बलिया में आज भी लड़की का जन्म होना एक दुर्घटना की तरह माना जाता है। ढेर सारे रिस्तेदार, पड़ोसी हॉस्पिटल या फिर घर पर बधाई के जगह सांत्वना देने आतें हैं। लड़की के जन्म के ही दिन, उसकी माँ को दोबारा ट्राइ करने तक को बोल के जातें हैं। अपनी लड़कियों को पढाते भी नहीं। मेरे खुद के घर मे, मेरी किसी भी बहन ने ठीक से पढ़ाई तक नहीं की। कोई भी किसी भी नौकरी के लायक तक नहीं हैं। वो अपनी कपड़े तक खुद से खरीद नहीं सकतीं। लोग अपनी लड़कियों को पढ़ना पैसे की बर्बादी समझतें हैं। लोग लड़कियों की शादी बीस साल की उम्र में कर देतें हैं। पढ़ने के लिए घर से बाहर नहीं जाने देते की वो बॉयफ्रेंड बना लेगी। मुझे याद है, मेरे भाभी के भाई एक बार बोल रहे थे, की आज तक हम लोगों के घर की किसी लड़की ने बॉयफ्रेंड बना कर इज्जत नहीं बर्बाद की हमारी। वो शिक्षक हैं, किसी सरकारी स्कूल में। न जाने हमारे बच्चों को ये मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग क्या पढ़ते होंगे। मैं जब बैंगलोर से बलिया जाता हूँ तो लगता है किसी अरबी देश में सौ साल पहले आ गया हूँ।
12 Dec 2019