आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

19. परिवार - व्यक्तित्व के विकास की प्रयोगशाला

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. व्यक्तित्व ही वो सम्पदा है, जिसके ------- पर मनुष्य आध्यात्मिक जीवन व सांसारिक जीवन में सफल होता है।

2. सफलता के लिए धन काफी नहीं है, सफलता के लिए साधन काफी नहीं है, सफलता के लिए दूसरों का सहयोग काफी नहीं है - इन चीज़ों की ज़रूरत तो है, लेकिन सबसे ज्यादा आदमी के पास (हथियार) है, और सबसे बड़ा जो ------- है, आदमी का व्यक्तित्व है।

3. व्यक्तित्व को कैसे विकसित किया जाए? उसे सद्गुणों से, सत्प्रवृत्तियों से सम्पन्न कैसे किया जाए? एक प्रश्न यही है, सबसे बड़ा, (जिसको) अगर कोई आदमी समाधान कर लेता है, तो ------- लीजिए उसने अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने की आधी मंजिल पार कर ली।

4. व्यक्तित्व का (वि) विकास कैसे हो? आइए ------- विचार करें - इसके लिए कोई न कोई काम करने के लिए जगह होनी चाहिए न - प्रयोगशाला कहीं होनी चाहिए न

5. कार्यक्षेत्र कहाँ हो व्यक्तित्व के विकास करने का? ये स्वयं में, स्वयं में चिंतन आवश्यक तो है, उपासना आवश्यक तो है, भावना आवश्यक तो है - पर एक क्रिया ------- भी तो चाहिए, कर्म करने के लिए कोई जगह भी तो चाहिए, अभ्यास करने के लिए कोई स्थान भी तो चाहिए

6. व्यक्तित्व का विकास करने के लिए जिस जगह की आवश्यकता है - उसका नाम है परिवार। परिवार वो ------- है जिसमें कि आदमी (अपनी) सद्गुणों का, सद्वृत्तियों का अभ्यास कर सकता है।

7. परिवार उसी का नाम है जिसमें कई तरह के, (कई) कई स्तर के लोग रहते हैं - और किस स्तर के लोगों की विचारणा कैसी होती है, आवश्यकता कैसी होती है, भावना कैसी होती है - इसके साथ में तालमेल बिठा कर के, अपनी समझदारी को बढ़ाने का -------, केवल कुटुम्ब के बीच ही मिलता है।

8. इसीलिए मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा गया है - और ये कहा गया है - उसका विकास (बस) इस ------- के ऊपर टिका हुआ है - आदमी किन लोगों के साथ रहा, किस तरीके से रहा

9. धर्मपत्नी (को) सहायता के लिए बूढ़ी माँ होती है, पिताजी बुड्ढे हो जाते हैं वो घर (को) देखभाल करते हैं, कई बच्चे आपस में सलाह-मशवरा करते हैं, खेलकूद करते हैं - इस तरीके से एक ------- माहौल बन जाता है कुटुम्ब का, परिवार का

10. और इस परिवार के बीच में रह कर के ------- व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व (को) विकास करने का मौका मिलता है।

11. बच्चे अपने ढंग से विकास करते हैं - (बच्चों) हँसने के लिए, ------- के लिए, माँ की गोदी में, गोदी में बैठ कर के कपड़े पहनने के बारे में, कपड़े धोने के बारे में, टट्टी पेशाब करने के बारे में, बहुत सारी जानकारियाँ मिलती हैं

12. ज्ञान की वृद्धि के लिए उनको भी तो मौका मिलता है - पति के साथ व्यवहार किस तरीके से किया जाए? सास क्या होती है? ------- किसे कहते हैं? बच्चे किसे कहते हैं?

13. मेहमान (के) किसे कहते हैं? अतिथि ------- में कैसे आते हैं? पैसे की देखभाल कैसे रखी जाती है? घर और सामान की सुव्यवस्था को किस तरीके से रखा जाना चाहिए? - वगैरह, वगैरह, सांसारिक ज्ञान उन महिलाओं को कुटुम्ब के बीच में ही रह कर के मिलता है। 

14. कुटुम्ब महिलाओं से ले कर के, बूढ़ों तक के लिए, बच्चों तक के लिए, हर एक को अपने अपने ढंग का, व्यक्तित्व का विकास करने के लिए, (एक) बहुत अच्छा सा एक ------- है, एक प्रयोगशाला है।

15. मुख्य बात इसमें ये है कि इससे व्यक्तित्व का विकास करने में, सद्गुणों की ------- को विकसित करने में, सबको मौका मिलता है, जिसमें आप भी शामिल हैं।

16. कुटुम्ब (के) का सदस्य हो कर के रहना चाहिए - अलग रहने की बात, अकेला जिंदगी ------- की बात, (इक्कड़) रहने की बात, समाज से (विर) विरत रहने की बात, परिवार से दूर रहने की बात आपको नहीं सोचनी चाहिए।

17. आप रोटी तो खा लें, लेकिन अपने कुटुम्बियों के बारे में ये न ख्याल करें - इनका विकास कैसे होना चाहिए, और इनके बारे में क्या हमारे ------- और कर्तव्य हैं - बुरी बात (है)।

18. आप कुटुम्बी हो कर के जिएँ, ------- हो कर के जिएँ, वसुधैव कुटुम्बकम् की मान्यता से ओतप्रोत रहें, और आत्मवत् सर्वभूतेषु के सिद्धांत लागू करने के लिए, दर्शन शास्त्रों का अध्ययन करने (के) के साथ-साथ, आप ये भी करें - इस थ्योरी (theory) को प्रैक्टिस (practice) में लाएँ

19. और प्रैक्टिस में लाने के लिए इससे बेहतरीन प्रयोगशाला शायद ही दुनिया में कोई हो, जैसी कि हमारे कुटुम्ब के ------- में हमको भगवान ने दी है।

20. मिल-बाँट के (खाने) में कैसा आनन्द आता है, इसको आप समझें। और एक दूसरे के दु:ख और दर्द, सुख और सुविधाएँ बँटा लेने से कितना ------- आदमी सुखी और (सम) समुन्नत रह सकता है, इसका आप प्रत्यक्ष (अन) अनुभव करना सीखें।

21. लोकव्यवहार, जिसको शिष्टाचार कहते हैं, अनेक स्तर के लोगों के साथ में, अनेक प्रकार के व्यवहार कैसे किए जा सकते हैं, इसको आप ------- प्रयोगशाला में देख सकते हैं।

22. आप नर रत्नों का उत्पादन घर की ------- में (कर) कर सकते हैं, अगर आप (अपने) घर का संस्कारी वातावरण बना लें

23. सब लोगों को, आरम्भ से अंत तक, शिष्टाचार, और (दू) दूसरी मर्यादाओं को पालन करने के लिए शिक्षित करते रहें, तो आप ------- रखिए, आपके घर के लोग स्वावलम्बी बन सकते हैं, सुसंस्कारी बन सकते हैं।

24. आप अपने यहाँ, घर में, ------- ऐसा वातावरण बना सकते हों जिसमें आदमी समझदारी के साथ जिंदगी जिएँ, ईमानदारी की जिंदगी जिएँ, और, और, और ज़िम्मेदारी की जिंदगी जिएँ।

25. ये ऐसी जिंदगियाँ हैं (कि अगर) किसी को जीने का मौका मिले, आप विश्वास (करिए) ये आदमी बड़ा मजबूत, बड़ा समर्थ, बड़ा -------, और सफल हो कर के रहेगा।

26. आप एक सुव्यवस्था का शिक्षण, (सुव्यवस्था) का शिक्षण अपने घर में ही रह कर के कर सकते हैं। सुव्यवस्था - मैनेजमेन्ट (management), मैनेजमेन्ट का ------- भाग (घर) से ताल्लुक रखता है।

27. फाइनेन्स मिनिस्ट्री (finance ministry) घर में है न! जो आप कमाते हैं, उस ------- को बढ़ाना तो घर से बाहर होता है, लेकिन (उसको) खर्च कैसे किया जाए?

28. खर्च कैसे किया जाए? किन, किन मदों में किया जाए? किन मदों में होने वाले खर्च को रोका जाए? किन मदों में खर्च को बढ़ाया जाए? ------- संतुलन कैसे रखा जाए?

29. जो आप कमाते हैं, उसी हिसाब से बजट कैसे बनाया जाए? ये पूरे का पूरा ------- और अर्थशास्त्र आपको घर के, कुटुम्ब में, दायरे में रह कर के सीखने को मिल सकता है।

30. आप जो कमाते हैं उसको इस हिसाब से खर्च कीजिए, उस हिसाब में से कटौती कीजिए, जो चीज़ बढ़ानी है उसमें से बढ़ाइए, बेकार कामों में (से) जो पैसा खर्च हो जाता है (इसकी रो) रोकथाम कीजिए। इस ------- से आप एक अच्छे, अच्छे अर्थशास्त्री बन सकते हैं, अपने घर की व्यवस्था बना कर के।

31. आप अच्छे एक समाजशास्त्री बन सकते हैं - समाज में ढेरों की ढेरों अच्छाइयाँ भी हैं, और ढेरों की ढेरों बुराइयाँ भी हैं - अच्छाइयों को किस तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए, और बुराइयों के साथ में किस तरीके से निपटा जाना चाहिए, इसके लिए आपको ------- पर मौके मिलते हैं।

32. सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की बात - अपने घर में से कीजिए न! आपके घर में कोई कुरीति नहीं है? आपके यहाँ ढेरों की ढेरों कुरीतियाँ हैं - नर और नारी ------- समान वाली बात है?

33. आप बार बार कहते हैं न! नर और नारी (की) समानता का दर्जा मिलना चाहिए - इसका प्रयोग (आ) आप अपने घर में नहीं कर सकते? आप ------- तो कर सकते हैं।

34. सैनीटेशन (sanitation) (सा) सारे समाज में फैलाया जाना चाहिए। स्वच्छता का आंदोलन ------- (दे) देश में फैलाया जाना चाहिए। 

35. गंदगी लोगों के दिमागों में बढ़ती है, गंदगी लोगों के शरीरों में बढ़ती है, गंदगी लोगों के सामान के (ऊपर) छाई रहती है, गंदगी आदमी के नालियों और टट्टी (पखानों) में ------- रहती है।

36. आप लोग ये अपने मनों के अंदर सुसंस्कारिता जमा सकते हैं कि सफाई कैसे रखी जा सकती है, व्यवस्था कैसे बनाई जा सकती है, कपड़ों को कहाँ रखा जा सकता है, धूप में सुखा कर के ------- को दूर कैसे किया जा सकता है

37. नालियों में किस तरीके से सफाई रख कर के गंदगी, और -------, और बदबू, और बीमारियों से बचा जा सकता है।

38. साग भाजियाँ उगा कर के अपने घर में नई पैदावार, नया गृह-उद्योग करने की मनोवृत्ति ------- कर सकते हैं, और कुपोषण से बच सकने के लिए एक वातावरण बना सकते हैं।

39. घर में वातावरण अगर सहकारिता का बनाया जाए, तो (आप) विश्वास रखिए, जो आदमी आपके घर के मेम्बर (member) हैं, जब (आप) बड़े होंगे, तो एक सहकारी व्यक्ति ------- होंगे।

40. आप जो कमाते हैं हिल-मिल के खाते हैं न! ------- के खाते हैं न! (अगर) कुटुम्ब न हो तब - तब मुश्किल है। ये हिल-मिल के खाने का आध्यात्मिक साम्यवाद आप अपने घर से शुरू कर सकते हैं।

41. आपका कुटुम्ब इस तरीके से ------- ही अच्छा एक वातावरण है, जो आपको समझदारी स्वयं को सिखाता है, जिम्मेदारी आपको सिखाता है, और (आपके आपको) ईमानदारी आपको सिखाता है।

42. आप न केवल स्वयं सीखें, बल्कि सारे घर को सिखाएँ - अगर आप ------- करने में समर्थ हो सके तो आपका कुटुम्ब न केवल आपके लिए, बल्कि आपके घर में रहने वाले सभी सदस्यों के लिए सुख और शांति का आधार बनेगा।

43. न केवल घर में रहने वालों के लिए, बल्कि उसकी समाज में हवा फैलेगी (तो) चंदन का ------- जिस तरीके से अपनी खुशबू से चारों ओर वातावरण अच्छा (बना दे बना स) बना देता है, ऐसे ही आप सारे समाज को सुगन्धित, और सुविकसित, और समुन्नत बनाने में समर्थ हो सकेंगे।

व्यक्तित्व का विकास गुणों के ऊपर (टिक) - (और) उसका व्यक्तित्व वजनदार बन सकता है।

1. व्यक्तित्व ही वो सम्पदा है, जिसके ---- आधार ---- पर मनुष्य आध्यात्मिक जीवन व सांसारिक जीवन में सफल होता है।

2. सफलता के लिए धन काफी नहीं है, सफलता के लिए साधन काफी नहीं है, सफलता के लिए दूसरों का सहयोग काफी नहीं है - इन चीज़ों की ज़रूरत तो है, लेकिन सबसे ज़्यादा आदमी के पास (हथियार) है, (और) सबसे बड़ा जो ----वैभव ---- है, आदमी का व्यक्तित्व है।

3. व्यक्तित्व को कैसे विकसित किया जाए? उसे सद्गुणों से, सत्प्रवृत्तियों से सम्पन्न कैसे किया जाए? एक प्रश्न यही है, सबसे बड़ा, (जिसको) अगर कोई आदमी समाधान कर लेता है, तो ----समझ --- लीजिए उसने अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने की आधी मंज़िल पार कर ली।

व्यक्तित्व का विकास -

4. व्यक्तित्व का (वि) विकास कैसे हो? आइए ---- ज़रा ---- विचार करें - (इसके) लिए कोई न कोई काम करने के लिए जगह होनी चाहिए ना - प्रयोगशाला कहीं होनी चाहिए ना

तैरने के लिए तालाब होना चाहिए ना - (कसरत) करने के लिए व्यायामशाला होनी चाहिए ना - पढ़ने के लिए कोई विद्यालय होना चाहिए ना - काम को सीखने के लिए, (अ) काम को करने के लिए (कोई) प्रयोगशाला की आवश्यकता पड़ती है, इसके बिना (कोई) कोई बात सीखी नहीं जा सकती, कोई चीज़ अभ्यास में उतारी नहीं जा सकती, कार्यक्षेत्र के बिना। इसके लिए  

5. कार्यक्षेत्र कहाँ हो व्यक्तित्व के विकास करने का? ये स्वयं में, स्वयं में चिंतन आवश्यक तो है, उपासना आवश्यक तो है, भावना आवश्यक तो है - पर एक क्रिया ---- पक्ष ---- भी तो चाहिए, कर्म करने के लिए कोई जगह भी तो चाहिए, अभ्यास करने के लिए कोई स्थान भी तो चाहिए

दौड़ने के लिए कोई जंगल भी तो चाहिए, कुछ न कुछ काम करने को जगह चाहिए। (जगह करने के लिए)  

6. व्यक्तित्व का विकास करने के लिए जिस जगह की आवश्यकता है - उसका नाम है परिवार। परिवार वो ---- स्थान ---- है जिसमें कि आदमी (अपनी) सद्गुणों का, सद्वृत्तियों का अभ्यास कर सकता है।

अगर परिवार न हो तब - अकेला रहे तब - अकेला आदमी बिल्कुल बेकार है। (अकेला आदमी) अकेला आदमी जंगल में कहीं रहने लगे तो न बोलना सीख सकता है, न (चीखना) सीखता है, न चलना फिरना सीख सकता है, कुछ नहीं सीख सकता, उसके लिए सब बिल्कुल बेकार हो जाएगा। जैसे दूसरे जानवर अकेले रहते हैं, ऐसे ही गूँगे बहरे की तरीके से, बंदर की तरीके से आदमी रहने लगेगा, (अगर) आदमी के लिए चारों ओर काम करने के लिए समान प्रकार के लोग न हों तब।  

7. परिवार उसी का नाम है जिसमें कई तरह के, (कई) कई स्तर के लोग रहते हैं - और किस स्तर के लोगों की विचारणा कैसी होती है, आवश्यकता कैसी होती है, भावना कैसी होती है - इसके साथ में तालमेल बिठा कर के, अपनी समझदारी को बढ़ाने का ---- मौका ----, केवल कुटुम्ब के बीच ही मिलता है।

8. इसीलिए मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा गया है - और ये कहा गया है - उसका विकास (बस) इस ---- बात ---- के ऊपर टिका हुआ है - आदमी किन लोगों के साथ रहा, किस तरीके से रहा?

(ये रहने के लिए) रहने के लिए - आदमी को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए भी आवश्यकता पड़ती है, और शारीरिक ज़िंदगी को पूरा करने के लिए भी। आदमी ऐसे बंधनों से जकड़ा हुआ है, कि अगर चाहे कि अकेला रहूँगा - अकेले रह कर के जीवनयापन करना मुश्किल (है)। कमाने के लिए जाएगा, तब घर के सामान का क्या होगा?चोरी कोई कर ले जाएगा तब - रखवाली के लिए तो कोई चाहिए। अगर (ब) बच्चे न पैदा करने हों तो बात अलग - (पर) (बच्चा) अगर (पै) पैदा हुए हैं, तो (उनकी) रखवाली के लिए कोई (उनके) संरक्षक चाहिए ना - चौबीस घंटे (का) संरक्षक की आवश्यकता है - (फिर) ये कौन आए? कहाँ से आए – (बताइए)? ये सब उनकी धर्मपत्नी (करती) हैं - इसमें (एक)

9. धर्मपत्नी (को) सहायता के लिए बूढ़ी माँ होती है, पिताजी बुड्ढे हो जाते हैं वो घर (को) देखभाल करते हैं, कई बच्चे आपस में सलाह-मशवरा करते हैं, खेलकूद करते हैं - इस तरीके से एक ---- सारा ---- माहौल बन जाता है कुटुम्ब का, परिवार का

10. और इस परिवार के बीच में रह कर के ---- प्रत्येक ---- व्यक्ति को (अपने) व्यक्तित्व (को) विकास करने का मौका मिलता है।

11. बच्चे अपने ढंग से विकास करते हैं - बच्चों (के) हँसने के लिए, ---- खेलने ---- के लिए, माँ की (गोदी में) गोदी में बैठ कर के कपड़े पहनने के बारे में, कपड़े धोने के बारे में, टट्टी पेशाब करने के बारे में, बहुत सारी जानकारियाँ मिलती (हैं)।

अगर अकेला बच्चा हो तब - गाय के बच्चे की तरीके से, और बंदर के बच्चे की तरीके से अनगढ़ रहेगा - बच्चों को विकास करने का (अपना) मौका मिलता है। औरों का भी विकास (मिलता) है - लडकियाँ हैं, जब माँ बन जाती हैं, तो उनको बच्चों की देखभाल करना आता है - पहले स्कूल (ही) जाती थीं, अपनी सहेलियों में (हँसी) मज़ाक करती रहती थीं - खाना खाया और खेलने लगीं - उपन्यास पढ़ लिया बात (खतम)।  

12. ज्ञान की वृद्धि के लिए उनको भी तो मौका मिलता है - पति के साथ व्यवहार किस तरीके से किया जाए? सास क्या होती है? ---- देवर ---- किसे कहते हैं? बच्चे किसे कहते हैं?

अमुक बात कैसी होती है?

13. मेहमान (के) किसे कहते हैं? अतिथि ---- घर ---- में कैसे आते हैं? पैसे की देखभाल कैसे रखी जाती है? घर और सामान की सुव्यवस्था को किस तरीके से रखा जाना चाहिए? - वगैरह, वगैरह, सांसारिक ज्ञान उन महिलाओं को कुटुम्ब के बीच में ही रह कर के मिलता है।

कुटुम्ब से (उनको) बाहर रख (कि आ ए) तब - अकेली रहें तब - केवल दफ्तर में जाएँ और होटल में खाने लगें तब - शादी न करें तब - ठीक है (अपना) जीविका कमा सकती हैं, लेकिन  (उनको) सांसारिक ज्ञान के संबंध में अपना अनुभव विकसित करने के संबंध में कोई मौका ही नहीं मिलेगा। इसीलिए  

14. कुटुम्ब महिलाओं से ले कर के, बूढ़ों तक के लिए, बच्चों तक के लिए, हर एक को अपने अपने ढंग का, व्यक्तित्व का विकास करने के लिए, (एक) बहुत अच्छा सा एक ---- कारखाना ---- है, एक प्रयोगशाला है।

(ये इस) प्रयोगशाला में (हममें से) हम और आप में से हर एक को रहना चाहिए। अपना कुटुम्ब हो तो ठीक है, अपना सही - अपना नहीं है चलिए, अपना (न) नहीं बसाया है, या नहीं बसाने का मन है, तो दूसरों का कुटुम्ब सही - कुटुम्बों के बीच में तो रहना ही पड़ेगा - आप कुटुम्ब से अलग रह कर के, एकाकी रहने की बात अगर विचार करते हैं, तो गल्ती करते हैं।

थोड़े समय के लिए कोई आदमी, अपना बौद्धिक या भावनात्मक विकास करने के लिए, चिंतन करने के लिए, एक सामयिक समय निकाल ले, बात भिन्न है, भिन्न है - (आदमी) कोई उपासना करने के लिए (एकाकी) गुफ़ा में रहने लगे, बात अलग है, ये कोई विशेष बात है, अपवाद है, और विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है - (पर) सामान्य बात नहीं है।

सामान्य जीवन के विकास करने के लिए, आदमी को परिवार में रहना बहुत सख्त (आवश्यक)। परिवार से विलग मत (रहिए) - शादी नहीं करना चाहते हैं तो कोई हर्ज़ की बात नहीं है - (आ) आपके माता पिता हैं, बड़े हैं, भाई के बच्चे हैं, दूसरों के बच्चे हैं - एक कुटुम्ब में रहिए, ताकि आपके जीवन-यापन करने के लिए सारी व्यवस्थाएँ बन सकना सम्भव हो सके।

(नहीं) तो फिर आपको ही खाना पकाना पड़ेगा, आपको ही (आ) बाज़ार से आटा खरीद के लाना पड़ेगा, आपको ही साग-भाजी बनानी पड़ेगी, आपको ही बर्तन साफ करने पड़ेंगे, आपको ही घर का हर काम करना पड़ेगा -

(और) घर का हर काम करने में जिसमें (जीवन) ज़िंदगी के लिए हर दिन की ज़रूरतें पड़ती हैं, आपका इतना सारा समय खर्च हो जाएगा, आपके लिए (जाना) मुश्किल हो जाएगा, और फिर आप थके हुए आएँगे - थके हुए आ कर के अपने हिस्से में ही सारी ज़िंदगी का काम करेंगे, (तो) या तो बड़े सीमित हो जाएँगे - जैसे बंदर वगैरह होते हैं, पेट भरते हैं अपना, टट्टी का कोई इंतज़ाम नहीं है, मिल गया तो खा लिया - या तो आप ऐसी ज़िंदगी जीएँ - अथवा, सभ्यता की ज़िंदगी जीना चाहते हैं तो परिवार के अलावा और कोई गुज़ारा नहीं (है)।

परिवार की (ओ की) महत्ता को आप (समझिए), (परिवार की) परिवार की आवश्यकता को समझिए – (और)‌ परिवार की आवश्यकता को समझ कर के, सबसे पहली बात ये (सम) समझिए, कि इसमें शारीरिक जीवन-यापन करने की सुविधा ही नहीं है केवल, काम-वासना से ले कर के हँसने, खेलने और नित्य-कर्म के लिए यथास्थान सुविधाएँ मिलने तक की बात नहीं है -

15. मुख्य बात इसमें ये है कि इससे व्यक्तित्व का विकास करने में, सद्गुणों की ----सम्पदा ---- को विकसित करने में, सबको मौका मिलता है, जिसमें आप भी (शामिल हैं)।

खास तौर से, घर के मालिक को सबसे ज़्यादा मौका मिलता है, कि वो अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके - जो दुकान पर नहीं कर सकता, जो खेती-बाड़ी में रह के नहीं कर सकता (है), जो नौकरी में रह कर के नहीं कर सकता - वो सारे के सारे गुण विकसित करने का मौका उसको अपने छोटे कुटुम्ब में रह कर के ही मिलता है।

इसीलिए कुटुम्ब की महत्ता आप में से हर एक को (समझनी) चाहिए - हर एक को (उसके उस) उसका उपयोग इस तरीके से (करने) चाहिए, आदमी के (व्यक्तित्वों) का विकास हो, जिसमें आप भी शामिल हैं, और आपके घर के (हर म हर) सदस्य शामिल हैं, जिनको आप प्यार करते हैं, जिनको आप अपना मानते हैं - अपना मानते हैं तो उनके व्यक्तित्व के विकास में मदद कीजिए।

(धन बढ़ाने में) धन बढ़ाएँ कि न बढ़ाएँ, मैं इस (पर) आप से बहस नहीं करता - धन की आवश्यकता है कि नहीं, मैं बहस नहीं करता - धन कितना चाहिए और कितना नहीं चाहिए, (ये) ये तय करना आपका और दूसरों का काम है, हमारा नहीं।

हम तो सिर्फ एक बात कहना चाहते हैं, कि व्यक्तित्व अगर आपको विकसित करना है, तो आपको एक कुटुम्ब के बीच में, परिवार के बीच में रहना चाहिए - (आया) वो आपका बनाया हुआ हो, आपके पिताजी का बनाया हुआ हो, भाइयों का बनाया हुआ हो, पड़ोसियों का बनाया हुआ हो - (बहरहाल) किसी न किसी के

16. कुटुम्ब (के) का सदस्य हो कर के रहना चाहिए - अलग रहने की बात, अकेला ज़िंदगी ---- जीने ---- की बात, (एक्कड़) रहने की बात, समाज से (विर) विरत रहने की बात, परिवार से दूर रहने की बात आपको नहीं सोचनी चाहिए।

पर परिवार में रह कर के भी एक कैदी की तरीके से आप रहें, दूसरे लोगों में दिलचस्पी न लें - ये उससे भी बुरी बात (है)।  

17. आप रोटी तो खा लें, लेकिन अपने कुटुम्बियों के बारे में ये न ख्याल करें - इनका विकास कैसे होना चाहिए, और इनके बारे में क्या हमारे ---- फर्ज़ ---- और कर्तव्य हैं - बुरी बात (है)।

(और) आप जब तक उन (के) लोगों के बीच में दिलचस्पी लेना शुरू नहीं करेंगे, तब तक (आपका) स्वयं (का) व्यक्तित्व का विकास भी संभव (नहीं)। एकाकी रहिए भली से, गुफा में चले जाइए, जंगल में रहिए, जेलखाने में चले जाइए, कालकोठरी में बंद हो जाइए, फाँसी-घर में चले (जाइए) - जहाँ भी रहिए, अथवा कुटुम्ब में आप इस तरीके से रहिए जिससे (आपको) खाना खा लिया, कपड़ा पहन लिया, चारपाई पे सो गए, सवेरे उठ कर के बाहर चले गए – (जिस में) घर में कौन रहते हैं? कौन नहीं रहते हैं? किसको किस (तरह की) चीज़ की ज़रूरत है? किसको (कि) किस चीज़ की आवश्यकता है? किसकी भाव सम्वेदनाओं को ऊँचा उठाने में आपकी क्या ज़िम्मेदारी है? अगर आप इसको नहीं ख्याल करते (तो) आपका घर रहना, न रहना, बराबर है। (मैं) चाहता हूँ (आपका)

18. आप कुटुम्बी हो कर के जिएँ, ---- परिवार ---- हो कर के जिएँ, वसुधैव कुटुम्बकम् की मान्यता से ओतप्रोत रहें, और आत्मवत् सर्वभूतेषु के सिद्धांत लागू करने के लिए, दर्शन शास्त्रों का अध्ययन करने (के) के साथ-साथ, आप ये भी करें - इस थ्योरी (theory) को प्रैक्टिस (practice) में लाएँ

19. और प्रैक्टिस में लाने के लिए इससे बेहतरीन प्रयोगशाला शायद ही दुनिया में कोई हो, जैसी कि हमारे कुटुम्ब के ---- रूप ---- में हमको भगवान ने दी है।

ये क्या है कुटुम्ब? इसमें से आप बहुत बड़े-बड़े काम (कर) सकते (हैं)। आप (अ) अपनेआप को लोक व्यवहार के बारे में जानकार बना सकते हैं। कई तरह के लोग होते हैं - बच्चों के साथ आपका व्यवहार (कै) कैसा हो? बड़ों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो? बराबर (सा) वालों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो?

20. मिल-बाँट के (खाने) में कैसा आनन्द आता है, इसको आप समझें - और एक दूसरे के दु:ख और दर्द, सुख और सुविधाएँ बँटा लेने से कितना ---- ज़्यादा ---- आदमी सुखी और (सम) समुन्नत रह सकता है, इसका आप प्रत्यक्ष (अन) अनुभव करना सीखें।

ये सारी बातें कुटुम्ब में ही (सम्भव)। और कुटुम्ब में क्या-क्या सीखा जा सकता है? (लोकव्यवहार लोकव्यवहार)

21. लोकव्यवहार, जिसको शिष्टाचार कहते हैं - अनेक स्तर के लोगों के साथ में, अनेक प्रकार के व्यवहार कैसे किए जा सकते हैं, इसको आप ---- छोटी ---- प्रयोगशाला में देख सकते हैं।

(कोई) बच्चे गड़बड़ भी फैलाते हैं, कोई-कोई बात भी हो जाती है, कोई नाराज़ भी हो जाता है - नाराज़ हुए आदमी को समझाया कैसे जाना चाहिए और मनाया कैसे जाना चाहिए? गड़बड़ (पैदा) करने वाले आदमियों के साथ, सदस्यों के साथ में टेढ़ी आँख कैसे करनी चाहिए? उनको धमकाना कैसे (चाहिए)? अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कैसे करनी चाहिए? ये बातें आप कुटुम्ब में रह कर के सीख सकते हैं।

बाहर वाले लोगों के साथ में सीखेंगे तो गड़बड़ी फैल जाएगी (और) झगड़े खड़े हो जाएँगे - (और) और आपको आदमी तलाश करने पड़ेंगे, फिर बार-बार चक्कर कैसे काटेंगे (उनके) पास, अथवा वो कैसे आपके पास आएँगे?

इसका अच्छा तरीका (और) सहज तरीका यही है (कि) अपने कुटुम्ब में आप (अ) अपनेआप के (तईं) (वो) बात (सीखें), और सारे कुटुम्ब को वो बातें सीखाएँ, जो आदमी के मानवीय गुणों के साथ में सम्बद्ध हैं।

आप बहुत से काम कर सकते हैं घर के भीतर दायरे में रह कर के भी - समाज में तो सेवा करनी (ही) चाहिए - लेकिन समाज की सेवा में से आप ये (न) न विचार करें, (कि) कुटुम्ब में (हमारी) जो समय खर्च होता है इससे समाज की सेवा नहीं होती - कैसे सेवा नहीं होगी?  

22. आप नर रत्नों का उत्पादन घर की ---- खदान ---- में (कर) कर सकते हैं, (अगर) आप (अपने) घर का संस्कारी वातावरण बना लें

23. सब लोगों को, आरम्भ से अंत तक, शिष्टाचार, और (दू) दूसरी मर्यादाओं को पालन करने के लिए शिक्षित करते रहें, तो आप ---- विश्वास ---- रखिए, आपके घर के लोग स्वावलम्बी बन सकते (हैं), सुसंस्कारी बन सकते (हैं)।

स्वावलम्बी बनना (और) सुसंस्कारी बनना बहुत कुछ इस बात के ऊपर निर्भर रहता है - घर का वातावरण कैसा है? ये स्कूलों (में) नहीं सिखाया जा सकता - इसको कोई आदमी कथा (और) उपदेशों के द्वारा किसी के गले नहीं उतार सकता - इसके लिए (आवश्यक) आवश्यकता इस बात की है (कि) समूचे कुटुम्ब का एक खास तरह का वातावरण बनाया जाए – (और) (उस) वातावरण जैसा (बना) गया है, उसमें हर आदमी को ढाला जाए।

वातावरण ढालता है आदमी (को), आप यकीन रखिए, वातावरण ढालता है - एक आदमी के उपदेश करने से कहाँ काम चलता है? कोई-कोई समर्थ आदमी ऐसे हुए भी होंगे जिनके (उ) उपदेश का किसी ने (एक) दस पाँच मिनट में (कोई) लाभ उठा लिया होगा - नारद जी जैसे आदमी - पर हर आदमी कहाँ होते हैं? आदमी को ढालने के लिए (एक) वातावरण की (ज़रूरत)।

ईंट को पकाने के लिए एक गरम (अ) अँवे की ज़रूरत है। (अ) गरम अँवा न हो तब - तब आप कैसे ईंट पका (लेंगे)? मनुष्यों को पकाने के लिए घर का वातावरण चाहिए। आपने (अगर) जिस तरीके से अपनी दुकान को चलाने के लिए, व्यापार को चलाने के लिए, खेती-बाड़ी को बनाने के लिए, (अपना) इज़्ज़त बढ़ाने के लिए, अपनी नेतागिरि बनाने के लिए, बहुत से काम किए हैं - उसमें से एक काम अगर आप ये भी कर लें कि हम अपने घर का वातावरण (ऐसे) बनाएँगे, जिसमें जो कोई भी रहे (उस) सब को गरम होने का मौका मिले। अँवे में जो भी (चीज़) लगा दी जाती हैं, आया ईंट हो, आया खिलौना हो, अथवा बर्तन हो, अथवा कोई भी चीज़ हो - हर एक चीज़ पक कर के तैयार हो जाती है। ठीक इसी तरीके से 

24. आप अपने यहाँ, घर में, ---- एक ---- ऐसा वातावरण बना सकते हों, जिसमें आदमी समझदारी के साथ ज़िंदगी जिएँ, ईमानदारी की ज़िंदगी जिएँ, (और और) और ज़िम्मेदारी की ज़िंदगी जिएँ।

ज़िम्मेदारी की ज़िंदगी - एक - ईमानदारी की ज़िंदगी - दो - समझदारी की ज़िंदगी - तीन -

25. ये ऐसी ज़िंदगियाँ हैं, कि अगर किसी को जीने का मौका मिले, आप विश्वास (करिए) ये आदमी बड़ा मज़बूत, बड़ा समर्थ, बड़ा ---- सही ----, और सफल हो कर के रहेगा।

आप ऐसा नहीं कर सकते? हाँ कर सकते हैं, अगर आपका ध्यान उस ओर जाए। जिन चीज़ों की ओर आपका ध्यान गया है, वो आपने की भी हैं और कर भी सकते हैं - मसलन आपने इस बात का ध्यान रखा है कि आपके घर वाले अच्छे साफ सुथरे रहें, और उनको पहनने के लिए कपड़े अच्छे रहें - फटे हुए कपड़ों में आप बेइज़्ज़ती समझते हैं -

इसीलिए आपने कोशिश की है कि (अपने) घर के सब लोगों के पास अच्छे खासे कपड़े हों, अच्छी तरीके से रहें, लिबास उनके ठीक हों, घर आपका अच्छा हो, छप्पर आपका अच्छा हो, बर्तन आपके अच्छे हों।

आपने दूसरों की आँखों में अपनी इज़्ज़त (जमाने के लिए) जमाने  का महत्व समझा है - फलस्वरूप आपने सब कुछ घर के वातावरण में, जहाँ तक ये (आपका) लिए सम्भव था, ये किया है कि आपका घर देखने में प्रभावशाली हो, और (दू) दूसरों पर ये छाप डाले कि ये सभ्य, संजीदा और (अ) बड़े आदमियों का घर है।

आप चाहें तो ऐसा भी कर सकते हैं - आप अपने घर (का) (वातावरण में) वातावरण में समझदारी, ईमानदारी और ज़िम्मेदारी का माद्दा हर सदस्य के भीतर पैदा कर सकते हैं, ताकि ये खूबसूरती के लिहाज से (भी), कपड़ों के लिहाज से (भी), शिक्षा के लिहाज से भी, आजीविका के लिहाज से (भी), बुद्धिमानी के लिहाज से भी सबसे (ज्या) ज्यादा वजनदार चीज़। 

आप इसके लिए क्या काम करेंगे?

26. आप एक सुव्यवस्था का शिक्षण, (सुव्यवस्था) का शिक्षण अपने घर में ही रह कर के कर सकते हैं। सुव्यवस्था - मैनेजमेन्ट (management), मैनेजमेन्ट का ----प्रत्येक ---- भाग घर से ताल्लुक रखता है।

एक बड़े राष्ट्र को आपके सुपुर्द किया जाए, अथवा एक कारखाने को सुपुर्द किया जाए, अथवा एक शहर का आपको मेयर बना दिया जाए, (तो) तब आप क्या करेंगे? क्या करेंगे? जिन गुणों (की) (और) (जिन समझदारी) की आवश्यकता है, इसका अभ्यास करने के लिए आपको अपने छोटे कुटुम्ब में (उन) उन सारे के सारे गुणों को और व्यवस्थाओं को सीखना चाहिए एवं (सिखाना चाहिए) सिखाना चाहिए। (आपका)

27. फाइनेन्स मिनिस्ट्री (finance ministry) घर में है (ना)! जो आप कमाते हैं, उस ---- कमाई ---- को बढ़ाना तो घर से बाहर होता है, लेकिन (उसको) खर्च कैसे किया जाए?

28. खर्च कैसे किया जाए? किन, किन मदों में किया जाए? किन मदों में होने वाले खर्च को रोका जाए? किन मदों में खर्च को बढ़ाया जाए? ---- अर्थ ---- संतुलन कैसे रखा जाए?

29. जो आप कमाते हैं, उसी हिसाब से बजट कैसे बनाया जाए? ये पूरे का पूरा ---- गणित ---- और अर्थशास्त्र आपको घर के, कुटुम्ब (में), दायरे में रह कर के सीखने को मिल सकता है।

30. आप जो कमाते हैं उसको इस हिसाब से खर्च कीजिए, उस हिसाब में से कटौती कीजिए - जो चीज़ बढ़ानी है उसमें से बढ़ाइए, बेकार कामों में (से) जो पैसा खर्च हो जाता है (इसकी रो) रोकथाम कीजिए। इस ---- तरीके ---- से आप एक (अच्छे) अच्छे अर्थशास्त्री बन सकते हैं, अपने घर की व्यवस्था बना कर के।

31. आप अच्छे एक समाजशास्त्री बन सकते हैं - समाज में ढेरों की ढेरों अच्छाइयाँ भी हैं, और ढेरों की ढेरों बुराइयाँ भी हैं - अच्छाइयों को किस तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए, और बुराइयों के साथ में किस तरीके से निपटा जाना चाहिए, इसके लिए आपको ---- पग-पग ---- पर मौके मिलते हैं।

ये पूरा समाज है - समाज में (कौन-कौन) से गुणों को बढ़ाया जाए? ढेरों की ढेरों कुरीतियाँ समाज में हैं - आपको समाज में से कुरीतियाँ निकालनी हैं - आप समाज में कहाँ-कहाँ जाएँगे - ज़रा बताइए? किस-किस के पास जाएँगे - बताइए? कौन-कौन (आपका) कहना मानेगा - बताइए? टाइम तो, फुर्सत तो मिलती नहीं है - आप अपने घर में वो सारे काम कर सकते हैं - मसलन, (सामाजिक)

32. सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की बात - अपने घर में से कीजिए न! आपके घर में कोई कुरीति नहीं है? आपके यहाँ ढेरों की ढेरों (कु) कुरीतियाँ हैं - नर और नारी ---- एक ---- समान वाली बात है?

33. आप बार बार कहते हैं ना! नर और नारी (की) समानता का दर्जा मिलना चाहिए - (इसका) प्रयोग (आ) आप अपने घर में नहीं कर सकते? आप ---- चाहें ---- तो कर (सकते हैं)।

(कि) (आपकी) घर की महिलाएँ भी ये अनुभव करें - वो भी उसी तरह की (एक) सम्मानित सदस्य हैं, दूसरे दर्जे की नागरिक नहीं है, जैसे कि दूसरे समाज में माना जाता है - आप अपने घर की प्रयोगशाला में ये प्रयोग कर सकते हैं।

इसी प्रकार से (दूसरी कुरीतियाँ हैं) (दु) दूसरी कुरीतियाँ हैं - (जो) निकम्मे आदमियों को (भिक्षा देने) वाली बात - ये आप सीख सकते हैं। 

34. सैनीटेशन (sanitation) (सा) सारे समाज में फैलाया जाना चाहिए। स्वच्छता का आंदोलन ---- सारे ---- (दे) देश में फैलाया जाना चाहिए।

35. गंदगी लोगों के दिमागों में बढ़ती है, गंदगी लोगों के शरीरों में बढ़ती है, गंदगी लोगों के सामान के (ऊपर) छाई रहती है, गंदगी (आदमी के) नालियों और टट्टी (पखानों) में ---- भरी ---- रहती है।

ये गंदगी (जो) सारे समाज में फैली हुई है, आप सारे सामाज को तो शायद ठीक कर नहीं पाएँगे, (लेकिन आप) आप अपने घर में उस प्रयोग को करना शुरू करें, तो जिस तरीके से छूत फैलती है, एक से दूसरे को, दूसरे से तीसरे को, तीसरे से चौथे आदमी पे चली जाती है - इस तरीके से आप एक अच्छी खासी छूत फैलाने में समर्थ बन सकते हैं।

चलिए छूत न भी सही, समाज सेवा न भी सही, तो (आप)

36. आप लोग ये अपने मनों के अंदर सुसंस्कारिता जमा सकते हैं कि सफाई कैसे रखी जा सकती है, व्यवस्था कैसे बनाई जा सकती है, कपड़ों को कहाँ रखा जा सकता है, धूप में सुखा कर के ---- गंदगी ---- (को) दूर कैसे किया जा सकता है?

37. नालियों में किस तरीके से सफाई रख कर के गंदगी, और ---- सड़न ----, और बदबू, और बीमारियों से बचा जा सकता है।

बहुत सी बातें हैं जो आप सफाई जैसे (महकमे) को ठीक कर सकते हैं।

खान-पान के बारे में समाज में बहुत सी कुरीतियाँ फैली (हुई)। कुपोषण के बारे में बहुत सारी बातें, शिकायतें सुनने में आती हैं। लोग कुपोषण से कितने बीमार (हो) गए हैं, कितने कमज़ोर हो गए हैं, कितने हैरान हो रहे हैं - आप चाहें तो कुपोषण के बारे में अपने घर का निर्धारण (आप) स्वयं कर (सकते हैं)।

गरीब हैं तो भी आप ऐसा कर सकते हैं - साग भाजियाँ (बना) कर के, (सा)

38. साग भाजियाँ उगा कर के अपने घर में नई पैदावार, नया गृह-उद्योग करने की मनोवृत्ति ---- पैदा ---- कर सकते हैं, और कुपोषण से बच सकने के लिए एक वातावरण बना सकते हैं।

आप सारे संस्कारों को अपने घर में जैसी अच्छी तरीके से बना पाएँगे, उतना शायद और कहीं नहीं।

(मिल-जुलने) की वृत्ति, सहकारिता की वृत्ति का अभिवर्धन आज के ज़माने में बहुत ज़रूरी है। हर आदमी को मिल-जुल के काम करना चाहिए। आपके घर में मिल-जुल के काम करने की आदत नहीं है, (तो) आप (आदत) को शुरू (कीजिए)।

स्त्रियाँ बेचारी अलग से काम करती (रहती) हैं, मर्दों का कोई उसमें सहयोग नहीं है - मर्द अपना काम अलग करते रहते हैं, स्त्रियों का कोई सहयोग नहीं है - बच्चे (अपने) अलग खेलते रहते हैं, (उनके) माँ-बाप के कामों में हाथ बँटाने का कोई सहयोग नहीं है।

बड़ा भाई घूमता तो रहता है , ताश तो खेलता रहता है, रेडिओ तो सुनता रहता है, पर इस बात का सहकार नहीं है कि हमारे छोटे भाई-बहन, (जिसके) लिए ट्यूशन लगाया नहीं जा सकता, फालतू समय में अपने छोटे भाई और बहनों को पढ़ाना शुरू करें।

बुड्ढे माँ-बाप हैं, बुड्ढे घर के बाबा-दादी हैं - उनको छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों (के) सहायता की ज़रूरत पड़ती है - उनको उठने बैठने में सहायता की (ज़रू) ज़रूरत पड़ती है - उनको पानी से ले कर के नाश्ते और (चा) चाय तक के बारे में ज़रूरत पड़ती है - कपड़े अपनेआप साफ नहीं कर पाते - तब उनके कपड़े धो कर के (औ दूसरे) धूप में (बिठाने) तक के ढेरों काम ऐसे हैं जिसमें दूसरों की मदद की ज़रूरत है।

बड़ों को अपने बुड्ढों की मदद करनी चाहिए, बच्चों को अपने बड़ों की मदद करनी चाहिए - इस तरीके से

39. घर में वातावरण (अगर) सहकारिता का बनाया जाए, तो (आप) विश्वास रखिए, जो आदमी आपके घर के मेम्बर (member) हैं, जब (आप) बड़े होंगे, तो एक सहकारी व्यक्ति ---- साबित ---- होंगे।

(अपना) कुटुम्ब में जब कभी भी रहेंगे सहकारिता का आनंद उठाएँगे - और समाज में जहाँ भी (ये उनका) योगदान होगा, सहकारिता का वातावरण (बना) बना सकने में समर्थ बन (रहे) होंगे। (ऐसे) ढेरों की ढेरों चीज़ें हैं, जो आप कुटुम्ब में रह कर के, अपने दायरे में, छोटे सी बातें पैदा करते हुए, बड़ी अच्छी तरीके से कर सकते हैं। दायरे का विस्तार जैसा अच्छी तरह कुटुम्ब में हो सकता है, और कहीं नहीं हो सकता। 

40. आप जो कमाते हैं हिल-मिल के खाते हैं ना! ---- मिल-जुल ---- के खाते हैं ना! (अगर) कुटुम्ब न हो तब - तब मुश्किल है। ये हिल-मिल के खाने का आध्यात्मिक साम्यवाद आप अपने घर से शुरू कर सकते हैं।

चुरा कर के खाएँगे - जो आदमी (अपनी) ज़्यादा कमाता है, वो आदमी ज़्यादा खाएगा - नहीं, ये साम्यवादी सिद्धांतों के विरुद्ध - (चाहे इस) कुटुम्ब में रहते हैं, समर्थ हैं तो क्या, (असमर्थ) हैं तो क्या, (संयुक्तता के) मतलब ही ये होता है, उस (पर सब ए) हर एक का हिस्सा और हर एक का है हक। आप हर एक का हक स्वीकार (की)।

आप ज़्यादा कमाते हैं तो आप खर्च मत (की) – आप ज़्यादा पैसे अपने हिस्से में मत (लीजिए) - आप पान खाने में खर्च करना चाहते (हों) - बच्चों को स्कूल के लिए किताबों (को), ट्यूशनों की कमी पड़ती है - क्यों करते हैं आप ऐसा?

आप सिगरेट पीना चाहते हैं, (कोको-कोला) पीना चाहते हैं - इसीलिए पीना चाहते हैं ना कि आप कमा कर के लाते हैं, और आपकी जेब में (पैसे), और आपको खर्च करने से कोई रोक नहीं सकता - गलत बात - रोक नहीं सकता आपको दबाव की वजह से, तो आपको ईमानदारी और शराफत सिखाई जाए, और आप अपनी मर्जी से न करें, ऐसा क्यों? इसके लिए आप ये समझिए कि 

41. आपका कुटुम्ब इस तरीके से ---- बहुत ---- ही अच्छा एक वातावरण है, जो आपको समझदारी स्वयं को सिखाता है, ज़िम्मेदारी आपको सिखाता है, और (आपके आपको) ईमानदारी आपको सिखाता है।

42. आप न केवल स्वयं सीखें, बल्कि सारे घर को सिखाएँ - अगर आप ---- ऐसा ---- करने में समर्थ हो सके तो आपका कुटुम्ब न केवल आपके लिए, बल्कि आपके घर में रहने वाले सभी सदस्यों के लिए सुख और शांति का आधार बनेगा।

43. न केवल घर में रहने वालों के लिए, बल्कि उसकी समाज में हवा फैलेगी, (तो) चंदन का ---- दरख्त ---- जिस तरीके से अपनी खुशबू से चारों ओर वातावरण अच्छा (बना दे बना स) बना देता है, ऐसे ही आप सारे समाज को सुगन्धित, और सुविकसित, और समुन्नत बनाने में समर्थ हो सकेंगे।

ऐसा है अपने परिवार के प्रति उत्तरदायित्वों का (निर्) निर्वाह (जिसमें से) आप में से हर एक को करना चाहिए।

शांति