वानस्पतिक नाम – Acacia catechu (एकेशिया कैटेचु)
सामान्य नाम – खैर
कुल – Leguminosae (लेग्युमिनोसी) - शिम्बी कुल
स्वरूप – मध्यम प्रमाण का काँटेदार वृक्ष
गुण-कर्म:-
गुण – लघु, रूक्ष
रस – तिक्त, कषाय
वीर्य – शीत
विपाक – कटु
प्रभाव – कुष्ठघ्न
*दन्त्य *कण्डूहर *कासहर *अरुचिनाशक *व्रणनाशक
प्रयोज्य अंग – त्वक् खदिरसार (कत्था)
मात्रा– चूर्ण – 3 - 5 ग्राम
क्वाथ – 50 - 100 मिली.
खदिरसार – 0.5 - 1 ग्राम
प्रयोग-
1. कुष्ठ रोग में खदिर का सर्वांग रूपेण प्रयोग कुष्ठ नाशक है।
2. श्वित्र में खदिर को खाते एवं लगाते हैं।
3. खदिर क्वाथ एवं त्रिफला चूर्ण को महिषी के घृत में मिलाकर विडंग चूर्ण से लेने से भगन्दर रोग का नाश होता है।
4. खदिरसार को पिप्पली कल्क के साथ सैन्धव मिलाकर लेना कास नाशक है।
5. खदिर क्वाथ तथा निम्बमूल दन्तरोग नाशक है।
6. खदिरसार एवं साल का कल्क मधु में मिलाकर प्रात:काल गोमूत्र से लेने से श्लीपद रोग समाप्त होता है।