गढ़वाली मुहावरे और कहावतें -आभर श्री प्रकाश भट (सेवानिवृत प्रधानाचार्य )

★दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।

★ बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।

★ मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू, तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।

★भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।

★नि खांदी ब्वारी , सै-सुर खांदी ।

★ ब्वारी बुबा लाई बल अर ब्वारी बुबन खाई

★उछलि उछलि मारि फालि, कर्म पर द्वी नाली।

★अकल का टप्पु, सरमा बोझा घोड़ा मां अफु।

★सौण मरि सासू, भादो आयां आंसू।

★जु नि धोलो अफड़ो मुख, उक्या देलो हैका तैं सुख।

★ पढ़ाई लिखाई बल जाट, अर 16 दुनी आठ ।

★बिरालु मरयूं सबुन देखी, दूध खत्युँ कैन नि देखी ।

★ भिंडि बिराल्युं मा मुसा नि मरियेंदन।

★जै गौ जाण ही नी, वे गौं कु बाठु क्या पूछण ।

★मैं राणी, तू राणी, कु कुटलु, चीणा दाणी ।

★पठालु फ़ुटु पर ठकुराण नी उठु

★जख कुखड़ा नि होन्दा, तख रात नि खुल्दी

★बिगर अफ़ु मरयां, स्वर्ग नि जयेन्दु ।

★पैंसा नि पल्ला, दुई ब्यो कल्ला ।

★एक कुंडी माछा, नौ कुंडी झोल ।

★गोणी तैं अपड़ु पुछ छोटु ही दिख्येन्दु ।

★सासु बोल्दी बेटी कू , सुणान्दी ब्वारी कू ।

★अपडू मुंड, अफ़ु नि मुंड्येन्द ।

★लुखु की साटि बिसैंई, म्यारा चौंल बिसैंई ।

★हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।

★कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।

★जन मेरी गौड़ी रमाण च, तन दुधार भी होन्दी ।

★स्याल, कुखड़ों सी हौल लगदु त बल्द भुखा नि मरदा क्या ?

★मेंढकुं सी जु हौल लगदु त लोग बल्द किलै पाल्दा ?

★पैली छै बुड गितार, अब त नाती द ह्वेगी ।

★हैंका लाटु हसान्दु च, अर अपडु रुवान्दु च ।

★बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।

★ लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।

★जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।

★ जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।

★ तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग।

★ ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।

★ लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।

★ भुंड न बास, अर शरील उदास ।

★भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।

★अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।

★बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।

★ पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।

★ ब्वारी खति ना… , सासु मिठौण लग्युं… ।

★ खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)

★ खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।

★बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गोर कटै।

★ भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।

★ नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ

★ जैं बौ पर जादा सारू छौं, वे भैजी भैजी बुन्नी

★ बाघ गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।

★ म्यारू नौनु दोण नि सकुदु , २० पथा ख़ूब सकुदु ।

★ धुये धुये की ग्वरा, अर घुसे घुसे की स्वरा नि होन्दा ।

★ कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी।

★ अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।

★ बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।

★ अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।

★ साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।

★ कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।

★जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।

★ ना गोरी भली ना स्वाली ।

★राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।

★जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।

★ भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।

★ सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।

★ त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु भुकण छुटी ।

★ कुक्कूर मु कपास औरज बांदर मु नरियूल ।

★ तिमला कु तिमला बि खत्या,अर् नंगी बि दिख्या ।

★ सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ लराट किराट ।



  • गढ़वाली

  • जख बिलि नी तख मूसा नचणु।

  • जहां बिल्ली नही वहाँ चूहे नाच रहे।

  • where there is no cat mice dance.

  • [भावार्थ: जहां नियंत्रण नही होता वहाँ हम गलत कार्य कर सकते है। ]

  • कुमाऊँनी

  • हुने छा: एक सपक , ना हुने छा: सो सपक

  • बनने वाला मट्ठा(छा:छ) एक बार में ही बन जाता है और ना बनने वाला सो बार में भी नहीं

  • [भावार्थ: होने वाला काम एक बार में ही हो जाता है ]

  • गढ़वाली

  • थोडि जगा गिलो आटो

  • थोड़ी से जगह और आटा गीला [यानि कंगाली मे आटा गीला]

  • narrow quarters and thin gruel.

  • [ हालात बाद से बदतर होने पर ]

  • कुमाऊँनी

  • जे खुट त्याढ़ ह्वाल वो भयो पडल.

  • जिसके पाँव टेड़े होते हैं वो गड्ढे में ही गिरेगा

  • [भावार्थ: जो जैसा होगा वैसा ही फल पायेगा ]

  • गढ़वाली

  • खाली हथ मुखमा नी जांदु

  • खाली हाथ मुँह में नही जाता।

  • an empty hand[with no food] does not go into the mouth.

  • [भावार्थ: बिना पैसे(फल) के कोई काम नही करता ]

  • कुमाऊँनी

  • बुद्धि आलि अपुन घर ,रीस आलि पराय घर .

  • बुद्धि होगी तो अपने घर ,गुस्सा आये तो पराये घर

  • [भावार्थ: बुद्धिमान अपने घर में गुस्सा नहीं दिखाते ]

  • गढ़वाली

  • जखि देखि तवा-परात, वखि बिताई सारी रात.

  • जहाँ देखा तवा परात, वहीँ गुजारी सारी रात।

  • [भावार्थ-अपनी सुविधानुसार स्वार्थ सिद्ध करना]

  • कुमाऊँनी

  • ना ग्ये अल्माड ,ना लाग गलमाड .

  • [भावार्थ:घर से बाहर जाकर ही हकीकत पता लगती है ]

  • गढ़वाली

  • जु नि धोलु अपनौं मुख,ऊ क्या देलो हैका सुख.

  • जो अपना मुँह [चेहरा] नहीं धोता, वो दूसरों को क्या सुख देगा.

  • [भावार्थ- जो अपना कार्य स्वयं न कर सके वह दूसरों का क्या हित करेगा]

  • कुमाऊँनी

  • कयो बीज लेन लगाय ,चेल खान खाने आय

  • कयो(छोटा मटर ) का बीज लेने बच्चे को भेजा तो वो बीज को खाते खाते आया

  • [भावार्थ:"लापरवाही" के लिए ये मुहावरा प्रयोग किया जाता है ]

  • गढ़वाली

  • तिमला-तिमलो खत्या, नंग्या-नन्गी द्यख्या.

  • सारे तिमला [एक फल] भी गिर गए, नंगे भी दिख गए.

  • [भावार्थ- हानि के साथ-साथ सम्मान भी खो देना]

  • कुमाऊँनी

  • सौ ज्यू गुड़ खावौ लेख लेख लेख

  • सर जी गुड खाओ, लिख, लिख, लिख देना

  • welcome sir eat some treacle, write, write, write it down.

  • [यह कहावत बनियों/व्यापारियों के लिए है जो प्यार से बुलाते कर कहते है आओ गुड खाओ लेकिन अपने मुनीम को कहते है की जो खाया सब लिख देना हिसाब मे ]

  • गढ़वाली

  • टका न पैसा, गौं-गौं भैंसा.

  • रूपये न पैसे, गाँव-गाँव भैंसे.

  • [भावार्थ- आर्थिक रूप से दुर्बल होने पर भी सम्पनता के सपने देखना]

  • कुमाऊँनी

  • रूप रीश नै, कर्म बांटो नै

  • किसी के रूप से जलन नही, न किसी के कर्म बाँट सकते

  • no one should envy another's fair countenance, and no one can share another's fate

  • [आप को किसी की खूबसूरती से जलन नही करनी चाहिए यह ठीक वैसा ही है जैसे की आप किसी के कर्म नही बाँट सकते ]

  • गढ़वाली

  • .अफू चलदन रीता, हैका पढोंदन गीता.

  • अपने आप चलते खाली, दूसरों को पढ़ाते गीता.

  • [भावार्थ- स्वयं ज्ञान न होने पर भी दूसरों को ज्ञान बाँटना]

  • कुमाऊँनी

  • घुरुवा को पिसू,घुरुवा को तेल सबनी द्वी-द्वी ,

  • घुरुवा को देडघुरू ले लात हाणी ,घिंघारू घेड़

  • सब कुछ कोई करे और अंत में उसी की पूछ ना हो

  • अर्थ: ये गावों में प्रचलित एक किस्सा है घुरुवा (आदमी का नाम) जिसका की आटा और तेल दोनों था,पुरिया तलने पर सब को २-२ मिली और उसे सिर्फ देड(१ और १/२)और उसे लात मार कर घिंघारू के घेड़ (झाड) में फैक दिया ...... ये तब प्रयोग होती है जब

  • गढ़वाली

  • सौण सूखो न भादो हेरो ।

  • न सावन सूखा न भादों हरा ।

  • neither sawan is dry nor bhado is green

  • [भावार्थ : दो चरित्रो के क्रूरता पूर्वक रवैये को दर्शाते हुये ]

  • कुमाऊँनी

  • लेखो पल पल को लिजी जालो

  • पल पल का किया लिखा जाता है।

  • every moment will have to be accounted for

  • भावार्थ : भगवान का न्याय हर कार्य पर होता है

  • गढ़वाली

  • लेणु एक न देणु द्वी।

  • न एक लो न दो किसी को दो

  • neither take one, nor pay back two

  • [भावार्थ :यह एक सीख है कि ना एक किसी से (पैसे उधार लेना] न उसको दो देना पड़ेगा यानि ब्याज भी नही देना पड़ेगा]

  • कुमाऊँनी

  • खेल खेलारि को घोड़ो सवार को

  • plays are for players and horses are for riders

  • खेल को खिलाड़ी खलेते है और घोड़े पर घुड़ सवार बैठते है अर्थात चीजे उनके लिए ही होती है जो उसका प्रयोग करना जानते है और कैसे नियंत्रण करना होता है।

  • गढ़वाली

  • दिबतौ की मार न खबर न सार।

  • देवताओं के न्याय का पता न हल।

  • a judgement from GOD, one can not go against it or no one have any soultion

  • [भावार्थ : किसी भी घटना या हानि का होना, बिना किसी जानकारी और उसका समाधान निकाले बिना हो जाना]


  • कुमाऊँनी

  • पहाड़ि कि नै सौ रुपया कि

  • a hill man's NO is worth of hundred rupees

  • पहाड़ के रहने वाले व्यक्ति की ना का मतलब ना होता है चाहे उसे आप कितनी कीमत दे दो [ जितना भी लुभा लो ]

  • गढ़वाली

  • जब मांगो तब भोल। जब मांगो तब कल।

  • when ever asked he/she will say tomorrow

  • [भावार्थ : जब भी अपने पैसे मांगो तो उसका जबाब होता है कल दूंगा - मतलब वादे से मुकरना (विश्वासघात) ]


  • कुमाऊँनी

  • पुण्य रेख में मेख मारंछू।

  • श्रद्धा पूर्वक किया गया कार्य आपके बिगड़े भाग्य को बदल सकता है

  • meritorious acts drive a nail into the line of evil destiny.

  • गढ़वाली

  • जै की लद्वाड़ि लगी आग,उ क्या खुज्योलो साग।

  • जिसको भूख लगती वह सब्जी नही ढूंढता।

  • [भावार्थ- भारी भूख लगने पर सुखी रोटी भी स्वादिष्ट लगती है]

  • कुमाऊँनी

  • जैक पाप, उवीक छाप।

  • चोर की दाढ़ी मेँ तिनका।

  • (चोर कितना भी होशियार हो पर कुछ सुराग तो छोड़ ही देता है। )

  • Guilty Conscious Pricks the Mind.

  • गढ़वाली

  • पढ़ायो-लिखायो जाट, सोला दूनी आठ।

  • पढ़ाया-लिखाया जाट सोलह दूना आठ।

  • [भावार्थ- मंदबुध्दि को कितना भी सिखावो, वह कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाता]

  • कुमाऊँनी

  • पाणी मा लकाड़ मारि बेर, पाणीक द्वी नी हुन।

  • (जिस तरह पानी को लकड़ी से मारकर दो नहीँ बना सकते वैसे ही) सच्चाई को कभी नहीँ झुठलाया जा सकता।

  • Truth can never die.

  • गढ़वाली

  • खेती वैको जैको चैनों चमेलो।

  • खेती उसी की होती जिसको चमेली चाहिए।

  • [भावार्थ- भरे पुरे परिवार वाला व्यक्ति ही सफलतापूर्वक कृषि कार्य कर सकता है]

  • कुमाऊँनी

  • छै च्याल नौ नाती, फ़िर लै बुड़ बागैल खायान।

  • एक आदमी के छः लड़के व नौ नाती थे तब भी सबको बाघ ने खा लिया अर्थात सावधानी रखने के बाद भी नुकसान होना।

  • Loss, even after careful consideration

  • गढ़वाली

  • सट्टी दडकिन भग्यान का, ग्युं दडकिन निर्भागी का।

  • धान के खेतों में दरारे भाग्यशालियों की, गेहूं के खेत में अभागों की।

  • [धान के पौधों के साथ मिट्टी की पपड़ी जमना अच्छा माना जाता है, जबकि गेहूँ के लिए उपयुक्त नहीं है]

  • कुमाऊँनी

  • जामनै बठे (बै) कामन।

  • किसी का शुरु से ही कमजोर होना (बिगड़ना) आज की पीढ़ी के कुछ लोग जामनै बठे (बै) कामन होने से अपनी उत्तरखंडी संस्कृति को भुला बैठे हैं।

  • Being spoiled.

  • गढ़वाली

  • घ्वीड़ थें चाँठु प्यारु।

  • घुरल/भरल (उत्तराखंड के जंगलो में पाया जाने वाला जानवर) को ऊँचे पठार प्यारे।

  • [भावार्थ- सबको अपना घर/देश प्यारा लगता है]

  • कुमाऊँनी

  • भ्यैर बठे बैन बेर की ह्यौल जब मुख मा मैलाक ढिण छन।

  • जब मन मेँ ही मैल भरा हुआ हो तो बाहर से अच्छा बनने का नाटक करके क्या होगा? (मतलब दिखावे का कोई फायदा नहीँ।)

  • Good on the outside but bad from inside.

  • गढ़वाली

  • जे गौं जाणु नी, वेको बाटू किले पुछण।

  • जिस गाँव जाना नहीं, उसका रास्ता क्यों पूछना।

  • [अनावश्यक वार्ता करने से कोई लाभ नहीं होता]

  • कुमाऊँनी

  • तात्तऍ खूं जल मरुँ।

  • जल्दबाजी में काम बिगाड़ना

  • Haste

  • गढ़वाली

  • बुज्या कु बाघ।

  • झाड़ी को बाघ।

  • [भावार्थ-भ्रम होने पर झाड़ी भी बाघ कि तरह दिखाई देती है]

  • कुमाऊँनी

  • लगण बखत हगण।

  • आखिरी मौके पर हडबडाना

  • Make a last chance

  • गढ़वाली

  • नादान कु दगडू जी को जंजाल।

  • नादान से दोस्ती जी का जंजाल।

  • [भावार्थ- अयोग्य/अपात्र व्यक्ति से काम करवाने पर मुसीबत हो सकती है]

  • कुमाऊँनी

  • खालि छै ब्वारि, बल्दौक पुछड़ कन्या।

  • चैन से न बैठने देना

  • Rest in peace

  • गढ़वाली

  • घी ख्त्यो बोड्यु मा।

  • घी गिरा पर बर्तन में।

  • [भावार्थ- हानि जैसा होने पर भी हानि ना होना]

  • कुमाऊँनी

  • बाण बाणणे बल्द हराण.

  • [भावार्थ- देखते देखते मौका निकल जाना]

  • गढ़वाली

  • जुवों कि डारा घाघरू नि छोड़ेन्दो।

  • जुवों कि डर से घाघरा नहीं छौड़ा जाता।

  • [भावार्थ- सभी कुछ अनुकूल नहीं होता, कुछ प्रतिकूल होने पर भी त्याग नहीं किया जाता]

  • कुमाऊँनी .

  • बुड़ो कई बाल नि मानौ बुड़ो कई लाख।

  • [भावार्थ- अनुभव बहुत महत्वपूर्ण होता है।]

  • गढ़वाली

  • कितुला कु नाग अर बिरला को बाघ।

  • केंचुवे को नाग और बिल्ली को बाघ।

  • [भावार्थ- भारी भरम हो जाना]

  • कुमाऊँनी

  • दूधयाल गोरुक लात लै सौनी।

  • दुधारू गाय की लात भी भली

  • [भावार्थ- गुणवान व्यक्ति के गुस्से को भी सहन कर लेना चाहिए।]


  • गढ़वाली

  • नाक-कटी हाथ मा धरयुंच।

  • नाक काट के हाथ में रखा हुवा है।

  • [भावार्थ- मान-सम्मान ताक पर रखकर बेशर्म हो जाना]

  • कुमाऊँनी

  • गाय न बाच्छी नीने अच्छी।

  • गाय और बछिया नही तो नींद अच्छी

  • [भावार्थ- अर्थात करने के लिए कोई काम न हो उसे सोते रहना ही अच्छा लगता है।]

  • गढ़वाली

  • पैले बूड गितांग छै अब नाती जि होयुंच।

  • पहले से बूढ़ा गायाकर था अब पोता जो हो रखा है।

  • [भावार्थ- विशेष खुशी प्राप्त होने पर अति उत्साह प्रदर्शित करना]

  • कुमाऊँनी

  • सासूल बुआरी थें कौ, बुआरिल नौकर थें कौ, नौकरल कुकुर थें कौ , और कुकुरल पुछड़ हिले दे।

  • सास ने बहू से कहा, बहू ने नौकर से, नौकर ने कुत्ते से कहा और कुत्ते ने खाली पूंछ हिला दी

  • [भावार्थ- अर्थात जून तक नहीं रेंगी, काम कुछ भी नहीं हुआ।]

  • गढ़वाली

  • ढूगा मा धैर्याल।

  • पत्थर में रख दिया।

  • [भावार्थ- त्याग देना]

  • कुमाऊँनी

  • सास थें कुन ब्वारीस सुणुन।

  • सास के माध्यम से बहू को सुनाना

  • [भावार्थ- किसी के माध्यम से किसी की चुगली करना।]


  • गढ़वाली

  • तातो दूध न घुटेन्द न थूकेंन्द.

  • गर्म दूध न पिया जाता न थूका जाता।

  • [भावार्थ- असमंजस में या अस्थिर रहना]

  • कुमाऊँनी

  • अति बिरालु मूस न मरण।

  • अधिक बिल्लियाँ चूहा नही मार सकती

  • [भावार्थ- बहुत अधिक व्यक्ति हों तो काम नहीं हो पाता।]

  • गढ़वाली

  • घुन्डू घुन्डू फुकेगे, कुतराण अब आयी।

  • घुटनों तक जल गया बदबू अब आयी।

  • [भावार्थ- नितांत लापरवाह होना]

  • कुमाऊँनी

  • कै बखत खिमू कड़कड़, कै बखत खिमूलि कड़कड़ि।

  • कभी पति नाराज तो कभी पत्नी

  • [भावार्थ- दंपति में हर समय मनमुटाव रहना।]


  • गढ़वाली

  • भ्वीं मा खुटो नि धरेन्दा।

  • जमीन पर पांव नहीं रखा जाता।

  • [भावार्थ - अत्यंत हर्षित होना]

  • कुमाऊँनी

  • आलसी एकै घांत।

  • [भावार्थ- आलसी व्यक्ति एक बार में ही सारे काम निपटा लेना चाहता है।]


  • गढ़वाली

  • जाण न पछ्याँण, भक्क अग्वाड़।

  • जान न पहचान सीधे गले मिलना।

  • [भावार्थ - बिना सोचे समझे किसी से अधिक परिचय नहीं बढ़ाना चाहिए]

  • कुमाऊँनी

  • कुआँ क भेकान कुआमें राय।

  • कुएं के मेढक कुएं में ही रहते हैं

  • [भावार्थ- सीमित दायरे में रहना]

  • गढ़वाली


  • कुमाऊँनी