Dhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
Department of Ayurveda and Holistic HealthDev Sanskriti Vishwavidyalaya, HaridwarDhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
वानस्पतिक नाम – Terminalia chabula (टर्मिनेलिया चिबुला)
सामान्य नाम – हरड़
कुल – Combretaceae (कॉम्ब्रेटेसी) - हरीतकी कुल
स्वरूप – 60-80 फुट ऊँचा वृक्ष ।
गुण - कर्म:-
गुण - लघु, रूक्ष
रस - पंचरस (लवण रहित, कषाय प्रधान)
वीर्य - उष्ण
विपाक - मधुर
प्रभाव - त्रिदोषहर
*अग्निदीपक *मेध्य *रसायन
प्रयोज्य अंग - फल
मात्रा - 3-6 ग्राम
प्रयोग-
हरीतकी को नित्य शुण्ठी चूर्ण से लेने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
रसायन रूप में दो हरीतकी फल ॠतु अनुसार गुड़, मधु, शुण्ठी, पिप्पली, शर्करा, सैन्धव से लेते हैं।
ग्रहणी रोग में हरीतकी त्वक् तक्र से लेते हैं।
हरीतकी चूर्ण गुड़ से लेकर तक्र अनुपान ग्रहण करने से अर्श रोग में लाभ होता है।
आम की गुठली का चूर्ण व हरीतकी चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर दुग्ध के साथ लगाने से बालों की रूसी दूर होती है।