आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

5. साधना क्यों और कैसे?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - सही भक्त की (कल) कल हम आपको पहचान बता (के) चुके हैं, और ये बता (के) चुके हैं कि भक्त को भगवान के ------- पर निर्भर रहना चाहिए।

2 - भक्त कैसा जिसकी मनोकामना? मनोकामना (होंगी) तो भक्त नहीं होगा, और भक्त होगा तो मनोकामना नहीं होंगी। दोनों का निर्वाह एक साथ नहीं रह सकता। (जहाँ) अंधेरा होगा वहाँ उजेला नहीं होगा, और उजेला होगा वहाँ अंधेरा नहीं रहेगा - दोनों का एक साथ ------- कैसे होगा?

3 - इतिहास तो ला भक्तों का उठा कर के - जब से सृष्टि बनी है, और जबसे भक्ति का ------- बना है, तब से भगवान ने एक भी (भगवान) भक्त की मनोकामना पूरी नहीं की है। हर भक्त को मनोकामना का त्याग करना पड़ा है, और भगवान की मनोकामना को अपनी मनोकामना बनाना पड़ा है। 

4 - भगवान के गुण और आपके गुण एक बन सकते हैं - आप महापुरुष हो सकते हैं, महामानव हो सकते हैं, ॠषि हो सकते हैं, ------- हो सकते हैं, और (अवतार) हो सकते हैं, अगर आप उपासना का ठीक तरीके से अवलम्बन लें तो।

5 - दूसरी बात बताते हैं - अपनी पात्रता का विकास - पात्रता का विकास आपको करना पड़ेगा - ------- उसके लिए बनना पड़ेगा।

6 - पाँच तत्व दुनिया में हैं - (जिसमें) से हवा भी है, रोशनी भी है, ------- भी है - ये सब आदमी की सहायता करते हैं न?

7 - पात्रता का अर्थ होता है - जीवन को परिष्कृत करना। जीवन को परिष्कृत करने के लिए साधना करनी (पड़ेगी)। भगवान को प्राप्त करने के लिए - उपासना; और, अपनेआप को ------- बनाने के लिए - साधना। 

8 - साधना किसकी? - अपनी । उपासना किसकी?- ------- की।

9 - अपनी से क्या मतलब? अपनी से मतलब ये है कि जो हमारे भीतर जन्म-जन्मांतरों के कुसंस्कार जमे पड़े हैं, उनको ------- करना पड़ेगा, बचकानापन दूर करना पड़ेगा।

10 - पात्रता से मतलब मेरा उसी का है - आदमी (सभ्य) - व्यावहारिक जीवन से सभ्य, और ------- की दृष्टि से सुसंस्कृत। 

11 - इन दो विशेषताओं को अपने अंदर पैदा करे आदमी, तो ये माना जाएगा (कि उसने) पात्रता का विकास कर लिया। पात्रता (को) अगर विकास कर लिया है तो ------- में भी इज़्ज़त, और भगवान के यहाँ भी इज़्ज़त।

12 - साधना तो आपके हाथ की बात है। अपनेआप को सुसंस्कारी बनाने के लिए जो भी मुमकिन हो, आप पूरी शक्ति से और पूरी ------- से मेहनत कीजिए।

13 - कुसंस्कारों के विरुद्ध ------- करना, ये हमारा काम है - साधना इसी का नाम है।

14 - इसका नाम कलम लगाना कहिए, ------- कहिए, अथवा साधना कहिए। माली की साधना पौधे के साथ, और आपकी जीवात्मा की साधना अपने जीवन के साथ।

15 - जीवात्मा की साधना जीवन के साथ। जीवन को अगर परिष्कृत बना लें, ------- को अगर ऊँचा आप उठा लें, तो ज़रा मजा देखिए न - आपकी हैसियत कितनी बड़ी हो जाती है।

16 - पात्रता के लिए अपने गुण, (अपने) कर्म और अपने स्वभाव, इन तीनों चीजों को ------- करना हर आदमी के लिए बेहद जरूरी है। 

17 - आध्यात्मिकता के रास्ते पे, जहाँ भगवान का पल्ला पकड़ना पड़ता है, वहाँ दूसरा वाला कदम ये उठाना पड़ता है कि हमारी साधना जीवन की ------- हुई कि नहीं, हमने अपनेआप को साध लिया कि (नहीं) नहीं साधा।

18 - गुरुकुलों में ॠषि लोग छोटे बच्चों को महापुरुष बनाने की शिक्षा (दे) देते भी हैं। आरण्यकों में वानप्रस्थों को भर्ती करने के बाद में ------- देने की बात भी चलती है।

19 - एक-एक गल्ती, एक-एक विचारधारा, एक-एक भूल के बारे में कौन सुधार करे? इसीलिए ये काम आपको स्वयं ही करना पड़ेगा। आप ही अपने गुरु हैं, आप ही अपने ------- हैं, आप ही अपने साधक हैं, आप ही अपने मार्गदर्शक हैं। 

20 - अगर आप ये समझ लें, तो आपके प्रति एक ही काम (हो) जाता है, कि आप अपनेआप को -------, अपनेआप को सम्भालिए, अपनेआप को ठीक कीजिए, और अपने भगवान के नजदीक आइए।

21 - एक भगवान तो वो है जो सारे विश्व में छाया हुआ है, सारे ------- करता है, व्यवस्था बनाता है। वो तो एक तरह के नियम हैं, कायदा और कानून हैं - जिसको हम परब्रह्म कहते हैं।

22 - एक और ब्रह्म है - जिसको आपको अपने ढंग से बनाना है। वो कौन सा परब्रह्म है? वो आपको - अंग्रेजी में उसको सुपर (चे) चेतन कहते हैं, और वेदांत की भाषा में, वेदांत की भाषा में उसको 'स्व' कहा गया है, ------- कहा गया है।

23 - अरे लोगों अपनेआप को जानो, अपनेआप को सुधारो, अपनेआप को -------, और आपनेआप को ठीक करो।

24 - वो अपना भीतर वाला अंत:करण है, व्यक्तित्व है, जिसमें कि गुण, जिसमें कर्म, और जिसमें स्वभाव भरे पड़े हैं। जिसमें विश्वास और मान्यताएँ भरी पड़ी हैं। जिसमें ------- भरी पड़ी हैं। 

25 - आपको आत्मदेव की उपासना करनी (है)। उपासना के बारे में जो हम कल कह रहे थे, ------- में वो आपका आत्मदेव है।

26 - अपनेआप का, व्यक्तित्व का (उज) उजागर होना, स्वच्छ और ------- होना, ये बहुत बड़ी बात है। इसके लिए आपको क्या करना चाहिए? चौबीसों घंटे आपको ध्यान रखना चाहिए। क्या ध्यान रखना चाहिए? कि हमारा जीवन किस तरीके से ठीक बन सकता है। 

27 - आपको अपने कर्तव्यों पे ध्यान देना चाहिए, आपको अपने ------- को परिष्कृत करना चाहिए, और (अपने) भक्ति भावना का विकास करना चाहिए।

28 - एक योग का नाम है ज्ञान योग - जिसका अर्थ है आप ------- को समझें, अपने जीवन के मूल्य को समझें। 

29 - जहाँ कहीं भी हमारे फर्ज़ हमको बुलाते हैं, वहाँ हमको अपनी ------- करनी चाहिए, और वहाँ (अपने) मनोयोग लगाना चाहिए - इसका नाम कर्मयोग। 

30 - भक्ति का अर्थ प्यार होता है, प्यार का अर्थ सेवा होता है - सेवा कीजिए; सेवा अगर आप भक्ति को समझ सकते हों, तब फिर क्या हो जाएगा? फिर ये ------- हो (जाएगा)।

31 - तीन बात को ध्यान रखेंगे तब, तब आपका व्यक्तित्व निखरता हुआ चला जाएगा। जीवन की साधना के लिए (इन) बातों पे ध्यान रखना बहुत जरूरी है। हमारा जीवन पारस है, हमारा जीवन कल्पवृक्ष है, हमारा जीवन अमृत है, हमारा जीवन ------- है, आप जो भी चाहें (इसको) जीवन को बना सकते हैं।

32 - आपको अपनी कमजोरियों को और बुराइयों को दूर करने के लिए जद्दोजहद करनी (है), और अपनी अच्छाइयों को प्राप्त करने के लिए ------- करना है - दो काम करते हुए चले जाएंगे, (तो) आपकी जीवन साधना पूर्ण हो जाएगी। 

1 - सही भक्त की (कल) कल हम आपको पहचान बता (के) चुके हैं, और ये बता (के) चुके हैं कि भक्त को भगवान के ---अनुशासन---- पर निर्भर रहना चाहिए।

2 - भक्त कैसा जिसकी मनोकामना? मनोकामना (होंगी) तो भक्त नहीं होगा, और भक्त होगा तो मनोकामना नहीं होंगी। दोनों का निर्वाह एक साथ नहीं रह सकता। (जहाँ) अंधेरा होगा वहाँ उजेला नहीं होगा, और उजेला होगा वहाँ अंधेरा नहीं रहेगा - दोनों का एक साथ ---जोड़ ---- कैसे होगा?

3 - इतिहास तो ला भक्तों का उठा कर के - जब से सृष्टि बनी है, और जबसे भक्ति का ---विज्ञान---- बना है, तब से भगवान ने एक भी (भगवान) भक्त की मनोकामना पूरी नहीं की है। हर भक्त को मनोकामना का त्याग करना पड़ा है, और भगवान की मनोकामना को अपनी मनोकामना बनाना पड़ा है। 

4 - भगवान के गुण और आपके गुण एक बन सकते हैं - आप महापुरुष हो सकते हैं, महामानव हो सकते हैं, ॠषि हो सकते हैं, ----देवात्मा --- हो सकते हैं, और (अवतार) हो सकते हैं, अगर आप उपासना का ठीक तरीके से अवलम्बन लें तो।

5 - दूसरी बात बताते हैं - अपनी पात्रता का विकास - पात्रता का विकास आपको करना पड़ेगा - ----पात्र --- उसके लिए बनना पड़ेगा।

6 - पाँच तत्व दुनिया में हैं - (जिसमें) से हवा भी है, रोशनी भी है, ----सूरज --- भी है - ये सब आदमी की सहायता करते हैं न?

7 - पात्रता का अर्थ होता है - जीवन को परिष्कृत करना। जीवन को परिष्कृत करने के लिए साधना करनी (पड़ेगी)। भगवान को प्राप्त करने के लिए - उपासना; और, अपनेआप को ----पात्र --- बनाने के लिए - साधना। 

8 - साधना किसकी? - अपनी । उपासना किसकी?- ----भगवान --- की।

9 - अपनी से क्या मतलब? अपनी से मतलब ये है कि जो हमारे भीतर जन्म-जन्मांतरों के कुसंस्कार जमे पड़े हैं, उनको ----परिशोधन --- करना पड़ेगा, बचकानापन दूर करना पड़ेगा।

10 - पात्रता से मतलब मेरा उसी का है - आदमी (सभ्य) - व्यावहारिक जीवन से सभ्य, और ----चिंतन --- की दृष्टि से सुसंस्कृत। 

11 - इन दो विशेषताओं को अपने अंदर पैदा करे आदमी, तो ये माना जाएगा (कि उसने) पात्रता का विकास कर लिया। पात्रता (को) अगर विकास कर लिया है तो ----संसार --- में भी इज़्ज़त, और भगवान के यहाँ भी इज़्ज़त।

12 - साधना तो आपके हाथ की बात है। अपनेआप को सुसंस्कारी बनाने के लिए जो भी मुमकिन हो, आप पूरी शक्ति से और पूरी ----ईमानदारी--- से मेहनत कीजिए।

13 - कुसंस्कारों के विरुद्ध ---जद्दोजहद ---- करना, ये हमारा काम है - साधना इसी का नाम है।

14 - इसका नाम कलम लगाना कहिए, ---सुसंस्कारिता ---- कहिए, अथवा साधना कहिए। माली की साधना पौधे के साथ, और आपकी जीवात्मा की साधना अपने जीवन के साथ।

15 - जीवात्मा की साधना जीवन के साथ। जीवन को अगर परिष्कृत बना लें, --व्यक्तित्व ----- को अगर ऊँचा आप उठा लें, तो ज़रा मजा देखिए न - आपकी हैसियत कितनी बड़ी हो जाती है।

16 - पात्रता के लिए अपने गुण, (अपने) कर्म और अपने स्वभाव, इन तीनों चीजों को ---परिष्कृत ---- करना हर आदमी के लिए बेहद जरूरी है। 

17 - आध्यात्मिकता के रास्ते पे, जहाँ भगवान का पल्ला पकड़ना पड़ता है, वहाँ दूसरा वाला कदम ये उठाना पड़ता है कि हमारी साधना जीवन की ---क्रमबद्ध ---- हुई कि नहीं, हमने अपनेआप को साध लिया कि (नहीं) नहीं साधा।

18 - गुरुकुलों में ॠषि लोग छोटे बच्चों को महापुरुष बनाने की शिक्षा (दे) देते भी हैं। आरण्यकों में वानप्रस्थों को भर्ती करने के बाद में ----शिक्षण --- देने की बात भी चलती है।

19 - एक-एक गल्ती, एक-एक विचारधारा, एक-एक भूल के बारे में कौन सुधार करे? इसीलिए ये काम आपको स्वयं ही करना पड़ेगा। आप ही अपने गुरु हैं, आप ही अपने -----शिक्षक -- हैं, आप ही अपने साधक हैं, आप ही अपने मार्गदर्शक हैं। 

20 - अगर आप ये समझ लें, तो आपके प्रति एक ही काम (हो) जाता है, कि आप अपनेआप को ---सुधारिए ----, अपनेआप को सम्भालिए, अपनेआप को ठीक कीजिए, और अपने भगवान के नजदीक जाइए।

21 - एक भगवान तो वो है जो सारे विश्व में छाया हुआ है, सारे ---नियमन ---- करता है, व्यवस्था बनाता है। वो तो एक तरह के नियम हैं, कायदा और कानून हैं - जिसको हम परब्रह्म कहते हैं।

22 - एक और ब्रह्म है - जिसको आपको अपने ढंग से बनाना है। वो कौन सा परब्रह्म है? वो आपको - अंग्रेजी में उसको सुपर (चे) चेतन कहते हैं, और वेदांत की भाषा में, वेदांत की भाषा में उसको 'स्व' कहा गया है, ---आत्मा ---- कहा गया है।

23 - अरे लोगों अपनेआप को जानो, अपनेआप को सुधारो, अपनेआप को ----समझो ---, और आपनेआप को ठीक करो।

24 - वो अपना भीतर वाला अंत:करण है, व्यक्तित्व है, जिसमें कि गुण, जिसमें कर्म, और जिसमें स्वभाव भरे पड़े हैं। जिसमें विश्वास और मान्यताएँ भरी पड़ी हैं। जिसमें -----आदतें -- भरी पड़ी हैं। 

25 - आपको आत्मदेव की उपासना करनी (है)। उपासना के बारे में जो हम कल कह रहे थे, ----वास्तव --- में वो आपका आत्मदेव है।

26 - अपनेआप का, व्यक्तित्व का (उज) उजागर होना, स्वच्छ और ---निर्मल ---- होना, ये बहुत बड़ी बात है। इसके लिए आपको क्या करना चाहिए? चौबीसों घंटे आपको ध्यान रखना चाहिए। क्या ध्यान रखना चाहिए? कि हमारा जीवन किस तरीके से ठीक बन सकता है। 

27 - आपको अपने कर्तव्यों पे ध्यान देना चाहिए, आपको अपने --ज्ञान ----- को परिष्कृत करना चाहिए, और (अपने) भक्ति भावना का विकास करना चाहिए।

28 - एक योग का नाम है ज्ञान योग - जिसका अर्थ है आप ----वास्तविकता --- को समझें, अपने जीवन के मूल्य को समझें।

29 - जहाँ कहीं भी हमारे फर्ज़ हमको बुलाते हैं, वहाँ हमको अपनी ---मेहनत ---- करनी चाहिए, और वहाँ (अपने) मनोयोग लगाना चाहिए - इसका नाम कर्मयोग। 

30 - भक्ति का अर्थ प्यार होता है, प्यार का अर्थ सेवा होता है - सेवा कीजिए; सेवा अगर आप भक्ति को समझ सकते हों, तब फिर क्या हो जाएगा? फिर ये ----भक्तियोग--- हो (जाएगा)।

31 - तीन बात को ध्यान रखेंगे तब, तब आपका व्यक्तित्व निखरता हुआ चला जाएगा। जीवन की साधना के लिए (इन) बातों पे ध्यान रखना बहुत जरूरी है। हमारा जीवन पारस है, हमारा जीवन कल्पवृक्ष है, हमारा जीवन अमृत है, हमारा जीवन ----कामधेनु --- है, आप जो भी चाहें (इसको) जीवन को बना सकते हैं।

32 - आपको अपनी कमजोरियों को और बुराइयों को दूर करने के लिए जद्दोजहद करनी (है), और अपनी अच्छाइयों को प्राप्त करने के लिए ----पुरुषार्थ --- करना है - दो काम करते हुए चले जाएंगे, (तो) आपकी जीवन साधना पूर्ण हो जाएगी।