रात कितनी खूबसूरत होती है। ज्यादातर लोग सो रहे होते हैं। औसत मूर्खता में भारी कमी रहती है। सरकारें जनता के दयनीय अवस्था का मज़ाक नही बना रही होती हैं। संसद से ले कर न्यायालय तक बंद हो कर अपनी असली रूप में परिलक्षित हो रहे होतें हैं। ज्यादातर जुर्म नहीं हो रहे होते हैं। रेप शायद हो रहे होतें हैं। पर वैसे भी उस से किसी को कोई फ़र्क़ नही पड़ता है। भूत जाग रहे होतें हैं, जो लोगों से कम डरावनें होते हैं। तो कुल मिलाकर सब ठीक हो रहा होता है। तभी सोता नहीं हूं मैं। अच्छा लगता है एक अंधेरी सी दुनिया मे जागना। रात कितनी खूबसूरत होती है।