Dhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
Department of Ayurveda and Holistic HealthDev Sanskriti Vishwavidyalaya, HaridwarDhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
वानस्पतिक नाम – Acrous calamus (एकोरस कैलेमस)
सामान्य नाम – घोड़वच
कुल – Araceae (एरेसी) - सूरण कुल
स्वरूप – सदाहरित क्षुप 3-5 फुट ऊँचा
गुण - कर्म:-
गुण - लघु, तीक्ष्ण
रस - कटु, तिक्त
वीर्य - उष्ण
विपाक - कटु
प्रभाव - मेध्य
*वमनकारक *अग्निजनक *विबन्धहर *आध्माननाशक *शूलनाशक
प्रयोज्य अंग – भौमिक काण्ड
मात्रा- चूर्ण 125-500 मि.ग्रा.
प्रयोग-
अपस्मार व उन्माद में ब्राह्मी स्वरस, वचा व शंखपुष्पी से सिद्ध घृत प्रयुक्त करते हैं।
एक माह तक वचा चूर्ण दुग्ध या घृत से सेवन करने से शरीर में व्याधि प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न होती है ; बुद्धि कुशाग्र होती है तथा वाणी मधुर होती है।
सूखी खाँसी में इसका टुकड़ा मुख में रखना लाभप्रद है।
लोध्र तथा वचा का लेप युवानपीड़िकाहर होता है।
अतिसार में वचा, मुस्तक, हरिद्रा व शुण्ठी से सिद्ध जल प्रयुक्त करते हैं।