आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

13. तीर्थ यात्रा का उद्देश्य

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं -     प्रश्नोत्तरी (.doc फाइल)     प्रश्नोत्तरी (.pdf फाइल)

प्रश्नोत्तरी

1. भगवान ने मजाक में ये कहा - अच्छा, आप तो मंत्र जप कर के स्वर्ग को जाने की फिराक में फिरते मालुम पड़ते हैं। हाँ साहब, हमने सुना है कि कोई मंत्र जप कर लेता है, राम नाम ले लेता है, तो ------- को जाता है।

2. भगवान (बहुत) बहुत हँसे। (उन्होंने) कहा जिस आदमी ने आपको ऐसी सलाह दी है, वो बड़ा पागल आदमी मालुम पड़ता है, और आपने ऐसे ------- कर लिया, आप उससे भी ज्यादा पागल मालुम पड़ते हैं।

3. आप राम नाम का जप करने से, या किसी शब्द का उच्चारण करने से, अथवा देवी-देवता (की) नाक रगड़ने से, अथवा किसी क्रिया-कृत्य को पूरा करने से आध्यात्मिकता का लक्ष्य प्राप्त करने में कभी ------- नहीं हो सकते - आप ऐसे कीजिए, जो गल्तियाँ की हैं उनको बराबर कीजिए, खाइयों को पाटिए।

4. न केवल उन्होंने पूजा-पाठ किया, बल्कि उन्होंने अपने शरीर के श्रम के द्वारा समाज में सत्प्रवृत्तियाँ बढ़ाने के लिए ------- तप किया, और पूरी-पूरी मेहनत से काम लिया। जो उनके पास संग्रह था, उसको भी उन्होंने खर्च कर डाला।

5. ये चांद्रायण व्रत का एक ढंग है - जो आप को कराया गया है, कल्प साधना। चांद्रायण में भी अन्न को कम करना पड़ता था, आहार को कम करना पड़ता था, भोजन पे नियंत्रण करना पड़ता था, ------- की रोकथाम करनी पड़ती थी - वही आपको करनी पड़ी है - दोनों एक ही बात (हैं)।

6. अब एक नया काम शुरू कर देना चाहिए - क्या शुरू कर देना चाहिए? पापों का प्रायश्चित - समयदान। समयदान के लिए क्या करना चाहिए? समयदान के लिए (क्या) क्या करना चाहिए? अच्छा - इस विषय में एक पुरानी, बहुत ------- परम्परा है - तीर्थ यात्रा करनी चाहिए।

7. तीर्थ यात्रा क्या होती है? तीर्थ यात्रा कहते हैं - धर्म प्रचार की पद यात्रा - धर्म प्रचार की पद यात्रा। तीर्थ यात्रा - इसका अर्थ ये है - गाँव-गाँव घूमना, जगह-जगह -------, लोगों को अच्छे (उ) उपदेश करना।

8. जहाँ भी लोग गाँव में प्रवेश करते हैं, वहाँ अच्छे दोहे, ज्ञान के दोहे, भक्ति के दोहे, वैराग्य के दोहे, ------- के दोहे सुनाते चलते हैं। इसलिए उनका धर्मोपदेश भी साथ-साथ चलता रहता है, पद-यात्रा भी चलती रहती है, जन सम्पर्क का कार्य भी होता रहता है।

9. जन सम्पर्क - एक - पद-यात्रा - दो - धर्म प्रचार - तीन - इन तीन बातों को मिला दें, तो आपकी ------- अर्थों में (ती) तीर्थ-यात्रा हो जाएगी।

10. ये देखने जाते हैं - दर्शन करना कहाँ आता है? दर्शन करने की ------- कहाँ है? केवल देखने जाते हैं। बद्रीनाथ का खिलौना, जगन्नाथ का खिलौना, (फलाने) जगह का खिलौना।

11. मंदिरों में रखे हुए जगह-जगह के खिलौने देखने जाते हैं - दर्शन इनको कहाँ आता है? फिलॉसफी इनको कहाँ आती है? देखने की दृष्टि कहाँ है? ------- के लिए दृष्टि चाहिए। दिव्य-दृष्टि दी थी श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को।

12. बादलों के पास खेत कैसे आ पाएंगे - बताइए? खेतों में इतनी ------- होती, तो फिर आप (क्यों) क्यों किसी का इंतजार करते? बादलों को ही आना पड़ेगा। घर-घर आपको ही जाना पड़ेगा - आपके पास नहीं आएंगे।

13. सेवाभावी लोग ये इंतजार नहीं करते कि वो लोग, दुखी लोग, हमारे पास आएँ, और अर्जी दें, और हमसे ------- करें - ना - आपको ही भाग के जाना पड़ेगा, और दौड़ना चाहिए।

14. आपको सूरज (की) तरीके से, हवा (की) तरीके से, और ------- (की) तरीके से, उन सभी जगह पे जाना चाहिए जहाँ ज्ञान की आवश्यकता है।

15. तीर्थ यात्रा की तैयारी करनी चाहिए - घर घर जाना चाहिए। किसके लिए? जन सम्पर्क के लिए। जन सम्पर्क (कि) किसके लिए? धर्म धारणा जाग्रत करने के लिए, विचार क्रांति के लिए, जन मानस का परिष्कार करने के लिए, लोक मानस में आदर्शवादिता की ------- करने के लिए - यही उद्देश्य होना चाहिए।

16. इसके लिए पैदल चलना पड़ता था, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ------- में मिलें, और (उनके) सम्पर्क (में) बनाएँ। आपको भी ऐसी ही तीर्थ-यात्रा की तैयारी करनी चाहिए।

17. जगह जगह शिक्षण देने (के लिए), अलख जगाने के लिए, एक योजना बना के ले जाइए। दीवारों पर आदर्श वाक्य, खड़िया, ------- से लिखने की आदत आप डालिए, उससे आप असंख्यों (आदमी) को, रास्ता चलते आदमी को प्रेरणा दे सकने में समर्थ होंगे।

18. ढपली पे गाना - स्ट्रीट सिंगर (street singer) - सड़क पे खड़े हो के गाने वाले। स्ट्रीट सिंगरों की एक नई पीढ़ी और नई ------- हमने लगाई है।

19. आप भी उसमें शामिल हों, तो एक आदमी या दो आदमी ले कर के, ढपली, ------- ले के चले जाएँ - किसी गाँव के लोगों को कहीं भी इकट्ठा कर लें - जहाँ प्याऊ है वहाँ पानी पीने के लिए जा बैठें, ढपली बजाने लगें।

20. आप कुछ समय एकांत में रह कर के अपने प्रायश्चित कीजिए, साधनाएँ कीजिए, उपासनाएँ कीजिए, ------- के लिए पृष्ठभूमि बनाइए। कैसी पृष्ठभूमि? जैसे कि (ती) तीर्थों में बनाई जाती थी। 

21. तीर्थों में प्राचीनकाल में दो तरह के लोगों के शिक्षणों का ------- था - एक - बच्चों का शिक्षण, जिनको गुरुकुल कहते (थे)। 

22. साइकिल से आप चलें, गाँव-गाँव जाएँ, घर-घर रुकें, गाँव-गाँव जाएँ, दीवारों पे आदर्श वाक्य लिखें, ढपली से गीत और संगीत सुनाएँ, रात को प्रवचन की व्यवस्था करें, यज्ञ वगैरह की बात सोचें, अच्छे साहित्य को लोगों तक पहुँचाने का इस बीच में ------- करें, वगैरह

23. बातें ऐसी हैं कि जिससे जनजीवन में (नवजी) नवचेतना भरने का, संचार का मौका मिलता है, और आपको सेवा करने का, श्रम करने का, ------- करने का, उदारता दिखाने का मौका मिलता है - (ये) तीर्थ-यात्रा के पीछे यही उद्देश्य था।

24. मुंडन कराते थे (ती) तीर्थों में जा कर के - इसका मतलब (यही) था कि हमने अपने पुराने विचारों को ------- दिया है।

25. मस्तिष्क के ऊपर उगे हुए बालों को अपने कुविचारों का प्रतीक मानते थे, और प्रतीक मान कर के ऐसा करते थे, इनको मुंडन के माध्यम से उतार के फेंक देते थे, अर्थात ये विश्वास करते थे कि हमारे पुराने (संग्रहित) दुर्विचार, ------- को हमने हटा दिया - अब हम नई जिंदगी जीने के लिए तैयारी कर रहे हैं - यही था तीर्थ

26. तरीका नम्बर दो - ये कि जहाँ (आप) जिस तीर्थ में निवास करें, वहाँ कुछ दिन निवास कीजिए, (साधनाएँ) कीजिए, तपश्चर्या कीजिए, उपासना कीजिए, और ऐसे वातावरण और सत्संग में रहिए जिससे कि आप पिछले वाले, घिनौने भूतकाल को छोड़ कर के, उज्ज्वल भविष्य में ------- करने में समर्थ हो सकें।

27. ये (कार्य) वातावरण से ताल्लुक रखता है, ये कार्य ॠषियों के सान्निध्य से ताल्लुक रखता है, यहाँ, ये कार्य प्राणवान प्रक्रिया से ताल्लुक रखता है। तीर्थों में (ये) सारी (बातों) की ------- होती थीं, इसीलिए लोग तीर्थों में जाते थे, और वहीं निवास करते थे।

28. आप ये मान के चल सकते हैं, कि आप यहाँ, जो कल्प साधना शिविर में आए हैं, एक महीने (का) तीर्थ सेवन ------- में आए हैं।

1. भगवान ने मजाक में ये कहा - अच्छा, आप तो मंत्र जप कर के स्वर्ग को जाने की फिराक में फिरते मालुम पड़ते हैं। हाँ साहब, हमने सुना है कि कोई मंत्र जप कर लेता है, राम नाम ले लेता है, तो -----बैकुण्ठ -- को जाता है।

2. भगवान (बहुत) बहुत हँसे। (उन्होंने) कहा जिस आदमी ने आपको ऐसी सलाह दी है, वो बड़ा पागल आदमी मालुम पड़ता है, और आपने ऐसे ----विश्वास --- कर लिया, आप उससे भी ज्यादा पागल मालुम पड़ते हैं।

3. आप राम नाम का जप करने से, या किसी शब्द का उच्चारण करने से, अथवा देवी-देवता (की) नाक रगड़ने से, अथवा किसी क्रिया-कृत्य को पूरा करने से आध्यात्मिकता का लक्ष्य प्राप्त करने में कभी ----समर्थ --- नहीं हो सकते - आप ऐसे कीजिए, जो गल्तियाँ की हैं उनको बराबर कीजिए, खाइयों को पाटिए।

4. न केवल उन्होंने पूजा-पाठ किया, बल्कि उन्होंने अपने शरीर के श्रम के द्वारा समाज में सत्प्रवृत्तियाँ बढ़ाने के लिए ----घनघोर --- तप किया, और पूरी-पूरी मेहनत से काम लिया। जो उनके पास संग्रह था, उसको भी उन्होंने खर्च कर डाला।

5. ये चांद्रायण व्रत का एक ढंग है - जो आप को कराया गया है, कल्प साधना। चांद्रायण में भी अन्न को कम करना पड़ता था, आहार को कम करना पड़ता था, भोजन पे नियंत्रण करना पड़ता था, ----स्वाद --- की रोकथाम करनी पड़ती थी - वही आपको करनी पड़ी है - दोनों एक ही बात (हैं)।

6. अब एक नया काम शुरू कर देना चाहिए - क्या शुरू कर देना चाहिए? पापों का प्रायश्चित - समयदान। समयदान के लिए क्या करना चाहिए? समयदान के लिए (क्या) क्या करना चाहिए? अच्छा - इस विषय में एक पुरानी, बहुत ---शानदार ---- परम्परा है - तीर्थ यात्रा करनी चाहिए।

7. तीर्थ यात्रा क्या होती है? तीर्थ यात्रा कहते हैं - धर्म प्रचार की पद यात्रा - धर्म प्रचार की पद यात्रा। तीर्थ यात्रा - इसका अर्थ ये है - गाँव-गाँव घूमना, जगह-जगह ----जाना ---, लोगों को अच्छे (उ) उपदेश करना।

8. जहाँ भी लोग गाँव में प्रवेश करते हैं, वहाँ अच्छे दोहे, ज्ञान के दोहे, भक्ति के दोहे, वैराग्य के दोहे, ---कर्तव्यपालन ---- के दोहे सुनाते चलते हैं। इसलिए उनका धर्मोपदेश भी साथ-साथ चलता रहता है, पद-यात्रा भी चलती रहती है, जन सम्पर्क का कार्य भी होता रहता है।

9. जन सम्पर्क - एक - पद-यात्रा - दो - धर्म प्रचार - तीन - इन तीन बातों को मिला दें, तो आपकी ---सच्चे ---- अर्थों में (ती) तीर्थ-यात्रा हो जाएगी।

10. ये देखने जाते हैं - दर्शन करना कहाँ आता है? दर्शन करने की ---बुद्धि ---- कहाँ है? केवल देखने जाते हैं। बद्रीनाथ का खिलौना, जगन्नाथ का खिलौना, (फलाने) जगह का खिलौना।

11. मंदिरों में रखे हुए जगह-जगह के खिलौने देखने जाते हैं - दर्शन इनको कहाँ आता है? फिलॉसफी इनको कहाँ आती है? देखने की दृष्टि कहाँ है? ----दर्शन --- के लिए दृष्टि चाहिए। दिव्य-दृष्टि दी थी श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को।

12. बादलों के पास खेत कैसे आ पाएंगे - बताइए? खेतों में इतनी ----सामर्थ्य --- होती, तो फिर आप (क्यों) क्यों किसी का इंतजार करते? बादलों को ही आना पड़ेगा। घर-घर आपको ही जाना पड़ेगा - आपके पास नहीं आएंगे।

13. सेवाभावी लोग ये इंतजार नहीं करते कि वो लोग, दुखी लोग, हमारे पास आएँ, और अर्जी दें, और हमसे ---प्रार्थना ---- करें - ना - आपको ही भाग के जाना पड़ेगा, और दौड़ना चाहिए।

14. आपको सूरज (की) तरीके से, हवा (की) तरीके से, और -----बादलों -- (की) तरीके से, उन सभी जगह पे जाना चाहिए जहाँ ज्ञान की आवश्यकता है।

15. तीर्थ यात्रा की तैयारी करनी चाहिए - घर घर जाना चाहिए। किसके लिए? जन सम्पर्क के लिए। जन सम्पर्क (कि) किसके लिए? धर्म धारणा जाग्रत करने के लिए, विचार क्रांति के लिए, जन मानस का परिष्कार करने के लिए, लोक मानस में आदर्शवादिता की ---प्रतिष्ठापना ---- करने के लिए - यही उद्देश्य होना चाहिए।

16. इसके लिए पैदल चलना पड़ता था, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ----रास्ते --- में मिलें, और (उनके) सम्पर्क (में) बनाएँ। आपको भी ऐसी ही तीर्थ-यात्रा की तैयारी करनी चाहिए।

17. जगह जगह शिक्षण देने (के लिए), अलख जगाने के लिए, एक योजना बना के ले जाइए। दीवारों पर आदर्श वाक्य, खड़िया, ---मिट्टी ---- से लिखने की आदत आप डालिए, उससे आप असंख्यों (आदमी) को, रास्ता चलते आदमी को प्रेरणा दे सकने में समर्थ होंगे।

18. ढपली पे गाना - स्ट्रीट सिंगर (street singer) - सड़क पे खड़े हो के गाने वाले। स्ट्रीट सिंगरों की एक नई पीढ़ी और नई ---पौध ---- हमने लगाई है।

19. आप भी उसमें शामिल हों, तो एक आदमी या दो आदमी ले कर के, ढपली, ---खंजरी---- ले के चले जाएँ - किसी गाँव के लोगों को कहीं भी इकट्ठा कर लें - जहाँ प्याऊ है वहाँ पानी पीने के लिए जा बैठें, ढपली बजाने लगें।

20. आप कुछ समय एकांत में रह कर के अपने प्रायश्चित कीजिए, साधनाएँ कीजिए, उपासनाएँ कीजिए, ----आत्मपरिष्कार --- के लिए पृष्ठभूमि बनाइए। कैसी पृष्ठभूमि? जैसे कि (ती) तीर्थों में बनाई जाती थी।

21. तीर्थों में प्राचीनकाल में दो तरह के लोगों के शिक्षणों का -----प्रबन्ध -- था - एक - बच्चों का शिक्षण, जिनको गुरुकुल कहते (थे)।

22. साइकिल से आप चलें, गाँव-गाँव जाएँ, घर-घर रुकें, गाँव-गाँव जाएँ, दीवारों पे आदर्श वाक्य लिखें, ढपली से गीत और संगीत सुनाएँ, रात को प्रवचन की व्यवस्था करें, यज्ञ वगैरह की बात सोचें, अच्छे साहित्य को लोगों तक पहुँचाने का इस बीच में ----प्रयत्न --- करें, वगैरह

23. बातें ऐसी हैं कि जिससे जनजीवन में (नवजी) नवचेतना भरने का, संचार का मौका मिलता है, और आपको सेवा करने का, श्रम करने का, ---त्याग ---- करने का, उदारता दिखाने का मौका मिलता है - (ये) तीर्थ-यात्रा के पीछे यही उद्देश्य था।

24. मुंडन कराते थे (ती) तीर्थों में जा कर के - इसका मतलब (यही) था कि हमने अपने पुराने विचारों को ---बदल ---- दिया है।

25. मस्तिष्क के ऊपर उगे हुए बालों को अपने कुविचारों का प्रतीक मानते थे, और प्रतीक मान कर के ऐसा करते थे, इनको मुंडन के माध्यम से उतार के फेंक देते थे, अर्थात ये विश्वास करते थे कि हमारे पुराने (संग्रहित) दुर्विचार, ---कुसंस्कारों ---- को हमने हटा दिया - अब हम नई जिंदगी जीने के लिए तैयारी कर रहे हैं - यही था तीर्थ

26. तरीका नम्बर दो - ये कि जहाँ (आप) जिस तीर्थ में निवास करें, वहाँ कुछ दिन निवास कीजिए, (साधनाएँ) कीजिए, तपश्चर्या कीजिए, उपासना कीजिए, और ऐसे वातावरण और सत्संग में रहिए जिससे कि आप पिछले वाले, घिनौने भूतकाल को छोड़ कर के, उज्ज्वल भविष्य में ----प्रवेश --- करने में समर्थ हो सकें।

27. ये (कार्य) वातावरण से ताल्लुक रखता है, ये कार्य ॠषियों के सान्निध्य से ताल्लुक रखता है, यहाँ, ये कार्य प्राणवान प्रक्रिया से ताल्लुक रखता है। तीर्थों में (ये) सारी (बातों) की ---सुविधाएँ---- होती थीं, इसीलिए लोग तीर्थों में जाते थे, और वहीं निवास करते थे।

28. आप ये मान के चल सकते हैं, कि आप यहाँ, जो कल्प साधना शिविर में आए हैं, एक महीने (का) तीर्थ सेवन ----सत्र --- में आए हैं।