आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

2. कल्प साधना कैसे?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - कल्प माने परिवर्तन। क्या परिवर्तन होगा? और ये कौन करेगा? कैसे संभव होगा? आप कुछ सहयोग करेंगे, हम आपकी सहायता करेंगे। कल हमने कहा था - और आपको अपने भीतर के --------- को बदल देना चाहिए।

2 - क्रिया भी इसमें सहायक है - क्रिया आपको कुछ करा रहे हैं - जप करा रहे हैं, अनुष्ठान करा रहे हैं, ध्यान करा रहे हैं, भोजन के बारे में अन्न का हेर-फेर कर रहे हैं - ये क्रियाएँ भी हैं। लेकिन ये क्रियाओं का मतलब सिर्फ ये है, कि आप अपने भीतर वाले दृष्टिकोण, चिंतन, चरित्र, और ---------, और (रि), और आकांक्षाओं को बदल दें। 

3 - अगर आपने ये अनुमान लगा लिया हो, कि केवल क्रिया करने से कोई भी जादूगरी की तरीके से आपको कहीं आसमान से कोई -------- टपकेंगी, तो आप इस ख्याल को निकाल दीजिए।

4 - आप अगर चुपचाप बैठ कर के, गुरुजी के आशीर्वाद से, या गायत्री माता के आशीर्वाद से, या किसी मंत्र के चमत्कार से बदलना चाहते हों, और अपनी परिस्थितियों को सुधारना चाहते हों, और स्वयं कुछ करने से -------- करते हों, तो आप ख्याल रखिए, फिर आपको सफलता मिलने वाली नहीं है। 

5 - मन का कायाकल्प करने के लिए भी कम से कम प्रक्रिया वही इस्तेमाल करनी पड़ती है, जो शरीर के कायाकल्पों के लिए कभी की जाती रही होगी, या कभी ------- होती रही होगी। 

6 - वो प्रक्रिया (जिस तरह की) इस्तेमाल की गई, वो आपके लिए बहुत ध्यान देने लायक है, और आपके मानसिक कायाकल्प में वो प्रक्रिया जरूर --------- कर सकती है। 

7 - उनके तीन काम हुए थे - १. -------- जी को सबसे पहले पंच कर्म करने पड़े थे।

8 - १. पंच कर्म किसे कहते हैं? पंच कर्म कहते हैं शरीर (को) संशोधन। (उनको) पाँच कर्मों में: (i) एक आता है टट्टियाँ जाना, -------- करा देना - उसको विरेचन कहते हैं।

9 - (ii) एक कै करा देना - आमाशय में जितना भी मल और ज़हर भरा हुआ पड़ा था, वो -------- करा के निकाल दिया। आंतों में जो भी ज़हर भरा हुआ पड़ा था, उन्होंने दस्त करा कर के निकाला।

10 - (iii) एक पसीना निकालना कहते हैं, (जिसको) संस्कृत में स्वेदन कहते हैं। भाप दे कर के पसीना निकाला। क्यों? इसीलिए निकाला गया कि उनके शरीर में जहाँ कहीं भी कोई -------- भरे होंगे, या संचित मल भरा होगा, उसको निकालने के लिए प्रयत्न किया गया। 

11 - (iv) उनको छींक देने का - (v) नस्य भी उसी में आता है - बार-बार छींक दी गईं। (कीटाणु) जुकाम के कीटाणु, अथवा -------- में जो मल भरे पड़े थे, उनको निकाला गया। 

12 - इस तरीके से सारे (का) मलों का संशोधन किया गया। पहला कर्म, (और) पहला कृत्य, और पहला -------- कल्प का ये है।

13 - २. दूसरा मालवीय जी को ये करना पड़ा कि --------- दिन तक एक झोंपड़ी के भीतर कैद रहना पड़ा। 

14 - मैं आपको ये समझाने वाला हूँ - इन तीनों क्रियाओं का क्या उद्देश्य है, और ये तीनों क्रियाएँ (मन में) मन:क्षेत्र का कायाकल्प करने के लिए भी किस तरीके से -------- हो सकती हैं।

15 - एक हुआ उनका -------- संशोधन, दूसरा हुआ उनका एकांत सेवन। 

16 - ३. तीसरा ये था कि उनको विशेष पदार्थ खिलाए गए। क्या खिलाए गए? ऐसे पदार्थ खिलाए गए जिससे कि उनके शरीर में नए जीवाणु बनें, (नए) नया -------- आए, टॉनिक टाइप की कुछ चीज़े थीं ऐसी।

17 - मानसिक कायाकल्प में भी इन्हीं तीनों -------- को बराबर आपको लागू करना पड़ेगा, इससे कम में कुछ काम चलने (वाली) नहीं है।

18 - एक काम आपको ये करना पड़ेगा कि आपके भीतर जो भी संचित मल, आवरण और ------- हैं, जो भी कषाय और कल्मष भरे पड़े हैं, उनकी ओर गौर करना पड़ेगा, और गौर कर के, न केवल गौर करना पड़ेगा, बल्कि उनको निकालना भी पड़ेगा। 

19 - प्रायश्चित्त पद्धति में (ये) ये बताया जाता है कि आदमी की आध्यात्मिक उन्नति में सबसे बड़ी रुकावट उसके पुराने किए हुए कर्मों के कारण है। पुराने दुष्कर्म ------- की तरह से रास्ते में खड़े हो जाते हैं, और एक कदम आगे नहीं बढ़ने देते।

20 - इसीलिए पहला काम हर साधक को अपनेआप की धुलाई के रूप में करना पड़ता है। ------- से पहले धुलाई।

21 - जादू चमत्कार जैसा अध्यात्म नहीं है, अध्यात्म तो -------- पुरुषार्थ को कहते हैं।

22 - दूसरा काम एक और आपको यहाँ करना पड़ेगा, उसका अर्थ है - जैसे मालवीय जी को चालीस दिन तक एक -------- में एकांत सेवन करना पड़ा था, आपको भी यहाँ, चालीस दिन तो नहीं, पर एक महिने भर तक एकांत सेवन करना चाहिए।

23 - अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए आपको एकांत चाहिए। एकांत अगर नहीं मिलेगा तो (आप) विचार तक नहीं कर पाएंगे कि आखिर हमको क्या करना है? पुरानी चिजों से कैसे आपको -------- पाना है, और नई चीजों (से) निर्धारण कैसे करना है? 

24 - महिने भर का है, ये बहुत महत्वपूर्ण है। आपको रोका गया है कि आप जगह-जगह मत जाइए, घूमिए मत, टिकट रिज़र्वेशन कराने मत जाइए, तीर्थ यात्रा के बहाने यहाँ-वहाँ मटरगश्ती मत कीजिए, (ब... यहाँ) चक्कर मत काटिए, ॠषीकेश मत जाइए, कहीं मत जाइए, ॠषीकेश के लिए -------- पड़ी है - (पर) एक ये महिना भर है, (भले आपको) इसमें भी एक जगह नहीं रह सकते?

25 - आपको ऐसे रहना चाहिए जैसे कि माता के गर्भ में बच्चा रहता है। आप कल्पना कीजिए - आपकी कोठरी, अथवा सारा गायत्री नगर, जिसमें आप निवास करते हैं शांतिकुंज - इसको आप ये मानिए, ये माताजी का गर्भ है, कि आप माताजी के गर्भ में पल रहे हैं। (आपको) नया जन्म हो रहा है। आप --------- करा रहे हैं अपना। 

26 - आप चाहें तो ये मान सकते हैं कि गुरुजी ने ये एक आँवा लगाया हुआ है। कहाँ है आँवा? (जिस) कोठरी में आप रहते हैं उसको आप आँवा मानिए, अथवा -------- को आप आँवा मानिए।

27 - इस अँवे में आपको कैद कर दिया गया है, आपको पकाया जा रहा है, और आप एक महिने तक तपते रहेंगे, गड़बड़ नहीं फैलाएंगे, तो मज़ा आएगा। आप गड़बड़ मत (फैलाइए), ---------- को इधर-उधर मत ले जाइए, घरवालों की याद मत कीजिए, बाहर वालों की समस्या पे ध्यान मत दीजिए, मन को इधर-उधर भागने मत दीजिए, शरीर को यहाँ-वहाँ मटकने मत दीजिए

28 - तीसरा जो काम कराया गया था या किया था, उसका नाम था - टॉनिक सेवन। आपको एक काम टॉनिक सेवन का करना चाहिए। टॉनिक सेवन से क्या मतलब है? टॉनिक सेवन से मतलब ये है कि (जो विचार) जिन विचारों का आपको ------- रहा है, उन विचारों को फिर से सेवन करना शुरू कीजिए। 

29 - तो क्या करें? तो आपको भविष्य में ऐसी विचारधारा के साथ, ऐसे लोगों के साथ, ऐसे लक्ष्य के साथ, ऐसी महान सत्ता के साथ, अपनेआप को सम्पर्क में लाना है जो आपको -------- बनाने में समर्थ हो, जो आपको सहारा दे सकती है, जो आपको ऊँचा उठा सकती है, आप उससे सम्पर्क मिलाइए। किससे सम्पर्क मिलाएँ? भगवान से।

30 - भगवान किसे कहते हैं? भगवान ------ का, सत्प्रतीकों का, आदर्शों (का) एक समुच्चय का नाम है।

31 - एक भगवान तो वो है जो सारे विश्व को सम्भालता है, जिसको हम नियमन कह सकते हैं, नियंत्रण कह सकते हैं - एक भगवान वो है जो विश्वव्यापी है। विश्वव्यापी भगवान के लिए तो आप उसका कायदा पालन कीजिए - -------- उठाइए, कायदे को तोड़िए - पिटाई खाइए।

32 - जो व्यक्तिगत सहायता कर सकता है, वो हमारा (सुपर) सुपर कॉन्शियस्नेस है, हमारा अंतरात्मा है। अंतरात्मा - परमात्मा उसी का नाम है। अंतरात्मा को ही परमात्मा कहते हैं। -------- किसे कहते हैं? गुण, कर्म और स्वभाव की विशेषता का नाम परमात्मा है। उसी को सुपर कॉन्शियस्नेस कहते हैं। आप उसके साथ में अपनेआप (के) संबंध को जोड़ लीजिए। 

33 - ऐसे लोगों के साथ रिश्ता मिलाइए जिनके कि समुदाय में जा कर के आपका ऊँचा उठना संभव है। ॠषियों के साथ संबंध मिलाइए, -------- के साथ संबंध मिलाइए, देवताओं के साथ संबंध मिलाइए, भगवान के साथ संबंध मिलाइए।

34 - यहाँ जहाँ आप जिस कोठरी में रहते हैं, अथवा जिस वातावरण में रहते हैं, उसमें चारों ओर संत छाया हुआ है, चारों ओर ॠषि छाया हुआ है, चारों ओर भगवान छाया हुआ है, अर्थात आदर्श छाए हुए हैं, दृष्टिकोण छाए हुए हैं, -------- छाई हुई हैं, और आपको ऊँचा उठने के लिए जो दिशाधाराएँ आवश्यक थीं वो छाई हुई हैं। आप इनके साथ संबंध मिला लीजिए।

35 - एक महिने तक आपको साधना में लगा रहना है - अपनेआप को साधने में। और किसमें लगा रहना है? स्वाध्याय में लगा रहना है, आपको चिंतन और मनन करना है, आपको इस बीच में जप और अनुष्ठान करना है, आपको इस बीच में -------- करना है, आपको (भी) इस बीच में तप करना है, और अपनेआप को परिशोधन करना है। 

36 - आपकी सहायता करने के लिए हम तीनों तैयार हैं। गुरु के रूप में वो सत्ता जिसके आधार पर शांतिकुंज बनाया गया है, और जिसकी आज्ञा से ये कल्प साधना के शिविर लगाए गए हैं। ऐसी कोई परम सत्ता आपके गुरु की तरीके से -------- करने में (यहाँ) तैयार है और (स...) विद्यमान है।

37 - आप कैसे भाग्यवान हैं - आप माता का स्नेह यहाँ पा रहे हैं, आप कैसे भाग्यवान हैं जो अपने पिता का अनुशासन और उनका सहयोग प्राप्त कर रहे हैं, आप कैसे भाग्यवान हैं जो आप ऐसे -------- गुरु से (जो) जो न केवल आप को, बल्कि आप (जैसे) जैसे लाखों आदमियों को, न केवल लाखों आदमियों को बल्कि सारे जमाने को, और जमाने की प्रवृत्तियों को मार्गदर्शन करने में समर्थ है

38 - आप हमारे सहयोग का फायदा उठाइए, -------- का फायदा उठाइए, यहाँ की परिस्थितियों का फायदा उठाइए, यहाँ के मार्गदर्शन का फायदा उठाइए, और, और अपने भाग्य को (को) और भविष्य को शानदार बनाने के लिए कमर कस के तैयार हो जाइए

39 - मानसिक दृष्टि से, भावनात्मक दृष्टि से, --------- की दृष्टि से आपको वही तीन काम करने पड़ेंगे। 

40 - परिशोधन आपको करना ही चाहिए और करना ही पड़ेगा। इसी को प्रायश्चित कहते हैं, -------- भी इसी को कहते हैं।

41 - आपको एकांत सेवन करना ही पड़ेगा। आप गुफा में रहिए, एकांतसेवी रहिए, अपने हृदय की गुफा में घुस जाइए, एकांत में रहिए, ----- हो कर के रहिए, बाहर की बातों पे विचार मत कीजिए, केवल अपनी ही समस्या पर विचार कीजिए, अपने भविष्य के बारे में विचार कीजिए, अपने भूतकाल का विचार कीजिए, और (भा) भविष्य का निर्धारण करने के लिए वो काम तैयार कीजिए जिनकी कि आपको जरूरत है।

कल आपको 

1 - कल्प माने परिवर्तन। क्या परिवर्तन होगा? और ये कौन करेगा? कैसे संभव होगा? आप कुछ सहयोग करेंगे, हम आपकी (सहायता) करेंगे - कल हमने कहा था - और आपको अपने भीतर के ---- दृष्टिकोण ---- को बदल देना चाहिए।

2 - क्रिया भी इसमें सहायक है - क्रिया (आपसे) कुछ करा रहे हैं - जप करा रहे हैं, अनुष्ठान करा रहे हैं, ध्यान करा रहे हैं, भोजन के बारे में अन्न का हेर-फेर कर रहे हैं - ये क्रियाएँ भी हैं - लेकिन (ये) क्रियाओं का मतलब सिर्फ ये है, कि आप अपने भीतर वाले दृष्टिकोण, चिंतन, चरित्र, और ---- स्वभाव ----, और (रुचि), और आकांक्षाओं को बदल दें। 

(ये) सारी क्रियाओं का मतलब ये है।

3 - (अगर) आपने ये अनुमान लगा लिया हो, (कि) केवल क्रिया करने से, कोई जादूगरी की तरीके से, आपको कहीं आसमान से कोई ---- सिद्धियाँ ---- टपकेंगी, तो आप इस ख्याल को निकाल (दी)।

करना आपको ही पड़ेगा - आपके किए बिना कोई रास्ता नहीं है। 

4 - आप अगर चुपचाप बैठ कर के, गुरुजी के आशीर्वाद से, या गायत्री माता के आशीर्वाद से, या किसी मंत्र के चमत्कार से बदलना चाहते हों, और अपनी परिस्थितियों को सुधारना चाहते हों, और स्वयं कुछ करने से ---- इंकार ---- करते हों - तो आप ख्याल रखिए, फिर आपको सफलता मिलने वाली नहीं है

एक महीने का समय भी आपका बेकार चला जायेगा। अच्छा है आप वास्तविकता को पहले समझ लें, तब कदम बढ़ाएँ।

(अब) (अब हम आप) कल आपको ये बताया था कि किस तरीके से लोगों ने अपनेआप को बदल लिया, (और) बदलने के बाद में, मनःस्थिति बदलने के बाद में परिस्थिति किस तरीके से बदल गई - कायाकल्प का स्वरूप यही है।

फिर, कायाकल्प में करना क्या पड़ता है? चलिए, इसके लिए मैं एक उदाहरण आपको सुनाऊँगा। वो उदाहरण महामना मालवीय जी का है। महामना मालवीय जी ने एक कायाकल्प किया था। (उनकी) भी ख्याल, और (उनकी बारे में भी ये) वो भी ऐसे ही सोचते थे कि शरीर का कायाकल्प होगा। शरीर का कायाकल्प तो (अब) कल कह चुके हैं कि सम्भव नहीं है - लेकिन 

5 - मन का कायाकल्प करने के लिए भी कम से कम प्रक्रिया (वही) इस्तेमाल करनी पड़ती है, जो शरीर के कायाकल्पों के लिए कभी की जाती रही होगी, या कभी ---- सफल ---- होती रही होगी। 

महामना मालवीय जी का कायाकल्प हुआ था। (कै) कैसे हुआ था? मथुरा जिले में एक कोसी नाम की जगह है। उसके पास जंगल में एक महात्मा रहते थे - तपसी बाबा उनका नाम था। तपसी बाबा ने मालवीय जी से सम्पर्क स्थापित किया, और ये कहा कि आपको कायाकल्प करा देंगे - आपके बुढ़ापे को जवानी में बदल देंगे।

6 - वो प्रक्रिया जिस (तरह) से इस्तेमाल की गई, वो आपके लिए बहुत ध्यान देने लायक है, और (आपके) मानसिक कायाकल्प में वो प्रक्रिया ज़रूर ---- सहायता ---- कर सकती है। 

(क्या हु) क्या हुआ था उनका? 

7 - उनके तीन काम हुए थे - १. ---- मालवीय ---- जी को सबसे पहले पंच कर्म करने पड़े थे।

8 - १. पंच कर्म किसे कहते हैं? पंच कर्म कहते हैं शरीर (को) संशोधन। (उनको) पाँच कर्मों में: (i) एक आता है टट्टियाँ (जा) जाना, ---- दस्त ---- करा देना - जिसको विरेचन कहते हैं।

9 - (ii) एक कै करा देना - आमाशय में जितना भी मल और ज़हर भरा हुआ पड़ा था, वो ---- उल्टी ---- करा के निकाल दिया। आंतों में जो भी ज़हर भरा हुआ पड़ा था, उन्होंने दस्त करा कर के निकाला।

दो कृत्य हो गए ना - तीन और रह जाते हैं। 

10 - (iii) एक पसीना निकालना कहते हैं, (जिसको) संस्कृत में स्वेदन कहते हैं। भाप दे कर के पसीना निकाला। क्यों? इसीलिए निकाला गया कि उनके शरीर में (ये) जहाँ कहीं भी कोई (वि) ---- विषाणु --- भरे होंगे, या संचित मल भरा होगा, उसको निकालने के लिए प्रयत्न किया गया। 

उसके बाद में क्या किया गया?

11 - (iv) उनको छींक देने का - (v) (न) नस्य भी उसी में आता है - बार-बार छींक दी गईं। (ज़ुकाम) ज़ुकाम के कीटाणु, अथवा ---- मस्तिष्क ---- में जो मल भरे पड़े थे, उनको निकाला गया। 

12 - इस तरीके से सारे (का) मलों का संशोधन किया गया - पहला कर्म, (और) पहला कृत्य, और पहला ---- अध्याय ---- कल्प का ये है।

ये मैं मालवीय जी की बात कर रहा था। (अन्य) लोगों को भी, जिन कीन्हीं को भी, पूरा न सही अधूरा सही, शारीरिक कायाकल्प करना होगा, तो पहले मलों (को) निष्कासन करना पड़ता है - एक। दूसरा -

13 - २. दूसरा मालवीय जी को ये करना पड़ा कि ---- चालीस ---- दिन तक एक झोंपड़ी के भीतर कैद रहना पड़ा।

चारों ओर से झोंपड़ी बंद थी। न सूरज की (हवा जाती थी न) रोशनी जाती थी, न धूप जाती थी, न रोशनी जाती थी - बस उसके भीतर, एकांत कोठरी में, चालीस दिन उनको काटने पड़े, (कैद) उसी में रहना पड़ा। उसी में टट्टी जाते थे, नहाते भी उसी में थे, पूजा पाठ भी उसी में करते थे, जो कुछ भी खाना खाते होंगे वो भी वहीं भेजते थे - बहरहाल (उसको) निकलना नहीं हो सकता था -  टहलना होता तो (उसी) में टहलना होता। ठीक इस तरीके से चालीस (दिन) उन्होंने काटे - अध्याय नंबर दो।

14 - मैं आपको ये समझाने वाला हूँ - इन तीनों क्रियाओं का क्या (उद्देश्य है), और ये तीनों क्रियाएँ (मन में कि) मन:क्षेत्र का कायाकल्प करने के लिए भी किस तरीके से ---- लागू ---- हो सकती हैं।

दो बात हो गईं ना - (एक तो)

15 - एक हुआ उनका ---- मल ---- संशोधन, दूसरा हुआ उनका एकांत सेवन। 

तीसरा एक और था -

16 - ३. तीसरा ये था कि उनको विशेष पदार्थ खिलाए गए - क्या खिलाए गए? ऐसे पदार्थ खिलाए गए जिससे कि उनके शरीर में नए जीवाणु बनें, (नए) नया ----जीवन ---- आए - टॉनिक टाइप की कुछ चीज़े थीं ऐसी।

उनको पलाश के एक (खोखले) में, गिलोय या दूसरी चीज़ें बंद करके रखते थे - बंद करके रखते थे - और (वो) सात दिन में (जब) वो तैयार हो जाती थीं, तब (उसको) पीस कर के उनको पिलाते थे - टॉनिक थे एक तरीके (से) - जिससे कि कायाकल्प में पुरानी खराबियाँ निकल जाएँ और (नई) नई अच्छाइयाँ शुरू हो जाएँ। 

बस यही (कृत्य) चालीस दिन तक चला - चालीस दिन के बाद में क्या लाभ हुआ? (अब) ज्यादा तो मुझे ठीक मालूम नहीं है, क्या-क्या लाभ हुए, पर इतना लाभ उन्होंने, मालवीय जी ने स्वयं ही छापा था, कि (मे) मेरी स्मरण शक्ति ठीक हो गई है, और मेरे सफेद बाल काले हो गए हैं। 

ऐसे कई लाभ उनको हुए थे - और वो लाभ कब तक टिके, (उस) मुझे कुछ कहना नहीं है - (मैं) चूंकि (शारीरिक) शारीरिक आपको कल्प कराने की बाबत (मैंने) कुछ कहा भी नहीं है - और हम वैसा कुछ कराने की स्थिति में भी नहीं हैं। लेकिन 

17 - मानसिक कायाकल्प में भी, इन्हीं तीनों ---- सिद्धांतों ---- को, बराबर आपको लागू करना पड़ेगा - इससे कम में कुछ काम चलने (वाली) नहीं है।

18 - एक काम आपको ये करना पड़ेगा (कि) आपके भीतर जो भी संचित मल, आवरण और ---- विक्षेप ---- हैं, जो भी कषाय और कल्मष भरे पड़े हैं, उनकी ओर गौर करना पड़ेगा, और गौर कर के, न केवल गौर करना पड़ेगा, बल्कि उनको निकालना भी पड़ेगा।

एक जद्दोजहद करनी पड़ेगी, लड़ना पड़ेगा - (कि) आपका पिछला जीवन कैसे कुसंस्कारों से भरा हुआ पड़ा है - और उन कुसंस्कारों को दूर करने के लिए, आपको क्या करना चाहिए और कैसे संभव है? प्रायश्चित्त प्रणाली हमारी यही है - प्रायश्चित्त पद्धति हमारी यही है। 

19 - प्रायश्चित्त पद्धति में (ये) ये बताया जाता है कि आदमी की आध्यात्मिक उन्नति में सबसे बड़ी रुकावट उसके पुराने किए हुए कर्मों के कारण है। पुराने दुष्कर्म ---- पत्थर ---- की तरह से रास्ते में खड़े हो जाते हैं, और एक कदम आगे नहीं बढ़ने देते

बार बार रोक देते हैं - क्योंकि उसका भविष्य बुरा होना है - उसको दंड मिलने हैं - (इसीलिए) अच्छे काम भी नहीं करने देते, और अच्छे कामों की ओर से मन (अ च) उचाट देते हैं। 

20 - इसीलिए पहला काम हर (स) साधक को अपनेआप की धुलाई के रूप में करना पड़ता है। ---- रंगने --- से पहले धुलाई

रंगने से पहले धुलाई, रंगने से पहले धुलाई - धुलाई अगर नहीं (क ए गी) तो कपड़ा रंगा ही नहीं जाएगा। इसीलिए पहला काम ये करना पड़ता है - ये (जो) जो आप (कल्प ज सा) कल्प साधना में आए हैं - उसके लिए एक कार्य पद्धति आप ये समझिए -

आप के ऊपर दबाव डाला जाएगा, और (आप को) आप में उत्साह पैदा किया जाएगा, (कि) आप के अंदर पिछले स्वभाव और (प) पिछली गंदी आदतें, और पिछली क्रिया पद्धति जो जम गई है - उसको आप हटा दीजिए, उसको निकालिए, उसको छोड़ (दीजिए)। 

उसको छोड़ने में - बुरी आदतें (आपको) छूटती न हों - तो आप लड़ना शुरू कर दीजिए, (उसके) विरुद्ध बगावत कीजिए, उनको अस्वीकार (कर) दीजिए, (उनको) असहयोग कीजिए, और (उनके उनका) उनका दबाव मानने से इंकार कर दीजिए। ये करना पहला काम है - किसका? (जो) आप के कायाकल्प का - ये आपको एक काम करना ही करना पड़ेगा। 

अगर आप न करेंगे, तो कल्प साधना, जिसके कि हमने रंगीन सपने आपको दिखाए हैं, और ये बताया है कि आपका जीवन (दैवीय) जीवन हो के रहेगा, और आप अच्छे शानदार आदमी हो के रहेंगे - (इसमें) एक (कदम) तो आपको करना ही चाहिए। 

अगर आप ये नहीं करेंगे, और पुराने घिनौने जीवन के ढर्रे (को ही) पे ही लुढ़कते रहेंगे, तो हम क्या कर पाएंगे, बताइए - (क) केवल पूजा क्या कर लेगी आपके लिए, बताइए - फिर आपका जप और अनुष्ठान (आ ते) जादू चमत्कार कैसे दिखा पाएगा? नहीं -

21 - जादू चमत्कार जैसा अध्यात्म नहीं है - अध्यात्म तो ---- मानसिक ---- (पुर) पुरुषार्थ को कहते हैं।

मानसिक पुरुषार्थ का नाम है - ये तो पुरुषार्थ आपको करना पड़ेगा - एक काम। 

22 - दूसरा काम एक और आपको यहाँ करना पड़ेगा - उसका अर्थ है - जैसे मालवीय जी को, चालीस दिन तक, एक ---- कोठरी ---- में एकांत सेवन करना पड़ा था - आपको भी यहाँ, चालीस दिन तो नहीं, पर एक महीने भर तक, एकांत सेवन करना चाहिए।

ये खास बात - आपको निवास करने के लिए हमने एक कोठरी, खास तौर से इसीलिए दी है, कि आप ये मान के चलें कि आप एकाकी हैं, आप अकेले रह (रहे हैं) - इस दुनिया में आप अकेले हैं - अकेले ही आप आए थे, और अकेले ही आप को जाना है - अकेले ही आप को जाना है - चलना है किसी रास्ते पर, तो भी आप को अकेला ही चलना है। 

ये एकांत सेवन है - इसको कुटी प्रवेश कहते हैं - (इसको) गुफा प्रवेश कहते हैं। प्राचीन काल के संत महात्मा गुफा में घुस जाते थे - कोठरियों में रहते थे - एकांत सेवन करते थे - क्यों? क्योंकि उनका बाहर का, चारों ओर का (ज) जंजाल, जिसने उनको बुरी तरीके से, चक्रव्यूह में फँसे हुए अभिमन्यु की तरीके से जकड़ लिया है, उसमें से (वो) पार हो सकें - उससे (आपको) अलग (अन) अनुभव कर सकें। 

23 - अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए आपको एकांत चाहिए। एकांत अगर नहीं मिलेगा तो (आप) विचार तक नहीं कर पाएंगे कि आखिर हमको क्या करना है? पुरानी चीज़ों से कैसे आपको (छु) ---- छुटकारा ---- पाना है, और (नई) चीज़ों (से) निर्धारण कैसे करना है? 

इन दोनों के लिए एकांत सेवन आपके लिए आवश्यक है। ये एकांत सेवन का (दिन) जो आपका (अब)

24 - महीने भर का है, ये बहुत महत्वपूर्ण है। आपको रोका गया है कि आप जगह-जगह मत जाइए, घूमिए मत, टिकट रिज़र्वेशन कराने मत जाइए, तीर्थ यात्रा के बहाने यहाँ-वहाँ मटरगश्ती मत कीजिए, (ब गी यहाँ) चक्कर मत काटिए, ॠषीकेश मत जाइए, कहीं मत जाइए, ॠषीकेश के लिए ---- ज़िंदगी ---- पड़ी है - पर ये एक जो महीना भर है - (आपको) इसमें भी एक जगह नहीं रह सकते?

25 - आपको ऐसे रहना चाहिए जैसे कि माता के गर्भ में बच्चा (रहता) है। आप कल्पना कीजिए - आपकी कोठरी, अथवा सारा गायत्री नगर, जिसमें आप निवास करते हैं - शांतिकुंज - इसको आप ये मानिए, ये माताजी का गर्भ - (ये) आप माताजी के गर्भ में पल रहे (हैं) - (आपको) नया जन्म हो रहा (है) - आप ---- कायाकल्प ---- करा रहे हैं अपना 

इसीलिए आप माताजी के पेट में रह रहे हैं। भ्रूण जो (रहता) है, पेट में चुपचाप बैठा रहता है, गड़बड़ नहीं फैलाता है। जो माता देती रहती है, उसी से अपना गुज़ारा करता रहता है। माता (ज) जिस हैसियत में रखती है वैसे ही रहता है। आपको इस हैसियत में रहना चाहिए।

आपको ये अनुभव करना चाहिए - आप यहाँ शांतिकुंज में निवास करते हैं - गायत्री नगर में निवास करते हैं - ये क्या है? ये गुरुजी का बर्तन पकाने का आँवा है। कुम्हार को आप जानते हैं ना - बर्तन बनाता है - बर्तन बनाने के बाद में कच्चे बर्तनों को पकाता है। बस, उस अँवे में से खिलौने भी निकलते हैं (क्या निकलते हैं)।

26 - आप चाहें तो ये मान (सकते) हैं कि गुरुजी ने ये एक आँवा लगाया हुआ है। कहाँ है आँवा? (जिस) कोठरी में आप रहते हैं, उसको आप आँवा मानिए - अथवा ---- शांतिकुंज ---- को आप आँवा मानिए।

27 - इस अँवे में आपको कैद कर दिया गया है - आपको पकाया जा रहा है। (अगर) आप एक महीने तक (पकते) रहेंगे, गड़बड़ नहीं फैलाएंगे, तो मज़ा आएगा। आप गड़बड़ मत (फैलाइए), ---- चित्त ---- को इधर-उधर मत ले जाइए, घरवालों की याद मत कीजिए, बाहर वालों की समस्या पे ध्यान मत दीजिए, मन को इधर-उधर भागने मत दीजिए, शरीर को यहाँ-वहाँ मटकने मत दीजिए

मन को भटकने मत दीजिए, शरीर को मटकने मत दीजिए, मन को भटकने मत दीजिए - आप यहाँ वहाँ घूमते रहेंगे तो बताइए - 

(कोई) बच्चा माँ के पेट में से (दं) दंगल मचाए - कहे मम्मी, मैं तो अभी नौ महीने पेट में नहीं रह सकता - ज़रा छुट्टी दे दो, बाजार में घूम कर के आऊँगा - तो आप समझ सकते हैं, बच्चे का क्या हाल होना है -

और कुम्हार के बर्तन - बर्तन अगर (चु) चुपचाप न बैठे रहें - ये कहें - साहब, अँवे में (अभी तो) शाम को आ जाया करेंगे, दिन (में) में बाजार में घूमा करेंगे, रात को अँवे में घुस जाया करेंगे - (आप) आप ही बताइए - बर्तन पकेंगे? कुछ भी नहीं होगा - सब बिगड़ जाएगा। 

इसीलिए, आप न बाहर की (चिंताएँ) कीजिए, न शरीर (को) बाहर घूमने दीजिए, न बाहर भ्रमण (करने) दीजिए - तो क्या काम करें? (आप) बस यही मैं बताने वाला था - (वो) तीसरा वाला काम - 

तीसरा वाला काम भी अगर आप कर लेते हैं, तो समझना चाहिए कि आपका कल्प साधना का उद्देश्य पूरा हो गया, और जिस लक्ष्य पर आप पहुँचने की इच्छा करते थे, अथवा हम (जहाँ) जिस लक्ष्य पर आपको पहुँचाने के लिए कोशिश करते थे - वो निश्चित रूप से सफल हो जाएगा। 

एक और काम कीजिए - कौन सा? मालवीय जी ने 

28 - तीसरा जो काम (कराया गया था या) किया था, उसका नाम था - टॉनिक सेवन। आपको एक काम टॉनिक सेवन का करना चाहिए। टॉनिक सेवन से क्या मतलब है? टॉनिक सेवन से मतलब ये है कि (जो विचार) जिन विचारों का (अ व) आपको ---- अभाव ---- रहा है, उन विचारों (को) फिर से सेवन करना शुरू (कीजिए)।

टॉनिक शुरू (कीजिए)। टॉनिक आप को मिला ही नहीं, आप तो कुपोषण के शिकार रहे हैं, अथवा विकृत (भ भा) भोजन करते रहे हैं - इसीलिए आपका सारे का सारा स्वास्थ्य गड़बड़ा गया है - मानसिक स्वास्थ्य से मेरा मतलब है। 

29 - तो क्या करें? तो आपको भविष्य में ऐसी विचारधारा के साथ, ऐसे लोगों के साथ, ऐसे लक्ष्य के साथ, ऐसी महान सत्ता के साथ, अपनेआप को सम्पर्क में लाना है, जो आपको ---- महान ---- बनाने में समर्थ हो, जो आपको सहारा (द) दे सकती है, जो आपको ऊँचा उठा सकती है - आप उससे सम्पर्क मिलाइए। (तो) किससे सम्पर्क मिलाएँ? भगवान से।

भगवान से आप इस बीच में संपर्क मिलाने की कोशिश कीजिए, और लोगों से अपनेआप को पीछे हटा लीजिए। थोड़े दिन के लिए आप ये मान के चलिए, आप और आपका भगवान दो ही हैं। 

30 - भगवान किसे कहते हैं? भगवान ---- सद्गुणों ---- (का), सत्प्रतीकों (का), आदर्शों (का) एक समुच्चय का नाम है।

31 - एक भगवान तो वो है जो सारे विश्व को सम्भालता है, जिसको हम नियमन कह सकते हैं, नियंत्रण कह सकते हैं - एक भगवान वो है जो विश्वव्यापी (है) - विश्वव्यापी भगवान के लिए तो आप उसका कायदा (पा) पालन कीजिए, ---- फायदा ---- उठाइए - कायदे को (तो) तोड़िए, पिटाई खाइए।

बस, वो भगवान तो आदमी को, न्याय और नियमन के अलावा, दूसरे कुछ काम करता भी नहीं है। लेकिन 

32 - जो व्यक्तिगत सहायता (कर) कर सकता है, वो हमारा (सुपर) सुपर कॉन्शियस्नेस है, हमारा अंतरात्मा है। अंतरात्मा - परमात्मा उसी का नाम है। अंतरात्मा को ही परमात्मा कहते हैं। ---- अंतरात्मा ---- किसे कहते हैं? गुण, कर्म और स्वभाव की (विशेषता) का नाम (पर) परमात्मा है - उसी को सुपर कॉन्शियस्नेस कहते हैं - आप उसके साथ में अपनेआप (के) संबंध को जोड़ लीजिए। 

अभी तक आपका संबंध किसके साथ रहा है? कुसंस्कारों के साथ, घिनौनेपन के साथ, घटिया लोगों के साथ - चारों ओर का वातावरण, (जो) चारों ओर (का) छाया हुआ है, आपको गिरावट के अलावा और क्या नसीहत देगा, बताइए? आपने जो स्वभाव सिखा है, वो आपको घिनौने जीवन के अलावा (क) क्या सिखा सकता है? पशुओं की ज़िंदगी में हम जी रहे हैं, और हम (चारों) चारों तरफ नर पशुओं से घिरे हुए हैं।

आप थोड़े दिनों के लिए इस दायरे से बाहर हो (जाइए)। फिर आप क्या करें (बाहर) हो कर के? फिर आप (ऐ) ऐसे लोगों के साथ रिश्ता (मि) मिलाइए, 

33 - ऐसे लोगों के साथ रिश्ता मिलाइए जिनके कि समुदाय में जा कर के आपका ऊँचा उठना संभव है। ॠषियों के साथ संबंध मिलाइए, ---- संतों ---- के साथ संबंध मिलाइए, देवताओं के साथ संबंध मिलाइए, भगवान के साथ संबंध मिलाइए।

ये सब हैं?बिल्कुल - आपके साथ - ये आप देख नहीं रहे हैं। 

34 - यहाँ जहाँ आप जिस कोठरी में रहते हैं, अथवा जिस वातावरण में रहते हैं, उसमें चारों ओर संत छाया हुआ है, चारों ओर ॠषि छाया हुआ है, चारों ओर भगवान छाया हुआ है - अर्थात्, आदर्श छाए हुए हैं, दृष्टिकोण छाए हुए हैं, ---- प्रेरणाएँ ---- छाई हुई हैं, और आपको ऊँचा उठने के लिए, जो दिशाधाराएँ आवश्यक थीं, वो छाई हुई हैं। आप इनके साथ संबंध मिला लीजिए।

आप (पी) पीछे की तरफ मुड़ कर के मत देखिए - आगे की तरफ (वि) विचार कीजिए। आप महानता के साथ में जुड़ (जा), आप आदर्शों के साथ जुड़ जाइए - एक महीने तक आपको यही करना है। (आ)

35 - एक महीने तक आपको साधना में (लगा) रहना है - अपनेआप को साधने में। और किसमें (लगा) रहना है? स्वाध्याय में (लगा) रहना है, आपको चिंतन और मनन करना है, आपको इस बीच में जप और अनुष्ठान करना है, आपको इस बीच में ----योगाभ्यास ---- करना है, आपको (भी) इस बीच में तप करना है, और अपनेआप (को) परिशोधन करना है। 

आप (ये कि) ये कीजिए - ये करना आप को चाहिए। फिर - हम अकेले कर लेंगे? नहीं अकेले तो नहीं कर लेंगे - फिर हम पीठ पर तो हैं - आप क्यों हिम्मत हारते हैं - (हम) पीठ पर हैं। आप (सहायता) करेंगे, तो हम ज़रूर आपकी सहायता करेंगे।

इम्तहान में पास तो बच्चे ही होते हैं, पढ़ना तो उन्हीं को पड़ता है, स्कूल तो वो ही जाया करते हैं - पर आप समझते हैं कि बच्चे (जो) स्कूल जाते हैं, क्या अपने ही बलबूते पे पास हो जाते हैं? माता (उनको) खाने का इंतज़ाम करती है, पिता उनके लिए फीस का इंतज़ाम करता है, मास्टर उनको (पा ढ़) पढ़ाने में सहायता करता है - तीनों (ओर) की सहायता उनको मिलती है, तब कहीं हो पाता है, कि उनके पढ़ने की मेहनत और पढ़ने का (पुरुषार्थ) सफल हो जाए।

(हम) आपके लिए (सब) तीनों इंतजाम (करे) हैं। माता आपके लिए खुराक देने को तैयार है। हम आपके लिए - (आप) को ऊँचा उठाने के लिए जो पिता का कर्तव्य था, वो हम करने को तैयार हैं। गुरु का - चलिए साहब (गुरु न सही) हमको न सही, तो हमारा गुरु है - वो भी (आपको) इस वातावरण में, जिसमें आप निवास करते हैं -

36 - आपकी सहायता करने के लिए हम तीनों तैयार हैं। गुरु के रूप में वो सत्ता (जिसके) आधार पर (ये) शांतिकुंज बनाया गया है, (और) जिसकी आज्ञा से ये कल्प साधना के शिविर लगाए गए हैं - ऐसी कोई परम सत्ता, आपके गुरु (की) तरीके से ---- मार्गदर्शन ---- करने में, (यहाँ) तैयार है और (सहर्ष) (विद्यमान) है।

आप उसका फायदा उठाइए - आपकी सहायता करेंगे। हमको आप चाहें तो (वो वो) वो मान सकते हैं, अभिभावक मान सकते हैं - हमारे पास कुछ पुण्य होगा, तप होगा, ज्ञान होगा, चरित्र होगा, (दवा) होगा, तो आप यकीन रखिए, हम आप (को) न केवल दबाव ही डालेंगे, न केवल (सिखाई) (सिखावेंगे) ही, बल्कि उसका एक हिस्सा भी देंगे।

बाप भी तो अपने बच्चे को शिक्षा ही थोड़ी देता है - सहायता भी देता है। हमारी शिक्षा भी आपको मिलने वाली (है) और सहायता भी मिलने वाली है। माताजी का भी आपको स्नेह भी मिलने वाला है, प्यार भी मिलने वाला है, अनुदान भी मिलने वाला है, दुलार (दुलार) भी मिलने वाला है। तीन तरफ से -

37 - आप कैसे भाग्यवान हैं, कि आप माता का स्नेह यहाँ पा रहे हैं - आप कैसे भाग्यवान हैं, जो अपने पिता का अनुशासन और उनका सहयोग प्राप्त कर रहे हैं - आप कैसे भाग्यवान हैं जो आप ऐसे (एक) ---- महान ---- गुरु से, (जो) जो न केवल आप को, बल्कि आप (जैसे) जैसे लाखों आदमियों को - न केवल लाखों आदमियों को बल्कि (इस) सारे ज़माने को, और ज़माने की प्रवृत्तियों को मार्गदर्शन करने में समर्थ है

जो इस लायक है। आपको तीनों का (सुयोग) मिलता रहता है, आपके भाग्य की सराहना किए बिना हम रह नहीं (सकते)। (आपके आ) आपके लिए कल्प की संभावनाएँ बिल्कुल सुनिश्चित हैं।

आपका भूतकाल (जैसा) था, वो यहाँ का यहीं रह जाए - (आपके) पुराना वाला केंचुल, यहाँ का यहीं रह जाए - और आप जब जाएँ, ऐसे नए आदमी हो कर के जाएँ कि मज़ा आ जाए। 

आप जिस पिंजड़े में रहे हुए हैं, उसकी तीलियों को काटने का हमारा मन (है) - आप भी थोड़ा (प्रयत्न) कीजिए, थोड़ा हम प्रयत्न करेंगे। पंखों (को अ) को आप (पैने) कीजिए, ताकि जैसे ही ये पिंजड़े की तीलियाँ कटें, आप इसमें से भागना शुरू कर दें - और तीलियाँ हम काट देते हैं - (आप) पंखों को आप पैना कीजिए।

आप अपने पंखों को पैना नहीं करेंगे, पंखों को सिकोड़ के रखेंगे, तो हम तीलियाँ काट भी दें आप के पिंजड़े की, तो भी आप वहीं बैठे (रहेंगे) - पंख तो आपके ही उड़ा (लेंगे) - हम उड़ेंगे थोड़े (ही) - तीलियाँ काट देंगे। 

38 - आप हमारे सहयोग का फायदा (उठाइए), ---- वातावरण ---- का फायदा उठाइए, यहाँ की परिस्थितियों का फायदा उठाइए, यहाँ के मार्गदर्शन का फायदा उठाइए, और, और अपने भाग्य को (को) और भविष्य को शानदार बनाने के लिए कमर कस के तैयार हो जाइए।

आपको मालवीय जी के जो तीन कृत्य थे - वही जो शारीरिक (कृत्यों) के लिए कराए गए थे -

39 - मानसिक दृष्टि से, भावनात्मक दृष्टि से, ---- चिंतन ---- की (दृष्टि) से आपको वही तीन काम करने पड़ेंगे। 

40 - परि(शो)शोधन आपको करना ही चाहिए और करना ही पड़ेगा - इसी को प्रायश्चित कहते हैं, ---- तपश्चर्या ---- भी इसी को कहते हैं।

और, और 

41 - आपको एकांत सेवन करना ही पड़ेगा। आप गुफा में रहिए, एकांतसेवी रहिए, अपने हृदय की गुफा में घुस जाइए, एकांत में रहिए, ---- अंतर्मुखी ---- हो कर के रहिए, बाहर की बातों पे विचार मत कीजिए, केवल अपनी ही समस्या पर विचार कीजिए, (अपने) भविष्य के बारे में विचार कीजिए, अपने भूतकाल (पे) विचार कीजिए, और (भा) भविष्य का निर्धारण करने के लिए वो काम तैयार कीजिए जिनकी कि आपको ज़रूरत है।

(इन) सहयोग को आप ग्रहण कीजिए, उस सहयोग को आप हजम कीजिए, (उस सह क) उस (सहयोग) को आप चबा जाइए - हम आप को थाली में भोजन (परस) के देते हैं - आप खाइए इसको, और आप इसको पचाइए।

खाना आपका काम है, पचाना आपका काम है - भोजन ही तो हम दे पाएँगे - आपके बदले (की) हम पचा थोड़ी लेंगे, आप के बदले का हम चबा थोड़ी लेंगे - चबाइए आप, थाली हम परोसते हैं।

दोनों का सहयोग, भगवान करे कितना शानदार हो, और (आपका) उज्ज्वल भविष्य करने में (इस) आपके इस शिविर का कितना बड़ा योगदान हो - आप ये देख पाएँगे, और ये संभव है - (जैसी) कि हम आशा करते थे, (और) आपको आशा दिलाते थे।

थोड़ा सा ज़रा उत्साह दिखाइए, (और) थोड़ी (सी आप) अपना मनोबल बढ़ाइए - फिर देखिए आपका ये कल्प साधना का सत्र कितना शानदार, और कितना आपके भविष्य (को) निर्माण करने में सहायक सिद्ध होता है।

ॐ शांति