फर्श पे बिखरें हैं ,बहुत से मोती ;
याद कर तुझको, बहुत रोया है कोई ;
तनहा दिल उमरों से, तेरा है तेरा ;
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
याद कर आज फिर,
चलके आने से तेरे, दिल उठता था चहक ;
संग होने से तेरे, सांसें जाती थी दहक ;
कुछ पल का साथ सफर, वो सौंधी सी महक ;
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर,
खुशनसीब किताबों के, पन्ने वो पलटना तेरा ;
कुछ अंदाज़े ख़यालात, वो बयान करना तेरा ;
होना रुखसत यूँ ही, न फिर मिलना तेरा;
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर,
गली कूचों से दीदार को, जाना वो मेरा ;
वक़्त बेवक़्त झरोखे पे, जब आना वो तेरा ;
लुक छुप के सुर्ख चेहरे का, दीदार सुनेहरा ;
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर,
हमसफ़र हमराह ग़र,, हो जाती मेरी;
यक़ीनन मोहब्बत थी,जुस्तजू थी तेरी ;
इकतरफा इज़हार का, रद्द ए 'अमल ;
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर ,
इल्म तुझको नहीं, दिल मुन्तशिर मेरा ;
रोज़ ख्वाबों ही में, हुआ दीदार तेरा ;
तू ही नज़्म, है सरगम, धुन ज़िन्दगी की ;
सप्त सुरों को खोकर, शब् से सोया है कोई ;
याद कर आज फिर, बहुत रोया है कोई I
फर्श पे बिखरें हैं ,बहुत से मोती ;
गुज़रे लम्हातों में दिल, खोया है कोई I
याद कर आज फिर ,
© Sudhir Birla