सम्पादन : भीष्म कुकरेती
मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन
( Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages )
गढ़वाली में सर्वनाम विधान (Pronouns in Garhwali)
मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -6 (गढ़वाली में सर्वनाम विधान)
पुरुष वाचक सर्वनाम: गढवाली में कुमाउनी की तरह स्त्रीलिंग व पुरुषवाचक संज्ञाओं का पृथक सत्ता है. हिंदी के पुर्श्वचक अन्य पुरुष सर्वनाम 'वह' के लिए गढ़वाली में स्यू/स्यो व स्त्रीलिंग में स्या है. बहुवचन में पुल्लिंग व स्त्रीलिंग एक समान हो जाते हैं 'वै' 'वूं' हो जटा है और वा भी 'वूं' हो जाता है
गढवाली भाषा- व्याकरण वेत्ता अबोध बंधु बहुगुणा व लेखिका रजनी कुकरेती ने गढ़वाली सर्वनामों को प्रयोगानुसार पाँच भागों में विभक्त किया है
१-पुरुष वाचक सर्वनाम - मैं, तू, मि
२-निश्चय वाचक सर्वनाम - या, यू, वा, वु, स्या, स्यू
३- सम्बन्ध वाचक -जु , ज्वा
४-प्रश्न वाचक - कु, क्वा, क्या,
५- अनिश्य वाचक - क्वी
अबोध बंधु ने जहाँ सर्वनामों को तालिका बद्ध कर उदहारण दिए हैं वहीं रजनी ने करक अनुसार तालिका दी है. नेपाली, कुमाउनी व गढ़वाली व्याकरण के तुलनात्मक अध्ययन हेतु रजनी कुकरेती की दी हुयी तालिका विशष महत्व रखती है, यद्यपि बहुगुणा की तालिका का महत्व कम नही आंका जा सकता
पुरुषवाचक
उत्तम पु.
एकवचन
मि/मै
वहुवचन
हम
एकवचन
मि
वहुवचन
हम
पुरुषवाचक
माध्यम पु.
एकवचन
तु
वहुवचन
तुम
एकवचन
वै /वई
वहुवचन
वु
पुरुषवाचक
अन्यपुरुष
एकवचन
उ/ओ
वहुवचन
वु
एकवचन
वा
वहुवचन
वु
पुरुषवाचक
निश्चय वाचक
एकवचन
वी
स्यो
यो
वहुवचन
वी
स्यि
यि /इ
एकवचन
वै /वई
स्या
या
वहुवचन
वी
स्यि
यि /इ
पुरुषवाचक
अनिश्चय वाचक
एकवचन
क्वी,
कति
कुछ
वहुवचन
क्वी
कति
कुछ
एकवचन
क्वी
कति
कुछ
वहुवचन
क्वी
कति
कुछ
पुरुषवाचक
सम्बन्ध वाचक
एकवचन
जु
ते
ये
वहुवचन
जु
तौं
यूँ
एकवचन
ज्वा
तैं
यीं/ईं
वहुवचन
जु
तौं
यूँ
पुरुषवाचक
प्रश्न वाचक
एकवचन
को
क्या
वहुवचन
कु
क्यक्या
एकवचन
क्वा
क्या
वहुवचन
कु
क्यक्या
रजनी कुकरेती ने मै, तेरा,तुमारा, स्यू/स्या, वु/वा , यू/या, जु/ज्वा क्वा/कु को कारक अनुसार तालिका बढ कर विश्लेषण किया है . कुछ उदाहरण निम्न हैं
मैं/मि उभय लिंगी सर्वनाम तालिका
मैं/मि उभय लिंगी सर्वनाम तालिका
विभक्ति
एकवचन
वहुवचन
कारक
.
मैं/मि
हम
करता
न
मिन
हमन/हमुन
कर्म
सन/सणि/तैं/ सैञ
में /मै -सणि/सन/तैं/सैञ
हम - सन/ सणि/तैं / सैञ
करण
से
मेंसे /मैसे
हमसे
सम्प्रदान
कुण/कुणि/खुण/खुणि/कुतैं
में /मै कुण/कुणि/खुण/खुणि/कुतैं
हमकुण/कुणि/खुण/खुणि/ हमूंतैं
अपादान
बिटी
में/मै बिटी
हमबिटी
छटी
म/ मू
मीम , मैमू
हमम /हममू
अधिकरण
मा
मीमा /मैमा
हममा
कारक
.
तु
तुम
करता
न
तिन /तीन
तुमन
कर्म
सन/सणि/तैं/ सैञ
त्वेसन/सणि/तैं/सैञ
तुमसणि/सन /तैं/ सैञ
करण
तुमकुणि/कुण/कुतैं/ खुणि
त्वेसे
तुमसे
सम्प्रदान
कुणि/कुण/कुतैं/ खुणि
त्वेकुणि/कुण/कुतैं/ खुणि
तुमकुणि/कुण/कुतैं/ खुणि
अपादान
बिटी
त्वेबिटि
तुमबिटि
छटी
म/मू
तीम /त्वेमू
तुममू
अधिकरण
मा
तीमा, त्वेमा
तुममा
इस प्रकार हम पाते हैं कि गढ़वाली सर्वनाम का लिंग व वचन भेद क्रिया, विशेषण व स्थान आदि से भी सम्बन्ध है
अबोध बन्धु बहुगुणा ने लिखा है की संज्ञाओं के बदले प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है.
कुमाउंनी भाषा में सर्वनाम में दो लिंग, दो वचन और विकारी ( Declinable ) एवम अविकारी ( Indeclinable ) कारक ( Cases ) प्रत्ययों से युक्त होते हैं . यह देखा गयी है कि सर्वनामों में संबोधन कारक नही होते हैं. चूँकि लिंग, वचन व कारक तत्व अभिभाज्य होते हैं , इसलिए कुमाउंनी व्याकर्णाचार्य डा. भवानी दत्त उप्रेती ने सर्वनाम अध्ययन हेतु लिंग, वचन व कारक का अध्ययन साथ ही होना अनिवार्य माना है
कुमाउंनी भाषा में लिंग भेद दो स्तरों पर किया जाता है
१- लिंग व्युत्पादकों पर लगाया हुआ प्रत्यय
२- वाक्यस्तर में लिंग भेद
कुमाउंनी सर्वनाम- लिंग -वोधक प्रत्यय सर्वनाम में दो ही लिंग होते हैं
१- पुल्लिंग सर्वनाम पर लगा प्रत्यय
२- स्त्रीलिंग सर्वनाम पर लगा प्रत्यय
अ - -ओकारांत का -ओ -
पुल्लिंग वोधक जहां निजवाचक सर्वनाम में न्
सम्बन्ध वाची सर्वनाम में र् अथवा क् के पश्चात लगता है .
इसके दो रूप मिलते हैं -ओ और -आ
क--ओ= ओ प्रत्यय एक वचन पुल्लिंग या सम्बन्ध वाचक सर्वनाम के ओकारांत रूपों में मिलता है .यथा
आपुन् +ओ = आपुनो (अपना )
वीक् + ओ=वीको (उसका)
तेर् + ओ = तेरो (तेरा )
ख - ओकारांत का -आ: ओकारांत सर्वनाम सभी बहुवचन रूप में ही मिलते हैं. यथा
आपुन् = आ =आपुना (अपने )
वीक् = आ = वीका (उसके )
त्यार् + आ= त्यारा(तेरे )
हमोर् + ओ =हमोरो (हमारे )
ब- -इ : सर्वनामों मे इ
सर्वनामों मे इ प्रत्यय स्त्रीवोधक है . इ का प्रयोग एक वचन व बहुवचन में एक समान होता है
आपुन् + इ = आपुनि (अपनी)
वीक् + इ = वीकि (उसकी )
तेर् =इ = तेरि(तेरी )
मेर् + इ = मेरि (मेरी )
हमार् + इ = हमारि (हमारी )
कुमाउंनी भाषा मे विशेषण व क्रिया से सर्वनाम का लिंग बोध
जब भी कोई लिंग विशेषण या क्रिया पर आधारित हो तो कुमाउंनी भाषा मे वाक्य स्तर पर सर्वनाम का लिंग बोध क्रियाएं व विशेषणों के लिंग से होता है
वाक्य स्तर पर विशेषण आधारित लिंग बोध
१- -ओ प्रत्यय से स्त्रीलिंग का बोध होता है - यथा
मैं कालो छूं (मै काला हूं ),
तैं बड़ो निको छै (तू बड़ा अच्छा है )
२- -इ प्रत्यय से स्त्रीलिंग का बोध होता है . जैसे
मैं कालि छूं (मै काली हूं )
तैं बड़ी निकि छै (तू बड़ी अच्छी है )
वाक्य स्तर पर क्रिया आधारित लिंग बोध
क्रिया के अंत में जुड़े हुए पुल्लिंग या त्रिलिंग वोधक पर प्रत्ययों से सर्वनाम की लिंग निर्णय होता है .यथा
तैं खांछै (तू खता है )
तैं खांछि (तू खाती है )
वु खान्छ (वह खता है )
वु खान्छी (वह खाती है )
सर्वनाम वचन व कारक रूप
उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम
एकवचन
वहुवचन
अविकारी
मैं
म
विकारी
मैं
मी
अविकारी
हम्
.
विकारी
हम्
हमू, हमुन
मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
मध्य पुरुष वाचक.
.
.
.
.
मध्य पुरुष आदर सूचक
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
तैं
तु
.
.
.
आपूं
ऐ
इ
ए
या
ऊँ
तैं
त्वी
ते
त्या
त्वे
आपूं
.
.
.
.
लोग
तुम
तिमि
तम
.
.
आपूं लोग
उ
इ
ऊन
.
लोग
तुम्
तुमु
तिमि
तुमुन
.
आपूं लोगुन/आपूं लोगन
अन्य पुरुष निश्चय वाचक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
दूरवर्ती द्योत्तक
निकटवर्ती द्योत्तक
आदर सूचक
आदर सूचक
उ
वो
आफु
आफ
वी
ये
आफु
आफ
उन्
इन
आफु
आफ
उन्, ऊन, उनु
इन, इन्, इनु, इनूं
आफूं /आफून
आफून /आफूँ
निश्चय वाचक सर्वनाम एक वचन में -ई , तथा बहुवचन में ऐ जुड़ता है. योई, (यही ) , उई (वही ) , इनै (ये ही ), उनै (वे ही )
प्रश्न वाचक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
प्राणी वोधक
अप्राणी वोधक
उ
वो
कै
के
कन
.
कन् , कनु , कनूं
कनूं (क+न् +उन )
अनिश्चय वाचक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
प्राणी वोधक
परिमाण वोधक
परिमाण वाचक व
सम्पूर्णता द्योतक
.
कवी, कोई
कुछ
------------
शब्
शप्
के
कुछ
----------
शब्
शप्
कन
.
-----------
शब्
शप्
कन् , कनु , कनूं
कनूं (क+न् +उन )
-----------------
शबून
शप्पैन
सम्बन्ध वाचक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
सम्बन्ध वाचक
नित्य सम्बन्धी -
नित्य सम्बन्धी -
जो
शो
तो
जै
तै
.
जन
.
तन, तिन
जनूं (जन + उन)
तनु , तिनु
तनु , तिनु , तिनूं
परस्परता वोधक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
परस्परता वोधक सर्वनाम
आपश
आपशून
निजवाचक वोधक सर्वनाम
अविकारी
विकारी
अविकारी
विकारी
एकवचन
वहुवचन
निजवाचक वोधक सर्वनाम
आपुन
आपुना
आपुना
आपुनान
कुमाउंनी में अविकारी कारक एक वचन बहुवचन में परिवर्तित होता है . किन्तु दुसरे के अंतर्गत एक वचन और वहुवचन के रूप समान रहते हैं .
बहुवचन में परिवर्तन होने वाले सर्वनाम
वे जो एकवचन में स्वरांत होते हैं व बहुवचन में ब्यंजनांत हो जाते है - एक वचन क बहुवचन कक में, एकवचन अ बहुवचन अक में बदल जाता है. वैसे हम और हमि भी इसी कोटि में आते हैं जो समय , जाती भेद के मुक्त परिवर्तन के उदाहरण
हम -उत्तम पुरुष बहुवचन द्योतक सर्वनाम है
तुम माध्यम पुरुष बहुवचन द्योतक है
एकवचन
वहुवचन
उ (वह
यो (यह)
तो (सो)
को
जो
उन (वे)
इन (ये)
तिन, तन
कन
जन
कुछ, शप, आफु
हम , हमुन
तुम , तुमन
उन , उनुन
इन , इनून
हमूनले (हमने ), हमून (हमको)
हमुंका (हमारा) , हमुश (हमको) , हमुकैं (हमको) , हमुकणि
आपुनान (अपनों को )
शबोका (सबका ) , शबाका (सबके) , शबकि (सबकी)
हमोरो, हमारा , हमरी , तुमोरो, तुमारा , तुमरी , इनोरो , इनारा, उनोरी , उनारा, उर्नार,
हम लोगून, हम शब्, हम शबुन , शब् जन, शब जनून
मेरवे (मेरा ही ) , तेर्वे (तेरा ही) , तुमी ((तुम ही) , मैंइ (मै ही ) , उनि (वे ही ) इनी (ये ही ) , हमई (हम ही ) , , उनीर्वे (उनका ही ) , इनौर्वे (इनका ही )