हमारे समाज में, खास कर के हिन्दुओं में एक आम धारणा होती है, कि जो कुछ भी किसी के साथ हो रहा है वो उसी के अच्छे-बुरे कर्मों-कुकर्मों के कर्मफल हैं।
मतलब ये की यदि कोई लंगड़ा है तो उसने पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा। यदि कोई गरीब है तो वो पिछले जन्म का हिसाब चुकता कर रहा है। इस हिसाब से तो आकाश अम्बानी पिछले जन्म में निश्चय ही भगत सिंह रहा होगा और मुकेश अंबानी - चंद्रशेखर आजाद।
और ऐसा नहीं है कि ये चीज केवल अनपढ़ समाज में है, यहाँ IIT में भी ऐसी सोच रखने वालों की कमी नहीं है। यहाँ भी बिल्ली के रास्ते काटने से लोग रास्ता बदल लेतें हैं! ऐसे ही एक व्यक्ति से मैंने पूछ लिया था कि " उन लोगों का दिन कैसा जाता होगा जो बिल्लियां पालतें हैं?"। और फिर यदि भगवान् में विश्वास है तो, भगवान् की बनायीं चीज से इतनी नफरत क्यों?
आपके कर्मफल के इस तर्क में एक मूलभूत समस्या है। वो ये की यदि आपके साथ जो कुछ हो रहा है या होने वाला है, वो आपके ही कर्मों का फल है; तो फिर यदि किसी औरत या लड़की का बलात्कार हो जाय तो इसका मतलब ये की, जरूर ये उसी के कुकर्मो के फलस्वरूप हुआ है। अर्थात ये की 16 दिसंबर 2012 की रात देल्ही में, ज्योति सिंह का जो पांच लोगों ने मिल के उसका बलात्कार कर के हत्या की, वो ज्योति सिंह के पुराने जन्म या फिर इसी जन्मों के कुकर्मों का फल था! और यदि ये सच है तो उन पांच अपराधियों में से चार को मृत्युदंड और एक को कारावास दे कर विधि के विधान में हमे हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए! भगवान् ही उनके कर्मों का फल दे देते?
देखिये बात कुछ ऐसी है कि आप जो कर्म करंगे उसके फल तो आपको मिलेंगे ही मिलेंगे, दूसरों के कर्मो-कुकर्मों के भी फल आपको ढोने पड़तें हैं, और यही नहीं, आपके कर्मफल केवल आप को ही नहीं दूसरों को भी प्रभावित करतें ही करतें हैं। आपका जन्म ही दूसरे के कर्मों के फल से हुआ है तो निश्चय ही आपका जीवन भी दूसरों के कर्मफलों से प्रभावित हो के ही रहेगा।
पता नहीं भगवान और उनकी कथाए अनंत है कि नहीं पर मुर्ख और उनकी मूर्खता की कथाएं जरूर अनंत है। तो मेरा श्लोक ये है कि:
"मूर्ख अनंत मुर्ख-कथा अनंता।"
~राघव
19 Nov 2016