Dhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
Department of Ayurveda and Holistic HealthDev Sanskriti Vishwavidyalaya, HaridwarDhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
वानस्पतिक नाम – Tephrosia purpurea (टेफ्रोजिया पर्प्युरिया)
सामान्य नाम – सरफोंका
कुल – Papilionatae (पैपिलिओनेटी) - अपराजिता कुल
स्वरूप – 2 से 2.5 फुट ऊँचा क्षुप
गुण - कर्म:-
गुण – लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण
रस – तिक्त, कषाय
वीर्य – उष्ण
विपाक – कटु
प्रभाव – प्लीहघ्न
*विषनाशक *कासश्वास हर *ज्वरहर *रक्तविकार नाशक
प्रयोज्य अंग – मूल, पंचांग क्षार
मात्रा – चूर्ण – 3-6 माशा
क्षार – 1-3 ग्राम
स्वरस – 10-20 मि.ली.
प्रयोग –
यकृत व प्लीहा के वृध्दि में इसकी जड़ हरीतकी के साथ देने से लाभ होता है।
अ्र्श में तक्र के साथ जड़ देते हैं।
रक्तस्त्राव में तण्डुलाम्बु के साथ शरपुंखा लेते हैं।
कास में मूल का धुम्रपान लाभप्रद है।
उदरशूल में जड़ की ताजी छाल पिप्पली में मिलाकर देते हैं।
गण्डमाला, श्र्लीपद, शोथ में मूल का स्थानीय लेप करते हैं।