आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

4. उपासना क्यों और कैसे?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

यहाँ दिए गए उद्बोधन (.mp3 फाइल) को सुनें, एवं उस पर आधारित प्रश्नोत्तरी को हल करें

प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - एक सर्वशक्तिमान सत्ता है भगवान, उसके साथ में अगर आप जोड़ लें तब, तब आपकी -------- का कोई ठिकाना नहीं (है)। 

2 - आप जो पूजा करते हैं, उपासना करते हैं, -------- करते हैं, (का) उसका मतलब ये है कि आप (इन) इन उपायों के माध्यम से अपना (रिश्ता) भगवान के साथ में जोड़ लें

3 - आप ये मत विचार कीजिए कि जीभ की नोंक से कुछ -------- बातें, और चापलूसी कि (बातें), स्तोत्र पाठ करने के बाद में भगवान को आप अपना बना सकते हैं।

4 - आप भगवान की समझदारी (पर) यकीन कीजिए, और ये समझिए - भगवान आपकी जबान को नहीं, आपकी -------- को देखता है, दृष्टिकोण को देखता है, चरित्र को देखता है, चिंतन को देखता है, और आपकी भावनाओं को देखता है। अगर इस क्षेत्र में आप सूने हैं, (तो) आपके कर्मकाण्ड बहुत ज्यादा कारगर नहीं हो सकते। 

5 - भगवान की कृपा प्राप्त करने का जो -------- रहस्य है, उसको आपको जानना ही चाहिए। क्या करना होगा? (आप) उसके साथ में जुड़ जाना होगा। जुड़ जाने को ही उपासना कहते हैं। उपासना का मतलब है - जुड़ जाना। 

6 - ठीक (य) यही तरीका व्यक्ति को और जीवात्मा को -------- के साथ मिलाने का है। क्या करें? नजदीक आ जाएँ? बस वही तो मैं कह रहा हूँ - नजदीक आने का एक तरीका है। वो तरीका है अपनेआप को सौंप देना और (होम) होम देना - उसकी (इच्छानुसार) चलना।

7 - उनको अपनी मर्जी के ऊपर चलाएंगे नहीं, बल्कि हम (अपनी मर्जी) उनकी मर्जी के मुताबिक चलेंगे। इसी का नाम सपर्पण है, इसी का नाम -------- है, इसी का नाम विसर्जन है, इसी का नाम शरणागति है। बहुत से नाम इसके दिए गए हैं - उपासना का तत्वज्ञान इसी पे जुड़ा हुआ है। 

8 - आप भगवान के अनुयायी होते हैं कि नहीं? आप भगवान का अनुशासन मानते हैं कि नहीं? आप भगवान की इच्छानुसार चलते हैं कि नहीं? आप भगवान के बताए हुए इशारे और -------- पर अपने कदम बढ़ाते हैं कि नहीं? एक ही प्रश्न है बस, और कोई प्रश्न नहीं है। 

9 - पतंग अपनी डोरी को बच्चे को सुपुर्द न करे तब, (उड़ाने) वाले को सुपुर्द न करे तब, तब उसको जमीन पे पड़ा रहना पड़ेगा। आप अपने जीवन की बागडोर, और जीवन का -------- भगवान के हाथ में नहीं सौंपें, और उसकी मर्जी के अनुसार नहीं चलें, तो आप पतंग की तरीके से आसमान में उड़ने की अपेक्षा मत कीजिए।

10 - कठपुतली की तरीके से अगर आप बाजीगर के हाथ में (अपने) जिंदगी की नाव सौंप सकते हों, अपने --------- और चिंतन सौंप सकते हों, और अपनी इच्छा और आकांक्षाएँ सौंप सकते हों, तब आप जरा देखिए न, कैसा मजा आता है। 

11 - भगवान कहीं भी जाते हैं, तो (उस) मनुष्य की पात्रता को परखने के लिए, (उसकी) महानता को -------- करने के लिए, एक ही दबाव डालते हैं - आपके पास क्या है, हमारे सुपुर्द कीजिए। 

12 - आप ये समझते हैं कि भगवान की भक्ति करें, और (उन) कठपुतली के तरीके से चलाएँ, और उचित और अनुचित जो कुछ भी फायदे उठा लें - इसको भक्ति कहते हैं - तो आप अपनी भक्ति की -------- बदल (दें), और इस भक्ति (को) से आप बाज़ आइए, और (ये) ये भक्ति को आप भक्ति कहना बंद कर (दें)। 

13 - बहुत कुछ दे दिया है भगवान ने - आप को इंसान की जिंदगी (दी) दी है, और ऐसी (श...) ऐसी समझ (दी हुई) है जिसके आधार पर आप अपनी मन-मर्जी पूरी कर सकते हैं। मन-मर्जी के लिए कोई कमी नहीं है - आपके हाथ कितने बड़े हैं, आपकी ------- कितनी बड़ी है, आपकी जबान और आँखें कैसी शानदार हैं

14 - आप अपनी दैनिक जरूरतों (की), जिनको आप भगवान से अपेक्षा करते हैं, उसके लिए मत कीजिए अपेक्षा। आप (अपने) पुरुषार्थ से कमा सकते हैं, अथवा -------- कर सकते हैं, अथवा (कम) में काम चला सकते हैं

15 - भगवान को मजबूर करेंगे कि वो --------- की बात को छोड़ दे, और (आपको) पक्षपात करने लगे, (और) कर्मफल की महत्ता को परित्याग कर दे - आप ऐसा मत कीजिए

16 - आप उस शक्ति के भंडार के साथ में अपनेआप को मिला (दीजिए), जोड़ लें, और मिलाने-जोड़ने का तरीका फिर वही है - फिर समझ लीजिए, फिर समझ लीजिए, फिर समझ लीजिए - आपको उनकी मर्जी पे चलना पड़ेगा। आप अपनी --------- खत्म (कीजिए), आप अपनी आकांक्षाएँ खत्म (कीजिए), आप अपनी इच्छाएँ खत्म (कर दीजिए), आप उन्हीं के हो जाइए

17 - भगवान की इस सुंदर दुनिया को ऊँचा बनाने के लिए, सुंदर बनाने के लिए, --------- बनाने के लिए, उनके राजकुमार की तरीके से, (उनकी) सम्पदा को और उनकी (प्रकृति) को ऊँचा और अच्छा बनाने के लिए कमर बांध के खड़े हो जाइए।

18 - आप समर्पित होइए, शरणागति में आइए, (विलय) कीजिए, --------- कीजिए, फिर देखिए आप क्या पाते हैं। बीज की तरीके से गल जाइए और पेड़ की तरीके से (फलने) की तैयारी कीजिए।

1 - एक सर्वशक्तिमान सत्ता है भगवान, उसके साथ में अगर आप जोड़ लें तब, तब आपकी ---- मालदारी ------ का कोई ठिकाना नहीं (है)।

2 - आप जो पूजा करते हैं, उपासना करते हैं, ---- भजन ---- करते हैं, (का) उसका मतलब ये है कि आप (इन) इन उपायों के माध्यम से अपना (रिश्ता) भगवान के साथ में जोड़ लें

3 - आप ये मत विचार कीजिए कि जीभ की नोंक से कुछ ---- मीठी ---- बातें, और चापलूसी कि (बातें), स्तोत्र पाठ करने के बाद में भगवान को आप अपना बना सकते हैं।

4 - आप भगवान की समझदारी (पर) यकीन कीजिए, और ये समझिए - भगवान आपकी जबान को नहीं, आपकी ---- नीयत ---- को देखता है, दृष्टिकोण को देखता है, चरित्र को देखता है, चिंतन को देखता है, और आपकी भावनाओं को देखता है। अगर इस क्षेत्र में आप सूने हैं, (तो) आपके कर्मकाण्ड बहुत ज्यादा कारगर नहीं हो सकते। 

5 - भगवान की कृपा प्राप्त करने का जो ---- असली ---- रहस्य है, उसको आपको जानना ही चाहिए। क्या करना होगा? (आप) उसके साथ में जुड़ जाना होगा। जुड़ जाने को ही उपासना कहते हैं। उपासना का मतलब है - जुड़ जाना।

6 - ठीक (य) यही तरीका व्यक्ति को और जीवात्मा को ---- परमात्मा ---- के साथ मिलाने का है। क्या करें? नजदीक आ जाएँ? बस वही तो मैं कह रहा हूँ - नजदीक आने का एक तरीका है। वो तरीका है अपनेआप को सौंप देना और (होम) होम देना - उसकी (इच्छानुसार) चलना।

7 - उनको अपनी मर्जी के ऊपर चलाएंगे नहीं, बल्कि हम (अपनी मर्जी) उनकी मर्जी के मुताबिक चलेंगे। इसी का नाम समर्पण है, इसी का नाम ---- विलय ---- है, इसी का नाम विसर्जन है, इसी का नाम शरणागति है। बहुत से नाम इसके दिए गए हैं - उपासना का तत्वज्ञान इसी पे जुड़ा हुआ है। 

8 - आप भगवान के अनुयायी होते हैं कि नहीं? आप भगवान का अनुशासन मानते हैं कि नहीं? आप भगवान की इच्छानुसार चलते हैं कि नहीं? आप भगवान के बताए हुए इशारे और ---- संकेत ---- पर अपने कदम बढ़ाते हैं कि नहीं? एक ही प्रश्न है बस, और कोई प्रश्न नहीं है। 

9 - पतंग अपनी डोरी को बच्चे को सुपुर्द न करे तब, (उड़ाने) वाले को सुपुर्द न करे तब, तब उसको जमीन पे पड़ा रहना पड़ेगा। आप अपने जीवन की बागडोर, और जीवन का ---- आधार ---- भगवान के हाथ में नहीं सौंपें, और उसकी मर्जी के अनुसार नहीं चलें, तो आप पतंग की तरीके से आसमान में उड़ने की अपेक्षा मत कीजिए।

10 - कठपुतली की तरीके से अगर आप बाजीगर के हाथ में (अपने) जिंदगी की नाव सौंप सकते हों, अपने ---- विचार ---- और चिंतन सौंप सकते हों, और अपनी इच्छा और आकांक्षाएँ सौंप सकते हों, तब आप जरा देखिए न, कैसा मजा आता है। 

11 - भगवान कहीं भी जाते हैं, तो (उस) मनुष्य की पात्रता को परखने के लिए, (उसकी) महानता को ---- विकसित ---- करने के लिए, एक ही दबाव डालते हैं - आपके पास क्या है, हमारे सुपुर्द कीजिए। 

12 - आप ये समझते हैं कि भगवान की भक्ति करें, और (उन) कठपुतली के तरीके से चलाएँ, और उचित और अनुचित जो कुछ भी फायदे उठा लें - इसको भक्ति कहते हैं - तो आप अपनी भक्ति की ---- परिभाषा ---- बदल (दें), और इस भक्ति (को) से आप बाज़ आइए, और (ये) ये भक्ति को आप भक्ति कहना बंद कर (दें)। 

13 - बहुत कुछ दे दिया है भगवान ने - आप को इंसान की जिंदगी (दी) दी है, और ऐसी (श...) ऐसी समझ (दी हुई) है जिसके आधार पर आप अपनी मन-मर्जी पूरी कर सकते हैं। मन-मर्जी के लिए कोई कमी नहीं है - आपके हाथ कितने बड़े हैं, आपकी ---- अकल --- कितनी बड़ी है, आपकी जबान और आँखें कैसी शानदार हैं

14 - आप अपनी दैनिक जरूरतों (की), जिनको आप भगवान से अपेक्षा करते हैं, उसके लिए मत कीजिए अपेक्षा। आप (अपने) पुरुषार्थ से कमा सकते हैं, अथवा ---- संतोष ---- कर सकते हैं, अथवा (कम) में काम चला सकते हैं

15 - भगवान को मजबूर करेंगे कि वो ---- कर्तव्य ---- की बात को छोड़ दे, और (आपको) पक्षपात करने लगे, (और) कर्मफल की महत्ता को परित्याग कर दे - आप ऐसा मत कीजिए

16 - आप उस शक्ति के भंडार के साथ में अपनेआप को मिला (दीजिए), जोड़ लें, और मिलाने-जोड़ने का तरीका फिर वही है - फिर समझ लीजिए, फिर समझ लीजिए, फिर समझ लीजिए - आपको उनकी मर्जी पे चलना पड़ेगा। आप अपनी ---- मर्जियाँ ---- खत्म (कीजिए), आप अपनी आकांक्षाएँ खत्म (कीजिए), आप अपनी इच्छाएँ खत्म (कर दीजिए), आप उन्हीं के हो जाइए

17 - भगवान की इस सुंदर दुनिया को ऊँचा बनाने के लिए, सुंदर बनाने के लिए, ---- शानदार ---- बनाने के लिए, उनके राजकुमार की तरीके से, (उनकी) सम्पदा को और उनकी (प्रकृति) को ऊँचा और अच्छा बनाने के लिए कमर बांध के खड़े हो जाइए।

18 - आप समर्पित होइए, शरणागति में आइए, (विलय) कीजिए, ---- विसर्जन ---- कीजिए, फिर देखिए आप क्या पाते हैं। बीज की तरीके से गल जाइए और पेड़ की तरीके से (फलने) की तैयारी कीजिए।