Dhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
Department of Ayurveda and Holistic HealthDev Sanskriti Vishwavidyalaya, HaridwarDhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
वानस्पतिक नाम – Psoralia corylifolia (सोरेलिया कौरिलीफोलिया)
सामान्य नाम – बाकुची
कुल – Leguminosae (लग्युमिनोसी) - शिम्बी कुल
स्वरूप – वर्षायु क्षुप 2- 4 फुट ऊँचा ।
गुण-कर्म:-
गुण – लघु, रूक्ष
रस – कटु, तिक्त
वीर्य – उष्ण
विपाक – कटु
प्रभाव – कफ - वात शामक
*हृद्य *श्वासहर *कुष्ठहर *प्रमेहहर *कृमिनाशक
प्रयोज्य अंग – बीज, बीज तैल
मात्रा – चूर्ण 1- 3 ग्राम
प्रयोग –
श्वित्र में चौथाई भाग हरताल के साथ गोमूत्र में पीसकर इसका लेप लाभप्रद है।
सभी प्रकार के कुष्ठों में बाकुची दो भाग व काले तिल एक भाग का सेवन लाभप्रद है।
खैर एवं आंवले के क्वाथ में इसके चूर्ण का सेवन कुष्ठहर है।
श्वित्र व सोरियॉसिस में इसे चाल मोंगरा तेल के साथ मिलाकर लगाते हैं।
बाकुची चूर्ण तथा शुष्ठी चूर्ण को मिलाकर बनाया गया लेप सभी प्रकार के कुष्ठों का नाश करता है।