चलिए एक काम करिए, राम भगवान का फोटो सर्च करिए गूगल पे। एक बार कृष्ण का भी कर लीजिए। अब इतना कर लिए तो, ब्रम्हा और शिव के साथ पक्षपात क्यों, उनका भी कर लीजिए। अच्छा, आपका जैसा मन! जो देवता आपको अच्छे लगतें हो उनका फ़ोटो गूगल पे सर्च कर लीजिए।
देवताओं को छोड़िये, वैसे भी मेरे को उनमे कोई विश्वास नहीं। आप कोई भी भारतीय महान योद्धा का फोटो सर्च कर लीजिए। चंद्रगुप्त, अशोक, पृथ्वीराज, महाराणा प्रताप, मंगल पांडेय। कोई भी 400 साल के पहले के पुरुष का फोटो देख लीजिए। आपके परबाबा वगैरह का हो तो वो भी चलेगा।
सभी ने कानों में बड़े-बड़े बालियां पहन रक्खी है। सभी के हाथों में भारी-भारी चूड़ियां हैं। गले मे भी कोई-न-कोई आभूषण तो हैं। हाथ-पैर की उंगलियों में भी। कई बार नाक, कमर और बालों में भी आभूषण देखने को मिल सकतें हैं।
आज परिस्तिथियां बदल गईं हैं। किसी भी लड़के को गहनें पहनने की नहीं पड़ी है। हमारे कार्य, कार्य शैली, पूरा-का-पूरा जीवन जीने का लक्ष्य ही बदल गए हैं। पूरी-की-पूरी मानव सभ्यता की प्राथमिकताएं बदल गईं हैं। राष्टनेताओं, उद्दोगपतियों, वैज्ञानिको, शिक्षकों और चोर-लुटेरों की भी प्राथमिकताएं 400 साल पहले की तरह नहीं रहीं।
हमे आगे सोचना है। हम वर्तमान हैं, हमे भूत की तरफ नहीं, भविष्य की तरफ बढ़ना है। यदि आप कंप्यूटर पे काम करतीं हैं, तो बता दूँ, की उस कम्प्यूटर में सोने और चांदी के तार लगे हुए हैं। वही आपके गहनें हैं। आपको कोई और गहनें पहनने की कोई भी जरूरत नहीं है। आपको मन हो तो भी मत पहनिए। इससे आने वाली पीढ़ियां कंगन-बाली खरीदने से पहले कंप्यूटर ख़रीदेंगीं। लड़को-पुरुषों को किसी ने नहीं कहा ये गहने उतारने के लिए। परिस्थिति ये है कि, आज किसी की औकात नहीं है कि हमें कोइ कान छेदाने के लिए बोल दे। आप भी छोड़ दीजिए। कोई लड़ता है तो लड़िये। जीवन के अंतिम क्षण तक लड़िये। आज आप लड़ लेंगीं, तो आपकी बेटी को जबरन कोई नथुनी नहीं पहना पायेगा। वैसे भी हर चीज के लिए लड़ना ही पड़ता है। इन्ही लड़ाई में जीवन ढूंढिए।
~राघव
29 Oct 2017