श्री रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदासजी ने अवधी में की है | कुछ सप्ताह पूर्व मेरे साथ एक घटना घटित हुई जो मैं साझा कर रहा हूँ | मंगलवार को प्रभात समय में सुन्दरकाण्ड सुनने के पश्चात बुधवार को प्रातः कुछ ऐसा एहसास हुआ जैसे गोस्वामी जी स्वयं स्वप्न में आ कर कह रहे हों की "चूँकि कई अवधी शब्दों का अर्थ तुम नहीं समझ पाते हो, अत: श्री सुन्दरकाण्ड को हिंदी कविता के रूप में लिखो ताकि तुम स्वयं इसे समझ पाओ" मैंने इस को एक स्वप्न समझ भुलाने की चेष्टा की, क्यूंकि मुझमें ऐसी प्रतिभा कहाँ| किन्तु सुबह शाम यह भावना निरंतर मन को परेशान करती रह्ती और ऐसा प्रतीत होता था जैसे गोस्वामी तुलसीदासजी स्वयं बारम्बार मुझे लिखने हेतु प्रेरित कर रहे हों | अंतत: ईश्वर का ध्यान करने के उपरान्त श्री सुन्दरकाण्ड में जो चौपाइयों तथा दोहों के अर्थ हिंदी में दिए हुए हैं, उन्हें हिंदी कविता रूप में लिखने का प्रयत्न शुरु किया। चार सप्ताह उपरान्त मंगलवार के ही दिन ईश्वर कृपा से यह कार्य संपन्न हुआ| कोई त्रुटि हो, तो क्षमा करें, क्यूंकि न मैं कवि हूँ, न ही कविता शैली में महारथ रखता हूँ| चूँकि रूचि है, इसलिए कभी कभी छोटी कविता की रचना कर लेता हूँ |

जय श्रीगुरुदेव

 ॐ श्री गणेशाय नमः


हे शिरोमणि, करुणाकर प्रियवर, प्रेष्ठ |

करो प्रदान परम भक्ति, हे रघुकुलश्रेष्ठ ||

शीश नवाऊँ जगदीश्वर, स्वीकार करो प्रणाम |

तुमसा नहीं कोई जगत में,  परम प्रभु श्रीराम ||

 

हे सर्वविज्ञं, अतुलितबलधामं, परंरघुभक्तं  |

नमामि त्वम् हे हनुमनतये, अंजनिपुत्रं, मारुतिनंदनं ||  

 

नमो नमामि हे, श्री तुलसीदास |

कृपा तुम्हरी से, पूर्ण होत यह काज ||