आदरणीय सीमा जी, रिचा, मधुमिता जी चांदना जी उपस्थित सज्जनों एवं मेरे प्यारे
साथियों, यह अत्यन्त ही हर्ष का विषय है कि आई आई टी कानपुर की वुमन ऐसोसिरेयन
की ओर से बैड मिन्टन की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ और आज हम जीते हुए
प्रतिभागीयों को सम्मानित कर रहें हैं । इस विशेष समाहरोह में सम्मलित होकर मैं बहुत ही गौरवान्वित हो रही हूँ ।
सर्वप्रथम मैं बधाई देतीं हूँ उन सभी प्रतिभागियों को जिन्होंने इस प्रतिस्पर्धा में जीत हासिल की है ।बधाई के पात्र वह प्रतिभागी भी हैं, जो कारण वश जीत तो हासिल नहीं कर पाये, परन्तु प्रतियोगिता में भाग लिया है । क्योंकि इस प्रतियोगिता के खेल के दौरान जो अदभुत अनुभव उन्हें हासिल हुएँ है वह अमूल्य है ।
मै सलाम करती हूँ उन सभी कर्मठ आयोजकों को, अद्र महिलाओं को जिनके प्रयासों से आज इस कैम्पस में खेल की सुंदर परिपाटी जीवित है ।
आज विज्ञान का युग है, उसकी अंधी दौड़ में सभी लोग समय की कमी से जूझ रहे हैं । इन सबको देखते हुए मुझे हरिवंश राय जी की कुछ सुंदर पंक्तियाँ याद आ जाती हैं ।
जीवन की आपा धापी में यह वक्त,
कभी कहाँ मिला मुझे, जो बैठ कभी,
मैं सोच सकूँ जो किया कहा कभी बुरा भला ।
आप सब बधाई के पात्र हैं, जिन्होनें जीवन की थकान उतारने के लिए खेल की व्यवस्था का सुंदर रास्ता चुना है । सच्ची खेल की भावना हमें जीवन के मूल्यों को झांकने का अवसर प्रदान करती है । प्रत्येक प्राणी के जीवन में आशा व निराशा के पल अवश्य आते है, और हमें चुनौतियाँ स्वीकार करनी पड़ती हैं । निर्णय भी लेने पड़ते हैं । जीवन का छोटे से छोटा निर्णय हमारे जीवन की आधार शिला बन जाता है ।
खेल खेलने से जीवन का द्रष्टिकोण भी उदार एवं साफ सुथरा बनता है । खेल में हम किस पोज़िशन पर खेल रहें हैं, और किस टीम के विपरीत खेल रहें है यह सभी अनुभव हमें निजी जीवन के कठिन प्रश्न हल करने में सहायक होतें हैं ।
खेल एक अनोखा आनन्द हमें देते हैं, जो बिना पैसे हमें मिलता है ।
खेल हम सभी में जोश उत्पन्न करते हैं, ये हमें हुनर प्रदान करते हैं ।
खेल कभी-कभी अनहोनी को होनी में परिवर्तित कर देता है, खेल जादू
सा लगता है ।
सभी प्रतिभागीयों से निवेदन है कि वह खेल अच्छी भावना से खेलें जीत
या हो हार, इसकी चिन्ता ना करें, जिन्दगी में कभी हार में भी जीत होती है,
तो कभी जीत में भी हार होती है ।
मेरा पूर्ण विश्वास है की इसी लग्न और रूचि से आप कार्य करते रहे
तो मेरी कॉम और पान सिंह तोमर जैसे सच्चे राष्ट्र भक्त खिलाड़ी इसी
प्रांगण से निकलेंगे और देश का नाम रोशन करेंगें ।
यह दुनिया सिर्फ सफलता का,
उत्साहित क्रीड़ा कलरव है,
यह जीवन केवल जीतों का,
मोहक मतवाला उत्सव है ।
जीवन तो वैसे सबका है,
तुम जीवन का श्रृंगार बनो,
इतिहास तुम्हारा कुछ भी हो,
तुम इसकी एक अंगार बनों ।
तुम अपने सहज लड़कपन में,
अच्छा खेल खेलो मेरे साथी ।
दर्शकों की सीटी ताली हो,
हो हल्ला, गुल्ला, हल्ला हो,
खेल तुम्हारा गूंज उठे,
उन्माद विश्व में भारी हो,
साथियों याद रहें, खेल दुख सुख का मेला है । यह जिन्दगी का आमना है ।
इसीलिए खेलते रहो, लाभान्वित होते रहो, समाज को भी लाभान्वित करते रहों ।
मैं पुनः सभी आयजकों को, प्रतिभागीयों को ढेर सारी शुभ कामनाएँ एवं बधाई देती हूँ । और आप सभी के मंगल जीवन की कामना भी करती हूँ ।
डा0 सुकर्मा थरेजा
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर