आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

22. तपश्चर्या कैसे करें?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. भगवान बुद्ध से उनके शिष्यों ने ये पूछा - मनुष्य इतना सार्थक और समर्थ होते हुए भी ------- गिर क्यों पड़ता है? अध:पतित क्यों हो जाता है? भगवान बुद्ध ने एक तो घटना दिखाई और एक उदाहरण दिया।

2. इंसान के ------- सुराख हो जाएँ - उसमें से (ही) पानी भरने लगेगा और वो डूब जाएगा; (और) सुराख न हों तब, (तब) न पानी भरेगा, न वो डूबेगा।

3. आदमी के जीवन में अगर ------- सारे सुराख हों, (तो) उनकी सम्पदाएँ और उनकी विभूतियाँ, उनकी विशेषताएँ - सब (खतम) हो जाएंगी, सब (खतम) हो जाएंगी, फिर कुछ बचेगा ही नहीं।

4. ये मत भुलाइए (कि) आपको अपने सुराखों को बंद करना (है) - (अपनेआ) अपने छिद्रों (को) रोकथाम करनी है, अपनी ------- (को) और अपने असंयमों के ऊपर हावी होना है

5. तो क्या करें? मैंने बताया न आपको - चार बात करनी पड़ेंगी ------- - तप, जिसका कि कल जिक्र किया गया था, चार प्रकार का होता है।

6. विचारों का संयम - एक - (उसका) पैसे का संयम - दो - समय का संयम - तीन - और इंद्रियों का संयम - चार - तपश्चर्या की चार ------- हैं

7. आपको जीह्वा इंद्रिय का अभ्यास कराया गया है - (आपको, आपको) जीह्वा को तपस्वी बनाया जा रहा है, ताकि (आप) स्वाद के लिए ------- वाली जीह्वा, जिसने कि (आपके स्वा) स्वास्थ्य को खराब कर दिया, आपके मन को खराब कर दिया - आप काबू में रख सकें

8. इंद्रियाँ हमारी हैं तो बहुत अच्छी, इनसे ही सब काम चलता है - लेकिन, अगर इनको उच्छृंखल बनने दें, रोकथाम न करें, ------- न बनाएँ, संयमी न बनाएँ, तो इंद्रियाँ (आपको) मुसीबत खड़ी कर देती हैं

9. आप खानपान के बारे में असंयम ------- रहे हैं - उसका परिणाम ये हुआ है कि पेट खराब हो गया, पेट खराब होने का परिणाम ये हो गया कि आपका स्वास्थ्य खराब हो गया।

10. स्वास्थ्य के खराब होने के लिए (कि) दोष किसी को मत दीजिए - इस ------- में जितने भी जानवर हैं, उसमें से कोई बीमार नहीं पड़ता - मरते तो सब हैं - (पर) बीमार कहाँ पड़ते हैं? 

11. कबूतर बीमार पड़ते हैं? लोमड़ी, खरगोश, जो जंगल में उछलते हैं, कहीं बीमार पड़ते देखे हैं आपने? कोई नहीं पड़ता है - एक ही ------- जानवर है जिसका नाम है मनुष्य, यही बीमार पड़ता है।

12. क्यों पड़ता है? सिर्फ एक वजह है (इसकी) बीमार पड़ने की, कि अपनी जीभ को इतना ------- बना देता है, कि वो अभक्ष्य खाती रहती है, ज़रूरत से ज्यादा खाती रहती है

13. जो चीज़ें न खानी चाहिए वो खाती रहती है - पेट काम नहीं करता, पेट हजम नहीं कर सकता, ------- खराब हो जाती है, और शरीर (भी) कमज़ोर और बीमार पड़ जाता है।

14. अगर आप जीभ पे काबू कर लें तब - तब आप विश्वास रखिए आपका ------- हुआ स्वास्थ्य मिल (जाए)।

15. अंतत: (इससे) अन्न से मन बन जाता है - अंतिम, अंतिम चरण जो अन्न का है वो मन है। जैसा खाएँ अन्न, वैसा बने मन - ये ------- सौ फीसदी सही है।

16. आप अभक्ष्य खाते रहिए, तमोगुणी चीज़ें खाते रहिए, माँस खाते रहिए, दूसरी ------- चीज़ें खाते रहिए, फिर आप देखिए आपका मन कैसा चंचल हो जाता है

17. (इसीलिए) जीभ पर काबू पाइए, ------- पर काबू पाइए, स्वाद पर आपने काबू पा लिया तो (आपने) मन (की सम्भालने में) और शरीर की बीमारियों से मुकाबला करने में आप सफल हो (जाएंगे)।

18. एक इसको वाक्-इंद्रिय, वाणी इंद्रिय भी कहते हैं - वाणी पे संयम - वाणी पे अगर आपका संयम नहीं है, चाहे जिससे चाहे जैसे ------- बोलते हैं, कड़ुवे बोलते हैं, क्या बोलते हैं, क्या नहीं बोलते हैं - इसका परिणाम क्या होगा? इसका परिणाम बहुत खराब होगा।

19. जीभ (को) हमको दूसरों को सम्मान देना चाहिए - दूसरों (को) इज़्ज़त और अपनी नम्रता का ------- रखना चाहिए।

20. दूसरों को इज़्ज़त दीजिए, अच्छे परामर्श दीजिए, लोगों (को) उत्साह बढ़ाइए, लोगों की हिम्मत को तोड़िए मत, लोगों की हिम्मतें बढ़ाने वाली ------- कहिए - अगर आप ऐसा कर लेते हैं तो फिर मैं आपको तपस्वी कहूँगा - ये वाणी का तप हुआ, जीह्वा का तप हुआ।

21. इंद्रियों के तप में ब्रह्मचर्य का तप भी आता है - ऐसे तो इंद्रियाँ हैं दस, पर आप दस के (झं) झंझट में मत पड़िए - दो को ही ------- लीजिए - एक जीभ मुख्य है, और दूसरी वाली कामेन्द्रिय मुख्य है।

22. आप इन्हीं को बेटी मान पाएँ तब, बहन मान पाएँ तब, माता मान पाएँ तब, सहधर्मिणी मान पाएँ तब - तो यही ------- आपके लिए देवी की तरह से (सहायता) होंगी।

23. ये ब्रह्मचर्य का प्रताप था (कि वो) दुबले और पतले, कमज़ोर होते हुए भी, मन:शक्ति के (हिसाब) से ऐसे थे जैसे कोई ------- पहलवान भी नहीं हो सकता।

24. समय का संयम - समय आपकी सम्पत्ति है - जीवन जो बना हुआ है, ये समय से ------- हुआ है - समय का अर्थ होता है जीवन, जीवन का अर्थ होता है समय।

25. संसार के प्रत्येक महापुरुष ने अपने-अपने समय का ठीक ------- से नियमन किया है - विनोबा तेईस भाषाओं के विद्वान हैं

26. मन लगा के काम करने वाले का काम कैसा होता है, आप (देख) देख सकते हैं न - बया पक्षी होता है, और एक-एक तिनके को ------- के लाता है

27. उसकी लम्बाई-चौढ़ाई नाप के लाता है, ------- से लाता है, मोटाई को देख के लाता है, और जहाँ लगाता है घोंसले में, बड़ी सावधानी से और मनोयोग (के साथ) लगाता है 

28. मन लगा के काम करना - ये ------- (की) सम्मान का प्रश्न होना चाहिए, ये (अपनी) प्रतिष्ठा का प्रश्न है।

29. तीसरा वाला संयम है - धन का संयम - पैसा ------- ने आपको दिया है, (अ) इसीलिए दिया नहीं है कि आप बेसिलसिले खर्च करें

30. ईमानदारी से (कमाएँ) कमाएँ, और शराफ़त की तरीके से खर्च करें। बेसिलसिले का खर्च मत (कीजिए)। सादा जीवन उच्च विचार का सिद्धांत आपने सुना है न - (ये) जो सादा जीवन जिएगा, उच्च विचार उसी के ------- में आएंगे।

31. जिसका विलासी जीवन, खर्चीला जीवन, ठाट-बाट का जीवन, दिखावे का जीवन जितना ज्यादा होगा उसके खर्च - पैसे के खर्चे और समय के खर्चे इतने ज्यादा हो जाएंगे कि उससे ही कुछ न ------- के पास समय बच सकता है, न पैसा बच सकता है।

32. संत का जीवन वो है जिसमें कि औसत भारतीय (का) स्तर को माना जाता है - औसत (भा) भारतीय का स्तर जो है, आप अपने खर्चे का हिसाब उसी ------- से रखिए।

33. जो आदमी जितना खर्चीला होता है उतने ही दुर्व्यसनों में उसका धन खर्च होता है। दुर्व्यसनों की कीमत पर क्या-क्या खरीदा जाता है? ईर्ष्या खरीदी जाती है, बीमारियाँ खरीदी जाती हैं, ------- खरीदी जाती है, अपयश खरीदा जाता है

34. आदमी ------- है, समझदार है, कि (बेअकल) है - इसकी पहचान सिर्फ एक है - (कि) वो खर्च कैसे करता है।

35. चौथा वाला तप - विचार संयम - विचार संयम - विचारों को भटकने मत (दीजिए)। विचार की शक्ति आप समझते नहीं हैं - पैसे को शक्ति समझते हैं - ------- को (श) शक्ति समझते हैं

36. आपको अपने विचारों को अर्जुन की तरीके से एकाग्र रखना चाहिए - एकाग्र का मतलब केवल ये नहीं है कि आप उनको रोक लें - एकाग्र का मतलब ये है कि एक ------- में, अच्छी दिशा में, वैज्ञानिकों की तरीके से

37. आप सिद्धांतों पे विचार करें, सृजनात्मक विचार करें, आप ऐसे विचार करें जिससे कि आपका भविष्य ------- हो

38. विचारों को विचारों से काटिए, विचारों को विचारों से सम्हालिए, विचारों को सम्पत्ति समझिए, विचारों (को) संयम कीजिए, विचारों को ऊँचे उठने दीजिए, विचारों को अध:पतन में ------- से रोक (दीजिए) - अगर आप ऐसे करेंगे तो फिर मैं ये कहूँगा - आप विचारों (की) के क्षेत्र में तपस्वी हैं। 

39. आपको चार तप करने चाहिए - इंद्रिय निग्रह का तप - एक - और, (और आपको) समय निग्रह का, समय ------- का तप - दो - और, धन के संयम का (औ) धन के (बजट) बना के खर्च करने का तप - तीन

40. और अपने विचारों को एक दिशा ------- में रोके रहने का (उ) उपक्रम करना चाहिए, जिसका नाम विचार संयम है, विचार तप है - आप तपस्वी जीवन जिएँ

41. ये ज़रूरी है कि अपने जीवन के जो सुराख हैं, जो आपकी गल्तियाँ और कमज़ोरियाँ हैं, उनको रोकें - और जो (अच्छाइयाँ नहीं) अच्छाइयाँ आपके ------- नहीं हैं उनको बढ़ाने की कोशिश करें - अगर आप ऐसे कामों में (ल) लगातार लगे रहेंगे तो फिर मैं आपको तपस्वी कहूँगा।

42. आपको तपस्वी बनाने का उद्देश्य था यहाँ कल्प साधना शिविर में बुलाने का - आप यहाँ से जाएँ तो तपस्वी हो कर के जाएँ - यहाँ रहें तो तपस्वी होने का ------- करें 

43. तपश्चर्या में कितनी शक्ति भरी पड़ी है, इसका ------- मैंने दिया आपको - आप चाहें तो इसका अनुभव कर के स्वयं भी देख सकते हैं कि आदमी तपस्वी कितने समर्थ होते हैं, कितने शानदार होते हैं - आपको वैसा ही करना चाहिए।

1. भगवान बुद्ध से उनके शिष्यों ने ये पूछा - मनुष्य इतना सार्थक और समर्थ होते हुए भी ----आखिर --- गिर क्यों पड़ता है? अध:पतित क्यों हो जाता है? भगवान बुद्ध ने एक तो घटना दिखाई और एक उदाहरण दिया।

2. इंसान के ----भीतर --- सुराख हो जाएँ - उसमें से (ही) पानी भरने लगेगा और वो डूब जाएगा; (और) सुराख न हों तब, (तब) न पानी भरेगा, न वो डूबेगा।

3. आदमी के जीवन में अगर -----बहुत -- सारे सुराख हों, (तो) उनकी सम्पदाएँ और उनकी विभूतियाँ, उनकी विशेषताएँ - सब (खतम) हो जाएंगी, सब (खतम) हो जाएंगी, फिर कुछ बचेगा ही नहीं।

4. ये मत भुलाइए (कि) आपको अपने सुराखों को बंद करना (है) - (अपनेआ) अपने छिद्रों (को) रोकथाम करनी है, अपनी ----मलीनताओं --- (को) और अपने असंयमों के ऊपर हावी होना है

5. तो क्या करें? मैंने बताया न आपको - चार बात करनी पड़ेंगी ---आपको ---- - तप, जिसका कि कल जिक्र किया गया था, चार प्रकार का होता है।

6. विचारों का संयम - एक - (उसका) पैसे का संयम - दो - समय का संयम - तीन - और इंद्रियों का संयम - चार - तपश्चर्या की चार ----धारा--- हैं

7. आपको जीह्वा इंद्रिय का अभ्यास कराया गया है - (आपको, आपको) जीह्वा को तपस्वी बनाया जा रहा है, ताकि (आप) स्वाद के लिए ---भटकने ---- वाली जीह्वा, जिसने कि (आपके स्वा) स्वास्थ्य को खराब कर दिया, आपके मन को खराब कर दिया - आप काबू में रख सकें

8. इंद्रियाँ हमारी हैं तो बहुत अच्छी, इनसे ही सब काम चलता है - लेकिन, अगर इनको उच्छृंखल बनने दें, रोकथाम न करें, ----तपस्वी--- न बनाएँ, संयमी न बनाएँ, तो इंद्रियाँ (आपको) मुसीबत खड़ी कर देती हैं

9. आप खानपान के बारे में असंयम -----बरतते -- रहे हैं - उसका परिणाम ये हुआ है कि पेट खराब हो गया, पेट खराब होने का परिणाम ये हो गया कि आपका स्वास्थ्य खराब हो गया।

10. स्वास्थ्य के खराब होने के लिए (कि) दोष किसी को मत दीजिए - इस ---सृष्टि---- में जितने भी जानवर हैं, उसमें से कोई बीमार नहीं पड़ता - मरते तो सब हैं - (पर) बीमार कहाँ पड़ते हैं?

11. कबूतर बीमार पड़ते हैं? लोमड़ी, खरगोश, जो जंगल में उछलते हैं, कहीं बीमार पड़ते देखे हैं आपने? कोई नहीं पड़ता है - एक ही ---बेवकूफ ---- जानवर है जिसका नाम है मनुष्य, यही बीमार पड़ता है।

12. क्यों पड़ता है? सिर्फ एक वजह है (इसकी) बीमार पड़ने की, कि अपनी जीभ को इतना ----छुट्टल --- बना देता है, कि वो अभक्ष्य खाती रहती है, ज़रूरत से ज्यादा खाती रहती है

13. जो चीज़ें न खानी चाहिए वो खाती रहती है - पेट काम नहीं करता, पेट हजम नहीं कर सकता, ----मशीन --- खराब हो जाती है, और शरीर (भी) कमज़ोर और बीमार पड़ जाता है।

14. अगर आप जीभ पे काबू कर लें तब - तब आप विश्वास रखिए आपका ---खोया ---- हुआ स्वास्थ्य मिल (जाए)।

15. अंतत: (इससे) अन्न से मन बन जाता है - अंतिम, अंतिम चरण जो अन्न का है वो मन है। जैसा खाएँ अन्न, वैसा बने मन - ये ---उक्ति ---- सौ फीसदी सही है।

16. आप अभक्ष्य खाते रहिए, तमोगुणी चीज़ें खाते रहिए, माँस खाते रहिए, दूसरी ----घिनौनी --- चीज़ें खाते रहिए, फिर आप देखिए आपका मन कैसा चंचल हो जाता है

17. (इसीलिए) जीभ पर काबू पाइए, ----स्वादेन्द्रिय --- पर काबू पाइए, स्वाद पर आपने काबू पा लिया तो (आपने) मन (की सम्भालने में) और शरीर की बीमारियों से मुकाबला करने में आप सफल हो (जाएंगे)।

18. एक इसको वाक्-इंद्रिय, वाणी इंद्रिय भी कहते हैं - वाणी पे संयम - वाणी पे अगर आपका संयम नहीं है, चाहे जिससे चाहे जैसे ---शब्द ---- बोलते हैं, कड़ुवे बोलते हैं, क्या बोलते हैं, क्या नहीं बोलते हैं - इसका परिणाम क्या होगा? इसका परिणाम बहुत खराब होगा।

19. जीभ (को) हमको दूसरों को सम्मान देना चाहिए - दूसरों (को) इज़्ज़त और अपनी नम्रता का ---ध्यान ---- रखना चाहिए।

20. दूसरों को इज़्ज़त दीजिए, अच्छे परामर्श दीजिए, लोगों (को) उत्साह बढ़ाइए, लोगों की हिम्मत को तोड़िए मत, लोगों की हिम्मतें बढ़ाने वाली ---बात ---- कहिए - अगर आप ऐसा कर लेते हैं तो फिर मैं आपको तपस्वी कहूँगा - ये वाणी का तप हुआ, जीह्वा का तप हुआ।

21. इंद्रियों के तप में ब्रह्मचर्य का तप भी आता है - ऐसे तो इंद्रियाँ हैं दस, पर आप दस के (झं) झंझट में मत पड़िए - दो को ही ---मान ---- लीजिए - एक जीभ मुख्य है, और दूसरी वाली कामेन्द्रिय मुख्य है।

22. आप इन्हीं को बेटी मान पाएँ तब, बहन मान पाएँ तब, माता मान पाएँ तब, सहधर्मिणी मान पाएँ तब - तो यही --महिलाएँ ----- आपके लिए देवी की तरह से (सहायता) होंगी।

23. ये ब्रह्मचर्य का प्रताप था (कि वो) दुबले और पतले, कमज़ोर होते हुए भी, मन:शक्ति के (हिसाब) से ऐसे थे जैसे कोई ---बड़ा ---- पहलवान भी नहीं हो सकता।

24. समय का संयम - समय आपकी सम्पत्ति है - जीवन जो बना हुआ है, ये समय से ----गुंथा --- हुआ है - समय का अर्थ होता है जीवन, जीवन का अर्थ होता है समय।

25. संसार के प्रत्येक महापुरुष ने अपने-अपने समय का ठीक ---तरीके ---- से नियमन किया है - विनोबा तेईस भाषाओं के विद्वान हैं

26. मन लगा के काम करने वाले का काम कैसा होता है, आप (देख) देख सकते हैं न - बया पक्षी होता है, और एक-एक तिनके को ----बीन --- के लाता है

27. उसकी लम्बाई-चौढ़ाई नाप के लाता है, ----हिसाब --- से लाता है, मोटाई को देख के लाता है, और जहाँ लगाता है घोंसले में, बड़ी सावधानी से और मनोयोग (के साथ) लगाता है

28. मन लगा कर के काम करना - ये ----आदमी --- (की) सम्मान का प्रश्न होना चाहिए, ये (अपनी) प्रतिष्ठा का प्रश्न है।

29. तीसरा वाला संयम है - धन का संयम - पैसा ---भगवान ---- ने आपको दिया है, (अ) इसीलिए दिया नहीं है कि आप बेसिलसिले खर्च करें

30. ईमानदारी से (कमाएँ) कमाएँ, और शराफ़त की तरीके से खर्च करें। बेसिलसिले का खर्च मत (कीजिए)। सादा जीवन उच्च विचार का सिद्धांत आपने सुना है न - (ये) जो सादा जीवन जिएगा, उच्च विचार उसी के ----हिस्से --- में आएंगे।

31. जिसका विलासी जीवन, खर्चीला जीवन, ठाट-बाट का जीवन, दिखावे का जीवन जितना ज्यादा होगा उसके खर्च - पैसे के खर्चे और समय के खर्चे इतने ज्यादा हो जाएंगे कि उससे ही कुछ न ----बेचारे --- के पास समय बच सकता है, न पैसा बच सकता है।

32. संत का जीवन वो है जिसमें कि औसत भारतीय (का) स्तर को माना जाता है - औसत (भा) भारतीय का स्तर जो है, आप अपने खर्चे का हिसाब उसी ---हिसाब ---- से रखिए।

33. जो आदमी जितना खर्चीला होता है उतने ही दुर्व्यसनों में उसका धन खर्च होता है। दुर्व्यसनों की कीमत पर क्या-क्या खरीदा जाता है? ईर्ष्या खरीदी जाती है, बीमारियाँ खरीदी जाती हैं, ----बेअकली--- खरीदी जाती है, अपयश खरीदा जाता है

34. आदमी ----होशियार --- है, समझदार है, कि (बेअकल) है - इसकी पहचान सिर्फ एक है - (कि) वो खर्च कैसे करता है।

35. चौथा वाला तप - विचार संयम - विचार संयम - विचारों को भटकने मत (दीजिए)। विचार की शक्ति आप समझते नहीं हैं - पैसे को शक्ति समझते हैं - ---श्रम ---- को (श) शक्ति समझते हैं

36. आपको अपने विचारों को अर्जुन की तरीके से एकाग्र रखना चाहिए - एकाग्र का मतलब केवल ये नहीं है कि आप उनको रोक लें - एकाग्र का मतलब ये है कि एक ---दिशा ---- में, अच्छी दिशा में, वैज्ञानिकों की तरीके से

37. आप सिद्धांतों पे विचार करें, सृजनात्मक विचार करें, आप ऐसे विचार करें जिससे कि आपका भविष्य ----बनता --- हो

38. विचारों को विचारों से काटिए, विचारों को विचारों से सम्हालिए, विचारों को सम्पत्ति समझिए, विचारों (को) संयम कीजिए, विचारों को ऊँचे उठने दीजिए, विचारों को अध:पतन में ---गिरने ---- से रोक (दीजिए) - अगर आप ऐसे करेंगे तो फिर मैं ये कहूँगा - आप विचारों (की) के क्षेत्र में तपस्वी हैं।

39. आपको चार तप करने चाहिए - इंद्रिय निग्रह का तप - एक - और, (और आपको) समय निग्रह का, समय ----संयम --- का तप - दो - और, धन के संयम का (औ) धन के (बजट) बना के खर्च करने का तप – तीन

40. और अपने विचारों को एक दिशा ----विशेष --- में रोके रहने का (उ) उपक्रम करना चाहिए, जिसका नाम विचार संयम है, विचार तप है - आप तपस्वी जीवन जिएँ

41. ये ज़रूरी है कि अपने जीवन के जो सुराख हैं, जो आपकी गल्तियाँ और कमज़ोरियाँ हैं, उनको रोकें - और जो (अच्छाइयाँ नहीं) अच्छाइयाँ आपके ----भीतर --- नहीं हैं उनको बढ़ाने की कोशिश करें - अगर आप ऐसे कामों में (ल) लगातार लगे रहेंगे तो फिर मैं आपको तपस्वी कहूँगा।

42. आपको तपस्वी बनाने का उद्देश्य था यहाँ कल्प साधना शिविर में बुलाने का - आप यहाँ से जाएँ तो तपस्वी हो कर के जाएँ - यहाँ रहें तो तपस्वी होने का ----अभ्यास --- करें

43. तपश्चर्या में कितनी शक्ति भरी पड़ी है, इसका --उदाहरण ----- मैंने दिया आपको - आप चाहें तो इसका अनुभव कर के स्वयं भी देख सकते हैं कि आदमी तपस्वी कितने समर्थ होते हैं, कितने शानदार होते हैं - आपको वैसा ही करना चाहिए।