क्रिया विधान
सम्पादन : भीष्म कुकरेती
मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -20
( Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part
*गढ़वाली में क्रिया विधान
अबोध बंधु बहुगुणा ने गढ़वाली क्रिया विधान का बहुत ही संक्षिप्त रूप में विवेचन किया और वहीं रजनी कुकरेती ने क्रिया विधान का विस्तार पूर्वक विवेचना की है
गढ़वाली की क्रियाएं
१- नामिक क्रियाएं
२-समस्त क्रियाएं
३-व्युत्पन्न क्रियाएं
४- मूल अथवा साधारण क्रियाएं
५-सयुंक्त क्रियाएं
नामिक क्रियायों के उदहारण
अधिकतर देखा गया है कि गढवाली में संज्ञा, सर्वनाम व विशेषणों की धातुओं पर आण , औणो, अण, एण , औण, याण प्रत्यय लगाणे से नामिक क्रिया बनायी जाती हैं
मूल
प्रत्यय
क्रिया
संज्ञा
रंग
..
सर्वनाम
अपणु
विशेषण
नेडू/न्याड़
बौळ
पुरू
.अण , आण एण, याण, औणो
.
.
.
औ ण
अण , आण एण, याण, औणो, यौण
औण/आण
एण /याण
यौण/ याण
.
रंगण, रंगाण, रंगेण,रंग्याण ,
.रंगौणो,
अपणौण
.
निडौण /निडाण
बौळेण, बौळयाण
पुर्याण, पुर्यौण
समस्त क्रियाएं
१- योगित क्रियाएं :-उठण -बैठण , चलण - फिरण
२- ध्वनि अनुसरणात्मक क्रियाये;-अधिकतर प्रत्यय औण व आण हैं
ध्वनि
फड़ -फड़
भिण- भिण
प्रत्यय
फड़ -फड़
भिण- भिण
क्रिया
फड़फड़ाण
भिणभिणाण / भिणभिणौण
व्युत्पन्न क्रियाएं
मूल क्रिया-(सकर्मक व अकर्मक)
रुण /रोण
दीण /देण
.
प्रथम प्रेरणार्थक
रुलाण/रुलौण
दिलाण/दिलौण
.
द्वितीय प्रेरणार्थक
रुलवाण/रुवाण.रुलवौण लौ ण
दिलवौण
गढ़वाली में सकर्मक मूल क्रियाएं
.
मन्न (क्या रै ग्ज्या तैं अपण भै किलै नि मणदु ?,
समजण/समझण ( चल ! मी तैं जादा इ लाटो समजदी हैं?)
गढ़वाली में अकर्मक मूल क्रियाएं
.
भाई न अब सीण/सेण च
ढिबर भगणा छन
गढवाली में संयुक्त क्रियाएं
अ बाध्यताबोधक संयुक्त क्रिया
धातु -पोड़ (पड़ना )
- १- कृदंत स्वरुप
वर्तमान काल कर्मवाच्य
पुरुष
उत्तम
मध्यम
अन्य
एकवचन
.
पुल्लिंग /स्त्रीलिंग
पोड़दो
पोड़दें
-पोड़दु/ दि
बहुवचन
.
पुल्लिंग/स्त्रीलिंग
पोड़दो
पोड़दों
पोड़दिन/दन
- .१- कृदंत स्वरुप
वर्तमान काल कर्मवाच्य
पुरुष
एकवचन
.
पुल्लिंग /स्त्रीलिंग
बहुवचन
.
पुल्लिंग/स्त्रीलिंग
सभी पुरुषों में . ----------पोड़दु/ पोड़दि/पोड़दन और सभी लिंगों में
भूतकालिक कल्पना कर्मवाच्य
१- कृदंत होने पर सभी पुरुषों के एकवचन में 'पोड़दु'
२-सभी पुरुषों के बहुवचन में 'पोड़दा'
भूतकालिक कल्पना कर्त्री वाच्य
सभी पुरुषों के एकवचन व बहुवचन में प्रयोग --पोड़दु/पोड़दि/पोड़दा
- .१- कृदंत स्वरुप
भूतकालिक कल्पना कर्मवाच्य
पुरुष
उत्तम
मध्यम
अन्य पुरुष
- *****( ड को ड़ पढ़े )
.
एकवचन
पोड्योञ
पोडें
पोडि
.
बहुवचन
पोड़याँ
पोडयाञ
पोडेन
- भूतकाल कर्त्री वाच्य
भूतकाल कर्त्री वाच्य में सभी पुरुषों के एकवचन व बहुवचन में ' पोडि/ पोडेंन' प्रयोग होता है
- भविष्य काल - कर्मवाच्य
भविष्य काल - कर्मवाच्य के एकवचन वाले उत्तम पुरुष व अन्य पुरुष में --पोड़लु ' प्रयोग होता है
भविष्य काल - कर्मवाच्य के एकवचन वाले मध्यम पु. में 'पोड़लि' प्रयोग होता है
भविष्य काल - कर्मवाच्य क एसभी पुरुषों , सभी वचनों में 'पोड़ला' प्रयोग होता है
भविष्य काल कर्त्री वाच्य
भविष्य काल कर्त्री वाच्य के सभी पुरुषों, सभी लिंगों व सभी वचनों में पोड़लु /पोड़लि /पोड़ला का प्रयोग होता है
भविष्यकाल कल्पना क्रम वाच्य (कृदंत की उपस्थिति)
भविष्य काल कर्त्री वाच्य
पुरुष
उत्तम
मध्यम
अन्य पुरुष
एकवचन
पोडौञ
पोडे
पोडु
बहुवचन
पोडां
पोडां
पोड़ोन
भविष्यकाल कल्पना कर्त्री वाच्य (कृदंत की उपस्थिति)
सभी पुरुषों के सभी लिंगों व वचनों में पोडु /पोड़ोन का प्रयोग होता है
- नित्यबोधक संयुक्त क्रियाएं
धातु - रौण
रंजन क्रिया रौण का संयोग
वर्तमानकाल कर्त्री वाच्य
- नित्यबोधक संयुक्त क्रियाएं
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
रौंदु /रौंदि
रंदे
रंदों
बहुवचन
रंदन /रंदिन
रंदां
रंदां
- भूतकालिक़ कल्पना कृदंत
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
रौंदु /रौंदि
रौंदि
रौंदु
बहुवचन
रौंदा/ रौंदि
रौंदा
रौंदा
- भूतकाल नित्यबोधक संयुक्त क्रिया विधान
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
रै
रयें
रौऊँ/रयों
बहुवचन
रैन
रयाँ
रयाँ
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
रालु /रलु/रलि/रालि
रैलि
रौलु
बहुवचन
राला /रला
रैल्या
रौला
- भविष्य काल भावी कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
राउ
रयें
रवों
बहुवचन
रवोन/रावन
रवां
रवां
- आज्ञा/इच्छार्थक संयुक्त क्रिया विधान
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
.
.
एकवचन
राउ
रौ
रवौं
.
.
बहुवचन
रओन
रा
रवां
उपरोक्त सभी विवेचना श्रीमती रजनी कुकरेती अनुसार है अत: सर्वाधिकार भी श्रीमती रजनी कुकरेती का है
गढ़वाली में क्रिया विधान-Verbs of Garhwali Language
अनुमातिबोधक संयुक्त क्रियाएं
कृदंत रूप में
धातु - खाण
- वर्तमान काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
खांदु
खांदें
खांदौं
बहुवचन
खांदन /खांदिन
खांदौं
खांदां
- भूतकालिक कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
खांदु /खांदि
खांदि
खांदु
बहुवचन
खांदा, खांदी
खांदा
खांदा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
खै
खै
खै
बहुवचन
खैन
खैन
खै
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
खालु
खैलु
खौलु
बहुवचन
खाला
खैल्या
खौला
- आज्ञांर्थक /इच्छार्थक
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
खा
खा
खौं
बहुवचन
खावो
खावा
खौंवां
- भावी कल्पना (क्रिदन्त में)
भावी कल्पना (क्रिदन्त में)
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
.
एकवचन
खा
खा
खौं
.
बहुवचन
खावो
खावा
खौंवां
परामर्श सूचक संयुक्त क्रिया
धातु - ल़ेण
- वर्तमान काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
लेन्दु
लेन्दें
लेंदौं
बहुवचन
लेन्दन/लेंदिन
लेंदां
लेंदां
- भूतकाल जब कृदंत हो
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
लेन्दु
लेँदि
लेन्दु
बहुवचन
लेंदा
लेंदा
लेंदा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
आलि/यालि
येलें/आलेँ
आल्यों /येल्यों
बहुवचन
आलेन/येलेन
ऐल्या/येल्याँ
ऐल्या/येल्याँ
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
लेलि/लेलु/ल्यालु /ल्यालि
लेलि
ल्योलु
बहुवचन
लेला/ल्याला
लेल्या
ल्योला
- अनुमातिबोधक
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
ल़े/ल्यो
लि
ल्यो
बहुवचन
लेँन/ल्योन
ल्या /ल्यावा
ल्यां
- भावी कल्पना जहाँ कृदंत हो
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
नोट- सलाणी में कहीं कहीं भेद है
एकवचन
ल्यो
लेँ
ल्यो
बहुवचन
ल्योन
ल्यां
ल्यां
सामर्थ्य सूचक संयुक क्रियाएं
वर्तमान काल
धातु -सकण
- वर्तमान काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
सकदु /सकदि
सकदें
सकदौं
बहुवचन
सकदन /सकदिन
सकदां
सकदां
- भूतकालिक कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
सकदु /सकदि
सकिद
सकदु
बहुवचन
सकदा
सकदा
सकदा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
सकि
सकें
स्क्यों
बहुवचन
सकेन
सक्याँ
सक्यां
- भविष्यकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
सकलु/सकलि
सकलि
सकलु
बहुवचन
सकला
सकल्या
सकला
- भावी कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
सकु
सकें
सकों
बहुवचन
सकोन
सकां
सकां
प्रयासार्थक संयुक्त क्रियाएं
धातु - पाण या पौण
- वर्तमान काल कर्त्री वाच्य
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
पांदु
पंदे
पंदौं
बहुवचन
पांदन/पांदिन
पांदा
पांदा
- भूतकालिक कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
पौंदु/पौंदि
पौंदि
पांदु
बहुवचन
पौंदा
पांदा
पांदा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
पै
पै
पै
बहुवचन
पैन
पैन
पैन
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
पौलु
पैलि
पौलु
बहुवचन
पौला
पैल्या
पौला
शापार्थक क्रियाएं
स्वाभाव सूचक क्रियाएं
धातु - कर्न
- शापार्थक क्रियाएं
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
पाऊ
पै
पौं
बहुवचन
पाओन
पयान
पवां
- वर्तमान काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
करदु /करदि(र आधी )
करदें
करदौं
बहुवचन
रदन
करदौं
करदौं
- भूतकालिक कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
कर्दु
कर्दि
कर्दु
बहुवचन
कर्दा
कर्दा
कर्दा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
कै
कै
कैन
बहुवचन
कैन
कैन
कैन
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
कर्लु/कर्लि
कर्लि
कर्लु
बहुवचन
कर्ला/कर्लि
कर्ल्या
कर्ला
- आज्ञा या इच्छार्थक
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
कौरु
कौर
करौं
बहुवचन
करोन
कौरा
करां
- भावी कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
कौरु
कौर
करों
बहुवचन
करोन
कौरा
करां
- आरम्भ बोधक क्रिया विधान
धातु- जाण
- वर्तमान काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
जांदु
जंदें
जन्दों
बहुवचन
जन्दन /जंदिन
जंदां
जंदां
- भूतकालिक कल्पना (कृदंत में)
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
जांदु /जांदि
जांदि
जांदु
बहुवचन
जांदा /जांदि
जांदा
जांदा
- भूतकाल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
गै/गि
गयें
गायों /ग्यों
बहुवचन
गैन/गेन
गयां/ग्याँ
गयां/ग्याँ
- भविष्य काल
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
जालु
जैलि
जौलु
बहुवचन
जाला
जैल्या
जौला
- भावी कल्पना
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
जावु
जयें
जवों
बहुवचन
जावोन
जवाँ
जवाँ
- आज्ञार्थक
पुरुष
अन्य
मध्यम
उत्तम
एकवचन
जवाँ
जा
जवौं
बहुवचन
जावोन
जावा
जवां
चूँकि अबोध बंधु बहुगुणा ने इस तरह का कोई उदाहरण नही दिया अत: रजनी कुकरेती के उदहारण ही मान्य हैं
क्षेत्रीय बोली भेद अवश्यम्भावी है
अबोध बंधु बहुगुणा अनुसार गढ़वाली में काल विधान इस प्रकार है
- भूतकाल
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
सामान्य भूत
आह्न्न्भूत
पूर्णभूत
अपूर्ण भूत
संदिग्ध भूत
हेतुहेतुभूत
गै, गए, गयूं
जयूं च
गै छौ /छयो
जाणु छौ/छयो
गै ह्व्लो
जयूं होंदो
गैने, गयां
जयां छन
गै छ्या
जाणा छा /छ्या
गै ह्वला
जयां होंदा
गै, गए, गयूं
जयीं च
गै छयी/छै
जाणि छै/छई
गै ह्वली
जईं होंदी
गैने , गयां
जयीं छन
गै छयी
जनि छै (छयी)
गै ह्वली
जईं होंदी
- वर्तमान काल
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
सामान्य
संदिग्ध
अपूर्ण
जांदू , जांद
जाणु ह्वेला/हूंलो
जाणू च /छ
जांदवां/जान्दन
जाणा ह्वला/हूंला
जाणा छन/छंवां
जांदू , जांद
जाणी ह्वली
जाणी छन
जांदवां/जान्दन
जाणी ह्वली
जाणी छन
- भविष्य काल
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
सामान्य
संभाव
जौंला/जालो
जौं/जावो
जौंला /जाला
जंवां/जावन
जौंलो /जालि
जौं /जावो
जौंलो /जालि
जंवां/जावन
अबोध बंधु बहुगुणा ने भविष्यकाल सम्बन्ध विधि के उदाहरण इस प्रकार दिए हैं
१- भोळ हमर ड्यार ऐन
२-आप बैठन
३-ड़्यार चल जा
४-अब तुम तैं ड़्यार जाण चयेंद /चैन्द
- वाच्य
अबोध बंधु बहुगुणा व रजनी कुकरेती ने वाच्य विधान की विवेचना की है. रजनी कुकरेती की विवेचना विस्तृत है . अत: बहुगुणा का वाच्य विधान की विवेचना यहाँ देना तर्क संगत होगा
- वाच्य
कर्तृ वाच्य
कर्म वाच्य
- वाच्य
तिन पोथि बांचे
भुला हिटणु ह्वलो
त्वेसे पोथि बंचेगे
भुला से हिटेणु ह्वलो
- वाच्य
कर्तृ वाच्य
भाव वाच्य
- वाच्य
मिन नि बैठण
ब्योली शरमाया करदन
मी नि कौर सकुद /सकदो
में /मी से नि बैठेणो/बैठ्याणु
ब्योल्यों से शरमाया जांद
मी /मी से नि करे सकेंदो
कुमाउंनी क्रिया विधान
कुमाउंनी में क्रिया रूप भाग -Verbs in Kumauni Language
१- मूल क्रियाएं :
रूप गठन अनुसार दो प्रकार की क्रियाएं होती हैं
१अ -- एकक्षरात्म्क -
अ/अक/क/कक/ गठनयुक्त होती हैं
औ, उठ, जा, पड़ , सो, हिट आदि
१ब- द्वयक्षरात्मक -
अक, क युक्त होती हैं
जैसे -अखर, पशक, खरोड़, कटोर
२- क्रियाओं का काल पर निर्भरता
क्रियाएं काल पर निर्भर करती हैं
२क- वर्तमान निश्चयार्थ
वर्तमान निश्चयार्थ लिंग, पुरुष व वचन अनुसार रूप साधक प्रत्यय से जुड़ते हैं
२क- वर्तमान निश्चयार्थ
एकवचन
बहुवचन
उत्तम पुरुष
मध्यम पुरुष
अन्यपुरुष
उ (छूं, जांछु
ऐ (छै , जांछै )
अ (छ, जान्छ
उ (छुं, जान्छु
ई(छै,जान्छे , जान्छी
इ(जांछि )
ऊ (छूं , जानूं , कर्नूं
आ(छौ, जांछा )
अन्/आन(छन,जांनान)
ऊं (छूं , जानूं , कर्नूं )
आ/इऔ (छौ, जांछा ,जान्छियौ )
अन,इन (छन , जांछिन )
२ ख- भूत निश्चयार्थ
कुमाउनी में उत्तम पुरुष में लिंग भेद नही मिलता है
२ ख- भूत निश्चयार्थ
एकवचन
बहुवचन
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
उत्तम पुरुष
मध्यम पुरुष
अन्यपुरुष
ऊं (छ्यूं , गयूं )
ऐ (छे, आछे )
अ, ओ, (आछ, आथ्यौ )
ऊं (छ्यूं , गयूं )
ई (आछी )
अ, इ, ऐ, (आछि, )
ऊ (जयां , गयां )
आ (आछै )
आ, आन (छया, आयन, )
ऊ (जयां , गयां )
इऔ (आछी )
इन, अन, ऐन(गैन, ऐन्छिन))
कहीं कहीं थ' भी भूतकाल में मिलता है विशेषत: नेपाल हद्द पर
२ ग - भविष्य निश्चयार्थ
२ ग - भविष्य निश्चयार्थ
एकवचन
बहुवचन
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
उत्तम पुरुष
मध्यम पुरुष
अन्यपुरुष
ओ (हून्लो ,कर्लो
ऐ (होलै,जालै)
ओ (जालो)
ओ (हून्लो ,कर्लो)
ई (होली, कर्ली )
इ (जालि)
आ ( हून्ला, कर्ला)
आ (होला, जाला, )
(जाला)
आ ( हून्ला, कर्ला)
आ, इऔ, (जाला, आलियौ )
इन (होलिन,जालिन )
वर्तमान आज्ञार्थक क्रियाएं
इस वर्ग के प्रत्यय केवल मध्यम पुरुष में ही मिलते हैं और लिंग भेद नहीं मिलता. केवल ल़ा व वचन भेद मिलता है
वर्तमान आज्ञार्थक क्रियाएं
एकवचन
जा, कर
बहुवचन
जा, करअ
भविष्य आज्ञार्थक क्रियाएं
इस वर्ग में भी केवल मध्यम पुरुष में प्रत्यय लगता है और लिंग भेद नही मिलता
वर्तमान आज्ञार्थक क्रियाएं
प्रत्यय
.
एकवचन
ऐ
आए, जाए, करे
बहुवचन
या
आया, कर्या , जाया
कुमाउंनी में भूतकाल सम्भाव्नार्थ क्रियाएं
इस वर्ग में दो प्रत्यय पाए जाते हैं न और अन्य लिंग-वचनानुसार
- कुमाउंनी में भूतकाल सम्भाव्नार्थ क्रियाएं
एकवचन
बहुवचन
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
उत्तम पुरुष
मध्यम पुरुष
अन्यपुरुष
ऊं (जानूं )
ऐ, (जानै)
ओ (जानो)
ऊं (जानूं )
ई (जानी)
इ (जानि
औ (जानौ )
आ (जाना )
आ (जाना )
औ (जानौ )
इयौ ( खानियौ )
आ, इन (जानि , करनिन)
कुमाउनी में वर्तमान प्रेरणार्थक क्रिया
इसमें मध्यम पुरुष में वचन भेदानुसार प्रत्यय जुड़ते हैं
पुल्लिंग/स्त्रीलिंग
एकवचन
औ (हिटऔ,करौ )
बहुवचन
आ ( हिटा , करा)
कुमाउनी में अभिप्राय द्योतनार्थ क्रियाएं
कुमाउनी में अभिप्राय द्योतनार्थ क्रियाएं में केवल उत्तम व अन्य पुरुष के द्योत्कों पर प्रत्यय में मिलते हैं
पुल्लिंग/स्त्रीलिंग
उत्तम पुरुष
अन्य पुरुष
एकवचन
ऊं (जाऊं , हिटूं )
औ (जवौ , हिटौ )-
बहुवचन
नऊं (जानूं , हिटनूँ )
ऊंन (जऊँन, हिटूंन )
कुमाउंनी में क्रिया के क्रिदंतीय रूप
विभिन्न कालों में कुमाउंनी में क्रिया कृदंत रूप भिन्न भीं होते हैं
धातु - हो
कुमाउनी में अभिप्राय द्योतनार्थ क्रियाएं में केवल उत्तम व अन्य पुरुष के द्योत्कों पर प्रत्यय में मिलते हैं
कुमाउंनी में क्रिया के क्रिदंतीय रूप
कृदंत भेद
कर्त्रि वाचक संज्ञा
वर्तमान कालिक कृदंत
भूतकालिक कृदंत
पूर्वकालिक कृदंत
तात्कालिक कृदंत
पूर्ण क्रिया द्योत्तक कृदंत
अपूर्ण क्रिया द्योत्तक कृदंत
प्रत्यय
एर
ए
ओ
ए/बेर
ऐ
इना
ऐ
उदहारण
हुनेर
हुन्ने
भयो /भौ
ह्व़े/ह्व़े बेर
(हुनै ) --------होते ही
होईना
हुनै ---------होते हुए
कुमाउंनी में संदिग्ध भूतकाल
संदिग्ध भूतकाल दो प्रत्ययों का संयोग होता है , दोनों लिंगों में समान होता है और संयुक्त क्रियाओं में लिंग नर्धारण प्रथम क्रिया करती है
धौ- हो
कुमाउंनी में संदिग्ध भूतकाल
प्रत्यय
न+ओ
.
ऊन
.
उदहारण
हुनो (होती होगी/होता होगा )
खानि हुनो
खाना हनून
खानि हनून
कुमाउंनी में असम्बन्ध क्रिया रूप
कुछ क्रियाओं में विभिन्न कलों में क्रिया रूप अम्सब्न्ध मिलते हैं
पुरुष
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
वर्तमानं
जान्छु
जांछै
जान्छ
भविष्य
जून्लो
जालै
जालो
भूत काल
गयुं/गोयुं
ग्योछे
ग्योछ
कुमाउंनी में निरन्तरार्थ क्रिया रूप
कुछ क्रियाओं में विभिन्न कलों में क्रिया रूप अम्सब्न्ध मिलते हैं
कुमाउंनी में निरन्तरार्थ में अनेक प्रत्यय पाए जाते हैं
मर, मरी , न्न, ण
कुमाउंनी में वर्तमान निरन्तरार्थ क्रिया रूप
धातु जा
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
जान्मछर्य
जान्मर्योछ
जान्मर्योछ
जान्नौछ
जाणौछ-
बहुवचन
जान्मर्यान
जान्मरयान
जान्मरयान
जान्न्यान
जाणइ
एकवचन
जान्मछर्य
जान्मरैछ
जान्मरैछ
जान्नैछ
जाणै
बहुवचन
जान्मछर्न
जान्मरैछन
जान्मरैछन
जान्नैछ
जाणैछन
कुमाउंनी में अपूर्ण भूत क्रिया/ भूत निरन्तरार्थ
धातु जा
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
जान्मर्छयो
जान्मरेछ्या
जान्मरेछयो
जन्नेछयो
जाणेछियो
बहुवचन
जान्मर्छया
जान्मरेछ्या
जान्मरेछ्या
जाणेछ्या
जाणेछ्या
एकवचन
जान्मर्छि
जान्म्रैछि
जान्म्रैछि
जान्नैछि
जाणैछि
बहुवचन
जान्मर्छिन
जान्म्रैछिन
जान्म्रैछिन
जान्नैछिन
जाणैछिन
कुमाउंनी भविष्य निश्चयार्थ प्रत्यय के योग से बनी क्रियाएं
धातु जा
पुल्लिंग
स्त्रीलिंग
एकवचन
जान्मरौलो
जान्मरौलो
जान्नौलो
जाणौलो
बहुवचन
जान्मरौलो
जान्मरौलो
जान्नौला
जाणौला
एकवचन
जान्मरौलि
जान्मरौलि
जान्नौलि
जाणौलि
बहुवचन
जान्मरौलिन
जान्मरौलिन
जान्नौलिन
जाणौलिन
इन सभी में आशय एक ही है
कुमाउंनी में क्रिया साधक प्रत्यय तालिका
कुमाउंनी में वर्तमान काल क्रिया साधक प्रत्यय तालिका
पुरुष
एकवचन
बहुवचन
.
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
पुल्लिंग
उ
ऐ
अ
स्त्रीलिंग
उ
ई
इ
पुल्लिंग
ऊं
आ
अं, आन
स्त्रीलिंग
ऊं
आ, इऔ
अन-इन
कुमाउंनी में भूतकाल क्रिया साधक प्रत्यय तालिक
पुरुष
एकवचन
बहुवचन
.
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
पुल्लिंग
ऊं
ए, ऐ,
ओ
स्त्रीलिंग
ऊं
ई, ऐ
अ, इ ,
पुल्लिंग
आँ
आ
आ, आँ,
स्त्रीलिंग
आँ
आ, इऔ
इन, अन , न
कुमाउंनी में भविष्य काल क्रिया साधक प्रत्यय तालिका
पुरुष
एकवचन
बहुवचन
.
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
पुल्लिंग
ओ
ऐ
ओ
स्त्रीलिंग
ओ
ऐ
इ
पुल्लिंग
आ
आ
आ
स्त्रीलिंग
आ
आ, इऔ
इन
भूतकाल में कुछ स्थानों में अन्त्य प्रत्यय में य मिलता है
-छयो, गयो
कुमाउंनी में वर्तमान काल में काल द्योतक रूप तत्व
'छ'
कुमाउंनी में वर्तमान काल में काल द्योतक रूप तत्व 'छ' है जिसका एक रूप -न भी है जो वर्तमान काल उत्तम पुरुष और अन्य पुरुष दोनों लिंगों व दोनों वचनों में आता है
जान्छु - जानूं
जान्छ -जानान
स्थान भेद के कारण कहीं न ण के रूप में प्रयुक्त होता है
अन्य प्रत्यय -----
उ --- एकवचन उत्तम पुरुष सूचक व दोनों लिंगों में मिलता है - जान्छु. बहुवचन में में ऊं - जानूं
ऐ---मध्यम पुरुष, एकवचन पुल्लिंग द्योतक -- जांछै
ई--- मध्यम पुरुष , एकवचन व स्त्रीलिंग द्योतक
आ--- मध्यम पुरुष बहुवचन पुल्लिंग द्योतक , स्त्रीलिंग में इऔ भी जाछियौ
अ--- अन्यपुरुष, एकवचन, पुल्लिंग द्योतक --जान्छ
इ--- अन्यपुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग द्योतक --- जान्छि
अन्यपुरुष , भुचन, पुल्लिंग द्योतक
आन/अन
जानान
अन्यपुरुष बहुवचन, स्त्रीलिंग द्योतक
इन
भूतकाल में काल द्योतक प्रत्यय
भूतकाल द्योतक प्रमुख तत्व छ' है जो ' पुरुष/लिंग व वचन के हिसाब से बदलता रहता है
ऊं- उत्तम पुरुष , एकवचन तथा दोनों लिंगो में रहता है ---आयूँ
आं -- उत्तम पुरुष वहुवचन दोनों लिंगों में मिलता है --आयां
ऐ- मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --आछै ९य ए -- आछे )
ई ---मध्यम पुरुष, एक वचन, स्त्रीलिंग -- आछी
आ--- मध्यम पुरुष, एकवचन, दनो लिंग -----आछा (कभी कभी आएं या इऔ )
ओ-- अन्यपुरुष एकवचन, पुल्लिंग द्योतक -- ग्यो
अ--- अन्य पुरुष, एकवचन , पुरुष व स्त्रीलिंग में --- आछ (ध्वनि में बदलाव होता है)
इ- अन्य पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग --आछि . एक रूप ऐ भी है ---गए
आन -अन्य पुरुष बहुवचन पुल्लिंग --आयान . एक रूप आ भी है --आया
इन -अन्य पुरुष वहुवचन, स्त्रीलिंग ----- गैछिन. कभी कभी अन एक रूप है -ऐछन
कुमाउंनी में भविष्य काल में काल द्योतक प्रत्यय
भविष्य काल में काल द्योतक प्रत्यय 'ल' है
'ल' के साथ पुरुष लिंग-वचन द्योतक प्रत्यय जुड़ते हैं
उत्तम पुरुष में लिंग भेद नही है
ओ --- उत्तम पुरुष, एक वचन दोनों लिंगों में ल के बाद आ जुड़ता है --- जूँलो
आ- उत्तम पुरुष एक वचन बहुवचन दोनों लिंग में ओ जुड़ता है --जूंला
ऐ---- मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --- जालै
ई---- मध्यम पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग --- जाली
आ-- मध्यम पुरुष, बहुवचन, दोनों लिंग -- जाला . कभी कभी मध्यम पुरुष, बहुवचन, स्त्रीलिंग में इऔ लगता है ---जालियौ
ओ---- अन्यपुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --जालो
आ- अन्यपुरुष, बहुवचन, पुल्लिंग ---जाला
इ-- अन्य पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग , ---जालि
इन -- अन्यपुरुष, बहुवचन, स्त्रीलिंग ---जालिन
कुमाउंनी में अनुनासिक क्रियाएं
जान्छु /जांछै /जान्छि / जूंला
किन्तु कुछ क्रियाओं में यह नही मिलता है - ग्योछै , जालै
'छ' का क्रियाओं में महत्वपूर्ण स्थान
भविष्यकाल को छोड़ दोनों काल में 'छ' का महत्वपूर्ण स्थान है . 'छ' प्रमुख व सहायक क्रियाओं के रूप में प्रयोग होता है.
एकवचन
बहुवचन
काल
वर्तमान
वर्तमान
वर्तमान
भूत
भूत
भूत
पुरुष
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
उत्तम
मद्ध्य्म
अन्य
पुल्लिंग
छूं
छै
छ
छ्यूं
छे
छयो
स्त्रीलिंग
छूं
छै
छ
छ्यूं
छी
छि
पुल्लिंग
छूं
छौ
छन
छ्याँ
छ्या/छिया
छ्या
स्त्रीलिंग
छूं
छौ
छन
छ्याँ
छ्या/छिया
छिन