बचपन की यादें
बचपन की यादें
बचपन की हर याद, कुछ खास ही होती है
वो खेल, पढाई, वो होड़, इक एहसास ही होती है
वो रंग, रूप वो यौवन, कुछ विशेष ही होता है
जब हर शख्स, अपने ही परिवेश में होता है
वो बातों की बहक, वो क़दमों की खनक
वो पंछी की चहक, वो चेहरे की लहक
वो साथ होली, दिवाली, आजादी का जश्न,
वो मंच पे कविता, गीत,अदायगी और प्रश्न
वो कान पकड़, क्लास से बाहर तानों के वार
वो टीचर की मार, फिर किसी का दुलार
वो एस यू पी डब्ल्यू के पीरियड में, क्रिकेट खेलना
वो हाउसेस के कम्पटीशन में, एक्स्ट्रा करीकुलर की बहार
वो एनुअल फंक्शन में, स्कूल समस्त स्टेज पे उतरना
वो स्पोर्ट्स डे पर, तालियों की गूंजती झंकार
वो जी एम् के घर की, मज़ेदार ठंडाई
और हंगामेदार होली, का शुमार
वो बहते नालों में, पेपरबोट बहाना
वो तेज़ बारिश में, मस्ती से नहाना
वो गिल्ली डंडे के बाद, लट्टू चलाना
वो कंचे जीतकर, फिर सब हारना
वो क्लब में हर शनिवार, चेयर रोकना
वो मुरली के डोसे , जरूर ही लाइन तोड़ना
वो बेगूसराय मेँ फ़िल्मों की रंगत
वो विजय बुक डिपो से किताबें खरीदना
वो क्रिकेट मेँ आँख का, लगभग फूटना
वो कबड्डी, खो खो, छुपन छुपाई की यादें
वो पुलिया पर घंटों, गप्पों की यादें
वो बत्ती गुल होने पर, लालटेन जलाना
वो स्कूल की किताबों में कॉमिक्स छुपाना
वो कविता, वो भाषण में अव्वल आना
वो नंबर कम आने पर, थप्पड़ भी खाना
बचपन की हर तस्वीर, सामने अब आती है
दिल के तारों को, झकझोर जाती है
नम सी इक आँख, गालों को भिगोती है
बचपन की हर याद, कुछ खास ही होती है
© sudhir birla