महाद्वीप दिखते बिखरे से,
सागर में ज्यूँ अलग थलग ,
दृष्टि, भिन्न सतह से करती,
किन्तु अंतर्धरा, जुड़े हुए सब,
हो जन्म, इससे पूर्व धरा पर,
कीट, पतंगे, जीव-जंतु, जानवर,
जीवन के अनेक रंग-रूप पर,
प्रावधान करे सृष्टि सर्वहित्कर,
वृक्ष जड़ों को गहरा फैला के,
स्वयमेव ले जल-खनिज धरा से,
सूर्य किरणों को कर आत्मसात,
श्वास स्रोत जीव-हित, दिन-औ-रात,
अवतरण ग्रीष्म ऋतू में पत्तों का - छाया पहुंचाने,
झड़ शरद ऋतू में - रौशनी को राह दे जाने,
अलौकिक क्षमता वृक्ष की - विस्मित है करती,
अनंतकाल से अनंतकाल तक - जीवन सृजति,
उत्पत्ति ब्रह्माण्ड की, कहाँ से, क्यूँ कर, कब,
कौन उद्देश्य से पक्षी, जीव, जानवर सब,
पृथ्वी, सागर, वन, पर्वत, नीर, वायु, निरंतर,
विचलित चित्त, मानस, रहस्य जानने को तत्पर ,
ज्यूँ अंतर्धरा से जुड़े, महाद्वीप सब,
चेतना सागरीय, तरंग समान सब,
चित्र-चलचित्र, चिरकाल चरित्रण,
सर्वव्यापी ईश्वरीय रूप कदाचित,
जिससे उत्पन्न, उसी में अर्पण |
जिससे उत्पन्न, उसी में अर्पण |
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