ तो एक सितारा है;
वह तो परिवार से न्यारा है |
मेरे जीवन का प्रत्येक पुष्प,
उस पर ही तो वारा है;
माँ तो मेरा मधुबन है,
मैं मधुबन की छोटी डाली हूँ |
मधुबन की आंगन बाड़ी की,
मैं हरफन मौला खिलाड़ी हूँ,
मैं तो माँ के अनुभव की,
छोटी सी एक प्याली हूँ;
माँ की ममता इस प्याली पर,
सदा मधु लुटाया करती है;
माँ के मधु की मादकता,
शक्ति बरसाया करती है |
माँ तो सच्चे मधु जैसे,
मेरी हर गलती पर;
धीमें-धीमें मुस्काया करती है,
कहते हैं हम सब मिट्टी के,
लघु जीवन लेकर आये है;
माँ भी तो आखिर मिट्टी की
वह भी तो इक दिन जाएगी,
मेरी दुआओं का स्टोर रूम,
सूना - सूना कर जाएगी |
माँ के बाद कौन ?
यह प्रश्न बड़ा ही है विकट,
यह तो पक्की बात है मित्रों!
माँ की जगह, कभी खाली ना हो पाएगी,
बेटी भी माँ बन जाएगी |
यह सोच मन में आते ही,
बेटी, मेरी प्याली निकट दिखाई देती है,
इस प्याली मे मैं क्यूँ ना .....
सुन्दर अच्छे संस्कार भर दूँ,
खुद आकार रंग उनमें तुरंत भर दूँ |
माना की माँ बहुत प्यारी थी,
जीवन की अंगारी थी,
पर वह तो प्याली टूट गई;
जो बीत गई, वो बात गई,
ना सोचो, तुम यह सदा कभी,
जीवन की है रीत यही,
प्याली - प्याली को भरती है,
टूटी प्याली प्रेरणा बन,
ममता का ताना बुनती है |
जब सम्बंध बहन भाई के,
फटे कुरते की तरह उधड़ते है;
तब अम्बर से आ जाती माँ,
चुपके - चुपके सी जाती माँ |
आओ माँ के आदर्श साकार करें,
उसके अमृत कार्यों की कोठरी में,
हम बेटा -बेटी पुनर्वास करें,
दुनिया की सभी माताओं को,
हम नतमस्तक,शत -शत प्रणाम करें ||२
Dr. Sukarma Thareja
Alumnus IITK
Ch. Ch. College
Kanpur