वानस्पतिक नाम – Adhatoda vasica (एढाटोडा वासिका)
सामान्य नाम – अडूसा
कुल – Acanthacae (एकैन्थेसी) - वासा कुल
स्वरूप – झाड़ीदार, समूहजात क्षुप – 4-8 फुट ऊँचा
गुण-कर्म:-
गुण – लघु, रूक्ष
रस – तिक्त, कषाय
वीर्य – शीत
विपाक – कटु
प्रभाव – कफ, पित्त शामक
*रक्तष्ठीवन *क्षयहर *कासहर
प्रयोज्य अंग – मूल, पत्र, पुष्प
मात्रा – पत्रस्वरस – 1-2 तोला
मूलत्वक् चूर्ण – 2-5 रत्ती
मूल क्वाथ – 4-8 तोला
प्रयोग –
रसायन रूप में बुद्धि एवं आयुवर्ध्दन हेतु वासामूल से सिद्ध तेल प्रयुक्त करते हैं।
नवीन व जीर्ण श्वसनी शोथ में वासा, कण्टकारी, नागरमोथा व सोंठ का क्वाथ प्रयुक्त करते हैं।
श्वास–कास में वासा, द्राक्षा, हरड़ का क्वाथ मधु व शर्करा से लेते हैं।
राजयक्ष्मा में, उर्ध्वग रक्तपित्त में वासा उपयोगी है।
तमक श्वास में वासा पत्र व धतूरा का धूम्रपान लेते हैं।
रक्तपित्त में वासा स्वरस मधु से लेते हैं।