आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

15. शांतिकुंज एक श्रेष्ठ गायत्री तीर्थ

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं -     प्रश्नोत्तरी (.doc फाइल)     प्रश्नोत्तरी (.pdf फाइल)

प्रश्नोत्तरी

1. कुछ काम ऐसे हैं जो बाहर के लोग कर सकते हैं, और कुछ काम ऐसे हैं जो स्वयं करने चाहिए। दोनों मिल कर के ही एक पूर्णता बनती है। अकेले बाहर के अनुदानों से आज तक किसी का काम नहीं चला, और केवल अकेले पुरुषार्थ से (ये) आदमी कोई ------- आज तक बना नहीं है।

2. हमारे करने (से का) जो सीमा थी, वो हमने ------- तरीके से कर (दिया)। क्या कर दिया? आपके लिए एक वातावरण बना कर के हमने रखा है। शांतिकुंज में क्यों बुलाया? वातावरण के लिए बुलाया है।

3. वातावरण बनाने के लिए हमने बहुत मेहनत की है, और वातावरण (का) आप कीमत समझिए - वातावरण (का) आप कीमत समझेंगे नहीं तो आप ------- करते रहेंगे।

4. गुरु वशिष्ठ ने (रामचन्द्र को) रामचन्द्र जी से कहा - अब बुढ़ापे का समय आ गया, अब भगवान की भक्ति में और जीवन को ऊँचा उठाने (में) कुछ ------- करना चाहिए। 

5. जो आपके जुड़े हुए मोह बंधन हैं, वो जब तक जकड़े हुए रहेंगे, मन भगवान की तरफ चलेगा ही नहीं, भक्ति आप कर ही नहीं सकेंगे, आध्यात्मिक उन्नति का कोई ------- खुल ही नहीं सकेगा।

6. कहाँ चलना पड़ेगा? गुरु वशिष्ठ ने कहा - तो हमारे नजदीक चलिए, जहाँ हम रहते हैं। गुरु वशिष्ठ की ------- वहीं थी, हिमालय पे; उसके पास उन्होंने चारों भाइयों को बुला लिया।

7. रामचन्द्र जी देवप्रयाग रहने लगे, लक्ष्मण जी लक्ष्मण झूला पे रहने लगे, भरत जी ॠषिकेश में आ के (अपने) जम गए, और शत्रुघ्न ने मुनि की रेती (पे) अपना स्थान और अपनी ------- बना ली, और चारों अलग-अलग रह कर के गुरु वशिष्ठ के सान्निध्य में शिक्षण प्राप्त करने लगे।

8. हिमालय का वातावरण है, संस्कारी वातावरण, जिसमें कि ------- वर्षों से लोगों ने तप किए हैं, साधनाएँ की हैं

9. आध्यात्मिक विषयों के लिए उन्होंने देवप्रयाग मुनासिब समझा, और वहीं उनसे साधना कराई - चारों भाइयों समेत भगवान वहीं रहे, क्योंकि वातावरण की बहुत ------- होती है, आध्यात्मिक जीवन (में)।

10. वातावरण का बहुत भारी असर होता है, इसीलिए आपको हमने यहाँ वातावरण में बुलाया है। हिमालय के ------- बुलाया है; हिमालय जहाँ से शुरू होता है, जहाँ ॠषियों (ने सब का) सप्त ॠषियों का स्थान था। 

11. जहाँ स्वर्ग था - स्वर्ग कहाँ था? स्वर्ग हिमालय के उस इलाके में है जिसको नन्दनवन कहते हैं - गोमुख से आगे। स्वर्ग जमीन पे था। सुमेरु पर्वत वहीं है। देवता भी इसी इलाके में रहते थे, ------- वाले में

12. सारे के सारे महत्वपूर्ण ॠषि, (जि) जिसमें सप्त ॠषियों से ले कर के सनक-सनन्दन तक, और नारद से ले कर के आदि गुरु शंकराचार्य तक, जितने भी ------- व्यक्ति हुए हैं, उनकी साधनाएँ इसी स्थान में हुई हैं - इसीलिए हिमालय का अपना वातावरण है।

13. यहाँ गंगा भी ------- होती है। जिस स्थान पर ये हमने शांतिकुंज बनाया है, इसमें हमारे गुरुदेव ने इस स्थान का महत्व बताया था कि सात ॠषियों का यहाँ (त) तप हुआ था। 

14. पाँच गंगाएँ, जो अभी तो दिखाई पड़ती हैं, यहाँ सात ॠषियों की सात गंगाएँ थीं - दो गंगाएँ ------- हो गई हैं। वो कहाँ गईं? उसी स्थान पे थीं जहाँ शांतिकुंज बना हुआ है। 

15. गंगा जी का तट नहीं है, (ये) बीच गंगा है, और ये हिमालय का द्वार है, और, और यहाँ ------- ऐसा प्राणवान सान्निध्य है जैसे कि शेर और गाय (दोनों) दोनों मिलकर के जहाँ पानी पीते थे - (ऐसे) ही वातावरण है यहाँ।

16. शांतिकुंज में आपको हमने साधना करने के लिए बुलाया है। (तब) बात पूरी हो जाएगी? ना, बात (प) पूरी नहीं हो सकती; आपको इसके ------- में अपनी श्रद्धा संजो कर के रखनी होगी। 

17. आप यहाँ निवास करते हैं तो कृपा कर के (इस) अपनी श्रद्धा को जीवंत कीजिए, और आप अपनेआप को ये अनुभव करना शुरू कीजिए (कि) आप किसी ऐसे स्थान पर निवास करते हैं, जहाँ (के) वातावरण आपके साधना को सफल बनाने में ------- है।

18. गायत्री के ॠषि - (विश्वामित्र) विश्वामित्र - जिन्होंने गायत्री मंत्र का साक्षात्कार किया है, ------- इसी स्थान पे तप करते थे।

19. आपकी (श्रद्धा) श्रद्धा अगर जगी तो ये तीर्थ है। ये गायत्री का हमने तीर्थ बनाया है। इसमें तीर्थों की जो विशेषताएँ होती हैं, वो सब विशेषताएँ ------- की हैं हमने, कोई कमी नहीं छोड़ी है

20. जो एक शानदार, श्रेष्ठ और ------- तीर्थ बनाने के लिए, किसी स्थान के लिए जो प्रयत्न किए जाने चाहिए, वो सारे प्रयत्न किए गए हैं।

21. तीर्थ के लिए (इसकी) भूमि को संस्कारवान बनाना पड़ता है। (संस्कारवान) (प्र) प्राचीनकाल में ॠषियों ने ------- बनाए थे, आरण्यक बनाए थे, साधना के बड़े-बड़े अनुष्ठान सम्पन्न होते थे - हम भी तो यही कर रहे हैं

22. यहाँ (कि) कितने चौबीस लक्ष के पुरश्चरण हो चुके हैं - आप जानते हैं? हर साल नवरात्रियों में चौबीस करोड़ का यहाँ पुरश्चरण हो जाता है। हर दिन यहाँ नौ कुण्ड के हवन में ------- आहुतियाँ दी जाती हैं।

23. यहाँ अखण्ड दीपक जलता रहता है। यहाँ हमारी और माताजी की नियमित रूप से कठोर तपश्चर्या अभी भी चलती रहती है। इससे वातावरण नहीं बनेगा? वातावरण बनता है, और हमारे गुरुदेव ------- रूप से यहाँ छाए रहते हैं।

24. गायत्री माता का प्रकाश और आलोक, आप चाहें, अगर आपके अंदर श्रद्धा हो, तो अनुभव कर सकते हैं। यहाँ गायत्री माता का आलोक छाया रहता है। (यहाँ) हमारे गुरुदेव का संरक्षण छाया रहता है। यहाँ हमारा प्राण ------- रहता है।

25. यहाँ, आपको कहा था न एक दिन, कि अपनेआप को ------- कीजिए कि आप माताजी के गर्भ में निवास करते हैं।

26. मुर्गी अपने अण्डे को छाती के नीचे लगा कर के बैठी रहती है, और अण्डा (पकते रहते हैं)। (हम भी) हम लोग भी आपको छाती से लगा के बैठे रहते हैं, और आपको ------- रहते हैं।

27. जिस बात के लिए आज आपको ------- किया जा रहा है, वो ये है कि आपकी स्वयं की श्रद्धा जीवन्त होनी चाहिए। अगर आपने अपनी श्रद्धा (को) परित्याग कर दिया, (तो) इस वातावरण से आपको कतई, कोई लाभ नहीं मिलेगा

28. आपको आज मैं भाव श्रद्धा के ऊपर बहुत जोर देना चाहता हूँ। अगर आप यहाँ से ------- उठाना चाहते हों, तो आप श्रद्धा को (मज) मत छोड़ना। 

29. आप श्रद्धा जगाइए, और (आप यहाँ) आप यहाँ के कण-कण में से अमृत बरसता हुआ, और आलोक ------- और उभरता हुआ देखिए

30. गिरधर गोपाल कौन? पत्थर का टुकड़ा - नहीं, पत्थर का टुकड़ा नहीं - ------- और जीवन्त। कैसे? मीरा ने अपनी श्रद्धा को (समापित) किया था; श्रद्धा (को) मिल जाने से ही पत्थर गिरधर गोपाल बन सका।

31. श्रद्धा जगाइए, कृपा कर के श्रद्धा जगाइए, कृपा कर के श्रद्धा जगाइए। आपको अंध-श्रद्धा के लिए नहीं कुछ कहा जा रहा है - यहाँ श्रद्धा का ------- वातावरण है।

32. श्रद्धा उत्पन्न कीजिए। आपके हिस्से का काम बाकी पड़ा है। हमने अपने हिस्से का काम पूरा कर दिया। आप और हम दोनों अपने अपने हिस्से का काम पूरा लें, तो आपका ये कल्प साधना का शिविर आपके लिए सौभाग्य से भरा-पूरा होगा - ऐसा ------- है।

1. कुछ काम ऐसे हैं जो बाहर के लोग कर सकते हैं, और कुछ काम ऐसे हैं जो स्वयं करने चाहिए। दोनों मिल कर के ही एक पूर्णता बनती है। अकेले बाहर के अनुदानों से आज तक किसी का काम नहीं चला, और केवल अकेले पुरुषार्थ से (ये) आदमी कोई ----सम्पन्न --- आज तक बना नहीं है।

2. हमारे करने (से का) जो सीमा थी, वो हमने ---पूरी ---- तरीके से कर (दिया)। क्या कर दिया? आपके लिए एक वातावरण बना कर के हमने रखा है। शांतिकुंज में क्यों बुलाया? वातावरण के लिए बुलाया है।

3. वातावरण बनाने के लिए हमने बहुत मेहनत की है, और वातावरण (का) आप कीमत समझिए - वातावरण (का) आप कीमत समझेंगे नहीं तो आप ----भूल --- करते रहेंगे।

4. गुरु वशिष्ठ ने (रामचन्द्र जी को) रामचन्द्र जी से कहा - अब बुढ़ापे का समय आ गया, अब भगवान की भक्ति में और जीवन को ऊँचा उठाने (में) कुछ ---प्रयत्न ---- करना चाहिए।

5. जो आपके जुड़े हुए मोह बंधन हैं, वो जब तक जकड़े हुए रहेंगे, मन भगवान की तरफ चलेगा ही नहीं, भक्ति आप कर ही नहीं सकेंगे, आध्यात्मिक उन्नति का कोई ----रास्ता --- खुल ही नहीं सकेगा।

6. कहाँ चलना पड़ेगा? गुरु वशिष्ठ ने कहा - तो हमारे नजदीक चलिए, जहाँ हम रहते हैं। गुरु वशिष्ठ की --गुफा ----- वहीं थी, हिमालय पे; उसके पास उन्होंने चारों भाइयों को बुला लिया।

7. रामचन्द्र जी देवप्रयाग रहने लगे, लक्ष्मण जी लक्ष्मण झूला पे रहने लगे, भरत जी ॠषिकेश में आ के (अपने) जम गए, और शत्रुघ्न ने मुनि की रेती (पे) अपना स्थान और अपनी ----जगह --- बना ली, और चारों अलग-अलग रह कर के गुरु वशिष्ठ के सान्निध्य में शिक्षण प्राप्त करने लगे।

8. हिमालय का वातावरण है, संस्कारी वातावरण, जिसमें कि ----हजारों --- वर्षों से लोगों ने तप किए हैं, साधनाएँ की हैं

9. आध्यात्मिक विषयों के लिए उन्होंने देवप्रयाग मुनासिब समझा, और वहीं उनसे साधना कराई - चारों भाइयों समेत भगवान वहीं रहे, क्योंकि वातावरण की बहुत ----अपेक्षा --- होती है, आध्यात्मिक जीवन (में)।

10. वातावरण का बहुत भारी असर होता है, इसीलिए आपको हमने यहाँ वातावरण में बुलाया है। हिमालय के ---नजदीक ---- बुलाया है; हिमालय जहाँ से शुरू होता है, जहाँ ॠषियों (ने सब का) सप्त ॠषियों का स्थान था।

11. जहाँ स्वर्ग था - स्वर्ग कहाँ था? स्वर्ग हिमालय के उस इलाके में है जिसको नन्दनवन कहते हैं - गोमुख से आगे। स्वर्ग जमीन पे था। सुमेरु पर्वत वहीं है। देवता भी इसी इलाके में रहते थे, ---हिमालय ---- वाले में

12. सारे के सारे महत्वपूर्ण ॠषि, (जि) जिसमें सप्त ॠषियों से ले कर के सनक-सनन्दन तक, और नारद से ले कर के आदि गुरु शंकराचार्य तक, जितने भी ---महत्वपूर्ण ---- व्यक्ति हुए हैं, उनकी साधनाएँ इसी स्थान में हुई हैं - इसीलिए हिमालय का अपना वातावरण है।

13. यहाँ गंगा भी ----प्रवाहित --- होती है। जिस स्थान पर ये हमने शांतिकुंज बनाया है, इसमें हमारे गुरुदेव ने इस स्थान का महत्व बताया था कि सात ॠषियों का यहाँ (त) तप हुआ था।

14. पाँच गंगाएँ, जो अभी तो दिखाई पड़ती हैं, यहाँ सात ॠषियों की सात गंगाएँ थीं - दो गंगाएँ ----गायब --- हो गई हैं। वो कहाँ गईं? उसी स्थान पे थीं जहाँ शांतिकुंज बना हुआ है।

15. गंगा जी का तट नहीं है, (ये) बीच गंगा है, और ये हिमालय का द्वार है, और, और यहाँ ----आपको--- ऐसा प्राणवान सान्निध्य है जैसे कि शेर और गाय (दोनों) दोनों मिलकर के जहाँ पानी पीते थे - (ऐसे) ही वातावरण है यहाँ।

16. शांतिकुंज में आपको हमने साधना करने के लिए बुलाया है। (तब) बात पूरी हो जाएगी? ना, बात (प) पूरी नहीं हो सकती; आपको इसके ---साथ ---- में अपनी श्रद्धा संजो कर के रखनी होगी।

17. आप यहाँ निवास करते हैं तो कृपा कर के (इस) अपनी श्रद्धा को जीवंत कीजिए, और आप अपनेआप को ये अनुभव करना शुरू कीजिए (कि) आप किसी ऐसे स्थान पर निवास करते हैं, जहाँ (के) वातावरण आपके साधना को सफल बनाने में ----समर्थ --- है।

18. गायत्री के ॠषि - (विश्वामित्र) विश्वामित्र - जिन्होंने गायत्री मंत्र का साक्षात्कार किया है, ----ठीक --- इसी स्थान पे तप करते थे।

19. आपकी (श्रद्धा) श्रद्धा अगर जगी तो ये तीर्थ है। ये गायत्री का हमने तीर्थ बनाया है। इसमें तीर्थों की जो विशेषताएँ होती हैं, वो सब विशेषताएँ ---पैदा ---- की हैं हमने, कोई कमी नहीं छोड़ी है

20. जो एक शानदार, श्रेष्ठ और ----समर्थ --- तीर्थ बनाने के लिए, किसी स्थान के लिए जो प्रयत्न किए जाने चाहिए, वो सारे प्रयत्न किए गए हैं।

21. तीर्थ के लिए (इसकी) भूमि को संस्कारवान बनाना पड़ता है। (संस्कारवान) (प्र) प्राचीनकाल में ॠषियों ने ----गुरुकुल --- बनाए थे, आरण्यक बनाए थे, साधना के बड़े-बड़े अनुष्ठान सम्पन्न होते थे - हम भी तो यही कर रहे हैं

22. यहाँ (कि) कितने चौबीस लक्ष के पुरश्चरण हो चुके हैं - आप जानते हैं? हर साल नवरात्रियों में चौबीस करोड़ का यहाँ पुरश्चरण हो जाता है। हर दिन यहाँ नौ कुण्ड के हवन में ----हजारों--- आहुतियाँ दी जाती हैं।

23. यहाँ अखण्ड दीपक जलता रहता है। यहाँ हमारी और माताजी की नियमित रूप से कठोर तपश्चर्या अभी भी चलती रहती है। इससे वातावरण नहीं बनेगा? वातावरण बनता है, और हमारे गुरुदेव ---परोक्ष ---- रूप से यहाँ छाए रहते हैं।

24. गायत्री माता का प्रकाश और आलोक, आप चाहें, अगर आपके अंदर श्रद्धा हो, तो अनुभव कर सकते हैं। यहाँ गायत्री माता का आलोक छाया रहता है। (यहाँ) हमारे गुरुदेव का संरक्षण छाया रहता है। यहाँ हमारा प्राण ----फैला--- रहता है।

25. यहाँ, आपको कहा था न एक दिन, कि अपनेआप को ----अनुभव--- कीजिए कि आप माताजी के गर्भ में निवास करते हैं।

26. मुर्गी अपने अण्डे को छाती के नीचे लगा कर के बैठी रहती है, और अण्डा (पकते रहते हैं)। (हम भी) हम लोग भी आपको छाती से लगा के बैठे रहते हैं, और आपको ----पकाते --- रहते हैं।

27. जिस बात के लिए आज आपको ---निवेदन ---- किया जा रहा है, वो ये है कि आपकी स्वयं की श्रद्धा जीवन्त होनी चाहिए। अगर आपने अपनी श्रद्धा (को) परित्याग कर दिया, (तो) इस वातावरण से आपको कतई, कोई लाभ नहीं मिलेगा

28. आपको आज मैं भाव श्रद्धा के ऊपर बहुत जोर देना चाहता हूँ। अगर आप यहाँ से ----लाभ --- उठाना चाहते हों, तो आप श्रद्धा को (मरी हुई) मत छोड़ना।

29. आप श्रद्धा जगाइए, और (आप यहाँ) आप यहाँ के कण-कण में से अमृत बरसता हुआ, और आलोक ---उछलता ---- और उभरता हुआ देखिए

30. गिरधर गोपाल कौन? पत्थर का टुकड़ा - नहीं, पत्थर का टुकड़ा नहीं - ----सशक्त --- और जीवन्त। कैसे? मीरा ने अपनी श्रद्धा को (समापित) किया था; श्रद्धा (को) मिल जाने से ही पत्थर गिरधर गोपाल बन सका।

31. श्रद्धा जगाइए, कृपा कर के श्रद्धा जगाइए, कृपा कर के श्रद्धा जगाइए। आपको अंध-श्रद्धा के लिए नहीं कुछ कहा जा रहा है - यहाँ श्रद्धा का ---परिपूर्ण ---- वातावरण है।

32. श्रद्धा उत्पन्न कीजिए। आपके हिस्से का काम बाकी पड़ा है। हमने अपने हिस्से का काम पूरा कर दिया। आप और हम दोनों अपने अपने हिस्से का काम पूरा कर लें, तो आपका ये कल्प साधना का शिविर आपके लिए सौभाग्य से भरा-पूरा होगा - ऐसा -----विश्वास – है।