आध्यात्मिक कायाकल्प

अध्यात्म द्वारा दैनिक जीवन के प्रश्नों के समाधान 

Refinement of Personality Through Spirituality

Answers to the questions of day-to-day life through Spirituality

पाठ्यक्रम 620102 - आंतरिक उत्कृष्टता का विकास

(परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिए गए उद्बोधनों पर आधारित पाठ्यक्रम) (स्व-शिक्षण पाठ्यक्रम Self-Learning Course)

6. आराधना क्यों और कैसे?

परम पूज्य गुरुदेव, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा 'कल्प साधना शिविर' में दिया गया उद्बोधन

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प्रश्नोत्तरी नीचे दी गई है

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प्रश्नोत्तरी

1 - बनावट तो वैसी ही रहेगी, बनावट को आप कैसे बदल पाएंगे, बनावट नहीं बदल (सकती)। पर, प्रकृति बदल (सकती है)। जिस त्रिवेणी का स्नान करने के लिए गोस्वामी जी ने महातम बताया है, वास्तव में वो पानी की तीन धाराओं का संगम नहीं है, वो तो उसके ------- हैं। 

2 - असल में त्रिवेणी, (जिसके) महातम बताया गया है, वो वो है जिसको आप ------- गायत्री कहते हैं। ये तीन धारा वाली गायत्री (है)। तीन धारा वाली गायत्री - इसको सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् भी कहते हैं। इसको सत्, चित्, आनन्द भी कहते हैं। 

3 - आपको व्यावहारिक इसके अर्थ कर के बताता हूँ। इसको उपासना, साधना और आराधना (कहते हैं)। तीन का ------- है ये। आपको तीन काम करने पड़ते हैं।

4 - उपासना की बाबत कहा था न - भगवान के साथ संबंध जोड़िए, भगवान का अनुशासन स्वीकार कीजिए, भगवान की सत्ता पर विश्वास कीजिए, कर्मफल और ------- होने की बात को मान्यता दीजिए, फिर आप उसी के साथ-साथ मिल जाइए, उसी में घुल जाइए, उसी के सिद्धांत और उसकी इच्छा के अनुसार चलना शुरू कीजिए।

5 - साधना वाली - साधिए, अपनेआप को साधिए, अपनेआप को गलाइए, अपनेआप को ढालिए, अपनेआप को गलाइए, अपनेआप को ढालिए, अपनेआप को कुसंस्कारों से मुक्ति दिलाइए, अपनेआप को सज्जन (और) सभ्य बनाने के लिए ------- कोशिश कीजिए।

6 - उपासना भगवान की, साधना आत्मदेव की, और आराधना, आराधना समाज की। आराधना समाज की। आपका समाज के प्रति भी कुछ ------- है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है।

7 - आदमी की जो उन्नति हुई है, वास्तव में ------- समाज की वजह से हुई है। एक ने दूसरे को सहायता की है, दूसरे ने तीसरे को सहायता की है। 

8 - समाज सेवा करना आपका काम (है)। आपने असंख्यों की सहायता से ------- का वर्तमान स्वरूप प्राप्त किया है।

9 - आपका ये फर्ज़ (हो) जाता है कि उसी समाज को, (जिसके कि) जिसने भिन्न-भिन्न प्रकार से आपको सहयोग दे कर के आपको पढ़ा-लिखा बनाया है, (शिक्षित) बनाया है, ------- बनाया है, उद्योग-धंधों को चला सकने वाला बनाया है, अफसर बनाया है, गृहस्थ बनाया है - उस समाज के ॠण को चुकाने के लिए आपको (आपको) उसकी सेवा करनी चाहिए।

10 - एक और पक्ष है - आपको उन्नतिशील बनने के लिए, समर्थ बनने के लिए, समर्थ बनने के लिए, उन्नतिशील बनने के लिए, आपको सेवा धर्म ------- करना चाहिए। 

11 - आप इस सिद्धांत को समझते (नहीं हैं) - (समझने की) न समझने की वजह से ही आदमी कंजूस बनता जाता है, कृपण बनता जाता है, ------- बनता जाता है, संकीर्ण बनता जाता है, स्वार्थी बनता जाता है - इस बात को हटाना चाहिए; (आ) आराधना इससे कम में नहीं हो सकती है। 

12 - उन्नति के लिए, विकास करने के लिए, और अपनेआप को महत्वपूर्ण और (बड़ा) बनाने के लिए, ------- की तरीके से हर आदमी (को) गलना चाहिए। 

13 - भगवान के यहाँ (की) कसौटी एक ही है, वो कसौटी एक है कि आप कितने उदार हैं - अगर आप उदार हैं तो भगवान (के) का ------- आपके लिए (आपका) उदारतापूर्वक खुला हुआ है।

14 - जिन ॠषियों के बारे में आपको ये मान्यता है कि ॠषि जंगलों में रहते थे, और भजन करते थे, (और) भजन करते थे, भजन करते थे - ऐसी बात नहीं है - भजन भी करते (थे) - तीर्थ संचालन करते थे, ------- चलाते थे, आरण्यक चलाते थे, प्रव्रज्या करते थे, (परिभ्रमण) परिभ्रमण करते थे, और गाँव-गाँव जा कर के (उसका) संदेश सुनाते थे।

15 - नारद जी को (देखा न), (सेवामय) जीवन था न, जहाँ-तहाँ, जहाँ-तहाँ चले गए। चरक का जीवन पढ़ा है न - चरक ने (सारी जिंदगियाँ) सारी जिंदगी में जड़ी-बूटियों की खोज की, और (सु) सुश्रुत ने शल्य-क्रिया का ------- किया।

16 - अगर हमसे भी बड़ा कोई दु:खी इस संसार में है, तो पहला हक उनका है, पहले उनको देना चाहिए, (क्योंकि) सारा समाज एक है, (सा) सारी मानवता एक है, सारा ------- एक है।

17 - भक्त नहीं हो सकता - जिसके हृदय में करुणा नहीं (है), दया नहीं (है), सेवा की (वृत्ति) नहीं (है), जो ------- नहीं हो सकता, जिसका मन कोमल नहीं (है), जो अपने सुख को बाँट के नहीं खा सकता, जो दूसरे के दु:खों को बँटा नहीं सकता - वो भक्त कैसे हो जाएगा।

18 - आप सेवा के लिए स्थान (दीजिए)। कहीं न कहीं आप कोई न कोई तरीका ऐसे निकालते रहें, जिससे कि आपका समय का एक बड़ा अंश, और आपके साधनों का एक बड़ा अंश, परोपकार के लिए, और ------- के लिए खर्च होता रहे।

19 - लोगों की अंतरात्मा को ऊँचा उठाने के लिए, उनके जीवन को विकसित करने के लिए, आदमी को (सं) सुसंस्कारी बनाने के लिए जो शिक्षण दिया जाता है, ------- दिया जाता है, जो साधन दिए जाते हैं, वो वास्तव में यज्ञार्थाय है।

20 - आत्मा को, अंत:करण को, जिसके आधार पर हम खुराक देते हैं, साधन देते हैं, असल में उसी से आदमी का ------- होता है, उसी से आदमी की भलाई होती है।

21 - इसीलिए सबसे बड़ा पुण्य, सबसे बड़ा परोपकार - आराधना - ये मानी गई है कि हम दूसरों को प्रकाश दें, ------- दें, रास्ता बताएँ, ऐसे परामर्श दें जिससे कि वो लोग ऊँचे उठें - और अपनेआप का जीवन का स्वरूप ऐसा बनाएँ जिसकी नकल करने के लिए बहुत से (आदमियों) की इच्छा होने लगे।

22 - जो पुण्य परम्पराएँ समाज में फैलानी हैं, उसके लिए आप परिश्रम कीजिए। जिन कुरीतियों की वजह से समाज का ------- हुआ जाता है, उन (कुरीतियों) कुरीतियों (के सं) संघर्ष करने के लिए आप सीना तान के खड़े हो जाइए।

23 - व्यक्तित्वों को उछाल देने का नाम, सद्ज्ञान देने का नाम, सत्प्रवृत्तियों के सम्वर्धन का नाम, ये भी ------- और परोपकार (हैं)।

24 - जो आप लोग इस मिशन को आगे बढ़ा देते हैं, जिसमें कि ------- मनुष्यों के (भ) उज्ज्वल भविष्य की संभावना (है), और, (जो) महाविनाश से रोकथाम करने के लिए जिसमें बहुत (काफी) गुंजाइश है।

25 - आप ऐसे पुनीत काम में संलग्न होते हैं, अपना श्रम देते हैं, अपना समय देते हैं, अपने ------- का उपयोग करते हैं, तो आप निश्चित (स) रूप से समझिए ये किसी सोना दान करने वाले राजा कर्ण से कम महत्व का काम नहीं है।

26 - आपको सेवा तो करनी ही चाहिए। सेवा आप नहीं करेंगे तब, तब आपकी (आपकी) अंतरात्मा प्यासी रह जाएगी, ------- रह जाएगी, (आपकी) अंतरात्मा को आनन्द मिलेगा ही नहीं, जो कि एक देने वाले को मिलता है।

27 - अब एक और कदम बढ़ाइए - अब आपको देवता बनना है। देवता किसे कहते हैं? जो दिया करता है। देने वाले का नाम -------। 

28 - अभाव के कारण, अशक्ति के कारण, और अज्ञान के कारण - सारे के सारे संसार में दु:ख फैले हुए हैं। आप अभावों को दूर कीजिए - दान दीजिए, उपकार कीजिए, अपने हिस्से में से एक अंश (दु) दुखियारों की सेवा के लिए रखिए - ये ------- को दूर करना (हुआ)।

29 - अशक्ति को - लोगों की हिम्मतें बढ़ा दीजिए, ऐसी वृत्तियों को बढ़ने दीजिए जिससे कि आदमी शक्तिवान बनते हैं। आप (गृह-उद्योगों) से ले कर के हरित-क्रांति तक के अनेक कार्य ऐसे कर सकते हैं, जिससे कि आदमी ------- दृष्टि से (स) समर्थ बनते हैं।

30 - आप ऐसे भी काम कर सकते हैं जिससे कि अज्ञान दूर होता है। आजकल ज्ञान-यज्ञ को आगे बढ़ाने के लिए, ------- के लिए, आज (आज) अपना कितना काम प्रारम्भ किया हुआ है।

31 - संत सवा मन (सवा मन) ज्ञान रोज बाँटता है। हम सवा मन ज्ञान रोज बाँटते हैं। आपको भी सवा मन ज्ञान रोज बाँटने के लिए अपनी भावी योजना बनानी चाहिए, और जीवन को ------- से भरा-पूरा करना चाहिए।

1 - बनावट तो वैसी ही रहेगी, बनावट को आप कैसे बदल पाएंगे, बनावट नहीं बदल (सकती)। पर, प्रकृति बदल (सकती है)। जिस त्रिवेणी का स्नान करने के लिए गोस्वामी जी ने महातम बताया है, वास्तव में वो पानी की तीन धाराओं का संगम नहीं है, वो तो उसके ----प्रतीक --- हैं। 

2 - असल में त्रिवेणी, (जिसके) महातम बताया गया है, वो वो है जिसको आप --- त्रिपदा ----- गायत्री कहते हैं। ये तीन धारा वाली गायत्री (है)। तीन धारा वाली गायत्री - इसको सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् भी कहते हैं। इसको सत्, चित्, आनन्द भी कहते हैं। 

3 - आपको व्यावहारिक इसके अर्थ कर के बताता हूँ। इसको उपासना, साधना और आराधना (कहते हैं)। तीन का ----संगम --- है ये। आपको तीन काम करने पड़ते हैं।

4 - उपासना की बाबत कहा था न - भगवान के साथ संबंध जोड़िए, भगवान का अनुशासन स्वीकार कीजिए, भगवान की सत्ता पर विश्वास कीजिए, कर्मफल और ----न्यायकारी --- होने की बात को मान्यता दीजिए, फिर आप उसी के साथ-साथ मिल जाइए, उसी में घुल जाइए, उसी के सिद्धांत और उसकी इच्छा के अनुसार चलना शुरू कीजिए।

5 - साधना वाली - साधिए, अपनेआप को साधिए, अपनेआप को गलाइए, अपनेआप को ढालिए, अपनेआप को गलाइए, अपनेआप को ढालिए, अपनेआप को कुसंस्कारों से मुक्ति दिलाइए, अपनेआप को सज्जन (और) सभ्य बनाने के लिए ---भरपूर ---- कोशिश कीजिए।

6 - उपासना भगवान की, साधना आत्मदेव की, और आराधना, आराधना समाज की। आराधना समाज की। आपका समाज के प्रति भी कुछ ---कर्तव्य ---- है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है।

7 - आदमी की जो उन्नति हुई है, वास्तव में --सहकारी---- समाज की वजह से हुई है। एक ने दूसरे को सहायता की है, दूसरे ने तीसरे को सहायता की है। 

8 - समाज सेवा करना आपका काम (है)। आपने असंख्यों की सहायता से ----जीवन --- का वर्तमान स्वरूप प्राप्त किया है।

9 - आपका ये फर्ज़ (हो) जाता है कि उसी समाज को, (जिसके कि) जिसने भिन्न-भिन्न प्रकार से आपको सहयोग दे कर के आपको पढ़ा-लिखा बनाया है, (शिक्षित) बनाया है, ---सभ्य ---- बनाया है, उद्योग-धंधों को चला सकने वाला बनाया है, अफसर बनाया है, गृहस्थ बनाया है - उस समाज के ॠण को चुकाने के लिए आपको (आपको) उसकी सेवा करनी चाहिए।

10 - एक और पक्ष है - आपको उन्नतिशील बनने के लिए, समर्थ बनने के लिए, समर्थ बनने के लिए, उन्नतिशील बनने के लिए, आपको सेवा धर्म ----ग्रहण --- करना चाहिए। 

11 - आप इस सिद्धांत को समझते (नहीं हैं) - (समझने की) न समझने की वजह से ही आदमी कंजूस बनता जाता है, कृपण बनता जाता है, ----लोभी --- बनता जाता है, संकीर्ण बनता जाता है, स्वार्थी बनता जाता है - इस बात को हटाना चाहिए; (आ) आराधना इससे कम में नहीं हो सकती है। 

12 - उन्नति के लिए, विकास करने के लिए, और अपनेआप को महत्वपूर्ण और (बड़ा) बनाने के लिए, ----बीज --- की तरीके से हर आदमी (को) गलना चाहिए। 

13 - भगवान के यहाँ (की) कसौटी एक ही है, वो कसौटी एक है कि आप कितने उदार हैं - अगर आप उदार हैं तो भगवान (के) का ----दरवाजा --- आपके लिए (आपका) उदारतापूर्वक खुला हुआ है।

14 - जिन ॠषियों के बारे में आपको ये मान्यता है कि ॠषि जंगलों में रहते थे, और भजन करते थे, (और) भजन करते थे, भजन करते थे - ऐसी बात नहीं है - भजन भी करते (थे) - तीर्थ संचालन करते थे, ---गुरुकुल ---- चलाते थे, आरण्यक चलाते थे, प्रव्रज्या करते थे, (परिभ्रमण) परिभ्रमण करते थे, और गाँव-गाँव जा कर के (उसका) संदेश सुनाते थे।

15 - नारद जी को (देखा न), (सेवामय) जीवन था न, जहाँ-तहाँ, जहाँ-तहाँ चले गए। चरक का जीवन पढ़ा है न - चरक ने (सारी जिंदगियाँ) सारी जिंदगी में जड़ी-बूटियों की खोज की, और (सु) सुश्रुत ने शल्य-क्रिया का -----आविष्कार – किया।

16 - अगर हमसे भी बड़ा कोई दु:खी इस संसार में है, तो पहला हक उनका है, पहले उनको देना चाहिए, (क्योंकि) सारा समाज एक है, (सा) सारी मानवता एक है, सारा --विश्व ----- एक है।

17 - भक्त नहीं हो सकता - जिसके हृदय में करुणा नहीं (है), दया नहीं (है), सेवा की (वृत्ति) नहीं (है), जो ---उदार ---- नहीं हो सकता, जिसका मन कोमल नहीं (है), जो अपने सुख को बाँट के नहीं खा सकता, जो दूसरे के दु:खों को बँटा नहीं सकता - वो भक्त कैसे हो जाएगा।

18 - आप सेवा के लिए स्थान (दीजिए)। कहीं न कहीं आप कोई न कोई तरीका ऐसे निकालते रहें, जिससे कि आपका समय का एक बड़ा अंश, और आपके साधनों का एक बड़ा अंश, परोपकार के लिए, और --परमार्थ ----- के लिए खर्च होता रहे।

19 - लोगों की अंतरात्मा को ऊँचा उठाने के लिए, उनके जीवन को विकसित करने के लिए, आदमी को (सं) सुसंस्कारी बनाने के लिए जो शिक्षण दिया जाता है, ----परामर्श --- दिया जाता है, जो साधन दिए जाते हैं, वो वास्तव में यज्ञार्थाय है।

20 - आत्मा को, अंत:करण को, जिसके आधार पर हम खुराक देते हैं, साधन देते हैं, असल में उसी से आदमी का ----कल्याण --- होता है, उसी से आदमी की भलाई होती है।

21 - इसीलिए सबसे बड़ा पुण्य, सबसे बड़ा परोपकार - आराधना - ये मानी गई है कि हम दूसरों को प्रकाश दें, ----रोशनी --- दें, रास्ता बताएँ, ऐसे परामर्श दें जिससे कि वो लोग ऊँचे उठें - और अपनेआप का जीवन का स्वरूप ऐसा बनाएँ जिसकी नकल करने के लिए बहुत से (आदमियों) की इच्छा होने लगे।

22 - जो पुण्य परम्पराएँ समाज में फैलानी हैं, उसके लिए आप परिश्रम कीजिए। जिन कुरीतियों की वजह से समाज का ---सत्यानाश ---- हुआ जाता है, उन (कुरीतियों) कुरीतियों (के सं) संघर्ष करने के लिए आप सीना तान के खड़े हो जाइए।

23 - व्यक्तित्वों को उछाल देने का नाम, सद्ज्ञान देने का नाम, सत्प्रवृत्तियों के सम्वर्धन का नाम, ये भी ----पुण्य --- और परोपकार (हैं)।

24 - जो आप लोग इस मिशन को आगे बढ़ा देते हैं, जिसमें कि ----असंख्य --- मनुष्यों के (भ) उज्ज्वल भविष्य की संभावना (है), और, (जो) महाविनाश से रोकथाम करने के लिए जिसमें बहुत (काफी) गुंजाइश है।

25 - आप ऐसे पुनीत काम में संलग्न होते हैं, अपना श्रम देते हैं, अपना समय देते हैं, अपने ----प्रभाव --- का उपयोग करते हैं, तो आप निश्चित (स) रूप से समझिए ये किसी सोना दान करने वाले राजा कर्ण से कम महत्व का काम नहीं है।

26 - आपको सेवा तो करनी ही चाहिए। सेवा आप नहीं करेंगे तब, तब आपकी (आपकी) अंतरात्मा प्यासी रह जाएगी, ---भूखी ---- रह जाएगी, (आपकी) अंतरात्मा को आनन्द मिलेगा ही नहीं, जो कि एक देने वाले को मिलता है।

27 - अब एक और कदम बढ़ाइए - अब आपको देवता बनना है। देवता किसे कहते हैं? जो दिया करता है। देने वाले का नाम ----सेवाभावी ---। 

28 - अभाव के कारण, अशक्ति के कारण, और अज्ञान के कारण - सारे के सारे संसार में दु:ख फैले हुए हैं। आप अभावों को दूर कीजिए - दान दीजिए, उपकार कीजिए, अपने हिस्से में से एक अंश (दु) दुखियारों की सेवा के लिए रखिए - ये ----अभावों --- को दूर करना (हुआ)।

29 - अशक्ति को - लोगों की हिम्मतें बढ़ा दीजिए, ऐसी वृत्तियों को बढ़ने दीजिए जिससे कि आदमी शक्तिवान बनते हैं। आप (गृह-उद्योगों) से ले कर के हरित-क्रांति तक के अनेक कार्य ऐसे कर सकते हैं, जिससे कि आदमी ---भावनात्मक ---- दृष्टि से (स) समर्थ बनते हैं।

30 - आप ऐसे भी काम कर सकते हैं जिससे कि अज्ञान दूर होता है। आजकल ज्ञान-यज्ञ को आगे बढ़ाने के लिए, ----विचारक्रांति --- के लिए, आज (आज) अपना कितना काम प्रारम्भ किया हुआ है।

31 - संत सवा मन (सवा मन) ज्ञान रोज बाँटता है। हम सवा मन ज्ञान रोज बाँटते हैं। आपको भी सवा मन ज्ञान रोज बाँटने के लिए अपनी भावी योजना बनानी चाहिए, और जीवन को -----आराधना -- से भरा-पूरा करना चाहिए।