आशा

ओ जीवन के थके पंछी,

अग्नि पथ पर निडर चल रे,

हिम्मत न हार हौसला रख तू

आशा किरण की पहचान कर ले,

माना कि आग लगी है पानी मे,

अंधेरी रात है, कंटीले जंगल मे,

पर शूर वीर की तरह, साहस पताका लिए तू,

मन्द प्रकाश कि आशा किरण की पहचान कर ले,

कहते है ज्योति लौं पर सैकड़ो पतंगे जलते है,

अभिलाषा एक बूंद पानी की,

लिये कोटी चातक तप करते है,

तू भी चकोर बन आशा रख,

शशि से कुछ सुधा बटोर ले,

प्रत्यन कर, मेहनत से, निडरता का उन्माद सुन ले,

चादर अवसाद निराशा की, कभी न फैले,

आशा की डोर पकड़ कर सफलता का ज़ाल बुन ले,

यदि धरती पर लक्ष्य ना हो पूर्ण,

आकाश की तू राह चुन ले,

क्या चिन्ता यदि धरती छूटी,

अब आकाश चाँद मंगल पर,

उड़ने का स्थान बहुत है,

ओ जीवन के थके पंछी,

अग्नि पथ पर अडिंग चल रे,

आशा की पग ध्वनी सुन तू,

आशा की सुनहरी डोर पकड़ तू,

उम्मीद का मंजर देख तू,

निराशा से अलविदा ले तू,

उसे आशा मे परिवर्तित कर दे,

निष्प्राण जिन्दगी के प्रत्येक समीकरण में,

आशा से तू प्राण भर दे,

आशा से तू प्राण भर दे ।

डा0 सुकर्मा थरेजा

क्राइस्ट चर्च कालेज

कानपुर