Dhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
Department of Ayurveda and Holistic HealthDev Sanskriti Vishwavidyalaya, HaridwarDhanvantari Vatika / धन्वन्तरि वाटिका
वानस्पतिक नाम – Cyperus rotundus (साइप्रस रोटण्डस)
सामान्य नाम – नागरमोथा
कुल – Cyperaceae (साइपरेसी) - मुस्तक कुल
स्वरूप – तृणजातीय क्षुप, 1-3 फुट ऊँचा
गुण-कर्म:-
गुण – लघु , रूक्ष
रस – तिक्त, कटु , कषाय
वीर्य – शीत
विपाक – कटु
प्रभाव – कफ, पित्त, शामक
*ग्राही *अग्निदीपक *पाचक *तृषानाशक *ज्वरहर
प्रयोज्य अंग – कन्द
मात्रा – क्वाथ – 50-100 मिली.
चूर्ण – 1- 3 माशा
प्रयोग-
आमातिसार में ताजे को आर्द्रक के साथ पीसकर मधु मिलाकर लेते हैं।
सभी प्रकार के अतिसार में क्वाथ में मधु मिलाकर प्रयुक्त करते हैं।
ज्वर, रक्तातिसार व पित्त ज्वर में उपयोगी है।
अक्षिव्रण में इसे घृत में भूनकर लगाते हैं।
व्रण में ताजी जड़ को घिसकर गोघृत में मिलाकर व्रण पर लगाते हैं।
दुग्धवृद्धि हेतु जल में पीसकर स्तन पर लगाते हैं।