एक बहुत ही गंभीर प्रश्न है। मन को कई दिनों से विचलित किये जा रहा है।
कोई मीठी चीज तीखी लग सकती है क्या? मतलब ये क्या बात हुई! की आप दिन भर मेहनत कर के, जी जान लगा के, अपनी कमाई और बहुमूल्य समय व्यय कर के, पेट भर खाने के लिए खीर बनायीं। मीठी खीर। आप खाना सुरु किये। आधा खा भी लिए। बहुत मीठी लग भी रही है। अचानक से, एकदम अचानक से वो खीर तीखी लगना सुरु हो जाय!
ऐसा कैसे हो सकता है। ये तो संभव ही नहीं। निश्चत तौर पर इसके संभव तीन कारणों में से ही कोई एक कारण हो सकता है। पहला ये की या तो आपके खाना खाने के दौरान किसी और ने ही उसमे ढेर सारी तीखी मिर्च डाल दी हो। आपको भनक तक न लगे। दूसरी बात ये की वो कभी मीठी थी ही नहीं आपके होंठों और जिह्वे पर ढेर सारा शहद लगा हुआ था और समय के साथ वो शहद ख़त्म हो गया और आपको वास्तविक स्वाद का पता चला हो। तीसरी बात ये भी हो सकती है कि ना ही आपके होंठ मीठे हों और नहीं ही आपकी खीर, पर लाज वश अपने ह्रदय को थोड़ी देर तक सब्र करने को विवश करतें हैं कि नहीं ये खीर मीठी है। खा लो मीठी लगेगी पर एक समय विंदु पर आप सच्चाई को छुपा नहीं पाते।।
बात ये है की पता नहीं ये रिस्ते और सम्बन्धों की खीर कैसे पकती है। जो भाई कभी एक ही गर्भ में रहे हों वो एक ही घर में अब रहने के लिए तैयार ना हों! ये कब होता है कुछ पता ही नहीं चलता। मुझे ये बात युधिष्ठीर के मृत्यु वाले आश्चर्य से भी ज्यादा आश्चर्यचकित करती है। भाई का रिश्ता तो एक उदाहरण मात्र है, ये मीठी-तीखी खीर जीवन के सिक्के के दूसरा पहलू बन कर रह गयी है।
हरी ॐ।
~राघव®©
29 Nov 2016