वानस्पतिक नाम – Glycyrrhiza glabra (ग्लिसिराइजा ग्लैब्रा)
सामान्य नाम – मुलेठी
कुल – Leguminosae (लेग्युमिनोसी) - शिम्बी कुल
स्वरूप – बहुवर्षायु गुल्म 2-4 फुट ऊँचा।
गुण - कर्म:-
गुण - गुरू, स्निग्ध
रस - मधुर
वीर्य - शीत
विपाक - मधुर
प्रभाव - वातपित्त शामक
*चक्षुष्य *बल्य *वर्ण्य *शुक्रल
प्रयोज्य अंग - मूल
मात्रा - 3 - 5 ग्राम
प्रयोग -
अपस्मार में 80 ग्राम मुलेठी कल्क को 640 ग्राम घृत तथा आमलकी स्वरस की 10 ली. मात्रा में पकाते हैं। यह एक उत्तम अपस्मार हर योग है।
मूत्रमार्ग प्रक्षोभ में मुलेठी को तण्डुलाम्बु से देते हैं।
हृद्रोग व अपस्मार में मधुयष्टि दुग्ध अथवा घृत व मधु से लेते हैं।
मुलेठी कल्क व घृत मिलाकर लगाने से घाव भरता है।
रक्ताल्पता में मुलेठी क्वाथ अथवा चूर्ण मधु से लेना लाभप्रद है।
खालित्य व पालित्य रोग में मूल के क्वाथ से बाल धोना लाभप्रद है।