गांधी आज भी प्रासंगिक हैं। गाँधी ही हैं जो ईश्वर और अल्लाह को एक ही मानने को कहते हैं। गांधी दांडी की यात्रा से बतलाते हैं कि कानून कैसे तोड़ना है। गांधी कहते थे, लक्ष्य से ज्यादा उसको पाने की प्रक्रिया पवित्र होनी चाहिए। इस वजह से वे भारत के इतिहास के अब तक का सबसे प्रभावी आंदोलन: असहयोग आंदोलन को चौरी-चौरा के हिंसा के वजह से रोक देतें हैं। और आज के नेता, अपने विपरीत विचारधारा के नेताओं के साथ, ये कह कर मिल जाते हैं कि, रास्ते की परवाह करने पर मंजिल बुरा मान जाएगी। गांधी आज भी इसी लिए प्रासंगिक हैं। विशेष कर जब सत्ता इत्ती रूढ़िवादी हो और शक्ति के केंद्रीकरण में लगी हो। जब सत्ता गांधी के जैसे शांत से स्वर को भी गोडसे के जैसे गोली मारने पे उतारू हो तो।