सम्पादन : भीष्म कुकरेती
मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग
( Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages )
गढ़वाली में समास प्रक्रिया-Compounds in Garhwali
जंहाँ रजनी कुकरेती ने गढ़वाली समासों को चार भागों में विभाजित किया है वहीं अबोध बंधु बहुगुणा ने छ भागों में विभाजित किया है.
पाठकों की सहूलियत हेतु बहुगुणा का विभाजन लाभप्रद होगा
१- अव्ययीभाव-
यथाशक्ति , फी-अदिम, निजडु, सुनिंद , दूरंगि
२- तत्पुरुष
क- कर्म तत्पुरुष -
पाणि-पिन्दारो, तमाखु-दिंदारि, डंड-बोक्को (सणि , तैं )
ख- करण तत्पुरुष-
पणभिजो (से) ,हांळ -मरो (न ), हतातोड़ (न )
ग- सम्प्रदान तत्पुरुष -
घ्वड़साल, ग्वर्बटों (को)
घ- अपादान तत्पुरुष -
घर-निकाळी, भेळलमड्यूँ (से)
ज्ञ- संबन्ध तत्पुरुष -
टीरी-रज्जा, घ्वाड़ा-खाळ
च- अधिकरण तत्पुरुष-
घमसुखा (पर ) , गडवगा (गाड में वहा) , ध्यानमगन (मा)
३- कर्मधारय तत्पुरुष-
कळमुख, मळमॉस
४- द्विगु तत्पुरुष -
तिरजुगी, चौमासो , बारोमासा, दुबटो
५- बहुब्रीहि तत्पुरुष-
पुडुखझड़ो, रूमझड़ो , दुमुख्या, मुंडारो
६- द्वंद्व तत्पुरुष -
भै- बैणा, ब्वेबाब , ग्वील-जसपुर, हथनुड़ -कुठार
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