आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

17. विचार क्रांति - क्यों और कैसे?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. आप इस शिविर में साधना के अलावा कुछ शिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं। आपका आधा समय साधना में लगे और आधा समय शिक्षण में (लगे), ऐसी ------- बनाई गई है। (शि) शिक्षा भी (सा) साधना का ही अंग है।

2. जो कार्यपद्धति है इस कल्प साधना शिविर की, आप उसके बारे में ------- विचार कीजिए कि (ये) क्यों कराया जा रहा है?

3. आपको (यहाँ) यहाँ वाणी का मुखर होना सिखाया जाता है। आपको यहाँ प्रज्ञा पुराण की कथा कहना सिखाया जाता है, और स्लाइड प्रोजेक्टर के माध्यम से ------- देने का अभ्यास कराया जाता है। आपको यहाँ संगीत के माध्यम से जन-जागरण की भूमिका निभाने का अभ्यास कराया जाता है।

4. चित्र प्रदर्शनी भी उसी में आती है। चित्र स्लाइड प्रोजेक्टर से दिखा दिए तो क्या, और (एक चित्र) प्रदर्शनी की नुमाइश लगा के दिखा दी तो क्या, बात एक ही है। चित्रों के माध्यम से, ------- के माध्यम से शिक्षण, ये (अ) अपनेआप में एक बहुत बड़ा काम है।

5. तीसरा, इसके सिवाय क्या कराया जा रहा (है) आपको? आपको कुछ सेवा साधना के लिए, स्वास्थ्य संवर्धन करने के लिए काम दिया जा रहा है। जन-साधारण की सेवा भी तो करनी पड़ेगी। ------- सेवा भी तो आपको करनी चाहिए।

6. ज्ञान (अ) अपूर्ण है - उसके साथ-साथ में कर्म का जुड़ा रहना बेहद जरूरी है। कर्म और ज्ञान - जब दोनों मिल जाएँगे, तब बात बनेगी। ध्यान, जप के साथ-साथ में आपको सेवा कार्य करना ------- आवश्यक बताया गया है।

7. अपने मिशन में, ॠषियों की ------- परम्परा (को) का अनुकरण करते हुए, साधना, स्वाध्याय, संयम और सेवा, इन चार चीज़ों को समान रूप से महत्व देने के लिए बताया गया है।

8. आपको अपनी साधना में सेवा का (भी) समावेश करना पड़ेगा। सेवा किस ------- से करें? सेवा से मतलब है - प्रत्यक्ष सहायता।

9. आप लोकमंगल के लिए, और जन-साधारण (को) की सेवा कैसे करेंगे? आपने जो समाज से ॠण लिया है, (उसको) चुकाएँगे कैसे? आप ------- को ऊँचा उठाने के लिए करेंगे क्या? ये भी तो एक काम है आपके जिम्मे

10. सहायता कौन सी कर पाएँ? जैसे ज्ञान की साधना एक चीज़ है - आप किसी आदमी का ज्ञान बढ़ा दें, तो उसकी ------- सेवा हो गई।

11. ज्ञान के बाद दूसरा नम्बर आता है स्वास्थ्य का - किसी आदमी की ------- खराब हो रही है, आप ऐसी नसीहत दें, (ऐसा) तरीका बताएँ, अथवा कोई चिकित्सा कर दें, जिससे कि उसका खोया हुआ स्वास्थ्य फिर से मिल जाए - ये दूसरे नम्बर की सेवा है।

12. तीसरे नम्बर की सेवा, (जो) आजकल सब लोगों ने सबसे पहला (नम्) नम्बर दिया हुआ है, वो है जिसको पैसे की ------- कहते हैं।

13. धर्मशाला बनाने से लेकर के, सदावर्त लगाने, और ------- लगाने तक के ढेरों के ढेरों काम ऐसे हैं, जिससे कि एक आदमी दूसरे की सेवा किया करते हैं।

14. लेकिन इन सारी की सारी सेवाओं में, ज्ञान की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। ज्ञान की ------- से आदमी का जीवन बदल जाता है।

15. धन के द्वारा शरीर की आप सहायता कर सकते हैं - बस - धन किसी की जीवात्मा को ऊँचा उठाने में मददगार नहीं हो सकता। धन केवल ------- का इंतजाम कर सकता है, भूख का इंतजाम कर सकता है, (इलाज) का कर सकता है - ये शरीर की सेवा है

16. आत्मा की सेवा? मन की सेवा? आदमी के उज्ज्वल भविष्य की सेवा? ये तो ------- केवल ज्ञान से ही बन सकती है।

17. लेकिन ज्ञान भी अपूर्ण है - आदमी सेवा न करे, (लोगों का) श्रम अपना खर्च न करे, केवल ज्ञान ही खर्च करता रहे, (जीभ तो) जीभ को ही ------- रहे, प्रत्यक्ष सहायता के लिए किसी (के) काम न आए - तो भी बात बनती नहीं है। 

18. इसीलिए यहाँ इस शिक्षण में, एक लोकसेवा का बड़ा ------- कार्य आपको ये सिखाया जा रहा है - आप जड़ीबूटियों के द्वारा (आप) चिकित्सा कर सकें।

19. आप जड़ीबूटियों से न केवल बीमारियों का इलाज करें, बल्कि जो भी (आपको) इलाज के बहाने आपके सम्पर्क में आए, उसको आप ये ------- सिखाएँ कि संयमशील होना पड़ेगा। 

20. स्थाई निवारण करने के लिए दवाएँ ------- नहीं हैं - ये टेम्परेरी रिलीफ (temporary relief) तो है - पर, पर ये स्थाई समाधान नहीं है। स्थाई समाधान के लिए जरूरी है कि आदमी संयम सीखे।

21. नुकसान की चीज़ें हमने जड़ीबूटी विज्ञान में ली ही नहीं। नुकसान की चीज़ों को हमने हवन में लिया ही नहीं। केवल सौम्य और सात्विक चीज़ों का ही हमने उपयोग किया है और ------- है। 

22. इसीलिए यहाँ बीस औषधियों के द्वारा, (बीस) जड़ीबूटियों के द्वारा जहाँ आप चिकित्सा सीखें, वहाँ एक बात जरूर सीखें (कि) आसन और प्राणायाम के माध्यम (से), स्वास्थ्य और संयम के माध्यम से, आदमी किस तरीके से अपने ------- को और सेहत को ठीक कर के रखे

23. ये तीन तरह की शिक्षाएँ इस ------- आपको मिलती हैं - एक - चिकित्सा, स्वास्थ्य संवर्धन, फर्स्ट एड (first aid), वगैरह - एक - संगीत, व्याख्यान, (प्र) प्रवचन, वगैरह - तीसरा - संगीत, और संगीत के माध्यम से, संगीत के माध्यम से जन-जागरण।

24. इन सारी की सारी शिक्षाओं के पीछे, इन सारी की सारी ------- के पीछे जो बात छिपी हुई है, (सो) एक ही बात छिपी हुई है कि आपको लोकमंगल के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने चाहिए।

25. पढ़े-लिखे भी लोग बहुत हैं, ------- भी कहलाते हैं, लेकिन जहाँ तक जीवन की समस्याओं का संबंध है, उसके बारे में वो जानकार नहीं हैं। 

26. आदमी का चिंतन उल्टा हो गया है, और (उल्टे) चिंतन को उलट देने की वजह से उसने ------- समस्याओं को गड़बड़ा दिया है

27. स्वास्थ्य को गड़बड़ा दिया, मानसिक संतुलन को गड़बड़ा दिया, अर्थव्यवस्था को गड़बड़ा दिया, अपने कुटुम्ब और ------- को गड़बड़ा दिया, सामाजिक संबंधों को गड़बड़ा दिया, अपने लोक और परलोक और भविष्य को गड़बड़ा दिया

28. ये कैसे गड़बड़ हुई? ये केवल एक ही कारण है कि आदमी को सही चिंतन न मिल सका - सही चिंतन के अभाव में सारे जीवन की ये ------- गड़बड़ा गई।

29. आज सबसे महती आवश्यकता इसी ज्ञान यज्ञ की है, इसी विचार क्रांति अभियान की है, इसी प्रज्ञा अभियान की है, इसी जन-जागरण की है - आपको इस ------- के काम करने के लिए यहाँ (शिक्षण) शिक्षण चलाया जा रहा है।

30. आप लोगों की सेवा करें, सेवा करने के बाद में सहानुभूति इकट्ठी करें, सहानुभूति के बाद में सहयोग प्राप्त करें, और जनता के सहयोग से बड़े से बड़े काम करने में सफल और ------- हो सकें।

31. प्राचीनकाल के ॠषियों की भी ------- यही थी - जनता की वो सेवा भी करते थे, केवल उपदेश ही थोड़े देते थे।

32. स्लाइड प्रोजेक्टर चलाने की बात कही गई थी - घर-घर में जाइए, घर-घर में जन-जागरण (का) का संदेशा सुनाइए, युग बदल रहा है इसकी ------- कहिए। 

33. केवल एक ही बात सिखाई जा रही है - (इस) संक्षेप में आप ------- चाहें तो (जो) नया युग आ रहा है, इस नए युग की तैयारी (की) की पहली वाली भूमिका निभाने की बात आपको सिखाई जा रही है। 

34. चिकित्सा में हमारे यहाँ आसन और प्राणायाम की भी चिकित्सा होती हैं - आप इनको (बना) लें। स्वास्थ्य के नियमों की बात करें, खेल-कूदों की बात करें, जिससे जनता के स्वास्थ्य का संवर्धन होने का ------- निकल आवे।

35. भागवत (की) की कथा, रामायण की कथा, वाल्मीकि रामायण की कथा, अमुक की कथा, अमुक की कथा - ये सब ------- और सत्संग इसी बात के थे, कि जन-मानस को परिष्कृत बनाने के लिए कोई (रस्ता) निकाल दें और लोगों को समझाएँ।

36. संगीत उससे भी ज्यादा ------- है - हृदय का स्पर्श करने के लिए, भावना का स्पर्श करने के लिए, (अगर कोई) कोई चीज़ आती है तो संगीत आता है।

37. पैसे की तंगी का जहाँ तक ------- है - फिजूलखर्ची की वजह से - एक - अथवा, योग्यता न बढ़ा कर के, कम योग्यता की स्थिति में बने रहना, और थोड़ी योग्यता के बदले में कम पैसे प्राप्त करना।

38. कोई आदमी गरीब है, (अ कम) कमाता है, तो भी अपनी 'जेती लम्बी सौर' के हिसाब से अपना पैर कम फैला के रख लेता है, तो ------- की जिंदगी जीता है, हँसती जिंदगी जीता है, कम पैसों से (ही) गुजारा कर लेता है। 

39. सवाल पैसे का नहीं है - सवाल आदमी के विचार करने के, ------- के तरीके का है - आया स्वास्थ्य तबाह हुआ हो, अथवा मानसिक संतुलन तबाह हुआ हो, अथवा गृहस्थ तबाह हुआ हो, अथवा सामाजिक संबंध तबाह हुए (हैं)

40. आपको एक ही बात (करना) है कि जन-जन के लिए, उसके विचारों को (परिशो शोधन) करने के लिए, ब्रेन वॉशिंग (brain washing) के लिए, दिमाग की ------- के लिए, दिमाग में नई स्थापना करने के लिए, (आप) कुछ कदम बढ़ाने चाहिए।

41. (इसीलिए) संगीत (नहीं) नहीं सिखाया (जा) जा रहा है कि आप ------- सीखें। इसलिए आपको जड़ीबूटी चिकित्सा नहीं सिखाई जा रही है कि आप यहाँ रह कर के कोई दवाखाना खोलें, और अस्पताल खोलें, और कोई मालदार बनें।

42. अध्यात्म के पास तो ------- ही हथियार है कि लोगों के विचारों को बदल दे, और दृष्टिकोण को बदल दे, और भावनाओं को बदल दे, और ईमान को बदल दे - ये बदल देने के बाद में दुनिया बदल जाती है।

43. मन:स्थिति बदल जाने के बाद में परिस्थितियाँ बदल जाती हैं - बात सही है। (तो) आदमी की मन:स्थिति को (कै कै) कैसे बदला जाए? आदमी की मन:स्थिति को बदलने के लिए वही किया जा रहा है जो आपको ------- हैं। आपको वाणी का उपयोग सिखाते हैं - ये सबसे बड़ा हथियार है।

44. कल का उज्ज्वल भविष्य हमको बनाना है, उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिए जिन तैयारियों की जरूरत है, उन तैयारियों में आदमी को अपने विचार करने की शैली बदलना बहुत ------- है।

45. आदर्श वाक्य दीवारों पे लिख कर के लोगों (के) के ------- और दिमागों को घुमा देने का प्रयत्न, अचेतन मन को घुमा देने का प्रयत्न - वगैरह ये बहुत सी चीज़ें ऐसी हैं जो बड़े ऊँचे उद्देश्यों से संबंध रखती हैं।

46. आप उनकी गहराई में विचार करना, तब आपको महत्व ------- पड़ेगा, तभी आप उसको सच्चे मन से करेंगे।

47. आप विश्वास रखिए जो कुछ भी सिखाया जा रहा है, अगर आप (बाहर) सच्चे मन से सीखने की कोशिश करेंगे, तो आपके भीतर एक ऐसी नवीनता, और एक ऐसी ------- पैदा होगी, जिसकी वजह से आप अपना भला कर सकते हैं, समाज का भला कर सकते है, अपनी अन्तरात्मा को ऊँचा उठा सकते हैं, और दूसरों की अन्तरात्मा को ऊँचा उठा सकते हैं।

48. आप लोकमंगल की बात विचार कीजिए, (जन-साधारण की) विचार कीजिए, जन-कल्याण की बात विचार कीजिए - साथ-साथ में आप ये देखिए, जैसे आप दूसरों के लिए सेवा करते हैं, दूसरों के लिए कष्ट उठाते हैं, भगवान आपके लिए कष्ट उठाएगा, ------- आपके लिए कष्ट उठाएगा, समाज आपका सहयोग करेगा, जनता आपका सहयोग करेगी 

49. भगवान के नजदीक आने का ------- ये है - ऊँचे विचारों का समुच्चय - ऊँचे विचारों को फैलाने के लिए आप को (ह) हर (चंद) प्रयत्न करना चाहिए।

50. बराबर ऐसे परामर्श दें, आया मिलजुल के (बै) बातचीत करने में, आया विचार गोष्ठी के रूप में, आया सम्मेलनों के रूप में, किसी न किसी रूप में आप जनता के लिए ये ------- रहिए कि उनके विचार बदल दिए जाएँ, (भावना) बदल दी जाएँ

1. आप इस शिविर में साधना के अलावा कुछ शिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं। आपका आधा समय साधना में लगे और आधा समय शिक्षण में लगे, ऐसी ---- योजना ---- बनाई गई है। (शि) शिक्षा भी (सा) साधना का ही अंग है।

शिक्षा को आप साधना से बाहर मत मानिए। आपकी साधना और शिक्षा (समन्वित) की 

2. जो (क) कार्यपद्धति है इस कल्प साधना शिविर की, आप उसके बारे में ----थोड़ा ---- विचार कीजिए कि (ये) क्यों कराया जा रहा है?

क्या कर रहें हैं, इसके बारे में तो आप जानते ही हैं, मुझसे भी ज्यादा जानते हैं आप क्या सीखते हैं। 

3. आपको (यहाँ) यहाँ वाणी का मुखर होना सिखाया जाता है। आपको यहाँ प्रज्ञा पुराण की कथा कहना सिखाया जाता है, (और) स्लाइड (प्रोजेक्टर) के माध्यम से ---- व्याख्यान ---- देने का अभ्यास कराया जाता है। आपको यहाँ संगीत के माध्यम से जन-जागरण करने की भूमिका निभाने का अभ्यास कराया जाता है।

आप तो जानते हैं ना - भाषण देने की कला, गायन की कला - ये (ए) एक शिक्षण यहाँ का है ना - शिक्षण भी (आप स) साधना का अंग है, (उसको) कम (मत) मानिए। (दूसरा) दूसरा एक और चीज़ सिखाई (सिखाई) जाती है आपको - क्या सिखाया जाता है इसके अलावा? (इसके अलावा - वाणी का उपयोग करने के - वाणी का उपयोग करने के अलावा) वाणी के कई उपयोग सिखाए जाते हैं - 

संगीत (का शिक्षण) इसीलिए सिखाया जाता है कि आप जनमानस की भावनाओं को बढ़ाने में ठीक हो सकें। आपको दृश्य शिक्षण (का) एक क्रिया सिखाई जा (रही है) - दृश्यों के माध्यम (से) - ये तो वाणी से कहा (और) लोगों ने कान से सुना - लेकिन दिखाने से भी कुछ बात बनती है - सत्संग, स्वाध्याय का (एक) – लोगों को स्वाध्याय का लाभ दें, सत्संग का लाभ (लें)।

स्लाइड प्रोजेक्टर उसी में शुमार होता है कि आप उसको दृश्य, घटनाएँ दिखाते चलें - ये ये परिस्थितियाँ आज की हैं, इन परिस्थितियों के विरुद्ध बगावत हमको करनी चाहिए, और हम ये नहीं करेंगे, और हमको यही करना चाहिए - ये उचित और अनुचित का आज का विवेक, (जिसको) दूसरे शब्दों में सत्संग कहते हैं, यहाँ आपको स्लाइलड प्रोजेक्टर के माध्यम से सुनाया जा रहा है - शिक्षा नम्बर दो हुई। तीसरी - (आपको) दृश्य उसी में शुमार होता है - 

4. चित्र प्रदर्शनी भी उसी में आती है - चित्र स्लाइड प्रोजेक्टर से दिखा दिए तो क्या, और एक (चित्र) प्रदर्शनी की नुमाइश लगा के दिखा दी तो क्या, बात एक ही है - चित्रों के माध्यम से, ---- दृश्य ---- के माध्यम से शिक्षण - ये (अ) अपनेआप में एक बहुत बड़ा काम है।

5. तीसरा, इसके सिवाय क्या कराया जा रहा (है) आपको? आपको कुछ सेवा साधना के लिए, स्वास्थ्य संवर्धन करने के लिए काम दिया जा रहा है। जन-साधारण की सेवा भी तो करनी पड़ेगी। ---- प्रत्यक्ष ---- सेवा भी तो आपको करनी चाहिए।

प्रत्यक्ष सेवा नहीं करेंगे? केवल मात्र ज्ञान ही सुनाते रहेंगे, उपदेश ही करते रहेंगे - केवल (उप) उपदेश - उपदेश केवल नहीं है - ज्ञान के साथ-साथ में कर्म का समावेश भी आवश्यक है। ज्ञान की महत्ता सबसे अधिक है, बेशक - स्वाध्याय की महत्ता को मैं क्या (कम) कम बताऊँगा क्या? नहीं। सत्संग की महत्ता कम करने का मन है (क्या)? ना। चिंतन और मनन की महत्ता कम है क्या? ना। लेकिन (ए) एक बात आप ध्यान (रखिए) - (केवल मात्र ज्ञान के साथ) 

6. ज्ञान (अ) अपूर्ण है - उसके साथ-साथ में कर्म का जुड़ा रहना बेहद ज़रूरी है। कर्म और ज्ञान - जब दोनों मिल जाएँगे, तब बात बनेगी। ध्यान, जप के साथ-साथ में आपको सेवा कार्य करना ---- नितांत ---- (आवश्यक) बताया गया है।

7. अपने मिशन में, ॠषियों की ---- प्राचीन ---- परम्परा (को) का अनुकरण करते हुए, साधना, स्वाध्याय, संयम और सेवा, इन चार चीज़ों को समान रूप से महत्व देने के लिए बताया गया है।

8. आपको अपनी साधना में सेवा का (में) समावेश करना पड़ेगा। सेवा किस ----तरीके ---- से करें? सेवा से मतलब है - प्रत्यक्ष सहायता।

ज्ञान दान भी (यों) सेवा है - लेकिन यहाँ ज्ञान दान और ब्रह्म-विद्या की बात नहीं चल रही है, चल ये रहा है कि 

9. आप लोकमंगल के लिए, (औ) जन-साधारण (को) की सेवा कैसे करेंगे? आपने जो समाज से ॠण लिया है, उसको चुकाएँगे कैसे? आप ---- लोगों ---- को ऊँचा उठाने के लिए करेंगे क्या? ये भी तो एक काम है आपके जिम्मे

ये भी (सा) साधना का (ही) अंग है। इसीलिए एक काम ये है कि आप दूसरों की कुछ सहायता कर पाएँ।

10. सहायता कौन सी कर पाएँ? जैसे ज्ञान की साधना एक चीज़ है - आप किसी आदमी का ज्ञान बढ़ा दें, तो उसकी ---- असली ---- सेवा हो गई।

11. (ज्ञान के बाद) ज्ञान के बाद दूसरा नम्बर आता है स्वास्थ्य का - किसी आदमी की ---- सेहत ---- खराब हो रही है, आप ऐसी नसीहत दें, (ऐसा) तरीका बताएँ, अथवा कोई चिकित्सा कर दें, जिससे कि उसका खोया हुआ स्वास्थ्य फिर से मिल जाए - ये दूसरे नम्बर की सेवा है।

12. तीसरे नम्बर की सेवा, (जो) आजकल सब लोगों ने सबसे पहला (नम्) दर्ज़ा दिया हुआ है, वो है जिसको पैसे की ---- सहायता ---- कहते हैं।

पानी पिला देंगे किसी को, ठीक है पिलाइए (ना) - (फिर) क्या करेंगे? हम ठहरने का इंतज़ाम करेंगे धर्मशाला (में), वो भी ठीक बात (अच्छा की) - और क्या करेंगे? हम सदावर्त खोलेंगे, (और) सदावर्त में रोटी पानी (खिला), फोकट की रोटी का इंतज़ाम कर देंगे, चलिए ये भी अच्छी बात।

13. धर्मशाला बनाने से लेकर के, सदावर्त लगाने, और ---- प्याऊ ---- लगाने तक के ढेरों के ढेरों काम ऐसे हैं, जिससे कि एक आदमी दूसरे की सेवा किया करते हैं।

14. लेकिन इन सारी की सारी सेवाओं में, ज्ञान की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। ज्ञान की ---- सेवाओं ---- से आदमी का जीवन बदल जाता है।

वस्तुओं की सेवा, जो आजकल सबसे बड़ी माने जाने लगी है, वास्तव में सबसे बड़ी है नहीं - उसकी कोई निंदा थोड़ी करता है, ये थोड़ी कह रहे हैं कि आप किसी की सेवा मत कीजिए, या किसी को पैसा मत दीजिए, या किसी को रोटी मत खिलाइए, या किसी की दवा दारू का (इंत) - (ये) ये कौन कहता है? पर मैं तो क्वालिटी की बात कहता हूँ आपसे - ये क्वालिटी में ये (ध) धन के द्वारा शरीर की सहायता, धन के द्वारा शरीर, धन के द्वारा शरीर की,

15. धन के द्वारा शरीर की आप सहायता कर सकते हैं - बस - धन किसी की जीवात्मा को ऊँचा उठाने में मददगार नहीं हो सकता। धन केवल ---- कपड़े ---- का इंतज़ाम कर सकता है, भूख का इंतज़ाम कर सकता है, इलाज का कर सकता है - ये शरीर की सेवा है।

16. आत्मा की सेवा? मन की सेवा? आदमी के उज्ज्वल भविष्य की सेवा? ये तो ---- सेवा ---- केवल ज्ञान से ही बन सकती हैं।

17. लेकिन ज्ञान भी अपूर्ण है - आदमी सेवा न करे, (लोगों का) श्रम अपना खर्च न करे, केवल ज्ञान ही खर्च करता रहे, (जीभ तो) जीभ को ही ---- चलाता ---- रहे, प्रत्यक्ष सहायता के लिए किसी (के) काम न आए - तो भी बात बनती नहीं है।

18. इसीलिए यहाँ इस शिक्षण में, एक लोकसेवा का बड़ा ---- महत्वपूर्ण ---- कार्य आपको ये सिखाया जा रहा है - आप जड़ीबूटियों के द्वारा (आप) चिकित्सा कर सकें।

जड़ीबूटियाँ वास्तव में (यही यही) औषधियाँ हैं - अमृत इन्हीं को कहा गया है। (आदमी) आदमी जिंदा रहता है, (सो) भी वनस्पतियों पे जिंदा रहता है - शरीर में जो कमियाँ (पड़ जाती) हैं, वो भी वनस्पतियों से (ही) दूर की जा (सकती) हैं - शरीर में जो विषाणु पैदा होते हैं, वो भी (वन) वनस्पतियों के उपयोग से (हो सकता हैं) - क्योंकि शरीर वनस्पतियों का बना है, घास का बना है, ये अनाज का बना है - इसमें जो भी चीज़ें हैं (आप कहाँ से बने) कहाँ से आप पाते हैं? अन्न से पाते हैं, फिर जल से पाते हैं, दो, और कहाँ से पाते?

जो कुछ भी (इस) शरीर के भीतर है, ये सब मिट्टी का है - मिट्टी की सेवा करना अच्छा तो है, ज़रूरी भी है, लेकिन वो पर्याप्त नहीं है - (लेकिन तो) भी उसको करना तो चाहिए - इसीलिए लोगों के स्वास्थ्य (को) सम्वर्धन करने के लिए जड़ीबूटी (आपको) चिकित्सा सिखाई जा रही है - ताकि 

19. आप जड़ीबूटियों से न केवल बीमारियों का इलाज करें, बल्कि जो भी (आपको) इलाज के बहाने आपके सम्पर्क में आए, उसको आप ये ---- बात ---- सिखाएँ कि संयमशील होना पड़ेगा।

20. स्थाई निवारण करने के लिए दवाएँ ---- काफी ---- नहीं हैं - ये टेम्परेरी रिलीफ (temporary relief) तो है - पर, पर ये स्थाई समाधान नहीं है। स्थाई समाधान के लिए ज़रूरी है कि आदमी संयम सीखे।

(इसीलिए) आप चिकित्सा के माध्यम से - कोई बुखार, खाँसी आ (गया) है - (इसको) दे दिया उखाड़ के (इसमें) (क्या है) - (तु) तुलसी दे दी, गिलोय दे दी - कोई नुकसान की (चीज़)? इसमें कोई नुकसान की चीज़ नहीं है, सब फायदे की (चीज़ें) हैं - (नुकसान का),

21. नुकसान की चीज़ें हमने जड़ीबूटी विज्ञान में ली ही नहीं - नुकसान की चीज़ों को हमने हवन में लिया ही नहीं - केवल सौम्य और सात्विक चीज़ों का ही हमने उपयोग किया है, और ---- कराया ---- है।

22. इसीलिए यहाँ बीस औषधियों के द्वारा, (बीस) जड़ीबूटियों के द्वारा जहाँ (आप) चिकित्सा सीखें, वहाँ एक बात ज़रूर सीखें (कि) आसन और प्राणायाम के माध्यम (से), स्वास्थ्य और संयम के माध्यम से, आदमी किस तरीके से अपने ---- शरीर ---- को (और) सेहत को ठीक कर के रखे।

23. ये तीन तरह की शिक्षाएँ इस ---- समय ---- आपको मिलती हैं - एक - चिकित्सा, स्वास्थ्य संवर्धन, फर्स्ट एड (first aid), वगैरह - एक - (संगीत) व्याख्यान, (प्र प्र प्र) प्रवचन, वगैरह - (तीसरा) तीसरा - संगीत, और (संगीत के माध्यम से) संगीत के माध्यम से जन-जागरण।

ये ही कुछ और हैं रचनात्मक सेवाएँ - जैसे दीवारों (पे) आदर्श वाक्य लिखना, वगैरह।

24. इन सारी की सारी शिक्षाओं के पीछे, इन सारी की सारी ---- गतिविधियों ---- के पीछे जो बात छिपी हुई है, (सो) एक ही बात छिपी हुई है कि आपको (लो) लोकमंगल के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने चाहिए

(कुछ महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने चाहिए)। आज लोगों को विचार देने की बेहद ज़रूरत है - जीभ खोलनी ही पड़ेगी (आपको)। हर आदमी कितना भूला हुआ और भटका हुआ (आदमी) - हर दिशा में, जहाँ कहीं भी आप देखिए, आदमी के भटकाव का ठिकाना नहीं।

पहले आदमी जब जंगली था, (आदि आ आ) आदिमानव था, तब कम से कम प्रकृति के साथ में लड़ाई-(झगड़ा) नहीं था - जितनी सीमित जानकारी थी, (उससे) उसको सही जानकारी थी। (लेकिन) आज तो आदमी ने जानकारी बहुत इकट्ठी कर ली हैं - (लेकिन) सारी जानकारियाँ गलत गलत गलत - पूरी तरीके से आदमी (इस) गल्ती के भटकाव में आ गया है। उसका चिन्तन (प्रगतिशील) तो सुना जाता है प्रगतिशील है, 

25. पढ़े-लिखे भी लोग बहुत हैं, ---- ग्रेजुएट ---- भी कहलाते हैं, लेकिन जहाँ तक जीवन की समस्याओं का संबंध है, उसके बारे में वो जानकार नहीं हैं।

जनता को भी यही करना पड़ेगा - सोए हुए को तो जगाना ही चाहिए - आप सोए को जगाएँगे नहीं तो ये (मरे के) मुर्दों की तरीके से बैठे रहेंगे - जन-जागरण इसी का नाम (है) - लोक मानस का परिष्कार। 

26. आदमी का चिंतन उल्टा हो गया है, और (उल्टे) चिंतन को उलट देने की वजह से उसने ---- सारी ---- समस्याओं को गड़बड़ा दिया है

27. स्वास्थ्य को गड़बड़ा दिया, मानसिक संतुलन को गड़बड़ा दिया, अर्थव्यवस्था को गड़बड़ा दिया, अपने कुटुम्ब और ---- परिवार ---- को गड़बड़ा दिया, सामाजिक संबंधों को गड़बड़ा दिया, अपने लोक और परलोक और भविष्य को गड़बड़ा दिया।

28. ये कैसे गड़बड़ हुई? ये केवल एक ही कारण है कि आदमी को सही चिंतन न मिल सका - सही चिंतन के अभाव में सारे जीवन की ये ---- मोटर ---- गड़बड़ा गई।

सही ड्राइवर के न मिलने की वजह से, सही मार्गदर्शन न होने की वजह से, अच्छी खासी मोटर एक्सीडैंट में चली जाती है और (बस) जहाँ की तहाँ पड़ी रहती है। हमारा जीवन एक मोटर की तरीके से है - (इसको) संचालन करने के लिए (अच्छा) ड्राइविंग चाहिए - न केवल आपके लिए, (बल्कि) सारे समाज के लिए भी।

29. आज सबसे महती आवश्यकता इसी ज्ञान यज्ञ की है, इसी विचार क्रांति अभियान की है, इसी प्रज्ञा अभियान की है, इसी जन-जागरण की है - आपको इस ---- संबंध ---- के काम करने के लिए यहाँ (शिक्षण) शिक्षण चलाया जा रहा है।

आप (को) ईसाई चर्चों की वो शैली सिखाई जा रही है, कि जिसमें 

30. आप लोगों की सेवा करें, सेवा करने के बाद में सहानुभूति इकट्ठी करें, सहानुभूति के बाद में सहयोग प्राप्त करें, और जनता के सहयोग से बड़े से बड़े काम करने में सफल और ---- समर्थ ---- हो सकें।

(ये ईसाइयों का) ईसाई चर्चों  की नीति यही है - 

31. प्राचीनकाल के ॠषियों की भी ---- नीति ---- यही थी - जनता की वो सेवा भी करते थे, केवल उपदेश ही (थोड़े) देते थे।

जहाँ जाइए उपदेश, जहाँ जाइए उपदेश, जहाँ जाइए उपदेश - अरे तो उपदेश (को) खाएँ, सिर पे बिछाएँ, क्या करें? आप सहानुभूति तो लीजिए पहले - सहानुभूति इकट्ठी करने के पीछे ये संभव है (कि) आपकी बात कोई सुने और अपने विचारों को बदलने के लिए कोई तैयारी करे।

(आप के अ) आपके कहने से क्यों विचार बदलेगा? और क्यों अपनी कोई बेइज़्ज़ती कराएगा? क्यों तौहीन कराएगा (अपनी आप)? (क्या आपके) उसके विचार गलत थे, सो बेचारे ने आपकी नसीहत सुनते ही बदल दिए – बेइज़्ज़ती हुई ना (उसकी) - कोई नहीं सुनेगा। आप सहानुभूति इकट्ठी कीजिए पहले - सहानुभूति इकट्ठी करने के लिए सेवा के क्रम यहाँ बनाए गए हैं (यहाँ बनाए गए हैं) - आपको इसके अलावा भी पहले बताए गए (थे)।  

32. स्लाइड प्रोजेक्टर चलाने की बात कही गई थी - घर-घर में जाइए, घर-घर में जन-जागरण (का) का (संदेशा) सुनाइए, युग बदल रहा है इसकी ---- बात ---- कहिए।

आपको इससे पहले भी बताया गया था कि (आप) आप कभी साइकिल से (संगीत) संगीत बजाते हुए निकल पड़ें, दो या चार की टोली में निकल पड़ें - फिर देखिए (क्या) मज़ा आता है। पिकनिक के लिए घर से निकलते हैं, इससे बेहतरीन पिकनिक कुछ हो ही नहीं सकती।

तीर्थयात्रा (की) बाबत (हम से) हमने आपसे कहा है, (कि) आप (ती) तीर्थयात्रा की तैयारी करें, और बाहर जाने की तैयारी करें। आप (को) बोलना सीखें, संभाषण सीखें, लोगों से बातचीत करें - ऐसी बातचीत करें जो आप (अ) दूसरे (आदमियों पे) प्रभाव डाल सकें, वगैरह - ये बातें आपको यहाँ सिखाई जा रही हैं।

33. केवल एक ही बात सिखाई जा रही है - (इस) संक्षेप में आप ---- सुनना ---- चाहें, तो (जो) नया युग आ रहा है, इस नए युग की तैयारी (की) की पहली वाली भूमिका निभाने की बात आपको सिखाई जा रही है।

जड़ी-बूटियों के द्वारा,इ लाज के द्वारा, आसन के द्वारा, प्राणायाम के द्वारा, आप लोगों की खोई हुई सेहत को किसी तरीके से पाने में मददगार बनें। (अगर) आप किसी की मदद करेंगे तो कोई एहसान मानेगा - जो एहसान मानता है वो कहना भी मानता है, एहसान मानता है वो कहना भी मानता है। आपका लोग (एह) एहसान मानें, इसके लिए आप ईसाई चर्चों की तरीके से चिकित्सा को अपना (व्यवसाय बना लें) (व्य) व्यवसाय नहीं, सेवा का माध्यम बना (लें)। (चिकित्सा को)

34. चिकित्सा में हमारे यहाँ आसन और प्राणायाम की भी चिकित्सा होती हैं - आप इनको (बना) लें। स्वास्थ्य के नियमों की बात करें, खेल-कूदों की बात करें, जिससे जनता के स्वास्थ्य का संवर्धन होने का ---- तरीका ---- निकल (आवे)।

(आज की) (आज कल हमारे स्वास्थ्य की) आज के अपने कल्प साधना सत्रों (के) जो भी व्यक्ति आए हुए हैं, हम इनको ये शिक्षण देते हैं कि आप जनता की सेवा स्वास्थ्य संवर्धन की (ले लीजिए)। बहुत सी सेवाएँ (हैं), (पर) लेकिन ये सेवा सरल है, ये कठिन नहीं है, इसका हाथों-हाथ लाभ होता है, तुरन्त इससे (आद) आदमी की समस्याओं के समाधान हो जाते हैं - स्वास्थ्य की सेवा के लिए।

(और) आपको व्याख्यान, कथाओं के माध्यम से - ये आजकल का ज़माना बच्चा है, ये कोई प्रौढ़ समाज नहीं है हमारा - (इस प्रौढ़ समाज को) प्रौढ़ समाज को तो तर्क,तथ्य और दूसरी चीज़ें भी काम में दे (जाती) हैं - लेकिन अपने सत्तर फीसदी हिन्दुस्तान को, जिसमें बिना पढ़े लोग रहते हैं, पिछड़े हुए लोग रहते हैं -

इनको आप किसी और तरीके से बता नहीं सकेंगे - धर्म मंच से जाइए और कथानक कहिए - कहानियाँ कहिए - कहानियाँ तो बच्चों को भी प्यारी लगती हैं। सिनेमा तो कहानियाँ (ही) तैयार करते हैं, (और) कहानियाँ (ही) (बे) बेचते रहते (हैं), (उसी) में मालदार हो जाते हैं। कहानियाँ (अ) अपनेआप में (एक) सामर्थ्य का स्रोत है, जो किसी ने कहा नहीं। पुराने लोग तो समझ जाते थे -

35. भागवत (की) की कथा, रामायण की कथा, वाल्मीकि रामायण की कथा, अमुक की कथा, अमुक की कथा - ये सब ---- व्याख्यान ---- और सत्संग इसी बात के थे, कि जन-मानस को परिष्कृत बनाने के लिए कोई (रस्ता) निकाल दें और लोगों को समझाएँ।

(ये) ये बोलने की कला, भाषण की कला, आपको यहाँ सिखाते हैं। 

36. संगीत उससे भी ज्यादा ---- महत्वपूर्ण ---- है - हृदय का स्पर्श करने के लिए, भावना का स्पर्श करने के लिए, (अगर कोई) कोई चीज़ आती है तो संगीत आता है

(संगीत आता है) (इसीलिए) संगीत की शक्ति अपनेआप में है - खास तौर से (अशिक्षित लोगों में) अशिक्षित लोगों में, जो कि देहात में पढ़े हुए हैं, उनको व्याख्यान की बात समझ में नहीं आती - (उससे) संगीत में भाव रहते हैं, इससे अगर उनकी भाषा से, स्थानीय भाषा से थोड़ी भिन्नता हो, तो भी काम चला लेते हैं।

आज का व्यक्ति हर (दृष्टि से) गिरावट के रास्ते पे चल (रहा) - ये गिरावट स्वाभाविक नहीं है, ये अस्वाभाविक गिरावट (है) - भगवान की दुनिया में कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो आदमी को गिरा पाती हो - आदमी अपनी (ही) ख़ुराफ़ातों से, (और) अपनी (ही) गल्तियों से गिरने के लिए  कोशिश (तो) करता है।

आज यही हुआ है - पहले भी, जब कभी भी, ऐसी मुसीबतें आई थीं, यही हुआ था - लोगों ने अपनी गल्तियाँ (की), अपना रास्ता भुला दिया, अपने कर्तव्य और फर्ज़ों की ओर से मुँह मोड़ लिया - उसका परिणाम क्या हुआ? (उसके) परिणाम ये हुआ कि एक के बाद एक मुसीबतें आईं, और लोग तबाह होते चले गए (और) बर्बाद होते चले गए।

आज आप (न) नज़र तो उठा के देखिए - सारे संसार के ऊपर नज़र उठ के देखिए - सारे संसार के न सही, अपने ऊपर नज़र उठा के देखिए, और अपने घरवालों के ऊपर नज़र उठा के देखिए - ये कैसे हो रहा है - इनका (स्वास्थ्य) सबका गिर रहा है, स्वास्थ्य बराबर गिरता चला जाता है - औसत (अ) आदमी का स्वास्थ्य दिन-दिन नीचे की तरफ चल रहा है, (उसके अंक) ऊपर को नहीं बढ़ रहे (हैं)। (क्या) कारण क्या (हो गए)?

पहले की अपेक्षा खाने की (वस्तुएँ) भी ज़्यादा हैं, सामान भी ज़्यादा है - फिर इस तरह की मुसीबत क्यों आती है?आदमी भटक गया है ,जीवन यापन करने की चर्चा के (संबंध) - खान-पान (सब अस्त-व्यस्त) सब अस्त-व्यस्त। जिसको हम (खारी) नमक कहते हैं ये सोडियम क्लोराइड है - सोडियम क्लोराइड एक तरह का ज़हर है। मनुष्य के लिए ज़रूरी है नमक? (बिल्कुल ज़रूरी) - सोडियम क्लोराइड है (ये)।

ऐसे-ऐसे हम रोज़ नशे पीते है - क्या करते हैं, क्या नहीं करते - (इसका) परिणाम है (कि) स्वास्थ्य की तबाही हमने अपनेआप की है - (अपने किसी ने) नेचर ने - नेचर ने नहीं (की है)। पैसे की तंगी हमने स्वयं की है - (और) और अपनी घर की समस्याओं को उलट-पलट कर के हमने ही रखा है - (और) और

37. पैसे की तंगी का जहाँ तक ---- सवाल ---- है - फिजूलखर्ची की वजह से - एक - अथवा, योग्यता न बढ़ा कर के, कम योग्यता की स्थिति में बने रहना, और थोड़ी योग्यता के बदले में कम पैसे प्राप्त करना।

कम पैसे प्राप्त करेंगे तो आपका गुज़ारा कैसे हो सकता है - कठिनाई से (होगा) – (सी) सीधी-सादी सी बात (है)। खर्च आप फिजूलखर्ची से करेंगे तो आप मुसीबत में रहेंगे, और अच्छी आमदनी होते हुए भी आप तंगी का अनुभव करेंगे। (इसके) विरुद्ध, (अगर)

38. कोई आदमी गरीब है, (औ कम) कमाता है, तो भी अपनी 'जेती लम्बी सौर' (के हिसाब) से अपना पैर कम फैला के रख लेता है, तो ---- खुशी ---- की ज़िंदगी जीता है, हँसती ज़िंदगी जीता है, कम पैसों से (ही) गुजारा कर लेता है।

39. सवाल पैसे का नहीं है - सवाल आदमी के विचार करने के, ---- सोचने ---- के तरीके का है - (आया) स्वास्थ्य तबाह हुआ हो, अथवा मानसिक संतुलन तबाह हुआ हो, अथवा गृहस्थ तबाह हुआ हो, अथवा सामाजिक संबंध तबाह हुए (हैं)

इसके मूल में दूसरों (की) गल्ती न हो, ये तो मैं नहीं कहता - (दू) दूसरों की भी हो सकती है, लेकिन दूसरों की ही मत कहिए - उसमें कुछ गल्तियाँ अपनी भी होती हैं। अपनी गल्ती क्या है? जानबूझ के तो नहीं करते लोग, पर स्वभाव (का) अंग बन जाने की वजह से (वो गल्तियाँ) अक्सर होती रहती हैं। (तब) तब

40. आपको एक ही बात (करना) है कि जन-जन के लिए, उसके विचारों (को) (परिशो) शोधन करने के लिए, ब्रेन वॉशिंग (brain washing) के लिए, दिमाग की ---- सफाई --- के लिए, दिमाग में नई स्थापना करने के लिए, (आप) कुछ कदम बढ़ाने चाहिए।

ये जो शिक्षण है यहाँ का - समाज की इतनी महती आवश्यकता को पूरा करने के लिए सिखाया जा रहा है। इसीलिए नहीं सिखाया जा रहा कि आप यहाँ वक्ता हो जाएँ और कहीं से कुछ पैसे ले आया करें।

41. (इसीलिए) संगीत (नहीं) नहीं सिखाया (जा) जा रहा है कि आप ---- नाचना ---- सीखें। इसलिए आपको जड़ी-बूटी चिकित्सा नहीं सिखाई जा रही है कि आप यहाँ रह कर के कोई दवाखाना खोलें, और अस्पताल खोलें, और कोई मालदार बनें।

(नहीं) मालदारी हमारा उद्देश्य नहीं है - मालदारी का (दूसरे) दुकानों का उद्देश्य है। आपको मालदार बनना हो तो दूसरी दुकानों पे जाना चाहिए। हमारे पास (तो) एक ही दुकान है  

42. अध्यात्म के पास तो ---- एक ---- ही हथियार है कि लोगों के विचारों को बदल दे, और दृष्टिकोण को बदल दे, और भावनाओं को बदल दे, और ईमान को बदल दे - ये बदल देने के बाद में दुनिया बदल जाती है।

43. मन:स्थिति बदल जाने के बाद में परिस्थितियाँ बदल जाती हैं - बात सही है। (तो) आदमी की मन:स्थिति को (कै कै) कैसे बदला जाए? आदमी की मन:स्थिति को बदलने के लिए वही किया जा रहा है जो आपको ---- सिखाते ---- हैं। आपको वाणी का उपयोग सिखाते हैं - ये सबसे बड़ा हथियार है

वाणी का उपयोग - नारद जी ने इसी का उपयोग किया था और नारद जी ने (वाल्मीकि) का दिमाग बदल दिया था - नारद जी ने प्रह्लाद का दिमाग बदल दिया था - नारद जी ने पार्वती का दिमाग बदल दिया था - नारद जी ने ध्रुव का दिमाग बदल दिया था।

इसी वाणी का उपयोग अगर ठीक (तरीके) से किया जा सके, तो आप विश्वास रखिए, लोगों के दिल और दिमागों को बदलने में बहुत बड़ा योगदान मिल सकता है। सिनेमा देखा ना आपने - दृश्य और श्रव्य – दो (ही) चीज़ों (का मिला) मिलाने के पश्चात (में) सिनेमा कितना हावी हो गया है - लोगों (के) के विचार और ध्यान को (ब में) बदलने में उसने (भला) या (बुरा) कितनी भूमिका निभाई है।

आपको वाणी का, दृश्य और श्रव्य का, यहाँ शिक्षण दिया जा (रहा है) - (ये) इतने पैने हथियार हैं - अगर आप इन हथियारों का उपयोग कर सकें, तो आज की अवांछनीय परिस्थितियों से लोहा लेने में समर्थ बन (सकते)।  

44. कल का उज्ज्वल भविष्य हमको बनाना है, उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिए जिन तैयारियों की ज़रूरत है, उन तैयारियों में आदमी को अपने विचार करने की शैली बदलना बहुत ---- ज़रूरी ---- है।

(सा ना बहुत) इसके लिए आपको वाणी की (ज़रूरत) - आपको (हृदय को) हृदय को गुदगुदाने के लिए संगीत की ज़रूरत - सेवा के लिए जड़ी-बूटियों की ज़रूरत - ऐसे थोड़े-थोड़े काम आपको सिखाए गए हैं।

45. आदर्श वाक्य दीवारों पे लिख कर के लोगों (के) के ---- दिलों ---- और दिमागों को घुमा देने का प्रयत्न, अचेतन मन को घुमा देने का प्रयत्न - वगैरह ये बहुत सी चीज़ें ऐसी हैं जो बड़े ऊँचे उद्देश्यों से संबंध रखती (हैं)।

46. आप उनकी गहराई में विचार करना, तब आपको महत्व ---- मालूम ---- पड़ेगा, तभी आप उसको सच्चे मन से करेंगे।

अगर आपको महत्व न मालूम पड़ा, तब फिर आप सच्चे मन से उस काम (को) कर (नहीं सकेंगे) - कर नहीं सकेंगे - (उसका) महत्व (ही नहीं) समझेंगे (समझेंगे) - अरे साहब क्या प्रज्ञा पुराण - हमें कथा कहनी है क्या? (अ) देखिए, प्रवचन कराना है - हमको कोई प्रवचन करने के हैं?हमें कोई जड़ी-बूटी सिखाई जा रही हैै - हम कोई जड़ी-बूटी फैलाएँगे क्या? (आ आ आ) हमको संगीत सिखाया जा रहा है, हम (क) क्या करेंगे?आपके व्यक्तिगत जीवन में, आर्थिक (दृष्टि) से (भली से) इन (चीज़) का कोई महत्व न हो, लेकिन 

47. आप विश्वास रखिए जो कुछ भी सिखाया जा रहा है, (अगर) आप (बाहर) सच्चे मन से सीखने की कोशिश करेंगे, तो आपके भीतर एक ऐसी नवीनता, और एक ऐसी ---- विशेषता ---- पैदा होगी, जिसकी वजह से आप अपना भला कर सकते हैं, समाज का भला कर सकते हैं, अपनी अन्तरात्मा को ऊँचा उठा सकते हैं, और दूसरों की अन्तरात्मा को ऊँचा उठा सकते हैं।

मेहंदी पीसने वाला दूसरों के हाथ तो लाल करता ही है, पर (उस) पिसाई की वजह से उसके अपने (अपने) हाथ अनायास ही लाल हो जाते हैं।  

48. आप लोकमंगल की बात विचार कीजिए, जन-साधारण (की) विचार कीजिए, जन-कल्याण की बात विचार कीजिए - साथ-साथ में आप ये देखिए, जैसे आप दूसरों (के लिए) सेवा करते हैं, दूसरों के लिए कष्ट उठाते हैं, भगवान आपके लिए कष्ट उठाएगा, ---- समाज ---- आपके लिए कष्ट उठाएगा, समाज आपका सहयोग करेगा, जनता आपका सहयोग करेगी

(विश्व) मानव आपका (सहयोग को) करेगा। इसीलिए आपको दूसरों का सहयोग अर्जित करने के लिए, भगवान के नज़दीक आना चाहिए - (और) 

49. भगवान के नज़दीक आने का ---- मतलब ---- ये है (कि) - ऊँचे विचारों का समुच्चय - ऊँचे विचारों को फैलाने के लिए आप को (ह) हर (चंद) प्रयत्न करना चाहिए।

साहित्य का प्रयोग कैसे किया जा सकता है हमने बता दिया - लेकिन (ज) जन-जन के पास (तो) जाना ही पड़ेगा - जन-जन को परामर्श तो देना ही पड़ेगा। अगर आप परामर्श नहीं दें - तो फिर अपनेआप किताबों से ही काम हो जाएगा - (आपका) परामर्श की ज़रूरत क्या पड़ेगी? नहीं, ज़रूरत है, बहुत ज़रूरत है - आपको व्यक्ति के पास जा कर के अपनी क्षमता और (प्र प्र प्र) प्रतिभा की छाप उन पे डालनी चाहिए, और छाप डालने के बाद में ये कोशिश करनी चाहिए कि आप 

50. बराबर ऐसे परामर्श दें - (आया) मिलजुल के (बै) बातचीत करने में, (आया) विचार गोष्ठी के रूप में, (आया) सम्मेलनों के रूप में - किसी न किसी रूप में आप जनता के लिए ये ---- प्रयत्नशील ---- रहिए कि उनके विचार बदल दिए जाएँ, (भावना) बदल दी जाएँ

और (घिनौनी) ज़िंदगी (को) परित्याग कर के, इनके अन्दर (ऐसे विवेक) पैदा किया जाए (कि ज) जन-समाज के लाभ के लिए (बड़े) बड़े से बड़े काम बिना हिम्मत खोए कर सकें।

आज यही कहना था आप (लोगों से)।

समाप्त