आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

23. पारिवारिक जीवन में कर्मयोग

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. जो आपको सिद्धांतों की बहुत सी (बात) बताईं, वो तो आपको ------- विचार क्षेत्र में स्थिर रखने की हैं, और भावना क्षेत्र में समावेश करने की हैं।

2. लेकिन विचार क्षेत्र और भावना क्षेत्र, इन ------- क्षेत्रों के अलावा भी एक क्षेत्र बच जाता है, वो है - क्रिया क्षेत्र - आपको करना क्या चाहिए? अब ये स्पष्ट ले के जाइए।

3. करने को मैं सब कुछ तो नहीं समझता - (चिंतन को भी) चिंतन की और भावना की भूमिका मैं बहुत ------- समझता हूँ - लेकिन तो भी कृत्यों के बारे में लापरवाह नहीं हो सकते - कृत्यों की उपेक्षा भी नहीं कर सकते - कर्म की उपेक्षा हम कैसे करेंगे?

4. ज्ञान का अपना स्थान हो सकता है, भक्ति का अपना स्थान है, लेकिन कर्मयोग भी तो कोई चीज़ है - गीता में तो कर्मयोग का ही ------- किया है। 

5. कर्म आपको क्या करने हैं यहाँ से जा कर के, इसके बारे में थोड़ी सी, संक्षेप में आपको जानकारी कराए देते हैं - इनको आप नोट रखिए, (और) यहाँ से जाने के बाद में इन ------- के बारे में बहुत सावधानी से (अप) अपना आचरण कीजिए।

6. साधना भी चिकित्सा (की) तरीके से है - व्यायाम (की) तरीके से (है) - आप व्यायाम समय पर करेंगे, नियमित ------- से करेंगे, तो व्यायाम का (फायदा प) फायदा मिलेगा।

7. आप यहाँ से जाने के बाद में (आपनी) उपासना को बिल्कुल नियमित बना लीजिए - उसमें आलस्य की वजह से, प्रमाद की वजह से, कभी कोई गल्ती न होने पावे - इसके लिए आप दो नियम, दो ------- लगा दीजिए - भोजन (से के) से पहले, अथवा सोने से पहले।

8. कोई व्यस्त ऐसा नहीं है (कि) जो आधा घंटे का समय नहीं ------- सकता हो - न्यूनतम् उपासना आधा घंटे की हमने बना दी है - और आधा घंटे की उपासना को प्रज्ञायोग कहा है

9. प्रज्ञायोग तो आपने पढ़ लिया होगा - (प्रज्ञा) में ही सारी बातें - जप बता दिया, ध्यान, चिंतन, मनन, (और वो) जीवन की साधना, (व) समग्र साधनाएँ - ऐसी ------- - इससे अच्छा कॉम्बिनेशन (combination) साधना का (आप) कहीं नहीं (मिल) सकता

10. इसमें ब्रह्मविद्या से लेकर के, तपश्चर्या तक का, (और) योगाभ्यास से लेकर के संयम साधना तक का, ------- समावेश हो गया है।

11. आप उस प्रज्ञायोग (की) नियम बना लीजिए - आधा घंटे में पूरा हो जाता है। आधा घंटे के ------- से दैनिक उपासना आप करते रहिए - इतना तो आप कम से कम कर सकते हैं

12. दस पैसे कम से कम हैं - दस पैसे तो आप (लोकहित) के लिए निकालिए ही निकालिए - ज्यादा - बंधन नहीं है - आप चाहे (जितना निकालिए) - दस रुपये रोज़ निकालिए - कौन मना करता है ------- ।

13. इसी तरीके से एक घंटा समय - समय की ------- कही है - वो न्यूनतम् है - इससे कम मत कीजिए, ज्यादा भले कीजिए।

14. उपासना का मतलब सिर्फ एक है - अपने कलुष (और) कषायों का परिष्कार - अपनी पात्रता का सम्वर्धन - अपने गुण, कर्म और स्वभाव (में) विशेषताओं का -------

15. उपासना को आप कामनाओं के साथ मत जोड़िए - उपासना को जब आप कामनाओं के साथ जोड़ देते हैं, तो (उसको आप उ उस) उसका स्वरूप ही नष्ट हो जाता है - और वो एक घिनौनी ------- बन जाती है - उसका महत्व सब चला जाता है।

16. अपनी उपासना को आत्म-परिष्कार के लिए, और, अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए, और, अपने गुण, कर्म और स्वभाव के सम्वर्धन के लिए - ------- इसी (के) उपासना का लक्ष्य रखना।

17. आप एक अच्छा रास्ता (अख्तियार) करते हैं, अपने पैरों पे खड़े हो जाते हैं, अपनी राह ------- बना लेते हैं - (ये) क्या चमत्कार नहीं है? इससे बड़ा और क्या चमत्कार हो सकता है? आप (इ) इतना ही चमत्कार काफी मानिए।

18. आप अपने भीतर से अंत:प्रेरणा को विकसित होने दीजिए - और (ये) ये अनुभव होने दीजिए, कि भगवान के नज़दीक आने के बाद में, (उन) उनकी विशेषताओं का लाभ मिलेगा - उनकी सहायता का नहीं - उनकी ------- का - उनकी प्रेरणाओं का लाभ मिलेगा

19. आलस्य और प्रमाद को मैं इसी संज्ञा में गिनता हूँ - शरीर की ------- से जो आदमी निकम्मे बैठे रहते हैं, निठल्ले बैठे रहते हैं, पसीना बहाते नहीं हैं, और समय को बरबाद करते रहते हैं, इन आलसियों को मैं क्या कहूँ 

20. और उन (प्र प्र) प्रमादियों को क्या कहूँ जो बैल (की) तरीके से मेहनत तो करते ------- हैं, पर (उसमें) मनोयोग लगाते ही नहीं हैं, दिलचस्पी लेते ही नहीं हैं

21. प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते ही नहीं हैं ------- को, उसकी बारीकियों में घुसते ही नहीं हैं - बाहर से सतही काम कर दिया, (मेहनत) (शरीर) से काम करा दिया, बेगार भुगत दी - बात कैसे बनी?

22. आप यहाँ से जाने के बाद में अपनी कार्य पद्धति में ये ------- शामिल करना - आलस्य और प्रमाद को हटा देना - आप ज़िम्मेदारी और वफादारी को शामिल करना - आप स्फूर्ति को शामिल करना

23. आप (अपनी) टाइम-टेबल बनाना, ------- बनाना, व्यस्त रहना, खाली समय मत जाने देना, विश्राम करना हो तो टाइम से विश्राम करना, (काम की) काम (को) चाल को धीमी मत करना

24. काम को जब करना हो तो पूरी स्फूर्ति और पूरी मेहनत से करना, (जिसके) जिससे उसका आउटपुट (output) तो ------- निकले

25. आप इस कुटुम्ब के मालिक हैं, और इनकी मर्जी को पूरा करके आप इनकी प्रसन्नता को ------- करें - आप ये ख्याल करते रहेंगे तो आपके कुटुम्ब में कभी शांति नहीं (होगी)।

26. आप अपने कुटुम्ब के बारे में दो, तीन बातें ख्याल रखिए - एक बात ये ख्याल रखिए कि ------- से हर आदमी को स्वावलम्बी बनाना है, अपने पैर पे खड़ा करना है।

27. संस्कारवान बनाइए - संस्कारवान आप बना सकते हैं - सम्पन्न बनाना तो आपके ------- की बात नहीं है

28. पढ़ने भी दीजिए, लेकिन पढ़ने के साथ-साथ में ये ------- मुमकिन है, कि इनको किसी न किसी रूप में आप घर का कोई ऐसा काम करा सकते हैं, जिससे (कि) पैसे (कमाने) कमाए नहीं जा सकते तो बचाए तो जा सकते हैं

29. आप अपने कुटुम्ब में पंचशीलों का समावेश कीजिए - ये पंचशील पंच (र र) रत्नों के बराबर (है) - श्रमशीलता, मेहनतकश - आपके कुटुम्ब के हर आदमी को ------- होना चाहिए, परिश्रमशील होना चाहिए

30. दूसरी बात है पंचशीलों में - सुव्यवस्था - (इसमें) सफाई भी आती है, सुसज्जा भी आती है - हर ------- को यथास्थान रखा जाए

31. समय की सुव्यवस्था, खान-पान की सुव्यवस्था, टाइम-टेबल की सुव्यवस्था, चीज़ें रखने की सुव्यवस्था, ------- की सुव्यवस्था

32. अपने घर में हर ओर देखिए कि आपका घर स्वच्छ रहता है कि (नहीं) - और (अ) आपके घरवालों (का) की दिनचर्या ------- है कि नहीं

33. सुव्यवस्था - सुव्यवस्था का आप ------- रखें तो ये परिवार का पंचशील है - शालीनता, शराफ़त, भलमनसाहत

34. शराफ़त को मत गँवाइए - शराफ़त को आप गँवा देंगे तो बहुत बुरी बात है - शालीनता को मत गँवाइए, सज्जनता आपकी सम्पदा है, (वो आपको) स्वभाव का ------- है

35. चौथा गुण ये है कि - मितव्ययिता - किफ़ायतशारी - पैसा कमाना (अन) समझदारी भी हो सकती है, लेकिन ------- ज्यादा समझदारी (उसके) पैसे को खर्च करने में है

36. आप (ने) अपने पैसे को ऐसे काम में खर्च कीजिए जिससे आपका हित होता हो, आपके बच्चों का हित होता हो, समाज का हित होता हो - किसी ------- के काम में खर्च कीजिए

37. अपव्यय में मत खर्च कीजिए, फैशन में मत खर्च कीजिए, ------- में मत खर्च कीजिए - अगर आप फिजूलखर्ची की आदत डाल लेंगे, तो आपके घर वाले लोग, थोड़े दिन में आप देख लेना, कर्ज़दार हो जाएंगे

38. मितव्ययिता का सूत्र - सादा जीवन उच्च विचार (का) का सूत्र - (जो) जिसका सादा जीवन होगा, जो ------- होगा, ऊँचा जीवन उसी का रह सकता है

39. पाँचवा सूत्र - सहकारिता - एक दूसरे को (सहकार हों) - ऐसे नहीं, खाना खाया और भागे - नहीं - (एक दूसरे के) - बड़े ------- से कहिए छोटे भाई को पढ़ाया करे एक घंटा

40. इसमें सहकारिता जुड़ी रहनी चाहिए - एक दूसरे की सेवा जुड़ी रहनी चाहिए - एक दूसरे के ------- मोहब्बत जुड़ी रहनी चाहिए

41. (अगर) आपने ये पाँच शील अपने कुटुम्ब में शामिल कर लिए, तो आप समझना, आप यहाँ जो (ले ले), यहाँ जो ------- हैं, पंचकोषों का जागरण कर के चले गए

42. पंचशीलों में फिर ------- बार याद रखिए - श्रमशीलता (एक) - सुव्यवस्था (दो) - सज्जनता (तीन) - मितव्ययिता (चार) - और, उदार सहकारिता (पाँच)

43. अपने जीवन में इनको लाइए पहले, फिर आपकी देखादेखी दूसरों में आएंगे - आप अपने भीतर इनको बढ़ाइए और दूसरों (के) को बढ़ाने के लिए ------- डालिए।

44. एक आँख प्यार की और एक आँख सुधार की, ------- से हर एक आदमी को (रख) रखनी चाहिए - अगर (आप) किसी को सुधारना है तो आप एक आँख टेढ़ी भी रखिए

45. आप सिर्फ अपना कर्तव्य ये मान के ------- - इनको पानी लगाना है, काट-छाँट करनी है, पानी लगाना है, काट-छाँट करनी है, रखवाली करनी

46. एक और काम करना कि अपनी ------- को, संकीर्णता को छोड़ के चले जाइए यहाँ से - आप उदार हो के चले जाइए

47. एक नई फेहरिस्त बताइए - (ये) दूसरों से ये ज्यादा, (ये ज) ये ज्यादा, दूसरों से, ------- से ये ज्यादा - अगर आप इस तरह की एक फेहरिस्त बना लें, तो आपको अपने सौभाग्य का कोई ठिकाना नहीं रहेगा।

48. आप क्या काम करेंगे? आप स्वाध्याय और सत्संग, इन दो क्रमों को आवश्यक (मानिए)। सत्संग किस ------- से करें?

49. अपने घरवालों को, लोगों को नसीहत देने (का), शिक्षा देने (का), कथा कहने की बात जारी रखिए - और स्वाध्याय को आप हर एक का ------- बना लीजिए

50. जो सत्संग बहुत ही शानदार ------- है, उसका तरीका है - स्वाध्याय - आप (कि) किसी पुस्तक को पढ़ते हैं, तो उसके जो लेखक हैं उससे आप उसी (वखत) मिलना शुरू कर देते हैं

51. आप यहाँ से (जा) जाने के बाद में ये अनुभव करना (कि आ) कि आप शरीर नहीं हैं - आत्मा हैं - आप शरीर नहीं हैं - आत्मा हैं - अपनी ------- बदल ले जाइए

52. आप नया जन्म ले कर के जाना - आत्मा का जन्म - आप, आप, आपका मूल ------- आत्मा है - शरीर तो आपका (बाहन) है

53. इसीलिए आपको आत्मा का हित देखना पड़ेगा, आत्मा का संतोष देखना पड़ेगा, आत्म-कल्याण की बात (सोचनी) पड़ेगी, और आपका भविष्य किस तरीके से ------- बने इस पे विचार करना पड़ेगा 

54. इसीलिए आप अपने आत्मा को भी ध्यान रखिए - शरीर को और (आ) आत्मा को दोनों को महत्व दीजिए - आप दोनों के लिए ------- दीजिए

55. आपके पास समय है, दो हिस्सों में बाँट दीजिए - आपके पास साधन हैं, दो हिस्सों में बाँट दीजिए - आधा ------- के लिए, आधा जीवात्मा के लिए

56. अगर ऐसा करेंगे तो आप पुण्य की बात सोच पाएंगे, परमार्थ की बात (सो) सोच पाएंगे - ------- की बात (सो) सोच पाएंगे - और न केवल सोच पाएंगे (बल्कि) उसके लिए (व्यवहारिक) कदम भी उठाएंगे

57. अब आत्मा के लिए समय निकालिए, परोपकार के लिए समय निकालिए, परमार्थ के लिए समय निकालिए - आप ------- लिए भी समय निकालिए

58. आत्मा के लिए भी अपने साधनों को निकालिए, लोकमंगल के लिए साधन, ------- प्रयोजनों के लिए साधन, सत्प्रवृत्तियों के लिए साधन, आज के युग को बदल डालने के लिए साधन आपके लगने चाहिए

59. आपके साधन और समय, आपके साधन और समय - आपका अंशदान और समयदान - ये (ब) नियमित ------- से लगते (रहना) चाहिए

60. आप समय भी ज्यादा समाज के लिए निकालना, और अपना अंशदान भी समाज के लिए निकालना - ये बात याद रख कर के अगर आप जाएँ, तब मैं कहूँगा आपने न्यूनतम् कार्यक्रम को समझ लिया, और उसके लिए जो आपके ------- और कर्तव्य थे, उसके बारे में (नो) नोट कर लिया

61. इन्हीं आवश्यकताओं को ------- कराने के लिए और आपको यही प्रेरणा देने के लिए इस कल्प साधना शिविर में बुलाया था

62. आप जाइए - लेकिन इन मोटी-मोटी बातों को ध्यान रखिए (जिसको) हमने कर्मयोग के नाम से, क्रियायोग के नाम से आपके सामने ------- किया है।

1. जो आपको सिद्धांतों की बहुत सी (बात) बताईं, वो तो आपको ----अपने --- विचार क्षेत्र में स्थिर रखने की हैं, और भावना क्षेत्र में समावेश करने की हैं।

2. लेकिन विचार क्षेत्र और भावना क्षेत्र, इन ----दो --- क्षेत्रों के अलावा भी एक क्षेत्र बच जाता है, वो है - क्रिया क्षेत्र - आपको करना क्या चाहिए? अब ये स्पष्ट ले के जाइए।

3. करने को मैं सब कुछ तो नहीं समझता - (चिंतन को भी) चिंतन की और भावना की भूमिका मैं बहुत ---अधिक ---- समझता हूँ - लेकिन तो भी कृत्यों के बारे में लापरवाह नहीं हो सकते - कृत्यों की उपेक्षा भी नहीं कर सकते - कर्म की उपेक्षा हम कैसे करेंगे?

4. ज्ञान का अपना स्थान हो सकता है, भक्ति का अपना स्थान है, लेकिन कर्मयोग भी तो कोई चीज़ है - गीता में तो कर्मयोग का ही ---उपदेश ---- किया है।

5. कर्म आपको क्या करने हैं यहाँ से जा कर के, इसके बारे में थोड़ी सी, संक्षेप में आपको जानकारी कराए देते हैं - इनको आप नोट रखिए, (और) यहाँ से जाने के बाद में इन ----क्रियाओं --- के बारे में बहुत सावधानी से (अप) अपना आचरण कीजिए।

6. साधना भी चिकित्सा (की) तरीके से है - व्यायाम (की) तरीके से (है) - आप व्यायाम समय पर करेंगे, नियमित ----रूप --- से करेंगे, तो व्यायाम का (फायदा प) फायदा मिलेगा।

7. आप यहाँ से जाने के बाद में (आपनी) उपासना को बिल्कुल नियमित बना लीजिए - उसमें आलस्य की वजह से, प्रमाद की वजह से, कभी कोई गल्ती न होने पावे - इसके लिए आप दो नियम, दो ----बंधन --- लगा दीजिए - भोजन (से के) से पहले, अथवा सोने से पहले।

8. कोई व्यस्त ऐसा नहीं है (कि) जो आधा घंटे का समय नहीं ----निकाल --- सकता हो - न्यूनतम् उपासना आधा घंटे की हमने बना दी है - और आधा घंटे की उपासना को प्रज्ञायोग कहा है

9. प्रज्ञायोग तो आपने पढ़ लिया होगा - (प्रज्ञा) में ही सारी बातें - जप बता दिया, ध्यान, चिंतन, मनन, (और वो) जीवन की साधना, (व) समग्र साधनाएँ - ऐसी ----अच्छी --- - इससे अच्छा कॉम्बिनेशन (combination) साधना का (आप) कहीं नहीं (मिल) सकता

10. इसमें ब्रह्मविद्या से लेकर के, तपश्चर्या तक का, (और) योगाभ्यास से लेकर के संयम साधना तक का, --सारा----- समावेश हो गया है।

11. आप उस प्रज्ञायोग (की) नियम बना लीजिए - आधा घंटे में पूरा हो जाता है। आधा घंटे के ----हिसाब --- से दैनिक उपासना आप करते रहिए - इतना तो आप कम से कम कर सकते हैं

12. दस पैसे कम से कम हैं - दस पैसे तो आप (लोकहित) के लिए निकालिए ही निकालिए - ज्यादा - बंधन नहीं है - आप चाहे (जितना निकालिए) - दस रुपये रोज़ निकालिए - कौन मना करता है --आपसे ----- ।

13. इसी तरीके से एक घंटा समय - समय की ----बात --- कही है - वो न्यूनतम् है - इससे कम मत कीजिए, ज्यादा भले कीजिए।

14. उपासना का मतलब सिर्फ एक है - अपने कलुष (और) कषायों का परिष्कार - अपनी पात्रता का सम्वर्धन - अपने गुण, कर्म और स्वभाव (में) विशेषताओं का ---समावेश ----

15. उपासना को आप कामनाओं के साथ मत जोड़िए - उपासना को जब आप कामनाओं के साथ जोड़ देते हैं, तो (उसको आप उ उस) उसका स्वरूप ही नष्ट हो जाता है - और वो एक घिनौनी ----वस्तु --- बन जाती है - उसका महत्व सब चला जाता है।

16. अपनी उपासना को आत्म-परिष्कार के लिए, और, अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए, और, अपने गुण, कर्म और स्वभाव के सम्वर्धन के लिए - ----बस --- इसी (के) उपासना का लक्ष्य रखना।

17. आप एक अच्छा रास्ता (अख्तियार) करते हैं, अपने पैरों पे खड़े हो जाते हैं, अपनी राह ----आप --- बना लेते हैं - (ये) क्या चमत्कार नहीं है? इससे बड़ा और क्या चमत्कार हो सकता है? आप (इ) इतना ही चमत्कार काफी मानिए।

18. आप अपने भीतर से अंत:प्रेरणा को विकसित होने दीजिए - और (ये) ये अनुभव होने दीजिए, कि भगवान के नज़दीक आने के बाद में, (उन) उनकी विशेषताओं का लाभ मिलेगा - उनकी सहायता का नहीं - उनकी ----विशेषताओं --- का - उनकी प्रेरणाओं का लाभ मिलेगा

19. आलस्य और प्रमाद को मैं इसी संज्ञा में गिनता हूँ - शरीर की ----दृष्टि --- से जो आदमी निकम्मे बैठे रहते हैं, निठल्ले बैठे रहते हैं, पसीना बहाते नहीं हैं, और समय को बरबाद करते रहते हैं, इन आलसियों को मैं क्या कहूँ

20. और उन (प्र प्र) प्रमादियों को क्या कहूँ जो बैल (की) तरीके से मेहनत तो करते ---रहते ---- हैं, पर (उसमें) मनोयोग लगाते ही नहीं हैं, दिलचस्पी लेते ही नहीं हैं

21. प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते ही नहीं हैं -----काम -- को, उसकी बारीकियों में घुसते ही नहीं हैं - बाहर से सतही काम कर दिया, (मेहनत) (शरीर) से काम करा दिया, बेगार भुगत दी - बात कैसे बनी?

22. आप यहाँ से जाने के बाद में अपनी कार्य पद्धति में ये ----बात --- शामिल करना - आलस्य और प्रमाद को हटा देना - आप ज़िम्मेदारी और वफादारी को शामिल करना - आप स्फूर्ति को शामिल करना

23. आप (अपनी) टाइम-टेबल बनाना, ----दिनचर्या --- बनाना, व्यस्त रहना, खाली समय मत जाने देना, विश्राम करना हो तो टाइम से विश्राम करना, (काम की) काम (को) चाल को धीमी मत करना

24. काम को जब करना हो तो पूरी स्फूर्ति और पूरी मेहनत से करना, (जिसके) जिससे उसका आउटपुट (output) तो --कुछ ----- निकले

25. आप इस कुटुम्ब के मालिक हैं, और इनकी मर्जी को पूरा करके आप इनकी प्रसन्नता को ---ग्रहण ---- करें - आप ये ख्याल करते रहेंगे तो आपके कुटुम्ब में कभी शांति नहीं (होगी)।

26. आप अपने कुटुम्ब के बारे में दो, तीन बातें ख्याल रखिए - एक बात ये ख्याल रखिए कि ----इनमें --- से हर आदमी को स्वावलम्बी बनाना है, अपने पैर पे खड़ा करना है।

27. संस्कारवान बनाइए - संस्कारवान आप बना सकते हैं - सम्पन्न बनाना तो आपके -----हाथ -- की बात नहीं है

28. पढ़ने भी दीजिए, लेकिन पढ़ने के साथ-साथ में ये ----बिल्कुल --- मुमकिन है, कि इनको किसी न किसी रूप में आप घर का कोई ऐसा काम करा सकते हैं, जिससे (कि) पैसे (कमाने) कमाए नहीं जा सकते तो बचाए तो जा सकते हैं

29. आप अपने कुटुम्ब में पंचशीलों का समावेश कीजिए - ये पंचशील पंच (र र) रत्नों के बराबर (है) - श्रमशीलता, मेहनतकश - आपके कुटुम्ब के हर आदमी को ---मेहनतकश ---- होना चाहिए, परिश्रमशील होना चाहिए

30. दूसरी बात है पंचशीलों में - सुव्यवस्था - (इसमें) सफाई भी आती है, सुसज्जा भी आती है - हर ---चीज़ ---- को यथास्थान रखा जाए

31. समय की सुव्यवस्था, खान-पान की सुव्यवस्था, टाइम-टेबल की सुव्यवस्था, चीज़ें रखने की सुव्यवस्था, ----सफाई --- की सुव्यवस्था

32. अपने घर में हर ओर देखिए कि आपका घर स्वच्छ रहता है कि (नहीं) - और (अ) आपके घरवालों (का) की दिनचर्या ----सुव्यवस्थित --- है कि नहीं

33. सुव्यवस्था - सुव्यवस्था का आप ---ध्यान ---- रखें तो ये परिवार का पंचशील है - शालीनता, शराफ़त, भलमनसाहत

34. शराफ़त को मत गँवाइए - शराफ़त को आप गँवा देंगे तो बहुत बुरी बात है - शालीनता को मत गँवाइए, सज्जनता आपकी सम्पदा है, (वो आपको) स्वभाव का ---अंग ---- है

35. चौथा गुण ये है कि - मितव्ययिता - किफ़ायतशारी - पैसा कमाना (अन) समझदारी भी हो सकती है, लेकिन ----सबसे --- ज्यादा समझदारी (उसके) पैसे को खर्च करने में है

36. आप (ने) अपने पैसे को ऐसे काम में खर्च कीजिए जिससे आपका हित होता हो, आपके बच्चों का हित होता हो, समाज का हित होता हो - किसी ----हित --- के काम में खर्च कीजिए

37. अपव्यय में मत खर्च कीजिए, फैशन में मत खर्च कीजिए, ---फिजूलखर्ची ---- में मत खर्च कीजिए - अगर आप फिजूलखर्ची की आदत डाल लेंगे, तो आपके घर वाले लोग, थोड़े दिन में आप देख लेना, कर्ज़दार हो जाएंगे

38. मितव्ययिता का सूत्र - सादा जीवन उच्च विचार (का) का सूत्र - (जो) जिसका सादा जीवन होगा, जो -----किफायतशार -- होगा, ऊँचा जीवन उसी का रह सकता है

39. पाँचवा सूत्र - सहकारिता - एक दूसरे को (सहकार हों) - ऐसे नहीं, खाना खाया और भागे - नहीं - (एक दूसरे के) - बड़े ---लड़के ---- से कहिए छोटे भाई को पढ़ाया करे एक घंटा

40. इसमें सहकारिता जुड़ी रहनी चाहिए - एक दूसरे की सेवा जुड़ी रहनी चाहिए - एक दूसरे के ---प्रति ---- मोहब्बत जुड़ी रहनी चाहिए

41. (अगर) आपने ये पाँच शील अपने कुटुम्ब में शामिल कर लिए, तो आप समझना, आप यहाँ जो (ले ले), यहाँ जो -----आए -- हैं, पंचकोषों का जागरण कर के चले गए

42. पंचशीलों में फिर ---एक ---- बार याद रखिए - श्रमशीलता (एक) - सुव्यवस्था (दो) - सज्जनता (तीन) - मितव्ययिता (चार) - और, उदार सहकारिता (पाँच)

43. अपने जीवन में इनको लाइए पहले, फिर आपकी देखादेखी दूसरों में आएंगे - आप अपने भीतर इनको बढ़ाइए और दूसरों (के) को बढ़ाने के लिए ---दबाव ---- डालिए।

44. एक आँख प्यार की और एक आँख सुधार की, ---हममें ---- से हर एक आदमी को (रख) रखनी चाहिए - अगर (आप) किसी को सुधारना है तो आप एक आँख टेढ़ी भी रखिए

45. आप सिर्फ अपना कर्तव्य ये मान के ---चलिए ---- - इनको पानी लगाना है, काट-छाँट करनी है, पानी लगाना है, काट-छाँट करनी है, रखवाली करनी

46. एक और काम करना कि अपनी ---संकीर्णता ---- को, संकीर्णता को छोड़ के चले जाइए यहाँ से - आप उदार हो के चले जाइए

47. एक नई फेहरिस्त बताइए - (ये) दूसरों से ये ज्यादा, (ये ज) ये ज्यादा, दूसरों से, ----लाखों --- से ये ज्यादा - अगर आप इस तरह की एक फेहरिस्त बना लें, तो आपको अपने सौभाग्य का कोई ठिकाना नहीं रहेगा।

48. आप क्या काम करेंगे? आप स्वाध्याय और सत्संग, इन दो क्रमों को आवश्यक (मानिए)। सत्संग किस ----तरीके --- से करें?

49. अपने घरवालों को, लोगों को नसीहत देने (का), शिक्षा देने (का), कथा कहने की बात जारी रखिए - और स्वाध्याय को आप हर एक का ---नियम ---- बना लीजिए

50. जो सत्संग बहुत ही शानदार ----चीज़ --- है, उसका तरीका है - स्वाध्याय - आप (कि) किसी पुस्तक को पढ़ते हैं, तो उसके जो लेखक हैं उससे आप उसी (वखत) मिलना शुरू कर देते हैं

51. आप यहाँ से (जा) जाने के बाद में ये अनुभव करना (कि आ) कि आप शरीर नहीं हैं - आत्मा हैं - आप शरीर नहीं हैं - आत्मा हैं - अपनी ----हैसियत --- बदल ले जाइए

52. आप नया जन्म ले कर के जाना - आत्मा का जन्म - आप, आप, आपका मूल ---सत्ता ---- आत्मा है - शरीर तो आपका (बाहन) है

53. इसीलिए आपको आत्मा का हित देखना पड़ेगा, आत्मा का संतोष देखना पड़ेगा, आत्म-कल्याण की बात (सोचनी) पड़ेगी, और आपका भविष्य किस तरीके से --शानदार ----- बने इस पे विचार करना पड़ेगा

54. इसीलिए आप अपने आत्मा को भी ध्यान रखिए - शरीर को और (आ) आत्मा को दोनों को महत्व दीजिए - आप दोनों के लिए ----बाँट --- दीजिए

55. आपके पास समय है, दो हिस्सों में बाँट दीजिए - आपके पास साधन हैं, दो हिस्सों में बाँट दीजिए - आधा ---शरीर ---- के लिए, आधा जीवात्मा के लिए

56. अगर ऐसा करेंगे तो आप पुण्य की बात सोच पाएंगे, परमार्थ की बात (सो) सोच पाएंगे - ----लोकमंगल --- की बात (सो) सोच पाएंगे - और न केवल सोच पाएंगे (बल्कि) उसके लिए (व्यवहारिक) कदम भी उठाएंगे

57. अब आत्मा के लिए समय निकालिए, परोपकार के लिए समय निकालिए, परमार्थ के लिए समय निकालिए - आप ---उनके ---- लिए भी समय निकालिए

58. आत्मा के लिए भी अपने साधनों को निकालिए, लोकमंगल के लिए साधन, ----परमार्थ --- प्रयोजनों के लिए साधन, सत्प्रवृत्तियों के लिए साधन, आज के युग को बदल डालने के लिए साधन आपके लगने चाहिए

59. आपके साधन और समय, आपके साधन और समय - आपका अंशदान और समयदान - ये (ब) नियमित ---रूप ---- से लगते (रहना) चाहिए

60. आप समय भी ज्यादा समाज के लिए निकालना, और अपना अंशदान भी समाज के लिए निकालना - ये बात याद रख कर के अगर आप जाएँ, तब मैं कहूँगा आपने न्यूनतम् कार्यक्रम को समझ लिया, और उसके लिए जो आपके ----फर्ज़ --- और कर्तव्य थे, उसके बारे में (नो) नोट कर लिया

61. इन्हीं आवश्यकताओं को ----पूरा --- कराने के लिए और आपको यही प्रेरणा देने के लिए इस कल्प साधना शिविर में बुलाया था

62. आप जाइए - लेकिन इन मोटी-मोटी बातों को ध्यान रखिए (जिसको) हमने कर्मयोग के नाम से, क्रियायोग के नाम से आपके सामने ----पेश --- किया है।