वानस्पतिक नाम – Crataeva nurvala (क्रेटिवा नर्वला)
सामान्य नाम – बरूना
कुल – Capparraceae (कैप्पारिडेसी) - वरूण कुल
स्वरूप – 25-30 फुट ऊँचा वृक्ष
गुण-कर्म:-
गुण - लघु, रूक्ष
रस - तिक्त, कषाय
वीर्य - उष्ण
विपाक - कटु
प्रभाव - अश्मरी भेदन
*वातघ्न *जन्तुनाशक *रक्तदोषहर
प्रयोज्य अंग - त्वक्
मात्रा - क्वाथ – 50-100 मि.ली
चूर्ण – 3-5 ग्राम
प्रयोग -
श्वेतपुनर्नवा मूल तथा वरूण का क्वाथ अपक्व विद्रधि चिकित्सा हेतु प्रयुक्त होता है।
वरूण मूल का क्वाथ मधु के साथ प्रयुक्त करने से जीर्ण गण्डमाला में भी लाभ होता है।
अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र्, वस्तिशूल तथा मूत्रमार्ग में संक्रमण में इसकी छाल प्रयुक्त करते हैं।
अग्निमांद्य, शूल, यकृत विकारों में पत्तों का फाण्ट बनाकर देते हैं।
किक्किस रोग में सर्वप्रथम उस स्थान को शुष्क गाय के गोबर से रगड़कर फिर उस स्थान पर वरूण पत्र का लेप करते हैं।