जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है,
जीवन के तराज़ू पे, हमें भी तोलता है,
सम्भालें कितना, इस चंचल मन को,
ग़र गुज़रे, सोने चाँदी की गलियों से,
दिल हमारा भी डोलता है,
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
पूछा, वक़्त कितने का ख़रीदा,
रूह का हुआ, कितने में सौदा,
काँपता है, उसका यौवन भी भय से,
जब वो तिजोरी खोलता है,
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
ना घर, ना बिस्तर, ना चौबारा,
मुसाफ़िर चौराहे पे, जैसे बंजारा,
टूटे आईने में, निहार चेहरे को आवारा,
गोरस में पानी घोलता है,
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
मोती निगल, मौज कौवों की हो रही,
पिंजरे में शुक की, मिर्ची सी ज़िन्दगी हो रही,
और धरा, जल की सतह पे श्वेत हंसा,
बचे दुमके-दानों को टटोलता है,
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
किसी के महल में, है तबाही,
किसी झोपड़े की, थी गवाही,
उस दरख़्त ने, कहा बादे सबा से,
हौले से चल, टहनी ना हिला,
कौवे के घोंसले में, कोयल का वारिस,
रागिनी का रस घोलता है,
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
जी हाँ हुज़ूर, पैसा बोलता है|
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© sudhirbirla