आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620110 - आध्यात्मिक पद्धतियों का ज्ञान-विज्ञान (आत्मिक उत्थान हेतु)

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

गायत्री मंत्र का ज्ञान-विज्ञान

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. हमारा _____ वर्ष का जीवन सिर्फ एक काम में लगा है, और वो काम है - भारतीय धर्म और संस्कृति की _____ का, की शोध। 

2. भारतीय धर्म और संस्कृति का _____ - गायत्री मंत्र। 

3. इस छोटे से _____ अक्षरों के मंत्र में वह ज्ञान और विज्ञान भरा हुआ पड़ा है, जिसके विस्तार में भारतीय तत्वज्ञान और भारतीय तद्-विज्ञान दोनों को खड़ा किया गया है। 

4. ब्रह्माजी ने चार मुखों से, चार चरण गायत्री का व्याख्यान किया, चार _____ के रूप में। 

5. वेदों से अन्यान्य _____ बने। जो कुछ भी हमारे पास है, उस सबका मूल, जड़, हम चाहें तो _____ के रूप में देख सकते हैं। 

6. इसीलिए इसी का नाम _____ रखा गया, _____ रखा गया। 

7. भारतीय धर्म और विज्ञान को समझने की अपेक्षा यह अच्छा है कि इसके _____ को समझ लिया जाए। 

8. अब हम आपको ये बताना चाहेंगे कि गायत्री मंत्र, गायत्री मंत्र के ज्ञान और विज्ञान में, ज्ञान और विज्ञान जिसकी कि व्याख्या स्वरूप _____ ने सारे का सारा तत्वज्ञान खड़ा किया है, क्या है? 

9. गायत्री को _____ कहते हैं। त्रिपदा का अर्थ है - तीन _____ वाली, तीन टाँग वाली। 

10. विज्ञान वाले पहलू में आते हैं - तत्वदर्शन - उसमें आते हैं तप, साधन, योगाभ्यास, _____ , जप, ध्यान, इत्यादि। 

11. यह विज्ञान वाला भाग है, इससे _____ पैदा होती है। 

12. हमारा लंबे समय का जो अनुभव है गायत्री उपासना के संबंध में, वो ये है कि मंत्र जप करने की विधियाँ और _____ तो वही हैं, जो सामान्य पुस्तकों में लिखे हुए हैं। 

13. किसी को फलित होने और किसी को न फलित होने का मूल कारण यह है कि उन तीन, तीन तत्वों का _____ करना लोग भूल जाते हैं जो किसी भी उपासना का _____ हैं। 

14. 1. एक तथ्य ये जुड़ा हुआ है कि _____ होनी चाहिए। 

15. श्रद्धा की एक अपने आप में _____ है। 

16. अगर हमारा किसी मंत्र के ऊपर, जप उपासना के ऊपर, अटूट _____ है, प्रगाढ़, प्रगाढ़ _____ और श्रद्धा है तो मेरा अब तक का अनुभव यह है कि उसको चमत्कार मिलना चाहिए, उसके लाभ सामने आने चाहिए। 

17. लेकिन मन में श्रद्धा को, श्रद्धा उत्पन्न न कर सके, विश्वास उत्पन्न न कर सके, ऐसे लोग खाली हाथ रह गए बहुत सारा _____ करते हुए भी। 

18. 2. उपासना को सफल बनाने के लिए परिष्कृत व्यक्तित्व होना _____ आवश्यक है। परिष्कृत व्यक्तित्व का मतलब ये है, आदमी चरित्रवान हो, आदमी _____ हो, सदाचारी हो, संयमी हो, अपने व्यक्तिगत जीवन को श्रेष्ठ और समुन्नत बनाए रखने वाला हो। 

19. अध्यात्म का _____ स्वयं पाने और दूसरों को दे सकने में केवल वही साधक सफल हुए हैं जिन्होंने जप, उपासना के कर्मकाण्डों के सिवाय, अपने व्यक्तिगत जीवन को _____, समुन्नत, श्रेष्ठ, और परिष्कृत बनाने का प्रयत्न किया है। 

20. संयमी व्यक्ति, सदाचारी व्यक्ति जो भी जप करते हैं, उपासना करते हैं, उनकी प्रत्येक उपासना _____ हो जाती है। 

21. भगवान का नाम ले कर के, नाम लेने का परिणाम ये होना चाहिए कि आदमी का _____ सही हो और, और शुद्ध बने। 

22. 3. तीसरा, हमारा अब तक का अनुभव ये है कि उच्चस्तरीय, उच्चस्तरीय जप और उपासनाएँ तब सफल होती हैं जबकि आदमी का _____ और महत्त्वाकांक्षाएँ भी _____ हों। 

23. देवता सबसे पहले कर्मकाण्डों की विधि और विधानों को देखने की अपेक्षा ये मालूम करने की कोशिश करते हैं कि इसकी उपासना का क्या _____ है? 

24. जिन्होंने किसी अच्छे काम के लिए, ऊँचे काम के लिए _____ की सेवा और सहायता चाही है, उनको बराबर सेवा सहायता मिली है। 

25. ये तीनों बातों को हमने प्रयत्न किया कि हम इस गायत्री उपासना में _____ करें। 

26. एक भगवान के भक्त को जैसा जीवन जीना चाहिए, अपने, हमने _____ प्रयत्न किया है कि उसमें किसी तरीके से कमी न आने पावे। 

27. पीड़ित मानवता को ऊँचा उठाने के लिए, देश, धर्म, समाज और संस्कृति को _____ बनाने के लिए हम उपासना करते हैं, अनुष्ठान करते हैं। 

28. भागीरथ की _____ को देख कर के भी गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गई थीं, और शंकर भगवान उनकी _____ करने के लिए तैयार हो गए थे। 

29. उपासना की सार्थकता कोई परख करनी हो, तो इनको इन तीनों बातों पे ध्यान रखना पड़ेगा जो हमने अभी-अभी निवेदन किया - उच्चस्तरीय _____, परिष्कृत व्यक्तित्व और अटूट श्रद्धा _____। 

30. गायत्री को कामधेनु कहा जाता है, यह _____ है। 

31. गायत्री को पारस कहा जाता है, इसको _____ के लोहा सोना बन जाता है, यह सही है। 

32. यह सब कुछ सही उसी हालत में है कि गायत्री रूपी _____ को चारा भी खिलाया जाए, पानी भी पिलाया जाए, उसकी _____ भी की जाए। 

33. अब ज्ञान पक्ष की बात - जो मेरा 70 वर्ष का अनुभव है - गायत्री के तीन पाद, तीन चरण में तीन _____ भरी पड़ी हैं। 

34. तीन पक्ष, त्रिपदा गायत्री - एक (1) _____, दूसरी (2) _____, तीसरी (3) _____। 

35. 1. आस्तिकता का अर्थ है - _____ का विश्वास। 

36. ईश्वर का विश्वास का अर्थ ये है, कि सर्वत्र जो भगवान समाया हुआ है, उसकी, उसके संबंध में ये दृष्टि रखें - उसका _____ पक्ष, उसका कर्म का फल देने वाला पक्ष इतना समर्थ है 

37. भगवान _____ है, सर्वत्र है, सबको देखता है, अगर यह विश्वास हमारे भीतर हो तो हमारे लिए पाप कर्म करना संभव नहीं है। 

38. आस्तिकता चरित्र-निष्ठा और समाज-निष्ठा का _____ है। 

39. हाथी के ऊपर अंकुश जैसे लगा रहता है, ................. का अंकुश हर आदमी को ईमानदार बनने के लिए, अच्छा आदमी बनने के लिए प्रेरणा करता है और प्रकाश देता है। 

40. ईश्वर की _____ का अर्थ है - जैसा ईश्वर महान है वैसे ही हम महान बनने के लिए कोशिश करें। 

41. यह _____ विश्व भगवान का रूप है, और हम इसकी सेवा करें, और इसकी सहायता करें, इस विश्व उद्यान को समुन्नत बनाने की कोशिश करें 

42. सर्वत्र भगवान विद्यमान है, ये भावना रखने से _____ सर्वभूतेषु की भावना मन में पैदा होती है। 

43. हम अपनी इच्छा भगवान पर थोपने की अपेक्षा, भगवान की, की इच्छा को अपने जीवन में _____ करें। 

44. 2. अध्यात्मिकता का अर्थ होता है - आत्मावलम्बन, अपने आप को ............, आत्मबोध। 

45. अपने दुःखों का कारण _____ तलाश करते फिरते रहते हैं। ये जानते नहीं कि हमारी _____ के कारण ही हमारी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। 

46. स्वर्ग और नरक हमारे ही ............. हैं। 

47. चट्टानों के ऊपर बादल बरसते रहते हैं, लेकिन एक घास का _____ भी पैदा नहीं होता। 

48. ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता _____ करते हैं। 

49. इसीलिए आध्यात्मिकता का संदेश ये है कि हर आदमी को अपने आप को देखना, _____, सुधारने के लिए भरपूर प्रयत्न करना चाहिए 

50. 3. धार्मिकता का अर्थ होता है - _____, कर्तव्यों का पालन। 

51. शरीर के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इसको _____ रखें। 

52. मस्तिष्क के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इसमें _____ विचारों को न आने दें। 

53. परिवार के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इसको, उनको _____ बनाएँ। 

54. देश, धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इन्हें भी _____ बनाने के लिए भरपूर ध्यान रखें। 

55. इन सारे के सारे कर्तव्यों को अगर हम ठीक तरीके से पूरा न कर सके तो हम _____ कैसे कहला सकेंगे? 

56. लेकिन इसके सार में तीन ही चीजें समाई हुई हैं - एक (१) आस्तिकता अर्थात ईश्वर का _____, (२) आध्यात्मिकता अर्थात स्व-अवलम्बन, _____ और अपने आप को परिष्कृत करना, अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करना, और तीसरा हमने पाया (३) धार्मिकता अर्थात _____। 

57. कर्तव्य परायण व्यक्ति, स्वावलंबी व्यक्ति, और ईश्वरपरायण व्यक्ति _____ का उपासक कहा जा सकता है और गायत्री मंत्र के ज्ञानपक्ष के द्वारा जो शांति मिलनी चाहिए, सद्गति मिलनी चाहिए, उसका _____ बन सकता है 

58. ऊँचे से ऊँची स्थिति प्राप्त करके इसी लोक में स्वर्ग और _____ का अधिकारी बन सकता है - ऐसा हमारा अनुभव, ऐसा हमारा _____ और ऐसा हमारा विश्वास 

1. हमारा ---- सत्तर ---- वर्ष का जीवन सिर्फ एक काम में लगा है, और वो काम है - भारतीय धर्म और संस्कृति की आत्मा का, की शोध।

2. भारतीय धर्म और ---- संस्कृति ---- का बीज - गायत्री मंत्र।

3. इस छोटे से ---- चौबीस ---- अक्षरों के मंत्र में वह ज्ञान और विज्ञान भरा हुआ पड़ा है, जिसके विस्तार में भारतीय तत्वज्ञान और भारतीय तद्-विज्ञान दोनों को खड़ा किया गया है।

4. ब्रह्माजी ने चार मुखों से, चार चरण गायत्री का व्याख्यान किया, चार ---- वेदों ---- के रूप में।

5. वेदों से अन्यान्य ---- धर्मग्रंथ ---- बने। जो कुछ भी हमारे पास है, उस सबका मूल, जड़, हम चाहें तो गायत्री मंत्र के रूप में देख सकते हैं।

6. इसीलिए इसी का नाम ---- गुरुमंत्र ---- रखा गया, बीजमंत्र रखा गया।

7. भारतीय धर्म और विज्ञान को समझने की अपेक्षा यह अच्छा है कि इसके ---- बीज ---- को समझ लिया जाए।

8. अब हम आपको ये बताना चाहेंगे कि गायत्री मंत्र, गायत्री मंत्र के ज्ञान और विज्ञान में, ज्ञान और विज्ञान जिसकी कि व्याख्या स्वरूप ---- ॠषियों ---- ने सारे का सारा तत्वज्ञान खड़ा किया है, क्या है?

9. गायत्री को ---- त्रिपदा ---- कहते हैं। त्रिपदा का अर्थ है - तीन चरण वाली, तीन टाँग वाली।

10. विज्ञान वाले पहलू में आते हैं - तत्वदर्शन - उसमें आते हैं तप, साधन, योगाभ्यास, ---- अनुष्ठान ---- , जप, ध्यान, इत्यादि।

11. यह विज्ञान वाला भाग है, इससे ---- शक्ति ---- पैदा होती है।

12. हमारा लंबे समय का जो अनुभव है गायत्री उपासना के संबंध में, वो ये है कि मंत्र जप करने की विधियाँ और ---- कर्मकाण्ड ---- तो वही हैं, जो सामान्य पुस्तकों में लिखे हुए हैं।

13. किसी को फलित होने और किसी को न फलित होने का मूल कारण यह है कि उन तीन, तीन तत्वों का ---- समावेश ---- करना लोग भूल जाते हैं जो किसी भी उपासना का प्राण हैं।

14. एक तथ्य ये जुड़ा हुआ है कि ---- अटूट ---- श्रद्धा होनी चाहिए।

15. श्रद्धा की एक अपनेआप में ---- शक्ति ---- है।

16. अगर हमारा किसी मंत्र के ऊपर, जप उपासना के ऊपर, अटूट ---- विश्वास ---- है, प्रगाढ़, प्रगाढ़ निष्ठा और श्रद्धा है तो मेरा अब तक का अनुभव यह है कि उसको चमत्कार मिलना चाहिए, उसके लाभ सामने आने चाहिए।

17. लेकिन मन में श्रद्धा को, श्रद्धा उत्पन्न न कर सके, विश्वास उत्पन्न न कर सके, ऐसे लोग खाली हाथ रह गए बहुत सारा ---- जप ---- करते हुए भी।

18. दूसरा - उपासना को सफल बनाने के लिए परिष्कृत व्यक्तित्व होना नितांत आवश्यक है। परिष्कृत व्यक्तित्व का मतलब ये है, आदमी चरित्रवान हो, आदमी ---- लोकसेवी ---- हो, सदाचारी हो, संयमी हो, अपने व्यक्तिगत जीवन को श्रेष्ठ और समुन्नत बनाए रखने वाला हो।

19. अध्यात्म का लाभ स्वयं पाने और दूसरों को दे सकने में केवल वही साधक सफल हुए हैं जिन्होंने जप, उपासना के कर्मकाण्डों के सिवाय, अपने व्यक्तिगत जीवन को ---- शालीन ---- , समुन्नत, श्रेष्ठ, और परिष्कृत बनाने का प्रयत्न किया है।

20. संयमी व्यक्ति, सदाचारी व्यक्ति जो भी जप करते हैं, उपासना करते हैं, उनकी प्रत्येक उपासना ---- सफल ---- हो जाती है।

21. भगवान का नाम ले कर के, नाम लेने का परिणाम ये होना चाहिए कि आदमी का ---- व्यक्तित्व ---- सही हो और, और शुद्ध बने।

22. तीसरा - हमारा अब तक का अनुभव ये है कि उच्चस्तरीय, उच्चस्तरीय जप और उपासनाएँ तब सफल होती हैं जबकि आदमी का दृष्टिकोण और महत्त्वाकांक्षाएँ भी ---- ऊँची ---- हों।

23. देवता सबसे पहले कर्मकाण्डों की विधि और विधानों को देखने की अपेक्षा ये मालूम करने की कोशिश करते हैं कि इसकी उपासना का क्या ---- उद्देश्य ---- है?

24. जिन्होंने किसी अच्छे काम के लिए, ऊँचे काम के लिए ---- भगवान ---- की सेवा और सहायता चाही है, उनको बराबर सेवा सहायता मिली है।

25. ये तीन बातों को हमने प्रयत्न किया कि हम इस गायत्री उपासना में प्राण ---- संचार ---- करें।

26. एक भगवान के भक्त को जैसा जीवन जीना चाहिए, अपने, हमने भरसक प्रयत्न किया है कि उसमें किसी तरीके से ---- कमी ---- न आने पावे।

27. पीड़ित मानवता को ऊँचा उठाने के लिए, देश, धर्म, समाज और संस्कृति को ---- समुन्नत ---- बनाने के लिए हम उपासना करते हैं, अनुष्ठान करते हैं।

28. भागीरथ की नीयत को देख कर के भी गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गई थीं, और शंकर भगवान उनकी ---- सहायता ---- करने के लिए तैयार हो गए थे।

29. उपासना की सार्थकता कोई परख करनी हो, तो इनको इन तीनों बातों पे ---- ध्यान ---- रखना पड़ेगा जो हमने अभी-अभी निवेदन किया - उच्चस्तरीय दृष्टिकोण , परिष्कृत व्यक्तित्व और अटूट श्रद्धा विश्वास।

30. गायत्री को कामधेनु कहा जाता है, ये ---- सही ---- है।

31. गायत्री को पारस कहा जाता है, ---- इसको ---- छू कर के लोहा सोना बन जाता है, ये सही है।

32. यह सब कुछ सही उसी हालत में है कि गायत्री रूपी ---- कामधेनु ---- को चारा भी खिलाया जाए, पानी भी पिलाया जाए, उसकी रखवाली भी की जाए।

33. अब ज्ञान पक्ष की बात - जो मेरा 70 वर्ष का अनुभव है - गायत्री के तीन पाद, तीन चरण में तीन ---- शिक्षाएँ ---- भरी पड़ी हैं।

34. तीन ---- पक्ष ----, त्रिपदा - गायत्री - एक (1) आस्तिकता , दूसरी (2) आध्यात्मिकता , तीसरी (3) धार्मिकता ।

35. आस्तिकता - एक - आस्तिकता का अर्थ है - ईश्वर का ---- विश्वास ---- ।

36. ईश्वर का विश्वास का अर्थ ये है, कि सर्वत्र जो भगवान समाया हुआ है, उसकी, उसके संबंध में ये दृष्टि रखें - उसका ---- न्याय ---- पक्ष, उसका कर्म का फल देने वाला पक्ष इतना समर्थ है

37. भगवान सर्वव्यापी है, सर्वत्र है, सबको देखता है - अगर ये विश्वास हमारे भीतर हो तो हमारे लिए पाप ---- कर्म ---- करना संभव नहीं है।

38. आस्तिकता - चरित्र-निष्ठा और समाज-निष्ठा का ---- मूल ---- है।

39. हाथी के ऊपर अंकुश जैसे लगा रहता है, ---- आस्तिकता ---- का अंकुश हर आदमी को ईमानदार बनने के लिए, अच्छा आदमी बनने के लिए प्रेरणा करता है और प्रकाश देता है।

40. ईश्वर की उपासना का अर्थ है - जैसा ईश्वर महान है वैसे ही हम महान बनने के लिए ---- कोशिश ---- करें।

41. ये विराट विश्व भगवान का रूप है, और हम इसकी ---- सेवा ---- करें, और इसकी सहायता करें, इस विश्व उद्यान को समुन्नत बनाने की कोशिश करें

42. सर्वत्र भगवान विद्यमान है, ये भावना रखने से आत्मवत् सर्वभूतेषु की ---- भावना ---- मन में पैदा होती है।

43. हम अपनी इच्छा भगवान पर थोपने की अपेक्षा, भगवान की, की इच्छा को अपने जीवन में ---- धारण ---- करें।

44. दूसरा वाला चरण – आध्यात्मिकता - आध्यात्मिकता का अर्थ होता है - आत्मावलम्बन, अपनेआप को ---- जानना ---- , आत्मबोध।

45. अपने दुःखों का कारण ---- बाहर ---- तलाश करते फिरते रहते हैं। ये जानते नहीं कि हमारी मन:स्थिति के कारण ही हमारी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

46. स्वर्ग और नरक हमारे ही ---- भीतर ---- हैं।

47. चट्टानों के ऊपर बादल बरसते रहते हैं, लेकिन एक ---- घास ---- का तिनका भी पैदा नहीं होता।

48. ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता आप ---- करते ---- हैं।

49. इसीलिए आध्यात्मिकता का संदेश ये है कि हर आदमी को अपने आप को देखना, ---- समझना ---- , सुधारने के लिए भरपूर प्रयत्न करना चाहिए

50. (तीसरा) वाला चरण गायत्री मंत्र का है - धार्मिकता - धार्मिकता का अर्थ होता है - कर्तव्यपरायणता , कर्तव्यों का ----  पालन ---- ।

51. शरीर के प्रति ---- हमारा ---- कर्तव्य है कि इसको नीरोग रखें।

52. मस्तिष्क के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इसमें अवांछनीय ---- विचारों ---- को न आने दें।

53. परिवार के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इसको, उनको सद्गुणी ---- बनाएँ ---- ।

54. देश, धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति हमारा कर्तव्य है कि इन्हें भी समुन्नत बनाने के लिए ---- भरपूर ---- ध्यान रखें।

55. इन सारे के सारे कर्तव्यों को अगर हम ठीक तरीके से पूरा न कर सके तो हम ----धार्मिक ---- कैसे कहला सकेंगे?

56. लेकिन इसके सार में तीन ही चीजें ---- समाई ---- हुई हैं - एक (1) - आस्तिकता अर्थात ईश्वर का विश्वास , (2) आध्यात्मिकता अर्थात स्व-अवलम्बन, आत्मबोध और अपनेआप को परिष्कृत करना, अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करना, और तीसरा हमने पाया (3) धार्मिकता अर्थात् कर्तव्यपरायणता ।

57. कर्तव्यपरायण व्यक्ति, स्वावलंबी व्यक्ति, और ईश्वरपरायण व्यक्ति गायत्री मंत्र का उपासक कहा जा सकता है, और गायत्री मंत्र के ज्ञानपक्ष के द्वारा जो ---- शांति ---- मिलनी चाहिए, सद्गति मिलनी चाहिए, उसका अधिकारी बन सकता है

58. ऊँचे से ऊँची स्थिति प्राप्त करके इसी लोक में स्वर्ग और ---- मुक्ति ---- का अधिकारी बन सकता है - ऐसा हमारा अनुभव, ऐसा हमारा विचार और ऐसा हमारा विश्वास।