आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

16. आज की युग-साधना क्या है?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1. साधनाएँ समयानुकूल और पात्रता के अनुकूल हुआ करती हैं। एक सी साधना कभी नहीं (होती)। बहुत पुराने जमाने की साधनाओं (को) हम उपक्रम देखते हैं, तो कभी तप ही ------- था।

2. कभी ज्ञान की साधनाएँ होती रहीं। सूत और शौनक से, नैमीषारण्य वगैरह क्षेत्रों में जा कर के कथा प्रसंग होते थे। अनेकानेक अनेकानेक भक्तजन आते थे, और कथा ------- करते थे, सत्संग की बात करते थे।

3. काल के हिसाब से साधना का चयन करना गुरुजनों का काम है; और शिष्यों का काम - शिष्यों (का) काम ये है कि युगदृष्टा, समय (को) जानकारी प्राप्त करने वाले व्यक्ति, जिस तरह की साधना अपने लिए बता दें, उसी को ठीक मान कर के ------- चाहिए।

4. आज-कल (एक) विशेष समय है - सामान्य समय नहीं है। युग-संधि का समय है। युग-संधि के समय को आप चाहें तो ------- समय (कह) कह सकते हैं।

5. जो भावनाशील लोग हैं, अपना सामान्य क्रम बदल देते हैं, बंद कर देते हैं, और उन ------- लोगों की सहायता करने के लिए दौड़ पड़ते हैं, दौड़ पड़ते हैं। (ये) इसे क्या कहेंगे? (इसे) आपत्ति-धर्म (कहेंगे)। 

6. आज का समय ऐसा ही आपत्तिकाल है, जिसमें ------- निबाहने के लिए आप सबको तैयार बनना चाहिए।

7. एक ओर विनाश मुँह बाए खड़ा हुआ है, असुरता मुँह बाए खड़ी हुई है, सर्वनाश की चुनौतियाँ एक ओर एक (पाटे) में खड़ी हुई हैं। दूसरे (पाटे) में, (नया) नया निर्माण करने के लिए युग-शिल्पी अपनी-अपनी ------- के साथ कमर (बाँध) के खड़े हुए हैं।

8. मैं तो भीख माँग कर के भी खा सकता हूँ, दुकान कर के भी खा सकता हूँ, ------- कर के भी खा सकता हूँ, पेट भर सकता हूँ - फिर मैं क्यों लड़ूँगा? नहीं, उन्होंने कहा - ये आपत्तिकाल है, आपत्तिकाल के धर्म विशेष होते हैं।

9. आपत्तिकाल का धर्म निभाने के लिए अर्जुन को तैयार किया गया, और वो ------- का कहना मान कर के, अपनी मर्जी थी कि नहीं थी बात अलग है, लेकिन उन्होंने (अपनी मर्जी थी कि नहीं थी) भगवान की मर्जी में अपनी मर्जी मिला दी

10. भगवान की आज्ञा, जैसा कि उन्होंने बताया, कि इस समय करने लायक सबसे बड़ी साधना महाभारत की है, तो उसी में लग गया। लग जाने की वजह से (बस) वो साधना, भगवान की बताई हुई साधना, मनुष्यों की कराई हुई साधना की अपेक्षा ------- गुनी श्रेयस्कर सिद्ध हुई।

11. जिस दैत्य संस्कृति ने अनाचार के बादल (बादल) घटाटोप की तरीके से जमा कर दिए हैं, उससे लड़ना पड़ेगा, और उसको ------- करना पड़ेगा - आज (के लिए) साधना यही है।

12. कोई आग्रह नहीं किया - हमको जप बताइए, ध्यान बताइए, पाठ बताइए - नहीं, कुछ भी नहीं किया। ये तो उन लोगों के आग्रह होते हैं, जो कोई पुरुषार्थ नहीं कर सकते, जिन्हें कोई मेहनत करने से लगाव नहीं है, सेवा के प्रति जिनके अंत:करण में कोई उत्साह और ------- नहीं है।

13. ऐसे आदमी (खाली) खाली बैठे रहें, तो कुछ तो बताइए, कुछ तो बताना ही पड़ेगा उनको - लकड़ी की माला ही घुमाते रहिए, कुछ तो कीजिए बाबा - (ऐसी) आलस्य में पड़े रहने की अपेक्षा तो माला घुमाना और ------- का नाम लेना ही क्या बुरा है।

14. हर काम में माला नहीं काम आती है - माला 'भी' कभी काम आती है, लेकिन माला 'ही' काम आती है ऐसी बात नहीं है। उपासना की दृष्टि से सामयिक कर्तव्यों, सामयिक जिम्मेदारियों का ------- करना बहुत जरूरी है।

15. जिसमें त्याग न करना पड़ता हो, कष्ट न ------- पड़ता हो, पुरुषार्थ न करना पड़ता हो - साधना कहीं ऐसी भी होती है? ऐसी भी साधना होती है? इतनी सस्ती (होती) है? साधना इतनी सस्ती होती है?

16. इतनी कीमती चीजें आप (इतने) डैम चीप (damn cheap) कीमत में (ख) खरीदने की कोशिश करेंगे? मत कीजिए। वास्तविकता के ------- आइए - भगवान को प्राप्त करना चाहते हैं तो भगवान का कहना भी मानिए - शरणागति इसी का नाम है, समर्पण इसी का नाम है

17. आप कौन हैं जो आपको ये ज़ुर्रत और ये (हि जो) हिम्मत होती है कि आप भगवान के ------- ये हुकुम चलाएँ कि हमारी मनोकामना (अभी कर दीजिए) पूरी कर दीजिए

18. शरीर आपको मिल गया, मन आपको मिल गया, कुटुम्ब आपको मिल गया, (अकल) आपको मिल गई, ------- आपको मिल गई, फिर भी आपकी ये ज़ुर्रत

19. किसी महती शक्ति के (साथ में) साथ में आप संबंध जोड़िए, और कठपुतली की तरीके से उसका कहना मान के चलिए, उसके पीछे-पीछे चलिए - यही सही और यही ------- तरीका है।

20. आपको जो काम करना है, ------- महत्वपूर्ण काम करना है। (आज) आज जन-जन के मन-मन को परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

21. आज सबसे ------- आवश्यकता विचार क्रांति की है, जन-मानस के परिष्कार की है, लोक-मंगल के लिए जन-जागरण की है।

22. आप उस काम को करते हैं, तब फिर आप ये समझिए आप इस युग-संधि के समय पे, युग-साधना के बारे में जानकारी ------- कर लेते हैं।

23. आपको (कि) किसलिए कल्प साधना में बुलाया है? (ता) ताकि आप भगवान के ऊपर इतना एहसान करने में समर्थ हो सकें कि आपका एहसान भगवान ------- नहीं भूलें। भगवान एहसान भूले नहीं - किसका? हनुमान का - हनुमान को (उ) उसने अपना (छैवाँ) कुटुम्ब का सदस्य बना लिया।

24. छठवें हनुमान जी थे। क्यों? क्या वजह थी? सिर्फ एक ही वजह थी कि ------- 'राम काज कीन्हें बिना मोहे कहाँ विश्राम'।

25. अपनी इच्छा से नहीं - अपना मन है बैकुण्ठ को जाएँगे, अपनी मुक्ति कराएँगे, अपना फायदा कराएँगे, अपने ------- देखेंगे, अपनी सिद्धि देखेंगे, अपना ये करेंगे - (अ) अपनापन ही हटा दिया तो अपनी मर्जी क्या रही? भगवान की मर्जी जो कुछ थी वही उन्होंने पूरी कर डाली

26. आपके भीतर बैठा हुआ, अंत:करण में बैठा हुआ भगवान मार्गदर्शन कर सकता है, और वो ऐसा सही मार्गदर्शन होगा जैसे कि अर्जुन के ------- को चलाने में भगवान कृष्ण ने किया था।

27. आप ज्यादा बहस में ------- की बजाए, कि हमको ये करना है, ये करना है, ये स्कीम, वो स्कीम, ये स्कीम, वो स्कीम, नौ सौ (निन्यानबे) तरह की मत स्कीम बनाइए - आप एक ही स्कीम बनाइए कि हम किसी महती (स) सत्ता की छाया में बैठेंगे, (का) कहना मानेंगे।

28. हमको ये विश्वास था कि हमको रास्ता दिखाने वाली सत्ता सही है, और हमारी (अकल) से उसकी (अकल) ज्यादा है। बस, यही होता रहा - ------- हुए हम कहाँ पहुँचे, आप देखते हैं न।

29. आज आप भी, भगवान जो अवतार ले रहे हैं, प्रज्ञावतार, उसके साथ-साथ में उन्हीं देवताओं की ------- से हैं, जिनको कि भगवान के काम में हाथ बँटाना (और) हिस्सा बँटाना है। 

30. और भगवान के श्रेय में भी हिस्सा बँटाना है, (आप) उनकी प्रसन्नता में भी हिस्सा बँटाना है, उनकी शक्तियों में भी हिस्सा बँटाना है - ये बँटाने के लिए ------- है कि आप इसकी कीमत चुका दें, और भगवान की मर्जी पर इस समय चलना स्वीकार कर लें। समाज के नए निर्माण का युग है, समाज को नए ढांचे में (ढा) ढाला जाना है। 

31. इस गलाई में आप हिस्सा बँटाइए, इस ------- में आप हिस्सा बँटाइए। अपने समय को ले के आइए, शक्ति को ले के आइए, मन को ले के आइए, भावना और विचारों को ले कर के आइए 

32. और उस काम में जुट जाइए (जो) जो आज का भगवान, इस युग का भगवान, जिसको हम प्रज्ञावतार कहते हैं, प्रज्ञावतार कहते हैं - उस प्रज्ञावतार की मर्जी क्या है, ------- आप आँख खोल के देखिए और कान खोल के सुनिए।

33. तो आपको कुछ ऐसी (बात) जानकारी मिलेगी, जैसे कि प्रज्ञा अभियान के अंतर्गत ------- बार-बार बताई जा रही है। ये भगवान की प्रेरणा है, ये भगवान की दिशाधारा है

34. भावनाएँ उनकी वही होती हैं - देवताओं की - कि ------- परोपकार करना चाहिए, भगवान की आवश्यकताओं को समझ कर के (उसमें) योगदान देना चाहिए।

35. आप भी ठीक उसी तरह के हैं - आप अपनेआप को देवता मानें तो (को) कोई हर्ज़ नहीं है। (आप) ये प्रज्ञावतार का युग है। भगवान की ------- शक्तियों ने जन्म लिया है, ज्ञान की गंगा के रूप में। 

36. इसी समय उनका जन्म हुआ है, और वो बराबर ये कोशिश कर रही हैं कि लोगों के खयालात बदल दें, और नए विचारों की स्थापना हो। ये प्रज्ञा अभियान उसी का है। ये योजना भगवान की है, और भगवान ही ------- में इसका संचालनकर्त्ता है।

37. आप इस समय अपने (सारी) विचारों को और सारी इच्छाओं को सिर्फ इस ------- में लगा दीजिए कि हमको समय की माँग पूरी करनी है, युग की भूमिका निभानी है।

38. जाग्रत आत्माएँ हमेशा आगे-आगे बढ़ी हैं। उन्होंने इंतज़ार नहीं ------- है, कि (दू) दूसरे करेंगे तो हम करेंगे। हिमालय पे सबसे पहले, जो ऊँचा शिखर होता है, (उस पे) धूप चमकती है।

39. आपको कुछ (ऐसे ही) शानदार काम करने हैं, इस ------- में। आप जाग्रत आत्मा हैं - जाग्रत (आ) आत्माओं को, युग प्रहरियों को, युग को देखना पड़ेगा, युग की ज़रूरतें क्या हैं

40. हम कहते हैं अपनी इच्छा को (ए) एक कोने में रखिए। भगवान की इच्छा क्या है? समय की माँग क्या है? प्रज्ञावतार की माँग क्या है? आप कान खोल के (उसी को सुनिए), और ------- के बाद में पूरी हिम्मत के साथ में, पूरी वफादारी और जिम्मेदारी के साथ में, भगवान के काम करने के लिए कटिबद्ध हो जाइए।

41. आज की युग (साधना), युग साधना यही ------- है - हमको लोक मानस का परिष्कार करना है, जन-जागरण करना है - इन उद्देश्यों के लिए अगर आप अपनेआप को समर्पित कर दें, इनकी पूर्ति के लिए जीवन भर लगे रहें - समझना चाहिए आपको सही रास्ता मिल गया।

1. साधनाएँ समयानुकूल और पात्रता के अनुकूल हुआ करती हैं। एक सी साधना कभी नहीं (होती)। बहुत पुराने जमाने की साधनाओं (को) हम उपक्रम देखते हैं, तो कभी तप ही ---मुख्य ---- था।

2. कभी ज्ञान की साधनाएँ होती रहीं। सूत और शौनक से, नैमीषारण्य वगैरह क्षेत्रों में जा कर के कथा प्रसंग होते थे। अनेकानेक अनेकानेक भक्तजन आते थे, और कथा ---श्रवण ---- करते थे, सत्संग की बात करते थे।

3. काल के हिसाब से साधना का चयन करना गुरुजनों का काम है; और शिष्यों का काम - शिष्यों (का) काम ये है कि युगदृष्टा, समय (को) जानकारी प्राप्त करने वाले व्यक्ति, जिस तरह की साधना अपने लिए बता दें, उसी को ठीक मान कर के ----चलना --- चाहिए।

4. आज-कल (एक) विशेष समय है - सामान्य समय नहीं है। युग-संधि का समय है। युग-संधि के समय को आप चाहें तो ----आपत्तिकालीन --- समय (कह) कह सकते हैं।

5. जो भावनाशील लोग हैं, अपना सामान्य क्रम बदल देते हैं, बंद कर देते हैं, और उन ----दुखी --- लोगों की सहायता करने के लिए दौड़ पड़ते हैं, दौड़ पड़ते हैं। (ये) इसे क्या कहेंगे? (इसे) आपत्ति-धर्म (कहेंगे)।

6. आज का समय ऐसा ही आपत्तिकाल है, जिसमें ---आपत्तिधर्म ---- निबाहने के लिए आप सबको तैयार बनना चाहिए।

7. एक ओर विनाश मुँह बाए खड़ा हुआ है, असुरता मुँह बाए खड़ी हुई है, सर्वनाश की चुनौतियाँ एक ओर एक (पाटे) में खड़ी हुई हैं। दूसरे (पाटे) में, (नया) नया निर्माण करने के लिए युग-शिल्पी अपनी-अपनी ----तैयारी --- के साथ कमर (बाँध) के खड़े हुए हैं।

8. मैं तो भीख माँग कर के भी खा सकता हूँ, दुकान कर के भी खा सकता हूँ, ---नौकरी ---- कर के भी खा सकता हूँ, पेट भर सकता हूँ - फिर मैं क्यों लड़ूँगा? नहीं, उन्होंने कहा - ये आपत्तिकाल है, आपत्तिकाल के धर्म विशेष होते हैं।

9. आपत्तिकाल का धर्म निभाने के लिए अर्जुन को तैयार किया गया, और वो ----भगवान --- का कहना मान कर के, अपनी मर्जी थी कि नहीं थी बात अलग है, लेकिन उन्होंने (अपनी मर्जी थी कि नहीं थी) भगवान की मर्जी में अपनी मर्जी मिला दी

10. भगवान की आज्ञा, जैसा कि उन्होंने बताया, कि इस समय करने लायक सबसे बड़ी साधना महाभारत की है, तो उसी में लग गया। लग जाने की वजह से (बस) वो साधना, भगवान की बताई हुई साधना, मनुष्यों की कराई हुई साधना की अपेक्षा ---लाखों---- गुनी श्रेयस्कर सिद्ध हुई।

11. जिस दैत्य संस्कृति ने अनाचार के बादल (बादल) घटाटोप की तरीके से जमा कर दिए हैं, उससे लड़ना पड़ेगा, और उसको ---दूर ---- करना पड़ेगा - आज (के लिए) साधना यही है।

12. कोई आग्रह नहीं किया - हमको जप बताइए, ध्यान बताइए, पाठ बताइए - नहीं, कुछ भी नहीं किया। ये तो उन लोगों के आग्रह होते हैं, जो कोई पुरुषार्थ नहीं कर सकते, जिन्हें कोई मेहनत करने से लगाव नहीं है, सेवा के प्रति जिनके अंत:करण में कोई उत्साह और ----उमंग --- नहीं है।

13. ऐसे आदमी (खाली) खाली बैठे रहें, तो कुछ तो बताइए, कुछ तो बताना ही पड़ेगा उनको - लकड़ी की माला ही घुमाते रहिए, कुछ तो कीजिए बाबा - (ऐसी) आलस्य में पड़े रहने की अपेक्षा तो माला घुमाना और ---राम ---- का नाम लेना ही क्या बुरा है।

14. हर काम में माला नहीं काम आती है - माला 'भी' कभी काम आती है, लेकिन माला 'ही' काम आती है ऐसी बात नहीं है। उपासना की दृष्टि से सामयिक कर्तव्यों, सामयिक जिम्मेदारियों का ----परिपालन --- करना बहुत जरूरी है।

15. जिसमें त्याग न करना पड़ता हो, कष्ट न ----उठाना --- पड़ता हो, पुरुषार्थ न करना पड़ता हो - साधना कहीं ऐसी भी होती है? ऐसी भी साधना होती है? इतनी सस्ती (होती) है? साधना इतनी सस्ती होती है?

16. इतनी कीमती चीजें आप (इतने) डैम चीप (damn cheap) कीमत में (ख) खरीदने की कोशिश करेंगे? मत कीजिए। वास्तविकता के ---नजदीक ---- आइए - भगवान को प्राप्त करना चाहते हैं तो भगवान का कहना भी मानिए - शरणागति इसी का नाम है, समर्पण इसी का नाम है

17. आप कौन हैं जो आपको ये ज़ुर्रत और ये (हि जो) हिम्मत होती है कि आप भगवान के ---ऊपर ---- ये हुकुम चलाएँ कि हमारी मनोकामना (अभी कर दीजिए) पूरी कर दीजिए

18. शरीर आपको मिल गया, मन आपको मिल गया, कुटुम्ब आपको मिल गया, (अकल) आपको मिल गई, --साधन ----- आपको मिल (गई), फिर भी आपकी ये ज़ुर्रत

19. किसी महती शक्ति के (साथ में) साथ में आप संबंध जोड़िए, और कठपुतली की तरीके से उसका कहना मान के चलिए, उसके पीछे-पीछे चलिए - यही सही और यही ----मुनासिब --- तरीका है।

20. आपको जो काम करना है, ----बड़ा --- महत्वपूर्ण काम करना है। (आज) आज जन-जन के मन-मन को परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

21. आज सबसे ----बड़ी --- आवश्यकता विचार क्रांति की है, जन-मानस के परिष्कार की है, लोक-मंगल के लिए जन-जागरण की है।

22. आप उस काम को करते हैं, तब फिर आप ये समझिए आप इस युग-संधि के समय पे, युग-साधना के बारे में जानकारी ---प्राप्त ---- कर लेते हैं।

23. आपको (कि) किसलिए कल्प साधना में बुलाया है? (ता) ताकि आप भगवान के ऊपर इतना एहसान करने में समर्थ हो सकें कि आपका एहसान भगवान --- कभी ----- नहीं भूलें। भगवान एहसान भूले नहीं - किसका? हनुमान का - हनुमान को (उ) उसने अपना (छैवाँ) कुटुम्ब का सदस्य बना लिया।

24. छठवें हनुमान जी थे। क्यों? क्या वजह थी? सिर्फ एक ही वजह थी कि ---उन्हें ---- 'राम काज कीन्हें बिना मोहे कहाँ विश्राम'।

25. अपनी इच्छा से नहीं - अपना मन है बैकुण्ठ को जाएँगे, अपनी मुक्ति कराएँगे, अपना फायदा कराएँगे, अपने ---चमत्कार ---- देखेंगे, अपनी सिद्धि देखेंगे, अपना ये करेंगे - (अ) अपनापन ही हटा दिया तो अपनी मर्जी क्या रही? भगवान की मर्जी जो कुछ थी वही उन्होंने पूरी कर डाली

26. आपके भीतर बैठा हुआ, अंत:करण में बैठा हुआ भगवान मार्गदर्शन कर सकता है, और वो ऐसा सही मार्गदर्शन होगा जैसे कि अर्जुन के ---घोड़ों---- को चलाने में भगवान कृष्ण ने किया था।

27. आप ज्यादा बहस में ---पड़ने ---- की बजाए, कि हमको ये करना है, ये करना है, ये स्कीम, वो स्कीम, ये स्कीम, वो स्कीम, नौ सौ (निन्यानबे) तरह की मत स्कीम बनाइए - आप एक ही स्कीम बनाइए कि हम किसी महती (स) सत्ता की छाया में बैठेंगे, (का) कहना मानेंगे।

28. हमको ये विश्वास था कि हमको रास्ता दिखाने वाली सत्ता सही है, और हमारी (अकल) से उसकी (अकल) ज्यादा है। बस, यही होता रहा - ---चलते ---- हुए हम कहाँ पहुँचे, आप देखते हैं न।

29. आज आप भी, भगवान जो अवतार ले रहे हैं, प्रज्ञावतार, उसके साथ-साथ में उन्हीं देवताओं की ----तरीके --- से हैं, जिनको कि भगवान के काम में हाथ बँटाना (और) हिस्सा बँटाना है।

30. और भगवान के श्रेय में भी हिस्सा बँटाना है, (आप) उनकी प्रसन्नता में भी हिस्सा बँटाना है, उनकी शक्तियों में भी हिस्सा बँटाना है - ये बँटाने के लिए --- ज़रूरी ----- है कि आप इसकी कीमत चुका दें, और भगवान की मर्जी पर इस समय चलना स्वीकार कर लें। समाज के नए निर्माण का युग है, समाज को नए ढांचे में (ढा) ढाला जाना है।

31. इस गलाई में आप हिस्सा बँटाइए, इस --ढलाई---- में आप हिस्सा बँटाइए। अपने समय को ले के आइए, शक्ति को ले के आइए, मन को ले के आइए, भावना और विचारों को ले कर के आइए


32. और उस काम में जुट जाइए (जो) जो आज का भगवान, इस युग का भगवान, जिसको हम प्रज्ञावतार कहते हैं, प्रज्ञावतार कहते हैं - उस प्रज्ञावतार की मर्जी क्या है, ----ज़रा --- आप आँख खोल के देखिए और कान खोल के सुनिए।

33. तो आपको कुछ ऐसी (बात) जानकारी मिलेगी, जैसे कि प्रज्ञा अभियान के अंतर्गत ----आपको --- बार-बार बताई जा रही है। ये भगवान की प्रेरणा है, ये भगवान की दिशाधारा है

34. भावनाएँ उनकी वही होती हैं - देवताओं की - कि ---हमको ---- परोपकार करना चाहिए, भगवान की आवश्यकताओं को समझ कर के (उसमें) योगदान देना चाहिए।

35. आप भी ठीक उसी तरह के हैं - आप अपनेआप को देवता मानें तो (को) कोई हर्ज़ नहीं है। (आप) ये प्रज्ञावतार का युग है। भगवान की ---नई---- शक्तियों ने जन्म लिया है, ज्ञान की गंगा के रूप में।

36. इसी समय उनका जन्म हुआ है, और वो बराबर ये कोशिश कर रही हैं कि लोगों के खयालात बदल दें, और नए विचारों की स्थापना हो। ये प्रज्ञा अभियान उसी का है। ये योजना भगवान की है, और भगवान ही ---वास्तव ---- में इसका संचालनकर्त्ता है।

37. आप इस समय अपने (सारी) विचारों को और सारी इच्छाओं को सिर्फ इस ----काम --- में लगा दीजिए कि हमको समय की माँग पूरी करनी है, युग की भूमिका निभानी है।

38. जाग्रत आत्माएँ हमेशा आगे-आगे बढ़ी हैं। उन्होंने इंतज़ार नहीं ----देखा --- है, कि (दू) दूसरे करेंगे तो हम करेंगे। हिमालय पे सबसे पहले, जो ऊँचा शिखर होता है, (उस पे) धूप चमकती है।

39. आपको कुछ (ऐसे ही) शानदार काम करने हैं, इस ---समय ---- में। आप जाग्रत आत्मा हैं - जाग्रत (आ) आत्माओं को, युग प्रहरियों को, युग को देखना पड़ेगा, युग की ज़रूरतें क्या हैं

40. हम कहते हैं अपनी इच्छा को (ए) एक कोने में रखिए। भगवान की इच्छा क्या है? समय की माँग क्या है? प्रज्ञावतार की माँग क्या है? आप कान खोल के (उसी को सुनिए), और -----सुनने -- के बाद में पूरी हिम्मत के साथ में, पूरी वफादारी और जिम्मेदारी के साथ में, भगवान के काम करने के लिए कटिबद्ध हो जाइए।

41. आज की युग (साधना), युग साधना यही ----बताती --- है - हमको लोक मानस का परिष्कार करना है, जन-जागरण करना है - इन उद्देश्यों के लिए अगर आप अपनेआप को समर्पित कर दें, इनकी पूर्ति के लिए जीवन भर लगे रहें - समझना चाहिए आपको सही रास्ता मिल गया।