आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

9. आत्मबोध और तत्वबोध की साधना

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - अपने भारतीय धर्म में, संध्या-वंदन के दो समय (नियत हैं) - एक प्रात:काल, एक सायंकाल - जो रात्रि और दिन दोनों मिलते हैं, तब उसको ------- कहते हैं।

2 - ये संध्या, आध्यात्मिक जीवन में एक और तरीके से भी हम कर सकते हैं - सोने को रात मान लें, और जागने को दिन मान लें। तब, तब फिर प्रात:काल का, और सायंकाल (की) संध्या-वंदन का ------- समय वो बनेगा, जब कि आदमी सो कर के उठेगा, अथवा सोएगा।

3 - दो समय संध्या-वंदन - आप इसको भूलना मत। इसमें सिवाय आपकी लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी के, और कोई ------- इसमें नहीं हो सकती। आप चाहें तो नियमित रूप से, हर परिस्थितियों में, बीमारी में भी, सफर में भी, कहीं भी, कहीं भी, कहीं भी आप कर सकते हैं, और ये करनी चाहिए।

4 - क्या करें? क्या कहना चाहिए? क्या ------- करना चाहिए? आपको इन दोनों समय में, आत्मबोध और तत्वबोध की साधना करनी चाहिए।

5 - प्रात:काल जब उठा करें, तो आप अपनेआप का एक नया जन्म हुआ अनुभव किया कीजिए। ये अनुभव किया कीजिए कि रात को सोने का अर्थ है - ------- जन्म; और अब सबेरे उठने का (ज) है नया जन्म - जब आँख खुली तब नया जन्म।

6 - नए जन्म में क्या करना चाहिए? आपकी सारी ------- इस बात पर टिकी हुई है, (कि आप) अपने जीवन की सम्पदा का किस तरीके से उपयोग किया।

7 - ये मानना सही नहीं है कि ये जन्म भजन करने के लिए मिला हुआ है। भजन करने के लिए नहीं मिला हुआ है - ------- करने के लिए मिला हुआ है, और इसलिए मिला हुआ है कि आप इस जन्म की सम्पदा को ठीक तरीके से इस्तेमाल करें। ये आपकी परीक्षा है।

8 - अगर आप ये पहली परीक्षा, जो भगवान ने आपको मनुष्य का जीवन देकर के (दी है) ली है, उसमें एक ही आपका फर्ज़ हो जाता है, कि आपको इसको अच्छे से अच्छा उपयोग कर के दिखाना (है) - बस, भगवान ने यही अपेक्षा की है (आपने, और यही) आपसे, और यही उसकी ------- है, और यही वो चाहता है।

9 - न आपसे पूजा चाहता है, न (उपवास) चाहता है, न भजन चाहता है, न आपके (लिए) उपहार चाहता है, न मिठाई चाहता है, न कपड़े चाहता है, न कीर्तन चाहता है, न कथा चाहता है - इन बातों से भगवान का कतई, कोई ताल्लुक नहीं है - ये तो अपनेआप के ------- की प्रक्रियाएँ हैं

10 - जिसे न जाने क्यों लोगों ने ये मान लिया है कि इससे भगवान प्रसन्न हो जाएगा - आप विश्वास रखें, इससे भगवान किसी प्रकार प्रसन्न नहीं हो सकता। इससे (आपका) जीवन का संशोधन करने में, और अपने कषाय-कल्मष को निवारण करने में तो सहायता मिल सकती है, इसमें ------- नहीं

11 - भगवान ने अपनी सबसे बहुमूल्य सम्पत्ति आपके हाथ में सुपुर्द कर दी। इससे बड़ी सम्पत्ति भगवान के ------- में कोई नहीं है, आप विश्वास रखें - मनुष्य के जीवन से बढ़ के और क्या हो सकता है?

12 - क्या अच्छा उपयोग बन सकता है? दो ही अच्छे उपयोग हैं - एक तो आप स्वयं में, अपनेआप को ऐसा बनाएँ, जिसको (कि) आदर्श कहा जा सकता हो - दूसरों के सामने आपका उदाहरण इस तरीके से पेश होना चाहिए, जिसको देख कर के दूसरे आदमियों को ------- मिले, रोशनी मिले, (आप) पीछे चलने का मौका मिले

13 - आपकी अंतरात्मा, कषाय और कल्मषों से परिशोधन करती हुई, और साफ और ------- बनती चली जाए - ये आपका स्वार्थ है।

14 - परमार्थ आपका ये है - ये भगवान की ------- वाटिका, जिसमें आपको काम करने के लिए भेजा गया है - एक अच्छे माली की तरीके से काम करें 

15 - आपको हाथ बँटाने के लिए पैदा किया गया है - खुशामदें करने के लिए नहीं, नाक रगड़ने के लिए नहीं, ------- करने के लिए नहीं, चमचागिरि करने के लिए नहीं, मिठाई (उपहास) उपहार भेंट करने के लिए नहीं पैदा किया गया है। आपको सिर्फ इसलिए पैदा किया गया है कि आप बेहतरीन जिंदगी जिएँ। इसके लिए क्या करना चाहिए?

16 - आपको सबेरे उठते ही, ये ध्यान करना चाहिए, प्रात:काल चारपाई पे पड़े-पड़े - आज हमारा नया जन्म हुआ (है), और हमको इतनी बड़ी कीमत मिली, (स) सम्पत्ति मिली, जिसकी तुलना में और किसी प्राणी को (और) कोई चीज़ नहीं (दिया) है। आप अपनेआप को ------- अनुभव कीजिए, भाग्यशाली अनुभव कीजिए।

17 - ये प्रयोग एक दिन के जीवन से करना चाहिए। एक दिन - जिस दिन आप सो कर के उठें, उसी दिन ये रखिए कि बस एक ही दिन हमारे लिए जिंदगी का है, और इस आज के दिन को हम अच्छे से अच्छा बना कर के दिखाएँगे। बस (इतना) बात कर लें, तो आप इसी ------- को रोज-रोज अपनाते हुए, सारी जिंदगी को भी अच्छा बना सकते हैं।

18 - एक-एक दिन को हिसाब से जोड़ देने का मतलब होता है - सारे समय को और सारी जिंदगी को ठीक तरह से और ------- बना देना। 

19 - प्रात:काल उठा कीजिए और ये ध्यान किया कीजिए - नया जन्म - हर दिन नया जन्म - हर दिन नया जन्म को प्रात:काल से ले के सायंकाल तक आप कैसे ------- करेंगे, इसके लिए एक टाइम-टेबल सबेरे उठ के बना लेना चाहिए।

20 - आप क्या करेंगे? और कैसे करेंगे? क्यों करेंगे? क्रिया के साथ-साथ में चिंतन को आप जोड़ दीजिए। चिंतन और क्रिया को, दोनों को जोड़ देते हैं, तो एक ------- बात बन जाती है।

21 - एक ऐसा टाइम-टेबल बनावें, जिसको सिद्धांतवादी कहा जा सके, ------- कहा जा सके। इसमें भगवान की हिस्सेदारी रखिए। शरीर के लिए भी गुजारे का समय निकालिए, भगवान के लिए भी समय गुजारे का निकालिए।

22 - आत्मा भी तो कुछ है, आत्मा के लिए भी तो कुछ किया जाना चाहिए। सब कुछ शरीर को ही खिलाने और पिलाने के लिए आप करेंगे- ऐसा क्यों करेंगे? आत्मा (का) कोई वकत नहीं है? आत्मा की कोई इज्जत नहीं है? आत्मा का कोई ------- नहीं है? आत्मा से आपका कोई संबंध नहीं है?

23 - अगर है, तो फिर आपको ऐसा करना पड़ेगा- उसके साथ-साथ में (दिन) दिनचर्या में आदर्शवादी ------- को मिला के रखना पड़ेगा।

24 - आप स्वाध्याय का दैनिक जीवन में स्थान (रखिए), आप सेवा का दैनिक जीवन में स्थान रखिए, आप उपासना का दैनिक जीवन में स्थान रखिए। इन सब बातों का, ------- जीवन का आप अभ्यास कर लें, तो बस, आपका सबेरे प्रात:काल (वाली) संध्या-वंदन पूरा हो जाएगा।

25 - जीवन की अनुभूति, जीवन की महत्ता की अनुभूति, जीवन के ------- की अनुभूति - साथ-साथ में सायंकाल तक के सोते समय तक के (सारे के) सारी (कार्यविधि) कार्यविधि का (निर्धारण)। 

26 - बहुत अधिक आवश्यक ये है कि आप ------- का भरा हुआ टाइम-टेबल और कार्यक्रम सबेरे बना लें; उस पर चलें। न केवल बना लें (पर कि) ये भी ध्यान रखें हर समय, कि जो सबेरे (कार्य) कार्य पद्धति बनाई गई थी वो ठीक तरीके से पूरी होती है कि नहीं।

27 - विश्राम भी रखें - (ये) कोई नहीं कहता विश्राम नहीं रखना चाहिए - लेकिन विश्राम भी एक समय से होना चाहिए, ------- से होना चाहिए, (और) विधि से होना चाहिए।

28 - काम करने की शैली - कर्मयोग - कर्मयोग को अगर आप अपने ------- में मिला दें, संध्या-वंदन में मिला दें, और (सारे के सारे) (दिन) दिनचर्या को आप भगवान का सौंपा हुआ कर्म मान के चलें, तो बस समझिए आपकी प्रात:काल की संध्या पूर्ण हो गई।

29 - अन्त वो है जिसमें भगवान के दरवाजे पे जाना ही पड़ेगा, भगवान की कचहरी में आपको पेश होना ही होना पड़ेगा, इससे कोई ------- नहीं हो सकती है। 

30 - आपको यहाँ से जाने के बाद में ------- भगवान के दरबार में जाना पड़ेगा, और सिर्फ एक बात का जवाब देना पड़ेगा - आपने इस जिंदगी का कैसे इस्तेमाल किया?

31 - (अगर) आपने ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया है तो भगवान आपसे बेहद नाराज होंगे, भली से आपने अनुष्ठान किए हों, तीर्थयात्रा की हो, उपवास किए हों, ------- लगाए हों, या जो भी किया हो, इससे भगवान को कोई समाधान होने वाला नहीं है।

32 - अगर मुझे ये मालुम होता कि मेरे साथ में सिर्फ पुण्य-पाप ही जाने वाला है, तो मैं इस छोटी सी जिंदगी को गुनाहों से भरी हुई न बनाता। फिर मैं बुद्ध (की) तरीके से जिआ होता, ------- (की) तरीके से जिआ होता

33 - सायंकाल को दिन भर के कार्यों की समीक्षा किया कीजिए, और समीक्षा करने के बाद में जो मालुम पड़े (हम) गल्ती की, उसके (आपके) लिए धिक्कारिए भी, ------- भी, और इस बात के लिए रज़ामंद कीजिए कि (जो कुछ) आज गल्ती रह गई हों, आज जो कमियाँ रह गई हों, वो कल कमी (न) नहीं रहेंगी। कल हम उस कमी को पूरा कर देंगे।

34 - आज की गल्तियों का और आज की सफलताओं का अनुमान लगाते हुए, कल की बात की आप तैयारी कर सकते हैं। कल हमको कैसे जीना है - रात को तय कर लीजिए न - रात को तय कर लेंगे तो दूसरे दिन आपको ------- मिलेगी।

35 - आप उतनी ही क्यों न कमाएँ, जिससे कि आप ईमानदारी के साथ में अपने लोक और परलोक को बनाए रह सकते हैं। आप अपने खर्च उतने क्यों न रखें, जिससे कि सीमित ------- से ही (औ) आदमी का गुजारा बन सकता है।

36 - अपने फर्ज़, कर्तव्य और बुद्धिमत्ता के बारे में विचार करेंगे, तो आपको ऐसी हजारों बातें समझ पड़ेंगी, जिसके आधार पर आपका ये (ज) जन्म सार्थक हो सके, और आप अध्यात्मवाद के सच्चे ------- और उत्तराधिकारी बन सकें।

1 - अपने भारतीय धर्म में, संध्या-वंदन के दो समय (नियत हैं) - एक प्रात:काल, एक सायंकाल - जो रात्रि और दिन दोनों मिलते हैं, तब उसको ---संध्याकाल ---- कहते हैं।

2 - ये संध्या, आध्यात्मिक जीवन में एक और तरीके से भी हम कर सकते हैं - सोने को रात मान लें, और जागने को दिन मान लें। तब, तब फिर प्रात:काल का, और सायंकाल (की) संध्या-वंदन का ---आध्यात्मिक ---- समय वो बनेगा, जब कि आदमी सो कर के उठेगा, अथवा सोएगा।

3 - दो समय संध्या-वंदन - आप इसको भूलना मत। इसमें सिवाय आपकी लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी के, और कोई ----बाधा --- इसमें नहीं हो सकती। आप चाहें तो नियमित रूप से, हर परिस्थितियों में, बीमारी में भी, सफर में भी, कहीं भी, कहीं भी, कहीं भी आप कर सकते हैं, और ये करनी चाहिए।

4 - क्या करें? क्या कहना चाहिए? क्या ----विचार --- करना चाहिए? आपको इन दोनों समय में, आत्मबोध और तत्वबोध की साधना करनी चाहिए।

5 - प्रात:काल जब उठा करें, तो आप अपनेआप का एक नया जन्म हुआ अनुभव किया कीजिए। ये अनुभव किया कीजिए कि रात को सोने का अर्थ है - ----पिछला --- जन्म; और अब सबेरे उठने का (ज) है नया जन्म - जब आँख खुली तब नया जन्म।

6 - नए जन्म में क्या करना चाहिए? आपकी सारी ---बुद्धिमानी ---- इस बात पर टिकी हुई है, (कि आप) अपने जीवन की सम्पदा का किस तरीके से उपयोग किया।

7 - ये मानना सही नहीं है कि ये जन्म भजन करने के लिए मिला हुआ है। भजन करने के लिए नहीं मिला हुआ है - ---कर्तव्य ---- करने के लिए मिला हुआ है, और इसलिए मिला हुआ है कि आप इस जन्म की सम्पदा को ठीक तरीके से इस्तेमाल करें। ये आपकी परीक्षा है।

8 - अगर आप ये पहली परीक्षा, जो भगवान ने आपको मनुष्य का जीवन देकर के (दी है) ली है, उसमें एक ही आपका फर्ज़ हो जाता है, कि आपको इसको अच्छे से अच्छा उपयोग कर के दिखाना (है) - बस, भगवान ने यही अपेक्षा की है (आपने, और यही) आपसे, और यही उसकी ---उम्मीद ---- है, और यही वो चाहता है।

9 - न आपसे पूजा चाहता है, न (उपवास) चाहता है, न भजन चाहता है, न आपके (लिए) उपहार चाहता है, न मिठाई चाहता है, न कपड़े चाहता है, न कीर्तन चाहता है, न कथा चाहता है - इन बातों से भगवान का कतई, कोई ताल्लुक नहीं है - ये तो अपनेआप के ---परिशोधन ---- की प्रक्रियाएँ हैं

10 - जिसे न जाने क्यों लोगों ने ये मान लिया है कि इससे भगवान प्रसन्न हो जाएगा - आप विश्वास रखें, इससे भगवान किसी प्रकार प्रसन्न नहीं हो सकता। इससे (आपका) जीवन का संशोधन करने में, और अपने कषाय-कल्मष को निवारण करने में तो सहायता मिल सकती है, इसमें ---संदेह ---- नहीं

11 - भगवान ने अपनी सबसे बहुमूल्य सम्पत्ति आपके हाथ में सुपुर्द कर दी। इससे बड़ी सम्पत्ति भगवान के ---खजाने ---- में कोई नहीं है, आप विश्वास रखें - मनुष्य के जीवन से बढ़ के और क्या हो सकता है?

12 - क्या अच्छा उपयोग बन सकता है? दो ही अच्छे उपयोग हैं - एक तो आप स्वयं में, अपनेआप को ऐसा बनाएँ, जिसको (कि) आदर्श कहा जा सकता हो - दूसरों के सामने आपका उदाहरण इस तरीके से पेश होना चाहिए, जिसको देख कर के दूसरे आदमियों को ---प्रकाश ---- मिले, रोशनी मिले, (आप) पीछे चलने का मौका मिले

13 - आपकी अंतरात्मा, कषाय और कल्मषों से परिशोधन करती हुई, और साफ और ---स्वच्छ ---- बनती चली जाए - ये आपका स्वार्थ है।

14 - परमार्थ आपका ये है - ये भगवान की ---विश्व ---- वाटिका, जिसमें आपको काम करने के लिए भेजा गया है - एक अच्छे माली की तरीके से काम करें 

15 - आपको हाथ बँटाने के लिए पैदा किया गया है - खुशामदें करने के लिए नहीं, नाक रगड़ने के लिए नहीं, ----चापलूसी --- करने के लिए नहीं, चमचागिरि करने के लिए नहीं, मिठाई (उपहास) उपहार भेंट करने के लिए नहीं पैदा किया गया है। आपको सिर्फ इसलिए पैदा किया गया है कि आप बेहतरीन जिंदगी जिएँ। इसके लिए क्या करना चाहिए?

16 - आपको सबेरे उठते ही, ये ध्यान करना चाहिए, प्रात:काल चारपाई पे पड़े-पड़े - आज हमारा नया जन्म हुआ (है), और हमको इतनी बड़ी कीमत मिली, (स) सम्पत्ति मिली, जिसकी तुलना में और किसी प्राणी को (और) कोई चीज़ नहीं (दिया) है। आप अपनेआप को ---सौभाग्यवान ---- अनुभव कीजिए, भाग्यशाली अनुभव कीजिए।

17 - ये प्रयोग एक दिन के जीवन से करना चाहिए। एक दिन - जिस दिन आप सो कर के उठें, उसी दिन ये रखिए कि बस एक ही दिन हमारे लिए जिंदगी का है, और इस आज के दिन को हम अच्छे से अच्छा बना कर के दिखाएँगे। बस (इतना) बात कर लें, तो आप इसी ----क्रम --- को रोज-रोज अपनाते हुए, सारी जिंदगी को भी अच्छा बना सकते हैं।

18 - एक-एक दिन को हिसाब से जोड़ देने का मतलब होता है - सारे समय को और सारी जिंदगी को ठीक तरह से और ----सुव्यवस्थित --- बना देना। 

19 - प्रात:काल उठा कीजिए और ये ध्यान किया कीजिए - नया जन्म - हर दिन नया जन्म - हर दिन नया जन्म को प्रात:काल से ले के सायंकाल तक आप कैसे ---उपयोग ---- करेंगे, इसके लिए एक टाइम-टेबल सबेरे उठ के बना लेना चाहिए।

20 - आप क्या करेंगे? और कैसे करेंगे? क्यों करेंगे? क्रिया के साथ-साथ में चिंतन को आप जोड़ दीजिए। चिंतन और क्रिया को, दोनों को जोड़ देते हैं, तो एक ---समग्र ---- बात बन जाती है।

21 - एक ऐसा टाइम-टेबल बनावें, जिसको सिद्धांतवादी कहा जा सके, ---आदर्शवादी ---- कहा जा सके। इसमें भगवान की हिस्सेदारी रखिए। शरीर के लिए भी गुजारे का समय निकालिए, भगवान के लिए भी समय गुजारे का निकालिए।

22 - आत्मा भी तो कुछ है, आत्मा के लिए भी तो कुछ किया जाना चाहिए। सब कुछ शरीर को ही खिलाने और पिलाने के लिए आप करेंगे- ऐसा क्यों करेंगे? आत्मा (का) कोई वकत नहीं है? आत्मा की कोई इज्जत नहीं है? आत्मा का कोई ---मूल्य ---- नहीं है? आत्मा से आपका कोई संबंध नहीं है?

23 - अगर है, तो फिर आपको ऐसा करना पड़ेगा- उसके साथ-साथ में (दिन) दिनचर्या में आदर्शवादी ---सिद्धांतों---- को मिला के रखना पड़ेगा।

24 - आप स्वाध्याय का दैनिक जीवन में स्थान (रखिए), आप सेवा का दैनिक जीवन में स्थान रखिए, आप उपासना का दैनिक जीवन में स्थान रखिए। इन सब बातों का, -----समन्वित -- जीवन का आप अभ्यास कर लें, तो बस, आपका सबेरे प्रात:काल (वाली) संध्या-वंदन पूरा हो जाएगा।

25 - जीवन की अनुभूति, जीवन की महत्ता की अनुभूति, जीवन के -----लक्ष्य -- की अनुभूति - साथ-साथ में सायंकाल तक के सोते समय तक के (सारे के) सारी (कार्यविधि) कार्यविधि का (निर्धारण)। 

26 - बहुत अधिक आवश्यक ये है कि आप ----व्यस्तता --- का भरा हुआ टाइम-टेबल और कार्यक्रम सबेरे बना लें; उस पर चलें। न केवल बना लें (पर कि) ये भी ध्यान रखें हर समय, कि जो सबेरे (कार्य) कार्य पद्धति बनाई गई थी वो ठीक तरीके से पूरी होती है कि नहीं।

27 - विश्राम भी रखें - (ये) कोई नहीं कहता विश्राम नहीं रखना चाहिए - लेकिन विश्राम भी एक समय से होना चाहिए, ---टाइम ---- से होना चाहिए, (और) विधि से होना चाहिए।

28 - काम करने की शैली - कर्मयोग - कर्मयोग को अगर आप अपने ---ज्ञानयोग ---- में मिला दें, संध्या-वंदन में मिला दें, और (सारे के सारे) (दिन) दिनचर्या को आप भगवान का सौंपा हुआ कर्म मान के चलें, तो बस समझिए आपकी प्रात:काल की संध्या पूर्ण हो गई।

29 - अन्त वो है जिसमें भगवान के दरवाजे पे जाना ही पड़ेगा, भगवान की कचहरी में आपको पेश होना ही होना पड़ेगा, इससे कोई -----बचत -- नहीं हो सकती है। 

30 - आपको यहाँ से जाने के बाद में --सीधे ----- भगवान के दरबार में जाना पड़ेगा, और सिर्फ एक बात का जवाब देना पड़ेगा - आपने इस जिंदगी का कैसे इस्तेमाल किया?

31 - (अगर) आपने ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया है तो भगवान आपसे बेहद नाराज होंगे, भली से आपने अनुष्ठान किए हों, तीर्थयात्रा की हो, उपवास किए हों, -----तिलक -- लगाए हों, या जो भी किया हो, इससे भगवान को कोई समाधान होने वाला नहीं है।

32 - अगर मुझे ये मालुम होता कि मेरे साथ में सिर्फ पुण्य-पाप ही जाने वाला है, तो मैं इस छोटी सी जिंदगी को गुनाहों से भरी हुई न बनाता। फिर मैं बुद्ध (की) तरीके से जिआ होता, ---सुकरात ---- (की) तरीके से जिआ होता

33 - सायंकाल को दिन भर के कार्यों की समीक्षा किया कीजिए, और समीक्षा करने के बाद में जो मालुम पड़े (हम) गल्ती की, उसके (आपके) लिए धिक्कारिए भी, ---धमकाइए ---- भी, और इस बात के लिए रज़ामंद कीजिए कि (जो कुछ) आज गल्ती रह गई हों, आज जो कमियाँ रह गई हों, वो कल कमी (न) नहीं रहेंगी। कल हम उस कमी को पूरा कर देंगे।

34 - आज की गल्तियों का और आज की सफलताओं का अनुमान लगाते हुए, कल की बात की आप तैयारी कर सकते हैं। कल हमको कैसे जीना है - रात को तय कर लीजिए न - रात को तय कर लेंगे तो दूसरे दिन आपको --सुगमता----- मिलेगी।

35 - आप उतनी ही क्यों न कमाएँ, जिससे कि आप ईमानदारी के साथ में अपने लोक और परलोक को बनाए रह सकते हैं। आप अपने खर्च उतने क्यों न रखें, जिससे कि सीमित ----जीविका --- से ही (औ) आदमी का गुजारा बन सकता है।

36 - अपने फर्ज़, कर्तव्य और बुद्धिमत्ता के बारे में विचार करेंगे, तो आपको ऐसी हजारों बातें समझ पड़ेंगी, जिसके आधार पर आपका ये (ज) जन्म सार्थक हो सके, और आप अध्यात्मवाद के सच्चे ---अनुयायी---- और उत्तराधिकारी बन सकें।