खेल

अच्छा खेल देश की पुकार है,

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से अन्तराष्ट्रीय खेल हों,

इसका सारे विश्व को इन्तज़ार है,

स्वच्छ खेल भावना बिना,

खेलना बेकार है ।

वो खेल कहो किस मतलब का,

जिसमें जज़्बा ना खानी हो,

वो खेल कहो किस मतलब का

जो दिलाये ना जोश मेज़ बानो को,

वह खेल हुनर बन जाता है

कण-कण रचता जीवन उसमे,

अन होनी को होनी कर जाता है,

माना कुछ प्रश्न उठते जीवन के उनके सीने में

खुद जियो जीने दो,

मूल मंत्र जब हो सीने में,

तब खेल-खेल कहाँ रहता,

जिन्दगी का रहनुमा बन जाता है,

विश्व शन्ति संदेश बन जाता है,

विश्व के करिश्मे का जादू बन जाता है ।

खेल तो है मेल सुख दुख का,

खेल है अयना जिन्दगी का,

फिक्सिंग, डोपिंग का स्थान नहीं खेलों में,

जो खिलाड़ी नहीं इनके झमेलें में,

उनका उत्कर्षट तकनीकी खेल,

ब्रेंड बन जाता है,

तुम ऐसा खेल खेलों मेरें साथी

पान सिंह तोमर जैसे राष्ट्रीय भक्त खिलाड़ी,

निकले भारत वर्ष के कोने-कोने में,

निकले भारत वर्ष के कोने-कोने में ।

डा0 सुकर्मा थरेजा

क्राइस्ट चर्च कालेज

कानपुर