चरागों को आंखों में महफूज रखना; 

बड़ी दूर तक रात ही रात होगी; 

मुसाफिर हो तुम भी मुसाफिर हैं हम भी; 

किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी। 

~ बशीर बद्र