आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

1 - कल्प साधना क्या है?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - कल्प का (हिन्दी) अर्थ होता है परिवर्तन। परिवर्तन - आपको (हम) बदल देने का हमारा मन है। आप अगर दु:खी जीवन जीते रहे हैं, तो सुखी जीवन आप जिएँ। आप बीमार जीवन जीते रहे हैं, तो निरोग जीवन जिएँ, आप गुत्थियों से --------- हुआ जीवन जीते रहे हैं, आप हँसता-हँसाता (हुआ) जिंदगी जिएँ 

2 - ऐसा शानदार जीवन जिएँ - उसको देख कर के आपका भी जी --------- हो जाए, और जो कोई भी बाहर से उसको देख पाएँ उनका भी खुशी का ठिकाना न रहे। ऐसे आपके जीवन में कायाकल्प करने का हमारा मन था। 

3 - आइए अब विचार करें आखिर ये कैसे संभव होगा, उसके लिए क्या करना पड़ेगा, ये कैसे संभव (हो) हो जाएगा। इन सारे -------- पर थोड़ा (ग) गंभीरता से हम और आप विचार कर लें।

4 - आमतौर से कल्प साधना के बारे में एक भ्रम फैला हुआ है, और ये भ्रम यह है कि आदमी बुड्ढे से जवान बन जाता है - कल्प माने बुड्ढे से जवान हो जाना - ये --------- है। बुड्ढे का जवान होना संभव नहीं है - क्यों? क्योंकि ये (ये) प्रकृति के नियम के विरुद्ध है।

5 - बीमारियों से घिरा हुआ होना, और (और) --------- से घिरा हुआ होना, ये प्रकृति के विरुद्ध है, इसको आप (हम) और हम हटा सकते हैं - शरीर के बारे में यहीं तक मुमकिन है - और आगे शरीर के बारे में कुछ नहीं हो सकता।

6 - आकृति तो रहेगी ज्यों-की-त्यों, प्रकृति बदल जाएगी। प्रकृति को बदल (लेना) मुमकिन है। अगर आपकी प्रकृति बदल जाएगी तो परिस्थितियाँ बदल जाएंगी। आप और हम सब जानते हैं कि मन:स्थिति का परिणाम परिस्थिति है। मन:स्थिति अगर (आप) आदमी बदल ले, तो परिस्थितियों के बदलने में कोई --------- नहीं है। बस यही कायाकल्प है। इसी को हम कराना (चाह) रहे हैं कि आपका भीतर वाला बदल जाए, (तो) आपका बाहर वाला जरूर बदल जाएगा।

7 - कल्प साधना से अर्थ लेना चाहिए, वो (ये) ये अर्थ लेना चाहिए कि यहाँ जो आपसे कराया जाने वाला है, या (जो किया) आपको जो करना है, या हम जो आपसे कराने के लिए (लिए) दबाव डालेंगे, (वो सिर्फ) इस बात का दबाव डालेंगे, कि आपका भीतर वाला ---------, जिसका अर्थ होता है - मन, बुद्धि और चित्त

8 - जिसका अर्थ होता है आपका जीवात्मा, जिसका अर्थ होता है आपका दृष्टिकोण, जिसका अर्थ होता है आपका चिंतन और चरित्र - ये (ये) अगर हम आपको बदल दें, तो आप विश्वास रखिए, आपका जीवन पिछले दिनों जैसा भी कुछ रहा है, भविष्य में वैसा ---------- है, रह ही नहीं सकता।

9 - आदमी को ये अधिकार मिला हुआ है, भगवान ने आदमी को इस --------- बनाया है, कि वो चाहे तो अपनेआप को बदल ले।

10 - भगवान राम को अपनी धर्मपत्नी और अपने बच्चों की हिफाजत के लिए, उनकी गार्जियनशिप के लिए, और कोई संत दिखाई ही नहीं पड़ा। वाल्मीकि सबसे --------- संत दिखाई पड़े।

11 - कायाकल्प भीतर से होता है, बाहर (के) शरीर (का) कायाकल्प से कोई मतलब नहीं है। आंतरिक कायाकल्प की ---------- प्राचीनकाल में भी रही है, और अभी भी रहेगी। इसी के लिए हम आपको बुलाते हैं।

12 - राजकुमार ही होना होगा तो भगवान के राजकुमार क्यों नहीं (रहेंगे) - बस भगवान का राजकुमार बनने का फैसला करने के बाद में (जैसे इसने किया) सहायता करने वाले कम हैं क्या? --------- जी आ गए।

13 - आपने वो कहावत सुनी है न - ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है, जो अपनी सहायता आप करते हैं। बिल्कुल ये सोलह आने ----------- बात है।

14 - अपने ईमान का और भगवान का कहना माना। ईमान का और भगवान का कहना मानने वाले नानक का क्या हो गया, आपने देखा है? सारे संसार भर में नानक की कितनी बड़ी -------- है। (उनके) धर्म में उनको भगवान मानते हैं।

15 - उन्होंने पात्रता को देखा, और भीतर वाली मन:स्थिति (को बदल) (को) हो रहे बदलाव को --------, - खट चंद्रगुप्त को ले लिया, चंद्रगुप्त को क्या बना दिया

16 - लेकिन जब उन्होंने ये निश्चय किया कि हमको कुछ --------- की दिशा में चलना है, कुछ महान कार्य करने हैं, तो बुद्ध का कायाकल्प हो गया न - बुद्ध का एकदम कायाकल्प हो गया, और वो भगवान बुद्ध हो गए।

17 - पुराने उदाहरण मैंने इसलिए आपको दिए हैं - आप ये कर सकें, ये विचार कर सकें कि (हमको) हमारा बदलना संभव है। आपका ये ख्याल हो शायद कि हम तो मामूली आदमी हैं - मामूली आदमी तो और भी ---------- से बदल सकता है।

18 - प्रयत्न आपको करना पड़ेगा, सहायता हम करेंगे। मरीज को दवा (खानी) होती है और परहेज करना पड़ता है। चिकित्सा करने वाला --------- आदमी होता है। हम आपकी चिकित्सा कर सकते हैं, लेकिन परहेज तो आपको ही करना पड़ेगा। 

19 - आप पुराने कुसंस्कारों की केंचुल उतार दें, और नए रास्ते पर चलें। पिंजड़े से आप बाहर निकलें, पिंजड़े से बाहर आपको ही निकलना (होगा)। हथकड़ियाँ बेड़ियाँ (तोड़ने के) तोड़ने के लिए कूवत आपको करनी है। आप सहायता करेंगे? हम जरूर सहायता करेंगे, आप ---------- रखिए।

20 - और आप ये काम करें कि ताकत लगाएँ, कोशिश करें, ज़ुर्रत करें, -------- इकट्ठा करें, कि हमको अपनी जिंदगी को बदल (दें), और आप देखिए हम आपकी पूरी-पूरी (मदद) करेंगे।

1 - कल्प का (हिन्दी) अर्थ होता है परिवर्तन। परिवर्तन - आपको (हम) बदल देने का हमारा मन है। आप अगर दु:खी जीवन जीते रहे हैं, तो सुखी जीवन आप जिएँ। आप बीमार जीवन जीते रहे हैं, तो नीरोग जीवन जिएँ, आप गुत्थियों से ----- उलझा ---- हुआ जीवन जीते रहे हैं, आप हँसता-हँसाता (हुआ) जिंदगी जिएँ 

आप घिनौना और  कमज़ोर जीवन जीते रहे हैं, उपेक्षित और घृणास्पद जीवन जीते रहे हैं,

2 - ऐसा शानदार जीवन जिएँ - उसको देख कर के आपका भी जी ---- बाग-बाग ----- हो जाए, और जो कोई भी बाहर से उसको देख पाएँ उनका भी खुशी का ठिकाना न रहे। ऐसे आपके जीवन में कायाकल्प करने का हमारा मन था। 

आपने भी हमारे विचारों को पढ़ा होगा, उसी से प्रभावित हो कर के आप यहाँ आए हैं। 

3 - आइए अब विचार करें आखिर ये कैसे संभव होगा, इसके लिए क्या करना पड़ेगा, ये कैसे संभव (हो) हो जाएगा। इन सारे ----- प्रश्नों --- पर (थोड़ा देर) गंभीरता से हम और आप विचार कर लें।

4 - आमतौर से कल्प साधना के बारे में एक भ्रम फैला हुआ है, और ये भ्रम यह है कि आदमी बुड्ढे से जवान बन जाता है - कल्प माने बुड्ढे से जवान हो जाना - ये ---- भ्रांति ----- है। बुड्ढे का जवान होना संभव नहीं है - क्यों? क्योंकि ये (ये) प्रकृति के नियम के विरुद्ध है।

प्रकृति के नियम को पलट नहीं सकता, कोई भी नहीं पलट सकता है। सूरज पूरब से निकलता है पश्चिम में डूबता है। ऐसा नहीं हो सकता - पश्चिम से सूरज निकला करे पूरब (को) डूबा करे - कैसे हो जायेगा? 

नहीं, प्रकृति का क्रम कोई नहीं बदल सकता। भगवान ने प्रकृति के नियमों को ऐसा बना दिया है कि वो अपने स्थान पर यथावत रहेंगे - और जब से बने हैंं, तब से, और जब तक सृष्टि रहेगी, तब तक, बने रहेंगे। इसलिए बुड्ढे आदमी का जवान होना नामुमकिन है।

कथाएँ तो हैं पुराणों की, पर मालूम नहीं वो कथाएँ कहाँ तक ठीक हैं। आपने च्यवन ॠषि की (बाबत सुनी होगी) - बुड्ढे से जवान हो गए। आपने ययाति की कहानी सुनी होगी - बेटे (का) जवानी ले कर के (वो) बुड्ढा जवान हो गया था। आपने राजा नहुष के बाबत सुना होगा - वो भी ऐसे बुड्ढे से जवान हो गए (होंगे)।

लोगों ने कोशिशें तो की हैं। यूरोप में भी बहुत प्रयत्न हुए हैं बुड्ढों को जवान बनाने के, पर सफलता नहीं (मिली)। स्टालिन रूस का अधिनायक था। उसको बंदर की गिल्टियाँ काट काट के लगाई गईं और ये कोशिश की गई कि फ़िर जवान हो जाए - बन नहीं सका।

प्रकृति के साथ लड़ाई लड़ना नामुमकिन है। किसी को ये आशा नहीं करनी चाहिए कि हमारा बुड्ढा शरीर जवान बन (जाएगा)। 

हाँ, ये आशा हम आप में से हर आदमी कर सकता है कि कमज़ोरी या बीमारी, जो कि हमने अपनेआप में बुला कर के रखी है, उसको हम इंकार कर दें - कमज़ोरी से इंकार कर दें - आप चली जाइए - तो वो चली (जाएगी)। 

बीमारी से हम ये कह दें - नहीं, अब हमको आपकी ज़रूरत नहीं है - (और) हमने दावत दे के बुलाया तो था - पर अब हम आपको अपने यहाँ रखने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए कृपा करके चली जाइए। तो ये दोनों ही ऐसी भली मानस हैं, कमज़ोरी भी चली जाएगी, और बीमारी भी चली जाएगी - इनको हम भगा सकते हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक नहीं हैं, प्राकृतिक नहीं हैं।

(जीवन त) जीवधारी पैदा तो होते हैं (और म) और (मर) मरते भी हैं - पर न कोई बीमार रहता है, न कोई कमज़ोर रहता है। जब कमज़ोरी आती है तो मौत के मुँह में चले जाते हैं। कमज़ोर जिंदगी (कौन) कौन जिएगा, कौन पसंद करेगा? और ऐसी ज़िंदगी कौन (जीव) पसंद करेगा जो बीमारियों से घिरी हुई हो। तो 

5 - बीमारियों से घिरा हुआ होना, और (और) ------ कमज़ोरी --- से घिरा हुआ होना, ये प्रकृति के विरुद्ध है, इसको आप (हम) और हम हटा सकते हैं - शरीर के बारे में यहीं तक मुमकिन है - और आगे शरीर के बारे में कुछ नहीं हो सकता।

शरीर का कायाकल्प से अगर आप का मतलब हो, और उसी ख्याल से आप आए हों, तो कृपा कर के ये बात नोट कर लीजिए, कि शरीर के बारे में, आपकी ये जो है (उमर), उससे आगे को ही बढ़ेगी, पीछे को तो कैसे घटेगी?

जवान को हम बच्चा कैसे बना पाएंगे? बच्चे को हम माँ के पेट में किस तरीके से धकेल पाएंगे? बच्चे को, पेट वाले को, पीछे, पिता के वीर्य कण के रूप में कैसे धकेल पाएंगे। ये संभव नहीं है। आप की (उमर) तो ज़रूर बढ़ेगी - (उमर) के हिसाब से जो शरीर पे प्रभाव पड़ना चाहिए, वो सब पड़ेगा, लेकिन आपका स्तर बदल जाएगा।

6 - आकृति तो रहेगी ज्यों-की-त्यों, प्रकृति बदल जाएगी। प्रकृति को बदल (लेना) मुमकिन है। अगर आपकी प्रकृति बदल जाएगी तो परिस्थितियाँ बदल जाएंगी। आप और हम सब जानते हैं कि मन:स्थिति का परिणाम परिस्थिति है। मन:स्थिति अगर (आप) आदमी बदल ले, तो परिस्थितियों के बदलने में कोई ----- शक ---- नहीं है। बस यही कायाकल्प है। इसी को हम कराना (चाह) रहे हैं कि आपका भीतर वाला बदल जाए, (तो) आपका बाहर वाला ज़रूर बदल जाएगा।

मनःस्थिति में हेरफेर कर लें, तो आपकी परिस्थितियाँ ज़रूर बदल जाएंगी। इसलिए यहाँ आपको जो

7 - कल्प साधना से अर्थ लेना चाहिए, वो (ये) ये अर्थ लेना चाहिए कि यहाँ जो आपसे कराया जाने वाला है, या (जो किया) आपको जो करना है, या हम जो आपसे कराने के लिए (लिए) दबाव डालेंगे, वो सिर्फ इस बात का दबाव डालेंगे, कि आपका भीतर वाला -----हिस्सा ----, जिसका अर्थ होता है - मन, बुद्धि और चित्त

8 - जिसका अर्थ होता है आपका जीवात्मा, जिसका अर्थ होता है आपका दृष्टिकोण, जिसका अर्थ होता है आपका चिंतन और चरित्र - ये (ये) अगर हम आपको बदल दें, तो आप विश्वास रखिए, आपका जीवन पिछले दिनों जैसा भी कुछ रहा है, भविष्य में वैसा ------ नामुमकिन ---- है, रह ही नहीं सकता।

(आपको) इतिहास के पन्ने तो पढ़े हैं ना - (आपने) बहुतों के नाम याद हैं ना - जो पहले सामान्य स्थिति में गए बीते थे, लेकिन उन्होंने अपना मनःस्तर और दृष्टिकोण बदल लिया - दृष्टिकोण बदलने के बाद में कितना कमाल हो गया, उनकी (जीवन) ज़िंदगी कैसी शानदार हो गई। 

अगर उन्होंने भीतर वाले हिस्से को, अर्थात दृष्टिकोण को बदला न होता, तो बाहर वाली परिस्थितियाँ बिल्कुल मामूली आदमी के तरीके से रही होतीं। मैं आपके सामने कुछ ऐसे आदमियों के नाम ले कर के याद दिलाना चाहता हूँ कि परिवर्तन कैसे होते हैं। 

शंकराचार्य को आप जानते हैं ना - शंकराचार्य एक मामूली घर के लड़के थे - उसकी माता विधवा माता, ये उम्मीद करती थी कि पढ़ने के बाद में लड़के की शादी ब्याह करेंगे, बाल बच्चे होंगे, नाती पोते खिलाएंगे।

लेकिन शंकर ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया। माँ से इंकार कर दिया। माँ के साथ सहमत न हुए। उन्होंने अपने भावी लक्ष्य और भावी जीवन का एक स्वरूप बना लिया। जो स्वरूप बनाया, (उसके बारे में) ये उनका स्वरूप स्वयं का बनाया हुआ था, दृष्टिकोण उन्होंने अपना स्वयं बनाया, कार्यपद्धति उन्होंने स्वयं बनाई।

दूसरों ने सहायता की - बाद में सहायता की - पर शुरुआत में तो उन्होंने ही किया। (बस) शंकराचार्य फिर क्या हो गए? शंकर भगवान का अवतार माने जाते हैं ना? अगर शंकर भगवान ने, आदि शंकराचार्य ने (अपना) दृष्टिकोण में हेरफेर न किया होता तब?

तब फिर वही होते जो उनकी माँ चाहती थीं - एक मामूली पंडित पुरोहित होते, (जनम)-पत्रियाँ बनाते फिरते, पूजा पाठ करते फिरते, बाल बच्चे वाले होते, (दस-बीस) बाल-बच्चे होते, बिल्कुल गए बीते स्तर के होते। पर दृष्टिकोण उन्होंने बदल दिया तो आदि शंकराचार्य हो गए। 

9 - आदमी को ये अधिकार मिला हुआ है, भगवान ने आदमी को इस ----- लायक ---- बनाया है, कि वो चाहे तो अपनेआप को बदल ले।

विवेकानंद की बाबत आप को मालूम है ना - एक मामूली विद्यार्थी थे - गए बीते स्तर के विद्यार्थी थे - खास प्रतिभावानों में उनकी शुमार नहीं होती थी। घर की परिस्थितियाँ भी ऐसी थीं - पिताजी के मरने के बाद में घर गृहस्थी का वजन भी उन्हीं के पास आ गया। 

लेकिन, ये सब होते हुए भी, उन्होंने (ये) ये निश्चय किया कि अपने सोचने के तरीके, अपने दृष्टिकोण, और अपने जीवन (का) लक्ष्य और (उद्देश्य) को बदल देंगे। यही उन्होंने किया भी। जब उन्होंने (ये) बात (का) (फै) फैसला कर लिया, तो रामकृष्ण परमहंस के साथ उनकी (संगति) आ गई। 

रामकृष्ण परमहंस ने सहायता की? नहीं, ऐसे मत कहिए। रामकृष्ण परमहंस के लिए सहायता करना मुमकिन रहा होता, तो हज़ारों आदमी उनके पास जाया करते थे, हज़ारों आदमी उनसे दीक्षा लेते थे, हज़ारों आदमी उनके शिष्य कहलाते थे - (पर) एक भी तो नहीं हुआ - केवल विवेकानंद हुए। 

रामकृष्ण परमहंस की कृपा, आप शिष्टाचार (की तरी) के ही लिए ऐसा कहिए, (अ अ) असलियत ये नहीं है। असलियत ये है कि विवेकानंद ने अपनेआप को भीतर से बदल लिया - बदले हुए आदमी की कौन सहायता नहीं करेगा? 

आप (जि) जिस दिशा में भी आगे बढ़ना चाहते हैं, सहायता करने वालों की दुनिया में कमी है कुछ? (हर दिशा में कमी कर सकते हैं) (हर) हर दिशा में सहायता कर सकते हैं। विवेकानंद की भी सहायता हुई।

और किसकी बताइए - अजामिल का नाम आपने सुना है ना - अजामिल कैसा घिनौना आदमी था - जानवर काटता था, कसाई का धंधा करता था - हर आदमी की दृष्टि में उसकी इज़्ज़त दो कौड़ी (की)। गया बीता धंधा - अपनी जीवात्मा की दृष्टि में उसकी इज़्ज़त दो कौड़ी की। 

लेकिन उसने अपनेआप को बदल लिया। (बदलने के बाद में) बदलने के बाद में अजामिल भगवान के भक्तों में मूर्धन्य हो (गया)। आपने सुना है - मनःस्थिति बदल जाने के बाद में परिस्थिति क्यों नहीं बदलेगी। जिसको लोग नफ़रत करते थे, उसी को सब प्रणाम करने लगे, (उनके) उनके मस्तक झुकाने लगे, जाने क्या करने लगे। 

वाल्मीकि का नाम आपने सुना है ना - वाल्मीकि पहले (कैसा) ज़िंदगी थी - खराब वाली ज़िंदगी, घिनौनी वाली ज़िंदगी, घटिया वाली ज़िंदगी - (उसको) जी रहा था। हर आदमी उससे भयभीत (हो) रहता था, और हर आदमी (के उस) उसके ऊपर धिक्कार पटकता था। 

लेकिन जब उन्होंने अपनेआप को बदल लिया तब - बदलने के बाद में वाल्मीकि, वाल्मीकि फिर नहीं रह गया - फिर वो संत वाल्मीकि हो गया, ॠषि वाल्मीकि हो गया, और इतना जबरदस्त, इतना शानदार वाल्मीकि हो गया, कि 

10 - भगवान राम को अपनी धर्मपत्नी और अपने बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए, उनकी गार्जियनशिप के लिए, और कोई संत दिखाई नहीं पड़ा। वाल्मीकि सबसे ----- बड़े ---- संत दिखाई पड़े।

वाल्मीकि के आश्रम में उन्होंने, भगवान ने, अपनी धर्मपत्नी और बच्चों को भेज दिया, ताकि उनका पालन-पोषण, ताकि उनका संस्कार और शिक्षण ठीक हो सके - वही वाल्मीकि जो पहले डाकू था। आखिर हुआ क्या? (कु) कुछ भी नहीं हुआ - कायाकल्प हो गया।

वही कायाकल्प (जिसको) आप करने के लिए यहाँ आए हैं। भीतर वाला बदल दीजिए - फिर देखिए आपकी परिस्थिति बदलती है कि नहीं। मैंने कई उदाहरण पेश किए आपके सामने - अभी (और) मेरा मन कुछ और उदाहरण पेश करने का है।

आपने अम्बपाली का नाम सुना है ना - एक घिनौनी वेश्या, जिसको कि (हर आदमी) हर आदमी (एक) ऐसे समझता था, हम क्या कहें आपसे। (ह) (के) उसने कितने आदमियों (को) ज़िंदगी खराब की थी।

लेकिन जब उसने अपनेआप को बदल दिया तब, तब फिर अम्बपाली अम्बपाली नहीं रही, वेश्या नहीं रही, (वह भ) भगवान बुद्ध की बेटी हो गई। (सारे के सारे) सारे के सारे (ए) एशिया के अधिकांश देशों में वो घूमी - (उसने) महिला संगठन की दृष्टि से न जाने क्या से क्या कर डाला। कैसे हो गया? उसने बदल दिया, उनका कायाकल्प हो गया।

कैसे कायाकल्प होगा? मैं बताने वाला हूँ आपको - और आपको ये जान ही लेना चाहिए -

11 - कायाकल्प भीतर से होता है - बाहर (के) शरीर (का) कायाकल्प से कोई मतलब नहीं है। आंतरिक कायाकल्प (की) की ----- विधा ----- (प) प्राचीनकाल में भी रही है, और अभी भी रहेगी - इसी के लिए हम आपको बुलाते हैं।

ध्रुव का नाम सुना है ना - ध्रुव एक बिल्कुल घटिया दर्जे के राजकुमार थे। राजाओं के ढेरों बच्चे होते हैं - एक को गोद में लिया, एक को गोद (में) उतार दिया - ज़रा सी घर परिवार की घटना - उससे ध्रुव ने अपनेआप को बदल लिया। उन्होंने कहा - राजकुमार रहना नहीं है 

12 - राजकुमार ही होना होगा तो भगवान के राजकुमार क्यों नहीं (रहेंगे) - बस भगवान का राजकुमार बनने का फैसला करने के बाद में (जैसे इसने किया) - सहायता करने वाले कम हैं क्या? ----- नारद ---- जी आ गए।

नारद जी (बाकी लोग) बाकी बच्चों के पास क्यों नहीं गए? ध्रुव के भाई बहन कोई और भी तो होंगे - उनके पास क्यों नहीं गए? उनसे क्यों नहीं कहा? नहीं - नारद जी कह नहीं सकते थे - जो आदमी अपना निश्चय स्वयं करता है, उसी (को दूसरों) की सहायता कर सकते है। 

13 - आपने वो कहावत सुनी है ना - ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है, जो अपनी सहायता आप करते हैं - बिल्कुल ये सोलह आने ------- सही ---- बात है।

सोलह आने सही बात है। 

प्रह्लाद का नाम जानते हैं ना - अगर उसका बाप, जैसे कि था दैत्य, बाप के कहने पे चला होता, और पुरानी परम्परा पे चला होता, तो सिवाय दैत्य के क्या हो सकता था? बाप-दादे जो काम करते रहे थे, वही घिनौने काम प्रह्लाद ने भी किए (थे) - पर प्रह्लाद ने अपनेआप को बदल दिया।

गुरुनानक का नाम सुना है ना आपने - गुरुनानक के पिताजी मामूली व्यापार करते थे। वे चाहते थे कि उनका लड़का भी व्यापार करे। व्यापार के लिए एक बार पैसा भी दिया। पैसा ले कर के बाजार गए और बाजार से सामान खरीदने के लिए जो गए थे, फिर ऐसा कर दिया उन्होंने, पैसे खर्च कर डाले।

(नानक) नानक ने निश्चय कर लिया अपना स्वयं - बाप के कहने पे चले (नहीं) - बाप के कहने से इंकार कर दिया। मित्रों ने भी कहा होगा, पड़ोसियों ने भी कहा होगा - पर एक का कहना उन्होंने नहीं माना -

14 - अपने ईमान का और भगवान का कहना माना। ईमान का और भगवान का कहना मानने वाले नानक का क्या हो गया, आपने देखा है? सारे संसार भर में नानक की कितनी बड़ी ---- इज़्ज़त ---- है। (के) धर्म में उनको भगवान मानते हैं।

दूसरे आदमी भगवान या संत जो भी मानते हों, लेकिन आखिर महान तो हुए ना। ये महान कैसे हो गए? (अगर) बाप की मर्ज़ी पे चले होते, (और) पुराने ढर्रे पे उनकी गाड़ी लुढ़कती रही होती, तो नानक क्या हो सकते थे?

(ना) नानक बिल्कुल मामूली आदमी होते - एक बनिए की दुकान कर रहे होते - (और) नमक चावल (बे) बेच रहे होते - और ढेरों बच्चे पैदा कर के, मामूली आदमी के तरीके (से) ज़िंदगी बसर कर रहे होते। (लेकिन) ऐसा नहीं हुआ - नानक का कायाकल्प हो गया - नानक (महा) महापुरुष हो गए, संत हो गए, ॠषि हो गए, भगवान हो गए, अवतार हो गए।

शिवाजी का नाम सुना है ना - शिवाजी के पिताजी मिलिट्री में नौकरी करते थे, और वो मामूली (ऐसे) घर-गृहस्थी के बच्चे होते हैं, ऐसे ही थे।

ढर्रे का जीवन जिया होता और ढर्रे से इंकार न किया होता, अपने लिए कोई नया निर्धारण और नया निश्चय न किया होता, तो आप क्या विचार करते हैं - शिवाजी वैसे ही रहे होते? - जैसे कि हम उनको क्षत्रपति शिवाजी कहते हैं, हिंदुस्तान की आज़ादी का मूर्धन्य नेता कहते हैं - (ऐसे) हो सकता था? ना, हो नहीं सकता था।

ये कैसे हुआ? ये कायाकल्प हो गया - शिवाजी का। वो शिवाजी, जो अपने माँ-बाप के पेट में से पैदा हुआ था, और घर-गृहस्थी में गुजारा करता था, उसकी तुलना में महापुरुष शिवाजी (का) रूपरेखा बिल्कुल अलग है।

चंद्रगुप्त का नाम सुना है ना - चाणक्य ने, चाणक्य ने उसके अंदर देखा - उस कसक को देखा - (उसने) पढ़ लिया।

चन्द्रगुप्त अकेला था? नहीं अकेला नहीं था। चाणक्य ने कुछ पक्षपात किया था? नहीं, चाणक्य बेचारा क्या पक्षपात कर सकता था।

15 - उन्होंने पात्रता को देखा, और भीतर वाली मन:स्थिति (को बद) के हो रहे बदलाव को ---- परखा ----, - खट चंद्रगुप्त को ले लिया, चंद्रगुप्त को क्या बना दिया

गाँधी जी क्या परिस्थिति से ऐसे ही थे (क्या)? उनके पिताजी एक छोटी (स्टेट) में दीवान थे, और वो भी अपने लड़के को वकील बनाना चाहते थे। गाँधी जी स्वभावतः मामूली वकील रहे होते। सफल या असफल बात दूसरी है, पर सिवाय वकील के और क्या हो सकते थे - कुछ नहीं हो सकते थे।

लेकिन उन्होंने जब ये निश्चय किया कि हमको कुछ महापुरुष (हो के) बनना है, ज़िंदगी का बड़ा उद्देश्य पूरा करना है - तो फिर वो महात्मा गाँधी हो गए, अवतार गाँधी हो गए, बापू हो गए और युग प्रवर्तक हो गए - लाखों आदमियों को दिशाएँ देने वाले हो गए।

आखिर ये हुआ (कैसा)? भगवान ने कर दिया? नहीं, भगवान ने नहीं। भाग्य ने कर दिया? नहीं, भाग्य ने भी नहीं किया; और, किसी और आदमी ने? किसी ने भी नहीं किया। सबने सहायता तो ज़रूर (दी) - सहायता का तो दुनिया में द्वार खुला हुआ है।

सहायता रास्ता बंद है क्या? बुरे लोगों के लिए भी सहायता का रास्ता खुला हुआ है, और अच्छे लोगों के लिए भी खुला हुआ है - गाँधी जी के बाबत यही हुआ।

बुद्ध के बारे में - बुद्ध का भी यही हुआ। बुद्ध भगवान क्या थे? एक मामूली ज़मींदार के लड़के थे। छोटी (उमर) में ब्याह-शादी कर दी गई थी।

16 - लेकिन जब उन्होंने ये निश्चय किया कि हमको कुछ ----- बड़प्पन ---- की दिशा में चलना है, कुछ महान कार्य करने हैं, तो बुद्ध का कायाकल्प हो गया ना - बुद्ध का एकदम कायाकल्प हो गया, और वो भगवान बुद्ध हो गए।

बस ठीक यही बात आपके ऊपर लागू (होती) है।

17 - पुराने उदाहरण मैंने इसलिए आपको दिए हैं - आप (ये कर सकें) ये विचार कर सकें कि (हमको) हमारा बदलना संभव है। आपका ये ख्याल हो शायद (कि) हम तो मामूली आदमी हैं - मामूली आदमी तो और भी ----- आसानी ----- से बदल सकता है।

चलिए, आपका ये ख्याल हो कि हमारी घिनौनी और गंदी ज़िंदगी रही है - तो घिनौनी (ज़िं ग) (गंदगी) ज़िंदगी से हम शायद (नहीं) नहीं बदल पाएंगे - और, जिस ढर्रे में हम चल रहे हैं, और जिस कोल्हू में हम पिल रहे हैं, उसी में पिलते रहेंगे - ये आपकी मर्ज़ी के ऊपर है - आप चाहें तो इस तरीके से भी रह सकते हैं जैसे कि (आप) रहे थे।

लेकिन अगर आपका मन हो हमको (बदल द ब) बदल जाना चाहिए, तो सूरदास का उदाहरण आपके सामने हैं। सूरदास कैसे आदमी थे, आप जानते हैं ना - बिल्वमंगल का नाम सुना है ना - कैसी घिनौनी ज़िंदगी - वेश्यावृत्ति करने वाले, कामुक सूरदास - फिर क्या हो गए थे - भगवान (उन) उनको लाठी पकड़ के ले जाते थे, (अंधा) अंधे होने के बाद में (सूरदास क)

(उनका) तुलसीदास का नाम सुना है ना आपने - उन्होंने कामुकता से पीड़ित हो कर के, मुर्दे के ऊपर सवार हो कर के नदी पार की थी, (और) साँप की पूंछ (पकड़ कर) के (छ) छत पे चढ़ गए थे - अपनी धर्मपत्नी के पास गए थे - और धर्मपत्नी ने ये कहा था - जितना प्यार आप हम से करते हैं, उतना ही प्यार आप भगवान से करें तो क्या हो सकता है - बस वो बात उनके मन में लग गई, और लगने के बाद में उन्होंने अपनेआप को बदल लिया। 

बदला हुआ जीवन, (तु) तुलसीदास का जीवन आप जानते हैं ना - रामायण को बनाने वाले तुलसीदास को आप जानते हैं ना - आप उन (तु) तुलसीदास को जानते हैं ना, जिन्होंने कि "तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देयं रघुवीर" - भगवान राम तुलसीदास को (के) चंदन लगाते थे, घिसे हुए को - और, सूरदास को श्री कृष्ण भगवान लाठी ले के (चल सकते) थे।

होता है? हो सकता है - आपके लिए भी हो सकता है - (निश्चित रखिए) यकीन रखिए - हमने आपको यकीन दिलाने के लिए यहाँ बुलाया है, कि आप चाहें तो आप ज़रूर कर सकते हैं। 

तो (आप) ये कैसे होगा? इसमें दो आदमियों के सहयोग की ज़रूरत पड़ती है - अकेले आप नहीं कर पाएंगे, ये हम समझते हैं - लेकिन कोई बाहर का आदमी, अकेला, आपकी सहायता करना चाहे, तो वो भी मुमकिन नहीं है। आप प्रयत्न कीजिए, हम आपकी सहायता करेंगे - आप प्रयत्न कीजिए, हम आपकी सहायता करेंगे। ये दोनों का मिला-जुला काम है - दोनों का मिला-जुला (हुआ) काम (को) ही पूरा हो सकता है। 

18 - प्रयत्न आपको करना पड़ेगा, सहायता हम करेंगे। मरीज़ को दवा खानी होती है और परहेज करना पड़ता है - चिकित्सा करने वाला ---- दूसरा ----- आदमी होता है। हम आपकी चिकित्सा कर सकते हैं, लेकिन परहेज तो आपको ही करना पड़ेगा।

(आप को आप को) दवा तो आपको (ही) खानी पड़ेगी।

आपने देखा है ना - अंडा फूटता है - किस तरीके से फूटता है? मुर्गी के पेट में से (फूटता) है - मुर्गी के पेट में से अंडा होता है - मुर्गी (की दया) न हो तो अंडा कहाँ से आए? लेकिन जन्म लेने से पहले, (मुर्गी के अं के उसके) अंडे के भीतर रहने वाले बच्चे को मेहनत करनी पड़ती है, और अपनी ताकत (के) के हिसाब से अंडे को भीतर से (तो) तोड़ना पड़ता है।

कोई और तोड़ने नहीं आता है। आप ज़रा देखिए - (अंडा) जब पैदा होता है बच्चा, तब भीतर से, जो उसके भीतर बैठा हुआ (चू) चूज़ा है, मेहनत करता है - अपनी ताकत से अंडे में दरार डालता है - फिर फूट के बाहर निकल पड़ता है।

ये मेहनत उसकी है - छाती से मुर्गी लगाती है, (प) पालती भी है, सेती भी है - अंडे को जन्म भी उसने दिया - ये सब काम मुर्गी का है, लेकिन वो (अं मुर्गी को) अंडे को तो (अंडे) को ही तोड़ना पड़ेगा।

भ्रूण माता ने बनाया है - पेट में (रहा हुआ) गर्भ को खुराक माता ने दी है (दूध माता ने ही पिलाया है) - लेकिन, पेट में से निकलने की ताकत और मेहनत तो, पेट में रहने वाले बच्चे को ही करनी पड़ती है। अगर पेट में रहने वाला बच्चा इंकार कर दे - हम बाहर नहीं निकलते, धक्का-मुक्की नहीं करते - तब फिर डिलिवरी नहीं हो सकती - पेट में बच्चा सड़ेगा, अथवा जो कुछ भी हो जाएगा।

बाहर निकलने की पूरी की पूरी ज़िम्मेदारी उस बच्चे के ऊपर है जो पेट में बैठा हुआ है। निकालती तो माता ही है - दर्द तो माता के ही होता है - प्रसव तो माता ही करती है - पर वो माता (प) पहले या पीछे नहीं निकाल सकती - जब तक बच्चे की कूवत, बच्चे की ताकत काम ना करे (तब)।

आपको अंडे (की) तरीके से (अप) अपना दायरा (त) तोड़ना पड़ेगा - आपको बच्चे (की) तरीके से बाहर निकलना पड़ेगा। बस (ये ये आपके लिए) आपके लिए जो करना है, वो यही करने का है।

केंचुल उतार दीजिए - (कें) केंचुल आपके ऊपर लगी हुई है - उसे आप उतार देंगे - (तो) साँप (की) तरीके से आप किस तरीके से (दौड़) दौड़ते हुए चले जाएंगे। केंचुल लगा हुआ साँप कहाँ भाग पाता है - ऐसे बैठा रहता है - ढेले फेंकते रहते हैं बच्चे - बस ऐसे ही बैठा रहता है। केंचुल उतार दी, तो जाने कहाँ से कहाँ (जा) पहुँचता है। 

19 - आप पुराने कुसंस्कारों की केंचुल उतार (दें), और नए रास्ते पे चलें। पिंजड़े से आप बाहर निकलें - पिंजड़े से बाहर आपको निकलना है। हथकड़ियाँ बेड़ियाँ (तोड़ने के) तोड़ने के लिए कूवत आपको करनी है। आप सहायता करेंगे? हम ज़रूर सहायता करेंगे, आप ------ यकीन ---- रखिए।

सहायता के लिए तो हम बुलाते ही हैं आपको - सहायता का (तो) यकीन दिलाते ही हैं। पर आप (यही) ख्याल करते हों, केवल हमारी सहायता से आपकी समस्याएँ हल हो जाएंगी, तो ये मुमकिन नहीं है।

आप और हम दोनों मिलजुल के काम करें - आप हमारा (हमारा हमारे) कहना मानें - हम आपके लिए मदद करें। अंधे और पंगे (की) तरीके से हम लोग मिलजुल के नदी पार कर लें। परिस्थितियाँ इसी तरह से बदल जाएँ, तो मज़ा आए।

 (हम और आप) कायाकल्प से हमारा मतलब यही था, कि आप के लिए हम सहायता करेंगे, कि आप बदल जाएँ। आप पर हम दबाव डालेंगे कि जिस तरह की ज़िंदगी आप जीते रहे हैं, वो मुनासिब ज़िंदगी नहीं है। आपका जो स्वरूप अब तक रहा है, वो आपके लिए मुनासिब स्वरूप नहीं है। हम आप पर दबाव डालने वाले हैं कि आप इस स्वरूप (स) को (आप) आगे चलाने से इंकार कर दें - (और)

20 - और आप ये काम करें कि ताकत लगाएँ, कोशिश करें, ज़ुर्रत करें, ----- साहस --- इकट्ठा करें, कि हमको अपनी ज़िंदगी को बदल (देना) - फिर आप देखिए हम आपकी पूरी-पूरी (मेहनत) करेंगे।

(विवेकानंद की मेहनत) विवेकानंद की सहायता रामकृष्ण परमहंस (ने) ने की थी। हम परमहंस तो नहीं हैं, पर आप यकीन रखिए, आपकी हम सहायता उतनी ही कर सकते हैं, और आप को श्रेष्ठ व्यक्ति बना सकते हैं।

तैयार (होइए) - अगर आप तैयार हैं तो (आपको) आप (य) यकीन रखिए - आपका जीवन बदल जाएगा - ऐसा शानदार जीवन बदल जाएगा - आप स्वयं (कोई) भी अपनेआप में आश्चर्य करेंगे, (और) जो कोई आपको यहाँ से जाने के बाद देखेगा, वो भी आश्चर्य करेगा।

(अगर) आपको ये दावत स्वीकार हो, तो आप तैयार (होइए) - (तब आपकी) हिम्मत कीजिए - उसके लिए संघर्ष कीजिए - आप (अन) अनुशासन पालने के लिए (त)‌ तैयार (होइए) - देखिए आपका भविष्य कैसे शानदार बनता है।

कायाकल्प से हमारा उद्देश्य यही था - और (आपको) कायाकल्प से उद्देश्य यही समझना चाहिए - और उसकी तैयारी के लिए, जो मुनासिब हो, वो करने के लिए कमर कस के खड़ा होना चाहिए।

ॐ शांति